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29 अक्टूबर 2024

नवंबर के लिए 22 लाख टन चीनी का कोटा, महाराष्ट्र में गन्ने की पेराई में देरी की आशंका

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने सोमवार को नवंबर के लिए 22 लाख टन चीनी का कोटा जारी किया है, जोकि अक्टूबर के 25.5 लाख टन की तुलना में कम है।


केंद्रीय खाद्वय एवं उपभोक्ता मामले मंत्रालय ने नवंबर 2024 के लिए चीनी का मासिक घरेलू कोटा 22 लाख टन का निर्धारित किया है, जोकि पहली नवंबर 2024 से लागू होगा। अक्टूबर में सरकार ने जहां 25.5 लाख टन चीनी का कोटा जारी किया था, वहीं सितंबर में 23.5 लाख टन तथा अगस्त में 22 लाख टन चीनी का कोटा जारी किया गया था।

चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) के साथ ही एथेनॉल की कीमतों में बढ़ोतरी नहीं की गई तो महाराष्ट्र में गन्ना पेराई में देरी हो सकती है। वेस्ट इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन, (डब्ल्यूआईएसएमए) के अनुसार पिछले पांच साल में चीनी के एमएसपी में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है, जबकि इस दौरान गन्ने के उचित एवं लाभकारी मूल्य, एफआरपी में पांच बार बढ़ोतरी की जा चुकी है।

राज्य सरकार ने 15 नवंबर से गन्ने की पेराई आरंभ करने को कहा है।

डब्ल्यूआईएसएमए ने चीनी के एमएसपी को बढ़ाकर 42 से 43 रुपये तथा एथेनॉल के भाव को 73 रुपये प्रति लीटर करने की मांग की है।

चीनी उद्योग चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य में बढ़ोतरी के लिए दबाव बना रहा है, जबकि केंद्र सरकार बढ़ोतरी के प्रस्ताव को टाल चुकी है। उद्योग के अनुसार फरवरी 2019 से चीनी का बिक्री मूल्य 31 रुपये प्रति पर बना हुआ है, साथ ही एथेनॉल की कीमतों में भी वृद्धि हुई है। गौरतलब है कि सरकार ने 2022-23 आपूर्ति वर्ष (नवंबर-अक्टूबर) के बाद से एथेनॉल की कीमतों को अपडेट नहीं किया है।

इस समय गन्ने के रस से उत्पादित इथेनॉल की कीमत 65.61 रुपये प्रति लीटर है, जबकि बी-हैवी और सी-हैवी गुड़ से प्राप्त इथेनॉल की कीमत क्रमश: 60.73 रुपये और 56.28 रुपये प्रति लीटर है।

केंद्रीय खाद्य मंत्रालय के अनुमान के अनुसार पहली अक्टूबर से शुरू होने वाले गन्ना पेराई सीजन 2024-25 (अक्टूबर-सितंबर) में चीनी उत्पादन घरेलू मांग को पूरा करने के साथ ही इथेनॉल उत्पादन को तय लक्ष्य तक पूरा करने के लिए पर्याप्त होने की उम्मीद है।

मुंबई की वाशी मार्केट में सोमवार को एस 30 चीनी के भाव 3,700 से 3,800 रुपये तथा एम 30 किस्म की चीनी के दाम 3,800 से 3,900 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। 

स्पिनिंग मिलों की कमजोर मांग गुजरात एवं उत्तर भारत में चौथे दिन कॉटन मंदी

नई दिल्ली। स्पिनिंग मिलों की मांग कमजोर बनी रहने के कारण शुक्रवार गुजरात के साथ ही उत्तर भारत के राज्यों में लगातार चौथे कॉटन की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई।


गुजरात के अहमदाबाद में 29 शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव में शुक्रवार को 200 रुपये की गिरावट आकर दाम 55,300 से 55,700 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो रह गए। पिछले चार कार्यदिवस में कॉटन के दाम राज्य में कॉटन की कीमतों में 500 रुपये प्रति कैंडी का मंदा आ चुका है।

पंजाब में नई रुई के हाजिर डिलीवरी के भाव 5740 से 5750 रुपये प्रति मन बोले गए। हरियाणा में नई रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव 5720 से 5730 रुपये प्रति मन बोले गए।
ऊपरी राजस्थान में नई रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव 5720 से 5755 रुपये प्रति मन बोले गए। खैरथल लाइन में कॉटन के भाव 55,200 से 55,400 रुपये कैंडी, एक कैंडी-356 किलो बोले गए।

देशभर की मंडियों में कपास की आव 81,200 गांठ, एक गांठ-170 किलो की हुई।

घरेलू वायदा बाजार एमसीएक्स के साथ ही एनसीडीएक्स पर आज शाम को कॉटन की कीमतों में में गिरावट का रुख रहा। इस दौरान आईसीई के इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग में भी कॉटन की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई।

स्पिनिंग मिलों की मांग कमजोर होने के कारण लगातार चौथे दिन गुजरात के साथ ही उत्तर भारत के राज्यों में कॉटन की कीमतों में गिरावट आई है। व्यापारियों के अनुसार घरेलू बाजार में सूती धागे की मांग सामान्य की तुलना में कमजोर है जबकि विश्व बाजार में हाल ही में कॉटन की कीमतों में मंदा आया। जिस कारण घरेलू बाजार से निर्यात में भी पड़ते नहीं लग रहे।

हालांकि चालू सीजन में बुआई में आई कमी के साथ ही कई राज्यों में प्रतिकूल मौसम का असर देश में कॉटन के उत्पादन और क्वालिटी पर पड़ने की आशंका है, लेकिन ग्राहकी भी कमजोर बनी हुई है। विदेश में दाम कमजोर होने के कारण आयात सौदे भी ज्यादा मात्रा में हुए हैं। इसलिए घरेलू बाजार में कॉटन की कीमतों में अभी तेजी के आसार नहीं है। उत्पादक मंडियों में आगामी दिनों में नई फसल की आवकों में भी बढ़ोतरी होगी।

कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया, सीएआई के आरंभिक अनुसार के अनुसार पहली अक्टूबर 2024 से शुरू हुए चालू फसल सीजन 2024-25 में देश में 302.25 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलो कॉटन के उत्पादन का अनुमान है, जोकि इसके पिछले फसल सीजन 2023-24 के 325.29 लाख गांठ से कम है।

कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ सीजन में कपास की बुआई 10.96 फीसदी घटकर 112.76 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इसकी बुआई 123.71 लाख हेक्टेयर में हुई थी।

25 अक्टूबर 2024

धान खरीद नहीं होने के चलते पंजाब में किसान 26 अक्टूबर से करेंगे चक्का जाम

नई दिल्ली। धान की सरकारी खरीद धीमी गति से होने के चलते पंजाब के किसानों ने राज्य में चक्का जाम करने का फैसला किया है। किसान यूनियनों ने गुरुवार को कड़ा फैसला लेते हुए कहां कि 26 अक्टूबर, दोपहर 1 बजे से सारे पंजाब में चक्का जाम किया जाएगा।


किसान यूनियनों के अनुसार एक महीने से किसान सरकार ने प्रार्थना कर रहे हैं, कि धान की सरकारी खरीद एवं उठाव में तेजी लाई जाए। किसान के धान की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर की जाए, तथा खरीद के समय जो कटौती की जा रही है, उसे बंद किया जाए। किसानों के अनुसार राज्य की अधिकांश मंडियां धान से भरी हुई हैं, तथा मिल मालिक धान का उठाव नहीं कर रहे हैं। राज्य सरकार भी नींद में है। अत: धान की सरकारी खरीद में देरी के कारण किसानों को कटाई रोकनी पड़ी है। इससे जहां गेहूं की बुवाई में देरी होगी, वहीं किसान को पराली प्रबंधन के लिए समय नहीं मिल पायेगा।

सेंट्रल फूड ग्रेन प्रोक्योरमेंट पोर्टल के अनुसार 24 अक्टूबर तक पंजाब की मंडियों में 30,07,937.77 टन धान की खरीद एमएसपी पर की गई है। पंजाब के खाद्य मंत्री लाल चंद कटारूचक ने 23 अक्टूबर को कहा था कि चालू खरीफ विपणन सीजन में अब तक 10 लाख टन धान का उठाव किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि सभी जिलों में धान का उठाव सुचारू रूप से चल रहा है। उन्होंने बताया कि 5,683 करोड़ रुपये की राशि पहले ही किसानों के खातों में सीधे ट्रांसफर की जा चुकी है।

सूत्रों के अनुसार चालू खरीफ विपणन सीजन 2024-25 में अभी तक हरियाणा की मंडियों में 39,66,050 टन धान की आवक हुई है, जिसमें से 36,69,146 टन धान की खरीद एमएसपी पर की गई है। हरियाणा में अभी तक किसानों के खाते में 5,337 करोड़ रुपये जमा कराए गए हैं। हरियाणा की मंडियों से भी धान का उठाव धीमी गति से रहा है। सरकारी खरीद में देरी के साथ ही उठाव नहीं होने के कारण 23 अक्टूबर को राजौंद अनाज मंडी में किसानों ने गेट पर ताला जड़ कर असंध-कैथल रोड पर जाम लगाया था।

केंद्रीय पूल से चना एवं चना दाल के साथ ही मसूर तथा मूंग दाल की बिक्री शुरू

नई दिल्ली, 23 अक्टूबर। केंद्र सरकार ने बुधवार को बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए केंद्रीय पूल से ‘भारत’ ब्रांड के तहत साबुत चना एवं चना दाल के साथ ही मसूर तथा मूंग दाल की बिक्री शुरू कर दी।


केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा कि सहकारी नेटवर्क भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ लिमिटेड (एनसीसीएफ) और भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ लिमिटेड (नेफेड) के साथ ही केन्द्रीय भंडार के जरिये साबुत चना को 58 रुपये प्रति किलो और मसूर दाल को 89 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बेचा जाएगा। इसके अलावा चना दाल 70 रुपये किलो, मूंग दाल 107 रुपये तथा साबुत मूंग 93 रुपये प्रति किलो की दर से बेची जायेगी। मसूर दाल की बिक्री 89 रुपये प्रति किलो की दर की जायेगी।

जोशी ने इस पहल के दूसरे चरण को पेश करते हुए कहा कि हम मूल्य स्थिरीकरण कोष के अंतर्गत रखे गए अपने भंडार को सब्सिडी वाली कीमत पर बेच रहे हैं। केंद्र सरकार ने सहकारी समितियों को तीन लाख टन चना और 68,000 टन मूंग आवंटित की है।

इस अवसर पर खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के राज्यमंत्री बी. एल. वर्मा और निमुबेन जयंतीभाई बांभणिया भी उपस्थित रहे।

एनसीसीएफ की प्रबंध निदेशक अनीस जोसेफ चंद्रा ने कहा कि वितरण दिल्ली, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र से शुरू होगा तथा 10 दिन के भीतर इसके देशव्यापी विस्तार की योजना है।

केंद्रीय पूल से गेहूं के आटे की बिक्री के लिए 30 रुपये प्रति किलो, चावल की बिक्री के लिए 34 रुपये प्रति किलो तथा चना दाल की बिक्री के लिए 70 रुपये प्रति किलो का भाव तय किया गया है। वहीं मूंग दाल तथा मूंग साबुत की बिक्री कीमत क्रमशः 107 रुपये प्रति किलो और 93 रुपये प्रति किलो तय की गई है।

केंद्र सरकार प्याज के लिए 35 रुपये प्रति किलोग्राम और टमाटर के लिए 65 रुपये प्रति किलोग्राम की दर बनाए रखने की भी कोशिश कर रही है।

केंद्रीय मंत्री ने इस वर्ष दालों के बेहतर उत्पादन की उम्मीद जताई है क्योंकि सरकार ने दालों के न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी में काफी वृद्धि की है।

