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26 मार्च 2014

एफसीआई को गेहूं खरीद में टक्कर

पिछले साल की तरह इस साल भी भारतीय खाद्य निगम सहित सरकारी गेहूं खरीद एजेंसियों को निजी कारोबारियों से कड़ी टक्कर मिल सकती है। हालांकि गेहूं की खरीद 1 अप्रैल से शुरू होनी है, लेकिन पंजाब और हरियाणा में जल्दी बोई जाने वाली किस्मों की आवक शुरू होने से कीमतें नरम पडऩे लगी हैं। मध्य प्रदेश में 25 मार्च से खरीद शुरू हो गई है। सरकार ने इस सीजन में 3.1 करोड़ टन गेहूं खरीदने का फैसला लिया है, क्योंकि उत्पादन 9 करोड़ टन से ज्यादा होने का अनुमान है। केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने राज्यों के खाद्य सचिवों के साथ 17 मार्च को हुई बैठक में खरीद लक्ष्य 3.1 करोड़ टन तय किया था, लेकिन यह देखना होगा कि यह लक्ष्य कितना पूरा होता है। आमतौर पर निजी कारोबारी उन राज्यों में खरीद करते हैं, जहां राज्य एजेंसियों की मजबूत पकड़ नहीं होती है। एक पुराने कारोबारी ने नाम न छापने का आग्रह करते हुए कहा कि पंजाब और हरियाणा जैसे मुख्य गेहूं उत्पादक राज्यों में खरीद की अच्छी व्यवस्था है, इसलिए वहां निजी कारोबारियों के हाथ नहीं पड़ेंगे। वे अपनी ज्यादातर खरीद उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और गुजरात से करेंगे। इस सीजन के लिए सीएसीपी (कृषि लागत एवं मूल्य आयोग) द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 1,400 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है। निजी कारोबारियों को उत्तर प्रदेश का बाजार लुभाता है, क्योंकि वहां पर्याप्त बुनियादी ढांचा न होने के कारण कीमत एमएसपी से नीचे रहती है। गुजरात और महाराष्ट्र में निजी कारोबारियों की भागीदारी अहम होने की संभावना है, क्योंकि निर्यातकों ने गेहूं के वायदा सौदे किए हुए हैं। अहमदाबाद के एक ब्रोकर ने कहा कि सिंगापुर को निर्यात करने से उन्हें दाम 1,660 रुपये प्रति क्विंटल मिल रहे थे और घरेलू बाजार में कीमत 1,675 रुपये प्रति क्विंटल थी। गांधीधाम से सीमेंट की आवाजाही सुस्त पडऩे से ट्रकों की उपलब्धता पर असर पड़ा है और इससे मालभाड़े की लागत में बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने कहा कि आवक में सुधार से वे पहले से किए हुए निर्यात अनुबंधों को पूरा करने की कोशिश करेंगे। निजी कारोबारियों को कुछ गेहूं ऊंची कीमतों पर खरीदना पड़ सकता है, क्योंकि मध्य प्रदेश में बारिश से कुछ हिस्सों में गेहूं की गुणवत्ता पर असर पड़ सकता है। राज्य में गेहूं पर 150 रुपये के बोनस दिए जाने से निजी कारोबारियों के लिए ज्यादा मौके नहीं होंगे। मुख्य गेहूं उत्पादक राज्यों जैसे पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश में खराब मौसम का वास्तविक खरीद पर असर पड़ सकता है। वर्ष 2013-14 में गेहूं की खरीद 2.5 करोड़ टन थी। सरकार द्वारा खुले बाजार में बिक्री की योजना (ओएमएसएस) के तहत निविदाएं बंद करने से मार्च के दूसरे सप्ताह में गेहूं की कीमत बढ़कर 1,700 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गई थी। हालांकि अब उत्तर भारतीय राज्यों में कीमत गिरकर 1,650 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गई हैं। कारोबारी उम्मीद कर रहे हैं कि नई दिल्ली में अप्रैल के दूसरे और तीसरे सप्ताह में कीमत 1,520 रुपये से 1,550 रुपये प्रति क्विंटल के दायरे में रहने की उम्मीद कर रहे हैं। मिलों के पास गेहूं स्टॉक नहीं है, जिसकी वजह से आगामी सप्ताह में कीमतें नीचे आने पर निजी कारोबारियों के भारी खरीद करने की संभावना है। उत्तर में मौसम का फसलों पर असर पड़ा है। इस वजह से पंजाब और हरियाणा में आवक 10 दिन देरी से शुरू होने की संभावना है। (BS Hindi)

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