आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने यूरोपियन यूनियन के देशों को किए जा रहे चावल के निर्यात नियमों को सख्त कर दिया है। इन देशों को चावल निर्यात करने के लिए अब निर्यातकों को निर्यात निरीक्षण एजेंसी या फिर निर्यात निरीक्षण परिषद से निरीक्षण का प्रमाण-पत्र लेना अनिवार्य होगा। इसका असर चावल के निर्यात सौदों पर पड़ने की आशंका है।
विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार यूरोपियन यूनियन के देशों को बासमती चावल के साथ ही गैर बासमती चावल के निर्यात करने के लिए निर्यातकों को निर्यात निरीक्षण एजेंसी या फिर निर्यात निरीक्षण परिषद से निरीक्षण का प्रमाण-पत्र लेना अनिवार्य होगा, जोकि तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है। सूत्रों के अनुसार चावल में पेस्टीसाइड होने की वजह से सरकार ने निरीक्षण का प्रमाण-पत्र को अनिवार्य किया है।
इससे चावल के निर्यात पर असर पड़ने की आशंका
हरियाणा के करनाल स्थित बासमती चावल की निर्यात फर्म के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सरकार के इस फैसले से बासमती के साथ ही गैर-बासमती चावल के निर्यात सौदों पर असर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि यूरोप के एक-दो देश इस तरह की मांग कर रहे थे, लेकिन सरकार ने सभी यूरोपीयन यूनियन देशों के लिए इसे अनिवार्य कर दिया है। इसको देखते हुए अन्य आयातक देश जो भारत से बड़ी मात्रा में बासमती और गैर-बासमती चावल का आयात करते हैं, इस तरह की मांग कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि यूरोपीयन यूनियन के देशों को बासमती चावल का कुल निर्यात तीन लाख से भी कम होता है, जबकि गैर-बासमती का निर्यात तो सीमित मात्रा में ही होता है। वैसे भी चालू वित्त वर्ष 2019-20 की पहली छमाही अप्रैल से सितंबर के दौरान बासमती चावल के साथ ही गैर-बासमती चावल के निर्यात में कमी आई है। ईरान को बासमती चावल के निर्यात सौदे नहीं हो रहे हैं, जबकि सऊदी अरब को भी निर्यात सौदे सीमित मात्रा में ही हो रहे हैं। ऐसे में अन्य देशों ने भी निर्यात निरीक्षण की मांग की तो इसका सीधा असर चावल के कुल निर्यात पर पड़ेगा।
पहली छमाही में बासमती और गैर बासमती चावल का निर्यात घटा
चालू वित्त 2019-20 की पहली छमाही अप्रैल से सितंबर के दौरान बासमती चावल के निर्यात में 11.33 फीसदी की कमी आकर कुल निर्यात 18.70 लाख टन का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 20.82 लाख टन का हुआ था। गैर-बासमती चावल का निर्यात चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में घटकर 25.17 लाख टन का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 38.68 लाख टन का हुआ था। वित्त वर्ष 2018-19 में देश से बासमती चावल का कुल निर्यात 44.14 लाख टन का और गैर-बासमती चावल का निर्यात 75.99 लाख टन का हुआ था।......... आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने यूरोपियन यूनियन के देशों को किए जा रहे चावल के निर्यात नियमों को सख्त कर दिया है। इन देशों को चावल निर्यात करने के लिए अब निर्यातकों को निर्यात निरीक्षण एजेंसी या फिर निर्यात निरीक्षण परिषद से निरीक्षण का प्रमाण-पत्र लेना अनिवार्य होगा। इसका असर चावल के निर्यात सौदों पर पड़ने की आशंका है।
विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार यूरोपियन यूनियन के देशों को बासमती चावल के साथ ही गैर बासमती चावल के निर्यात करने के लिए निर्यातकों को निर्यात निरीक्षण एजेंसी या फिर निर्यात निरीक्षण परिषद से निरीक्षण का प्रमाण-पत्र लेना अनिवार्य होगा, जोकि तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है। सूत्रों के अनुसार चावल में पेस्टीसाइड होने की वजह से सरकार ने निरीक्षण का प्रमाण-पत्र को अनिवार्य किया है।
इससे चावल के निर्यात पर असर पड़ने की आशंका
हरियाणा के करनाल स्थित बासमती चावल की निर्यात फर्म के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सरकार के इस फैसले से बासमती के साथ ही गैर-बासमती चावल के निर्यात सौदों पर असर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि यूरोप के एक-दो देश इस तरह की मांग कर रहे थे, लेकिन सरकार ने सभी यूरोपीयन यूनियन देशों के लिए इसे अनिवार्य कर दिया है। इसको देखते हुए अन्य आयातक देश जो भारत से बड़ी मात्रा में बासमती और गैर-बासमती चावल का आयात करते हैं, इस तरह की मांग कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि यूरोपीयन यूनियन के देशों को बासमती चावल का कुल निर्यात तीन लाख से भी कम होता है, जबकि गैर-बासमती का निर्यात तो सीमित मात्रा में ही होता है। वैसे भी चालू वित्त वर्ष 2019-20 की पहली छमाही अप्रैल से सितंबर के दौरान बासमती चावल के साथ ही गैर-बासमती चावल के निर्यात में कमी आई है। ईरान को बासमती चावल के निर्यात सौदे नहीं हो रहे हैं, जबकि सऊदी अरब को भी निर्यात सौदे सीमित मात्रा में ही हो रहे हैं। ऐसे में अन्य देशों ने भी निर्यात निरीक्षण की मांग की तो इसका सीधा असर चावल के कुल निर्यात पर पड़ेगा।
पहली छमाही में बासमती और गैर बासमती चावल का निर्यात घटा
चालू वित्त 2019-20 की पहली छमाही अप्रैल से सितंबर के दौरान बासमती चावल के निर्यात में 11.33 फीसदी की कमी आकर कुल निर्यात 18.70 लाख टन का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 20.82 लाख टन का हुआ था। गैर-बासमती चावल का निर्यात चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में घटकर 25.17 लाख टन का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 38.68 लाख टन का हुआ था। वित्त वर्ष 2018-19 में देश से बासमती चावल का कुल निर्यात 44.14 लाख टन का और गैर-बासमती चावल का निर्यात 75.99 लाख टन का हुआ था।......... आर एस राणा
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें