22 मार्च 2014
किसान से मक्का खरीद में उद्योग को फायदा
अगर भारत में मक्का उद्योग कारोबारियों और ब्रोकरों के बजाय किसानों से सीधे खरीद करता है तो उसे 50 रुपये प्रति क्विंटल का फायदा होता है। यह बात वैश्विक सलाहकार कंपनी केपीएमजी के एक अध्ययन में कही गई है। आज भारतीय मक्का सम्मेलन में जारी अध्ययन में कहा गया है कि कृषि जोत का आकर छोटा होने के कारण भारत का मक्का उद्योग किसानों से सीधे इस जिंस की खरीद नहीं कर पाता है। हालांकि वर्ष 2004-05 से 2013-14 के बीच देश में मक्के का उत्पादन 5.5 फीसदी बढ़ा है।
त्पादन में बढ़ोतरी की मुख्य वजह हाइब्रिड बीजों का इस्तेमाल बढऩा है। अध्ययनों में तो यहां तक कहा जा रहा है कि 2050 तक देश में 90 फीसदी रकबे में हाइब्रिड बीज उगाए जाएंगे। वर्ष 2004-05 से 2013-14 के दौरान इस जिंस की खपत करीब 4 फीसदी और रकबा 2.5 फीसदी बढ़ा है। देश से हर साल करीब 30-50 लाख टन मक्के का निर्यात होता है। इंडियन मेज डेवलपमेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष सैन दास ने कहा, 'भारत वर्ष 2014-15 में करीब 40 लाख टन मक्के का निर्यात कर सकता है।'
जिंस बाजार अस्थिर
भारत में अलनीनो से मॉनसून पर असर पडऩे की खबरों के बीच जिंस बाजारों में एक लंबे अरसे के बाद कृषि जिंसों में उतार-चढ़ाव दर्ज किया जा रहा है। अल नीनो का मतलब मध्य एवं पूर्वी प्रशांत महासागर में पानी गर्म होने और पश्चिम में ठंडा होने से है। यह स्थिति हर 4 से 12 वर्षों में पैदा होती है। इससे पहले इसका असर 2009 में मॉनसून पर पड़ा था, जिससे उस साल करीब चार दशकों का सबसे भयंकर सूखा रहा था। एनसीडीईएक्स के सीईओ समीर शाह ने कहा, 'हमने यह बात दर्ज की है कि ब्राजील की मौसम स्थितियों और संभवतया अल-नीनो की वजह से जिंस बाजारों में उतार-चढ़ाव बना हुआ है।' (BS Hindi)
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