22 मार्च 2014
चीनी कंपनियां लौटेंगी मुनाफे में
खुले बाजार में ऊंची कीमतें मिलने और सरकार द्वारा घोषित निर्यात सब्सिडी के चलते देश की चीनी मिलों की हालत में जल्द ही सुधार आ सकता है। पिछले दो महीने के दौरान खुले बाजारों में चीनी के दाम 12-14 फीसदी बढ़े हैं, जबकि वायदा में इसका कारोबार 14.2 फीसदी ज्यादा कीमत पर हो रहा है। उद्योग के फंडामेंटल में सुधार आया है, जिससे अगले वर्ष से चीनी कंपनियों के मुनाफे में आने की संभावना है। ज्यादातर मिलों को जून तिमाही से परिचालन लाभ होने की उम्मीद है। कारोबार में राजस्व, आमदनी, परिसंपत्तियों, देनदारियों और वृद्धि आदि से संबधित सूचनाओं को फंडामेंटल माना जाता है।
उद्योग के अधिकारियों का कहना है कि फरवरी की शुरुआत तक मिलों को प्रति किलोग्राम चीनी के उत्पादन पर करीब 4 रुपये का नुकसान हो रहा था। अब मिलों को ज्यादा कीमत मिलने लगी है, लेकिन अब भी उन्हें 1 से 1.5 रुपये प्रति किलोग्राम का घाटा हो रहा है। अगले साल से चीनी निर्यात में इजाफे और गन्ने के कम उत्पादन के अनुमान से ज्यादा चीनी उपलब्धता की समस्या दूर होगी। इससे मिलें मुनाफे की राह पर आ जाएंगी। कच्ची चीनी के निर्यात के लिए सरकार द्वारा सब्सिडी की घोषणा किए जाने के बाद कारोबारी गतिविधियों में तेजी आई है। वायदा में भी एनसीडीईएक्स पर लंबे अरसे के बाद चीनी अनुबंध सक्रिय हुए हैं। एनसीडीईएक्स पर चीनी के ओपन इंटरेस्ट और मात्रा में बढ़ोतरी हो रही है।
भारतीय चीनी मिल संघ के महानिदेशक अविनाश वर्मा ने कहा, 'कच्ची चीनी के उत्पादन और निर्यात को प्रोत्साहित करने की खातिर दो चीनी सीजनों के लिए सरकार द्वारा दी गई सब्सिडी से चीनी मिलों को अपना घाटा कम करने में मदद मिली है। आने वाले महीनों में उद्योग के फंडामेंटल बदलने से किसानों के बकाये को कम करने और मुनाफे में लौटने में मदद मिलेगी।'
महज एक महीने पहले मिलों को चीनी उत्पादन में करीब 4 रुपये प्रति किलोग्राम का घाटा हो रहा था, लेकिन सब्सिडी और घरेलू कीमतों में वृद्धि से उन्हें कीमत प्राप्ति में हो रहे नुकसान को घटाकर अब 1.5 से 2 रुपये प्रति किलोग्राम करने में मदद मिली है। हालांकि खुले बाजार में कीमतें अब भी कई वर्षों के निचले स्तर पर हैं और ये अगस्त 2012 की ऊंची कीमतों से अब भी करीब 20 फीसदी कम हैं।
वर्मा ने कहा कि चालू चीनी सीजन में फरवरी अंत तक 12 लाख टन चीनी का निर्यात किया गया है। सब्सिडी की घोषणा होने के बाद सितंबर तक 7-8 लाख टन का और निर्यात हो सकता है। इस्मा ने चीनी सीजन 2013-14 (अक्टूबर से सितंबर) के लिए चीनी उत्पादन का अनुमान 250 लाख टन से घटाकर 238 लाख टन कर दिया है। निर्यात और उत्पादन लक्ष्य में कटौती से उद्योग के फंडामेंटल स्थिर होंगे।
अब गर्मी के सीजन में कोला और आईसक्रीम बनाने वाली कंपनियों की मांग बढ़ेगी, जिससे कीमतों की स्थिति बेहतर होगी। सुधरते फंडामेंटल का चीनी कंपनियों की बैंलेस शीट पर सकारात्मक असर पड़ा है। डालमिया भारत शुगर ऐंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड के सीईओ बीबी मेहता ने कहा, 'सब्सिडी और इसके बाद एक्स-फैक्टरी कीमत में इजाफे से उद्योग की वित्तीय स्थिति सुधर रही है।' (BS Hindi)
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