चालू सीजन में 302.25 लाख गांठ कॉटन के उत्पादन का अनुमान - उद्योग

नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2024 से शुरू हुए चालू फसल सीजन 2024-25 में देश में 302.25 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलो कॉटन के उत्पादन का अनुमान है, जोकि इसके पिछले फसल सीजन 2023-24 के 325.29 लाख गांठ से कम है।


कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया, सीएआई के आरंभिक अनुसार के अनुसार उत्तर भारत के राज्यों पंजाब में कॉटन का उत्पादन फसल सीजन 2024-25 में 3 लाख गांठ, हरियाणा में 12 लाख गांठ, अपर राजस्थान में 11.50 लाख गांठ एवं लोअर राजस्थान के 9.50 लाख गांठ को मिलाकर कुल 36 लाख गांठ होने का अनुमान है।

सीएआई के अनुसार मध्य भारत के राज्यों गुजरात में चालू फसल सीजन में 80 लाख गांठ, महाराष्ट्र में 90 लाख गांठ तथा मध्य प्रदेश के 19 लाख गांठ को मिलाकर कुल 189 लाख गांठ के उत्पादन का अनुमान है।

दक्षिण भारत के राज्यों में तेलंगाना में चालू फसल सीजन में 34 लाख गांठ, आंध्र प्रदेश में 12 लाख गांठ एवं कर्नाटक में 22 लाख गांठ तथा तमिलनाडु के 4 लाख गांठ को मिलाकर कुल 72 लाख गांठ के कॉटन के उत्पादन का अनुमान है।

ओडिशा में चालू खरीफ में 3.25 लाख गांठ एवं अन्य राज्यों में 2 लाख गांठ कॉटन के उत्पादन का अनुमान है।

सीएआई के अनुसार पहली अक्टूबर 2024 को कॉटन का बकाया स्टॉक 30.29 लाख गांठ का बचा हुआ था, जबकि 302.25 लाख गांठ के उत्पादन का अनुमान है। चालू सीजन में करीब 25 लाख गांठ कॉटन का आयात होने की उम्मीद है। ऐसे में कुल उपलब्धता 357.54 लाख गांठ की बैठेगी।

चालू फसल सीजन में कॉटन की कुल घरेलू खपत 313 लाख गांठ होने का अनुमान है, जबकि इस दौरान 18 लाख गांठ के निर्यात की उम्मीद है।

बुआई में कमी के साथ ही हाल ही में गुजरात के साथ ही अन्य कई राज्यों में हुई बेमौसम बारिश का असर चालू सीजन में कपास की फसल पर पड़ने का डर है, जिस कारण इसके उत्पादन अनुमान में कमी आने की आशंका है।

कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में कपास की बुआई 14 लाख हेक्टेयर घटकर 112.90 लाख हेक्टेयर में ही हुई, जबकि पिछले साल इसकी बुआई 126.90 लाख हेक्टेयर में हुई थी।

गुजरात में मूंगफली का रिकॉर्ड 42.19 लाख टन उत्पादन अनुमान - एसईए

नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन में गुजरात में मूंगफली का रिकार्ड उत्पादन 42.19 लाख टन होने का अनुमान है, जोकि पिछले साल के 33.45 लाख टन की तुलना में 26 फीसदी ज्यादा है।


साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन आफ इंडिया, एसईए द्वारा जारी सर्वे रिपोर्ट के अनुसार गुजरात में मूंगफली की प्रति हेक्टेयर औसत उत्पादकता चालू खरीफ सीजन में 2210 किलोग्राम होने का अनुमान है।

राज्य सरकार के अनुसार चालू फसल सीजन 2024-25 के खरीफ सीजन में राज्य में मूंगफली की बुआई 19.09 लाख हेक्टेयर में हुई है, जोकि 2023-24 के 16.35 लाख हेक्टेयर की तुलना में 2.74 लाख हेक्टेयर अधिक है। देशभर में मूंगफली की बुआई चालू खरीफ सीजन में 47.8 लाख हेक्टेयर में हुई है।

एसईए के अनुसार पिछले दो सप्ताह में राज्य के कुछ जिलों में छिटपुट बारिश के कारण अगेती फसल को नुकसान हुआ है, जिसे फसल अनुमान (वर्तमान) में कम करके आंका गया है। पिछले तीन दिनों में सौराष्ट्र के भी कई हिस्सों में भारी बारिश हुई है, जिससे खेतों में कटी और पड़ी फसल को और अधिक नुकसान हो सकता है और आवक में भी देरी होने की आशंका है। अत: दिवाली के बाद परिषद एक बार फिर से फसल की समीक्षा करेगी और अगर फसल को नुकसान हुआ पाया जाता है, तो फसल अनुमान को संशोधित कर सकती है।

केंद्र सरकार ने मूंगफली का न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी 6,783 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है, जबकि अच्छी गुणवत्ता (एफएक्यू) के भाव मंडियों में एमएसपी से नीचे 6,250 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं।

राज्य की गोंडल मंडी में सोमवार को मूंगफली की आवक 60 हजार बोरी (1 बोरी-35 किलो) से ज्यादा की हुई जबकि व्यापार केवल 32 से 34 हजार बोरियों के हुए। मंडी में एवरेज क्वालिटी के भाव 1090-1250 रुपये और बेस्ट क्वालिटी के भाव 1080-1220 रुपये प्रति 20 किलो रहे।राज्य की राजकोट मंडी में एवरेज क्वालिटी की मूंगफली के भाव 1040-1320 रुपये और बेस्ट क्वालिटी के भाव 1000-1200 रुपये प्रति 20 किलो रहे। गुजरात की मंडियों में सोमवार को मूंगफली की कुल आवक करीब पौने दो लाख बोरियों की हुई। 

