26 मार्च 2014
बायोटेक कंपनियां शोध पर करेंगी ज्यादा निवेश
जीन संवर्धित (जीएम) फसलों की 200 से ज्यादा ट्रांसजैनिक किस्मों के भूमि परीक्षण को मंजूरी मिलने के सरकारी फैसले से उत्साहित बायोटेक्नोलॉजी कंपनियों ने बीजों के शोध एवं विकास पर भारी निवेश की योजना बनाई है। इस क्षेत्र के नियामक जेनेटिक इंजीनियरिंग अप्रूवल कमेटी ने भी अंतिम बाधा दूर कर दी है। कमेटी ने भी जीएम बीजों की 11 किस्मों को मंजूरी दे दी है और अपनी अगली बैठक में और किस्मों पर विचार करने का आश्वासन दिया है।
पिछले एक साल के दौरान शोध एवं विकास में निवेश रुक गया है, क्योंकि अपना फायदा चाहने वाले समूहों विशेष रूप से गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) के विरोध के कारण इसे नियामकीय मंजूरी मिलने पर अनिश्चितता बनी हुई थी। अब उद्योग जीएम बीजों की ट्रांसजैनिक किस्मों में निवेश करने के ïिलए फिर उत्साहित है। एडवांटा सीड्स के प्रबंध निदेशक और भारत में जीएम बीजों को प्रोत्साहित करने वाली संस्था एबीएलई-एजी के चेयरमैन वीआर कौंडिन्य ने कहा, 'भारत के बायोटेक्नोलॉजी क्षेत्र के शोध एवं विकास में निवेश बढऩे की उम्मीद है, जो उन्होंने पिछले साल बंद कर दिया था। हमें उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2014-15 से विकसित बीजों के शोध एवं विकास पर 600 करोड़ रुपये का वार्षिक निवेश होने लगेगा। एक वर्ष पहले बायोटेक्नोलॉजी कंपनियां हर साल समग्र रूप से करीब 200 करोड़ रुपये का निवेश कर रही थीं।'
निवेश के अलावा बायोटेक्नोलॉजी कंपनियां कृषि फसलों के ज्यादा उत्पादन के लिए जीन के अणु और जैविक स्थानांतरण पर काम कर रही हैं। इस समय चावल, गेहूं, ज्वार, मूंगफली, मक्का, आलू, टमाटर, बंद गोभी, फूलगोभी, भिंडी, बंैगन, सरसों, तरबूज, पपीता और गन्ने जैसी बहुत सी जीएम फसलों को भारत में वाणिज्यिक बिक्री शुरू होने का इंतजार है। शोध करने वाली कंपनियां जैसे मोनसैंटो और माहिको रोग प्रतिरोधी फसलों की खोज पर लगातार काम कर रही हैं, ताकि उत्पादकता बढ़ाई जा सके और बढ़ती आबादी को खाद्य उपलब्ध कराया जा सके। मोनसैंटो शोध के लिए कर्मचारियों और वैज्ञानिक तकनीक पर भारी निवेश कर रही है। (BS Hindi)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें