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14 मार्च 2020

कोरोना वायरस : किसान और पोल्ट्री उद्योग को मिलाकर एक लाख करोड़ का नुकसान

आर एस राणा
नई दिल्ली। ब्रायलर, चिकन से कोरोना वायरस फैलने की अफवाहों के कारण पोल्ट्री उद्योग करीब एक लाख करोड़ रुपये का नुकसान होने की आशंका है। पोल्ट्री किसानों को तो नुकसान हो ही रहा है, उद्योग से जुड़े लोगों की आजीविका पर भी संकट छा गया है। इसलिए विशेषज्ञ सरकार से आगे आने और जरूरी कदम उठाने की बात कर रहे हैं।
कृषि अर्थशास्त्री और पोल्ट्री फेडरेशन आफ इंडिया के एडवायजर विजय सरदाना ने आउटलुक को बताया कि पोल्ट्री किसानों को करीब 60 हजार करोड़ रुपये का जबकि मक्का, सोयाबीन और बाजरा किसानों को करीब 40 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। ब्रायलर पालक किसानों की उत्पादन लागत 80 रुपये है, लेकिन अफवाहों के कारण उन्हें चिकन की कीमत 20 रुपये मिल रही है। उन्होंने बताया कि पोल्ट्री उद्योग पूरी तरह उधारी पर चलता है। पोल्ट्री उपकरण निर्माताओं के साथ ही दवाइयों की आपूर्ति करने वाले और और फीड मुहैया करने वाले उद्योग भी प्रभावित हुए हैं।
ब्रायलर के दाम घटने से छोटे पोल्ट्री किसान पूरी तरह बर्बाद
उन्होंने बताया कि आमतौर पर पोल्ट्री किसानों के तीन सीजन अहम होते हैं। पहला सीजन क्रिसमस तथा नया साल, दूसरा सीजन दशहरे के समय त्यौहारी मांग और तीसरा सीजन होली का होता है। लेकिन इस बार होली के त्यौहार से पहले ही कोरोना वायरस के कारण ब्रायलर की कीमतों में आई भारी गिरावट से छोटे पोल्ट्री उत्पादक किसान बर्बाद हो गए। घाटे के कारण ही आगरा में पोल्ट्री उत्पादक किसान ने आत्महत्या जैसा कदम उठाना पड़ा।
पोल्ट्री उद्योग को बढ़ावा देने वाली नीतियां बनाने की जरूरत
सरदाना ने कहा कि यस बैंक की समस्या आई तो सरकार ने हस्तक्षेप किया, इसी तरह टेलीकॉम सेक्टेर में परेशानी आई तो भी सरकार ने हस्तेक्षप किया। तो सरकार पोल्ट्री उद्योग को मार्केट के भरोसे क्यों छोड़ रही है? उन्होंने कहा कि पोल्ट्री उद्योग के लिए नीतियां बनाने, मंडी लाइसेंस समाप्त करने के साथ ही एपीएमसी को भी समाप्त करने का समय आ गया है। पोल्ट्री उद्योग को बढ़ावा देने वाली नीतियां बनानी होगी, तभी यह उद्योग और इससे जुड़े लोगों का भला हो पायेगा।
मक्का, बाजरा और सोया डीओसी में आई गिरावट
दिल्ली के मक्का कारोबारी कमलेश कुमार जैन ने बताया कि दिल्ली में मक्का की कीमतें घटकर 1,800 रुपये प्रति क्विंटल रह गईं जबकि महीने भर पहले इसके भाव 2,300 रुपये प्रति क्विंटल थे। बाजरा के दाम भी 2,100 रुपये से घटकर 1,650 से 1,700 रुपये प्रति क्विंटल रह गए हैं। उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस के कारण चिकन और अंडे की बिक्री में आई भारी गिरावट के कारण मक्का और बाजरा और सोया डीओसी में मांग नहीं आ रही है।
अप्रेल में आएगी मक्का की नई फसल
बिहार के मक्का कारोबारी राजेश गुप्ता ने बताया कि अप्रैल में मक्का की नई फसल की आवक बनेगी, जबकि उत्पादक मंडियों में पहले ही भाव घटकर 1,500 से 1,600 रुपये प्रति क्विंटल रह गए हैं। केंद्र सरकार ने खरीफ विपणन सीजन 2019-20 के लिए मक्का का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1,760 3पये प्रति क्विंटल तय कर रखा है। उंचे भाव को देखते हुए चालू सीजन में किसानों ने मक्का की बुआई ज्यादा की थी, लेकिन अब कीमतों में आई गिरावट को देखते हुए किसानों को मक्का समर्थन मूल्य से नीचे बेचनी पड़ेगी।
पोल्ट्री उत्पादकों को भारी घाटा
करनाल स्थित राज पोल्ट्री फार्म के प्रबंधक विजयपाल ने बताया कि होली पर चिकन की मांग अच्छी रहती है, लेकिन इस बार मांग 50 से 60 फीसदी तक कम हो गई। उन्होंने बताया कि जनवरी तक चिकन के दाम 100 से 125 रुपये प्रति किलो थे, जो घटकर 40 से 70 रुपये प्रति किलो रह गए हैं।..........  आर एस राणा

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