21 अक्टूबर 2024

मांग बढ़ने से बिनौला के साथ ही कपास खली के भाव तेज, कॉटन वॉश स्थिर से कमजोर

नई दिल्ली। मांग बढ़ने से शुक्रवार को घरेलू बाजार में बिनौला के साथ ही कपास खली की कीमतों में तेजी आई, जबकि इस दौरान कॉटन वॉश के दाम स्थिर से कमजोर हुए। व्यापारियों के अनुसार आगामी दिनों में नई कपास की आवक बढ़ेगी, जिससे बिनौला के साथ ही कपास खली की उपलब्धता बढ़ेगी, इसलिए इनके भाव में हल्का सुधार तो और भी आ सकता है लेकिन बड़ी तेजी के आसार कम है।


तेल मिलों की मांग बढ़ने से बिनौले की कीमत उत्तर भारत के राज्यों में तेज हुई। हरियाणा में बिनौले के भाव 150 रुपये बढ़कर 4500 से 4700 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। इस दौरान श्रीगंगानगर लाइन में नए बिनौला के भाव 150 रुपये तेज होकर 4600 से 4800 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। बिनौला के दाम पंजाब में 150 रुपये बढ़कर 4550 से 4700 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

पशु आहार वालों की मांग बढ़ने से कपास खली की कीमत तेज हुई। बीड में रेगुलर क्वालिटी की कपास खली की कीमत 50 रुपये तेज होकर 3,750 से 4,000 रुपये प्रति क्विंटल हो गई। इस दौरान बालानगर में कपास खली के दाम 20 रुपये बढ़कर 3,890 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। पिंपलगांव में कपास खली के भाव 10 रुपये तेज होकर 3,860 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

विदेशी बाजार में आज खाद्वय तेलों की कीमतों में गिरावट का रुख रहा, जबकि घरेलू बाजार में भी कॉटन वॉश की कीमत स्थिर से कमजोर हुई। गुजरात डिलीवरी कॉटन वॉश के भाव 5 रुपये कमजोर होकर 1,180 रुपये प्रति 10 किलो रह गए। राजकोट में कॉटन वॉश की कीमत 5 रुपये घटकर 1,210 रुपये प्रति दस किलो रह गई। धुले में कॉटन वॉश के दाम 1,200 रुपये प्रति 10 किलो पर स्थिर हो गए। व्यापारियों के अनुसार कॉटन वॉश की कीमतों में तेजी, मंदी काफी हद तक आयातित खाद्वय तेलों के भाव पर ही निर्भर करेगी।

घटे दाम पर स्पिनिंग मिलों की खरीद से गुजरात एवं उत्तर भारत में कॉटन के भाव बढ़े

नई दिल्ली। घटे दाम पर स्पिनिंग मिलों की मांग बढ़ने के कारण गुरुवार को दोपहर बाद गुजरात के साथ ही उत्तर भारत के राज्यों में कॉटन की कीमतों में हल्का सुधार आया।


गुजरात के अहमदाबाद में 29 शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव में गुरुवार को 100 रुपये की तेजी आकर भाव 55,700 से 56,000 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो हो गए। मालूम हो कि राज्य में पिछले दो कार्यदिवस में कॉटन की कीमतों में 350 रुपये प्रति कैंडी का मंदा आया था।

पंजाब में नई रुई के हाजिर डिलीवरी के भाव तेज होकर 5775 से 5780 रुपये प्रति मन बोले गए। हरियाणा में नई रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव बढ़कर 5745 से 5760 रुपये प्रति मन बोले गए। ऊपरी राजस्थान में नई रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव बढ़कर 5760 से 5780 रुपये प्रति मन बोले गए। खैरथल लाइन में कॉटन की कीमतें तेज होकर 55,000 से 55,200 रुपये कैंडी, एक कैंडी-356 किलो बोले गए।

देशभर की मंडियों में कपास की आव 53,500 गांठ, एक गांठ-170 किलो की हुई।

घरेलू वायदा बाजार एमसीएक्स के साथ ही एनसीडीएक्स पर आज शाम को कॉटन की कीमतों में में गिरावट का रुख रहा। इस दौरान आईसीई के इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग में भी कॉटन की कीमतों में मंदा आया।

नीचे दाम पर स्पिनिंग मिलों की मांग सुधरने के कारण गुजरात के साथ ही उत्तर भारत के राज्यों की मंडियों में कॉटन की कीमतों में हल्का सुधार आया है। व्यापारियों के अनुसार कॉटन की कीमतों में हल्का सुधार तो आ सकता है लेकिन अभी बड़ी तेजी के आसार नहीं है। हाल ही में विश्व बाजार में हाल ही में कॉटन की कीमतों में मंदा आया है, जबकि घरेलू बाजार से सूती धागे के साथ ही कॉटन के निर्यात में पड़ते नहीं लग रहे। उत्पादक मंडियों में नई कपास की दैनिक आवक आगे और बढ़ेगी। हालांकि चालू सीजन में कपास की बुआई में कमी आई, जिस कारण उत्पादन अनुमान तो घटने की आशंका है, लेकिन प्रति हेक्टेयर उत्पादकता ज्यादा बैठ रही है।

कृषि मंत्रालय के अनुसार 20 सितंबर तक कपास की बुआई 10.96 फीसदी घटकर 112.76 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 123.71 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

रबी फसलों के एमएसपी को मंजूरी, गेहूं का एमएसपी 6.59 फीसदी बढ़ाया

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने रबी विपणन सीजन 2025-26 की प्रमुख फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य, (एमएसपी) में बढ़ोतरी को मंजूरी दे दी है। गेहूं का एमएसपी 6.59 फीसदी बढ़ाकर 2,425 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति, (सीसीईए) बैठक में रबी विपणन सीजन 2025-26 के एमएसपी में बढ़ोतरी का निर्णय लिया गया। आगामी रबी विपणन सीजन के लिए जहां गेहूं के एमएसपी में 6.59 फीसदी की बढ़ोतरी की गई, वहीं सबसे ज्यादा 7.03 फीसदी की बढ़ोतरी जौ के एमएसपी की गई है। इस दौरान सबसे कम 2.41 फीसदी की बढ़ोतरी सफ्लॉवर के एमएसपी में की गई।  

कैबिनेट के फसलों की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि गेहूं का एमएसपी 150 रुपये बढ़ाकर 2,425 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है। रबी विपणन सीजन 2024-25 के गेहूं का एमएसपी 2,275 रुपये प्रति क्विंटल था।

जौ के एमएसपी को 130 रुपये बढ़ाकर 1,980 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया, जबकि पिछले रबी सीजन के लिए जौ का एमएसपी 1,850 रुपये प्रति क्विंटल था।

रबी दलहन की प्रमुख फसल चना का एमएसपी 210 रुपये बढ़ाकर 5,650 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है, जबकि पिछले रबी सीजन के दौरान इसका एमएसपी 5,440 रुपये प्रति क्विंटल था। इसी तरह से मसूर का एमएसपी 275 रुपये बढ़ाकर 6,700 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है, जबकि पिछले रबी सीजन के दौरान इसका एमएसपी 6,425 रुपये प्रति क्विंटल था।

रबी तिलहन की प्रमुख फसल सरसों का एमएसपी 300 रुपये बढ़ाकर 5,950 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है, जबकि पिछले रबी सीजन के दौरान इसका एमएसपी 5,650 रुपये प्रति क्विंटल था। इस दौरान सफ्लॉवर का एमएसपी 140 रुपये बढ़ाकर 5,940 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है, जबकि पिछले रबी सीजन के दौरान इसका एमएसपी 5,800 रुपये प्रति क्विंटल था।

सितंबर में डीओसी का निर्यात 35 फीसदी घटा - एसईए

नई दिल्ली। सितंबर में देश से डीओसी के निर्यात में 35 फीसदी की कमी आकर कुल निर्यात 213,744 टन का ही हुआ है, जबकि पिछले साल सितंबर में इनका निर्यात 330,567 टन का हुआ था।


सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, एसईए के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही अप्रैल से सितंबर के दौरान डीओसी के निर्यात में 9 फीसदी की गिरावट आकर कुल निर्यात 2,082,533 टन का ही हुआ है, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इनका निर्यात 2,276,120 टन का ही हुआ था।

 एसईए के अनुसार चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही (अप्रैल से सितंबर, 2024) के दौरान सोया डीओसी का निर्यात बढ़कर 9.08 लाख टन का हुआ है, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के दौरान इसका निर्यात केवल 5.86 लाख टन का ही हुआ था। निर्यात में बढ़ोतरी का प्रमुख कारण यूएई, ईरान और फ्रांस द्वारा ज्यादा मात्रा में आयात को जाता है। बांग्लादेश, दक्षिण कोरिया और थाईलैंड सरसों डीओसी के प्रमुख आयातक हैं।

सोपा ने चालू खरीफ सीजन में सोयाबीन के उत्पादन का अनुमान 125.18 लाख टन का लगाया है, जबकि पिछले वर्ष इसका उत्पादन 118.74 लाख टन का हुआ था। सोपा ने कृषि मंत्रालय के 127.13 लाख हेक्टेयर के बुआई के अनुमान से कम 118.3 लाख हेक्टेयर में ही बुवाई होने का अनुमान जारी किया है।

भारतीय बंदरगाह पर सितंबर में सोया डीओसी का भाव तेज होकर 490 डॉलर प्रति टन हो गया, जबकि अगस्त में इसका दाम 473 डॉलर प्रति टन था। इस दौरान सरसों डीओसी का मूल्य सितंबर में भारतीय बंदरगाह पर बढ़कर 283 डॉलर प्रति टन हो गया, जबकि अगस्त में इसका भाव 273 डॉलर प्रति टन था। इस दौरान कैस्टर डीओसी का दाम अगस्त के 86 डॉलर प्रति टन से बढ़कर सितंबर में 89 डॉलर प्रति टन हो गया।

फसल सीजन 2023-24 के दौरान 28.50 लाख गांठ कॉटन का निर्यात - सीएआई

नई दिल्ली। उद्योग के अनुसार फसल सीजन 2023-24 में देश से 28.50 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलो कॉटन का निर्यात हुआ है, जबकि इस दौरान 17.50 लाख गांठ का आयात हुआ है।


कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया, सीएआई ने पहली अक्टूबर 2023 से शुरू हुए फसल सीजन 2023-24 में कॉटन के उत्पादन अनुमान में एक बार फिर बढ़ोतरी कर कुल उत्पादन 325.29 लाख गांठ होने का अनुमान जारी किया है, जबकि इससे पहले उत्पादन अनुमान 323.02 लाख गांठ का था। फसल सीजन 2022-23 के दौरान देश में 318.90 लाख गांठ का उत्पादन हुआ था।

सीएआई  के अनुसार उत्तर भारत के राज्यों पंजाब में 3.65 लाख गांठ, हरियाणा में 13.30 लाख गांठ तथा अपर राजस्थान में 15.47 लाख गांठ के अलावा लोअर राजस्थान में 13.20 लाख गांठ को मिलाकर कुल उत्पादन 45.62 लाख गांठ का उत्पादन हुआ।

मध्य भारत के गुजरात में कॉटन का उत्पादन 90.50 लाख गांठ तथा महाराष्ट्र में भी 90.55 लाख गांठ के अलावा मध्य प्रदेश में 19 लाख गांठ को मिलाकर कुल 205.05 लाख गांठ का उत्पादन हुआ है।

दक्षिण भारत के राज्यों में तेलंगाना में 35 लाख गांठ, आंध्र प्रदेश में 13 लाख गांठ तथा कर्नाटक में 21.60 लाख गांठ के अलावा तमिलनाडु में 4.25 लाख गांठ को मिलाकर कुल 73.85 लाख गांठ का उत्पादन हुआ है। ओडिशा में 3.77 लाख गांठ के अलावा अन्य राज्यों में 2 लाख गांठ के उत्पादन हुआ है।

सीएआई के अनुसार फसल सीजन 2023-24 में देश से 28.50 लाख गांठ कॉटन का निर्यात हुआ है, जोकि पहले के अनुमान से 50 हजार गांठ ज्यादा है। इसके पिछले फसल सीजन में देश से 15.50 लाख गांठ कॉटन का निर्यात हुआ था। कॉटन का आयात फसल सीजन 2023-24 के दौरान 17.50 लाख गांठ का हुआ है जोकि पिछले फसल सीजन के 12.50 लाख गांठ की तुलना में पांच लाख गांठ ज्यादा है।

पहली अक्टूबर 2023 को कॉटन का बकाया स्टॉक 28.90 लाख गांठ का बचा हुआ था, जबकि फसल सीजन  2023-24 के दौरान 325.29 लाख गांठ कॉटन का उत्पादन हुआ। इसमें 17.50 लाख गांठ आयातित कॉटन जोड़ने के बाद कुल उपलब्धता 371.69 लाख गांठ की बैठेगी। अत: इस दौरान 331.50 लाख गांठ की खपत हुई है, जबकि 28.50 लाख गांठ का निर्यात हुआ है।

मिलों के पास फसल सीजन 2023-24 के अंत में 18 लाख गांठ का बकाया स्टॉक बचा है। इसके अलावा सीसीआई, महाराष्ट्र फेडरेशन, एमएनसी एवं जिनर्स तथा व्यापारी एवं निर्यातकों के पास 11.69 लाख गांठ कॉटन का स्टॉक है।

जनवरी से सितंबर के दौरान कैस्टर तेल का निर्यात 11.51 फीसदी बढ़ा - एसईए

नई दिल्ली। चालू वर्ष के जनवरी से सितंबर के दौरान कैस्टर तेल के निर्यात में 11.51 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल निर्यात 5,49,428 टन का हुआ है, जबकि पिछले तेल वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात केवल 4,92,686 टन का ही हुआ था।


साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, एसईए के अनुसार सितंबर में कैस्टर तेल का निर्यात बढ़कर 53,625 टन का हुआ है, जबकि पिछले साल सितंबर में इसका निर्यात केवल 47,717 टन का ही हुआ था। मूल्य के हिसाब से सितंबर में कैस्टर तेल का निर्यात 668.96 करोड़ रुपये का हुआ है, जबकि पिछले साल सितंबर में इसका निर्यात 633.55 करोड़ रुपये का ही हुआ था। जानकारों के अनुसार सितंबर में हुए कुल निर्यात में सबसे ज्यादा आयात चीन ने करीब 26 हजार टन का आयात किया।

व्यापारियों के अनुसार चालू सीजन में बुआई में आई कमी से कैस्टर सीड का उत्पादन कम होने का अनुमान है, जिस कारण इसके भाव में हाल ही में तेजी आई है।

गुजरात की मंडियों में सोमवार को कैस्टर सीड के भाव 1,290 से 1,310 रुपये प्रति 20 किलो पर स्थिर हो गए। राजकोट में कमर्शियल तेल के भाव सोमवार को 1,335 रुपये और एफएसजी के 1,345 रुपये प्रति 10 किलो पर स्थिर हो गए।

देशभर की मंडियों में कैस्टर सीड की दैनिक आवक सोमवार को 29 से 30 हजार बोरी, एक बोरी 35 किलो की हुई, जिसमें से गुजरात की मंडियों में 22 से 24 हजार बोरी तथा राजस्थान की मंडियों में चार से पांच हजार बोरियों की हो रही है। इसके अलावा करीब 2,000 से 2,500 बोरी सीधे मिल पहुंच का व्यापार हो रहा है।

कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ सीजन में 20 सितंबर तक प्रमुख उत्पादक राज्यों में कैस्टर सीड की बुआई घटकर केवल 8 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 9.50 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी। 

14 अक्टूबर 2024

सितंबर में खाद्वय एवं अखाद्य तेलों का आयात 30 फीसदी घटा- एसईए

नई दिल्ली। सितंबर 2024 में खाद्वय एवं अखाद्य तेलों का आयात 30 फीसदी घटकर 1,087,489 टन का हुआ है, जबकि पिछले साल सितंबर में इनका आयात 1,552,026 टन का ही हुआ था। सितंबर 2024 के दौरान खाद्वय तेलों का आयात 1,064,499 टन का एवं अखाद्य तेलों का आयात 22,990 टन का हुआ है।


सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अनुसार चालू तेल वर्ष 2023-24 के पहले 11 महीनों नवंबर 23 से सितंबर 24 के दौरान देश में खाद्वय एवं अखाद्य तेलों का आयात 6 फीसदी घटकर 14,775,000 टन का ही हुआ है, जबकि पिछले तेल वर्ष की समान अवधि में इनका आयात 15,673,102 टन का हुआ था।

व्यापारियों का अनुमान है कि तेल वर्ष 2023-24 (नवंबर-अक्टूबर) के दौरान खाद्वय एवं अखाद्य तेलों का कुल आयात पिछले वर्ष के 165.0 लाख टन की तुलना में घटकर 160.0 लाख टन होने ही की संभावना है।

एसईए के अनुसार अगस्त एवं सितंबर में पाम तेल के आयात में कमी का प्रमुख कारण सोया तेल के साथ ही सनफ्लावर तेल की कीमत तेज होना रहा। आयातकों ने इस दौरान पाम तेल के बजाए सॉफ्ट ऑयल के आयात सौदे ज्यादा मात्रा में किए।

खाद्वय तेलों के आयात शुल्क में बढ़ोतरी के बाद कुछ आयात सौदे रद्द हुए, साथ ही सॉफ्ट तेलों की शिपमेंट में भी कुछ देरी हुई है, जिसके परिणामस्वरूप आयातित कार्गो कम आए।

तेल वर्ष 2023-24 के पहले 11 महीनों में, देश में 1,695,080 टन रिफाइंड तेल (आरबीडी पामोलिन) का आयात किया, जोकि पिछले तेल वर्ष की समान अवधि के दौरान आयात किए गए 2,053,148 टन की तुलना में 17 फीसदी कम है। इस दौरान 12,840,875 टन क्रूड तेल का आयात किया गया, जोकि नवंबर 2022 एवं सितंबर 2023 के दौरान किए गए 13,415,764 टन की तुलना में 4 फीसदी कम है। हालांकि इस दौरान रिफाइंड तेलों का अनुपात 13 फीसदी से मामूली रूप से घटकर 12 फीसदी रह गया, जबकि क्रूड तेल का अनुपात 87 फीसदी से बढ़कर 88 फीसदी हो गया।

अगस्त के मुकाबले सितंबर में आयातित खाद्वय तेलों की कीमतों में तेजी का रुख रहा। सितंबर में भारतीय बंदरगाह पर आरबीडी पामोलिन का भाव बढ़कर 1,038 डॉलर प्रति टन हो गया, जबकि अगस्त में इसका दाम 980 डॉलर प्रति टन था। इसी तरह से क्रूड पाम तेल का दाम सितंबर में बढ़कर 1,071 डॉलर प्रति टन का हो गया, जबकि अगस्त में इसका भाव 1,011 डॉलर प्रति टन था। क्रूड सोयाबीन तेल का भाव सितंबर में बढ़कर भारतीय बंदरगाह पर 1,045 डॉलर प्रति टन का हो गया, जबकि अगस्त में इसका भाव 1,015 डॉलर प्रति टन था। इसी तरह से क्रूड सनफ्लावर तेल का भाव भारतीय बंदरगाह पर अगस्त के 1,019 डॉलर से बढ़कर सितंबर में 1,070 डॉलर प्रति टन हो गया।

चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों में ग्वार गम का निर्यात 7.18 फीसदी बढ़ा

नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2024-25 के पहले पांच महीनों अप्रैल से अगस्त के दौरान देश से ग्वार गम उत्पादों के निर्यात में 7.18 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। उत्पादक मंडियों में ग्वार सीड की आवक शुरू हो गई है तथा मौसम साफ है इसलिए आगामी दिनों में दैनिक आवकों में और बढ़ोतरी की उम्मीद है।


वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2024-25 के अप्रैल से अगस्त के दौरान ग्वार गम उत्पादों का निर्यात बढ़कर 1.94 लाख टन का हुआ है, जबकि पिछले वित्त वर्ष 2023-24 की समान अवधि में इसका निर्यात केवल 1.81 लाख टन का ही हुआ था।

मूल्य के हिसाब से चालू वित्त वर्ष 2024-25 के पहले पांच महीनों के दौरान ग्वार गम उत्पादों का निर्यात 2,006.65 करोड़ रुपये का हुआ है।

देशभर की मंडियों में गुरुवार को ग्वार सीड की दैनिक आवक बढ़कर 25 से 26 हजार बोरियों की हुई। इसमें नए ग्वार सीड की हिस्सेदारी 19 से 20 हजार बोरियों की तथा पुरानी की पांच से छह हजार बोरियों की रही।

व्यापारियों के अनुसार मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव से क्रूड तेल की आपूर्ति प्रभावित होने के डर से कीमतों में तेजी आई है, तथा दिसंबर का ब्रेंट क्रूड वायदा 1.55 फीसदी बढ़कर 77.77 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। इसका असर घरेलू बाजार में ग्वार सीड और ग्वार गम की कीमतों पर पड़ रहा है।

चालू सीजन में ग्वार सीड की बुआई में आई कमी से उत्पादन अनुमान कम है, जिस कारण नए फसल की आवक के समय ही स्टॉकिस्ट सक्रिय हो गया है। इसलिए हाल ही में इसके दाम तेज हुए हैं।

हरियाणा की सिरसा मंडी में गुरुवार को ग्वार सीड के भाव 4,500 से 5,241 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। एनसीडीएक्स पर ग्वार सीड के नवंबर वायदा अनुबंध में 106 रुपये की तेजी आकर भाव 5,594 रुपये प्रति क्विंटल हो गए, जबकि ग्वार गम के नवंबर महीने के वायदा अनुबंध में 293 रुपये की तेजी आकर दाम 11,411 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

अप्रैल से अगस्त के दौरान बासमती चावल का निर्यात 15.52 फीसदी बढ़ा, गैर बासमती का 36.83 कम - एपिडा

नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2024-25 के पहले पांच महीनों अप्रैल से अगस्त के दौरान देश से बासमती चावल के निर्यात में 15.52 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, वहीं इस दौरान गैर बासमती चावल के निर्यात में 36.83 फीसदी की भारी गिरावट दर्ज की गई।


वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2024-25 के अप्रैल से अगस्त के दौरान बासमती चावल का निर्यात 15.52 फीसदी बढ़कर 23.22 लाख टन का हुआ है, जबकि पिछले वित्त वर्ष 2023-24 की समान अवधि में इसका निर्यात केवल 20.10 लाख टन का ही हुआ था।

गैर बासमती चावल के निर्यात में चालू वित्त वर्ष 2024-25 के पहले पांच महीनों अप्रैल एवं अगस्त के दौरान 36.83 फीसदी की भारी गिरावट आकर कुल निर्यात 40.78 लाख टन का ही हुआ है, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के दौरान इसका निर्यात 64.56 लाख टन का हुआ था।

मूल्य के हिसाब से चालू वित्त वर्ष 2024-25 के पहले पांच महीनों के दौरान बासमती चावल का निर्यात 20,545.96 करोड़ रुपये का और गैर बासमती चावल का 16,428.70 करोड़ रुपये का हुआ है।

केंद्र सरकार ने पिछले दिनों बासमती चावल के न्यूनतम निर्यात मूल्य, एमईपी 950 डॉलर प्रति टन को समाप्त किया था।

हरियाणा लाइन से नए पूसा 1,509 किस्म के स्टीम चावल का व्यापार 6,100 रुपये आर इसके सेला चावल का 5,400 रुपये प्रति क्विंटल की दर से हुआ।

पंजाब एवं हरियाणा के साथ ही राजस्थान की मंडियों में पूसा 1,509 किस्म के धान के साथ ही 1,847 किस्म एवं परमल धान की आवक हो रही है, जबकि उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड की मंडियों पूसा 1,509 के साथ एचआर 10 एवं शरबती के साथ ही परमल धान की आवक हो रही है।

पंजाब की अमृतसर मंडी में बुधवार को धान की आवक 1,70,000 बोरियों की हुई तथा पूसा 1,509 किस्म के धान के भाव 2,500 से 2,805 रुपये प्रति क्विंटल रहे। राज्य की संगरूर मंडी में धान की आवक 15,000 बोरियों की हुई तथा पूसा 1,509 किस्म के धान का भाव 2,955 रुपये और 1,847 किस्म के धान का भाव 2,850 रुपये प्रति क्विंटल रहा।

हरियाणा की टोहाना मंडी में पूसा 1,509 किस्म के धान का भाव 2,925 रुपये और 1,847 किस्म के धान का भाव 2,790 रुपये प्रति क्विंटल रहा। राज्य की घरौंडा मंडी में 1,509 किस्म के धान का व्यापार 2,710 रुपये और 1,847 किस्म के धान का 2,550 रुपये प्रति क्विंटल की दर से हुआ।

उत्तर प्रदेश की बिलासपुर मंडी में धान की आवक 80 हजार बोरियों की हुई तथा पूसा 1,509 के भाव 2,100 से 2,525 रुपये और पीआर 26 किस्म के धान का भाव 1,900 से 2,030 रुपये तथा शरबती धान का व्यापार 2,050 से 2,125 रुपये प्रति क्विंटल की दर से हुआ। 

09 अक्टूबर 2024

नई कपास की आवकों में बढोतरी से कीमतों में गिरावट जारी

नई दिल्ली। उत्पादक मंडियों में नई कपास की आवक बढ़ने से कीमतों पर दबाव बना हुआ है।  स्पिनिंग मिलों की मांग कमजोर बनी रहने के कारण मंगलवार को भी गुजरात के साथ ही उत्तर भारत के राज्यों में कॉटन की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई।


गुजरात के अहमदाबाद में 29 शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव मंगलवार को 100 रुपये का मंदा आकर भाव 55,800 से 56,200 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो रह गए। पहली अक्टूबर से मंगलवार तक राज्य में इसकी कीमतों में 2,900 रुपये प्रति कैंडी का मंदा आ चुका है।

पंजाब में नई रुई के हाजिर डिलीवरी के भाव 5,770 से 5780 रुपये प्रति मन बोले गए।हरियाणा में नई रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव 5760 से 5770 रुपये प्रति मन बोले गए।ऊपरी राजस्थान में नई रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव 5770 से 5790 रुपये प्रति मन बोले गए। खैरथल लाइन में कॉटन के भाव 55,000 से 55,200 रुपये कैंडी, एक कैंडी-356 किलो बोले गए।

देशभर की मंडियों में कपास की आवक 36,600 गांठ, एक गांठ-170 किलो की हुई।

घरेलू वायदा बाजार एमसीएक्स के साथ ही एनसीडीएक्स पर आज शाम को कॉटन की कीमतों में में गिरावट का रुख रहा। इस दौरान आईसीई के इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग में भी कॉटन की कीमतों में भी मंदा आया।

स्पिनिंग मिलों की मांग कमजोर होने के कारण गुजरात के साथ ही उत्तर भारत के राज्यों में कॉटन की कीमतों में मंदा जारी है। व्यापारियों के अनुसार नई फसल को देखते हुए स्पिनिंग मिलें कॉटन की खरीद सीमित मात्रा में ही कर रही है, इसलिए कीमतों पर दबाव बना हुआ है। उत्पादक राज्यों में मौसम साफ है इसलिए आगामी दिनों में नई फसल की आवक बढ़ेगी। हालांकि चालू सीजन में कपास की बुआई में कमी आई, जिस कारण उत्पादन अनुमान तो घटने की आशंका है, लेकिन उत्पादकता पिछले साल की तुलना में ज्यादा बैठ रही है। इसलिए कॉटन की कीमतों में और भी नरमी बन सकती है।

व्यापारियों के अनुसार मध्य पूर्व के देशों में तनाव बढ़ रहा है, जिसका असर विश्व बाजार में कॉटन की कीमतों पर पड़ने का डर है। ऐसे में घरेलू बाजार में स्पिनिंग मिलें अभी इंतजार करों एवं देखो की नीति अपना रही है। जानकारों के लिए विश्व बाजार में कॉटन की कीमत नीचे होने के कारण आगामी महीनों के आयात सौदे ज्यादा मात्रा में हो रहे हैं।

कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ सीजन में कपास की बुआई 10.96 फीसदी घटकर 112.76 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 123.71 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

चालू खरीफ सीजन में गुजरात में फसलों की बुआई 1.82 फीसदी कम - राज्य सरकार

नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन में गुजरात में फसलों की कुल बुआई में 1.82 फीसदी की कमी आकर 7 अक्टूबर 2024 तक 84.52 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई 86.09 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।


राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार दलहन के साथ ही तिलहनी फसलों की बुआई पिछले साल की तुलना में बढ़ी है, लेकिन कपास एवं कैस्टर सीड के साथ ही ग्वार सीड की बुआई में कमी आई है।

दलहन की बुआई बढ़कर राज्य में 40.0 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 37.73 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। दलहनी फसलों में अरहर की बुआई चालू खरीफ में 2.38 लाख हेक्टेयर में, मूंग की बुआई 55,217 हेक्टेयर में एवं उड़द की 83,799 हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 2.14 लाख हेक्टेयर में, 64,619 हेक्टेयर में और 79,275 हेक्टेयर में हो चुकी थी।
 
कपास की बुआई राज्य में चालू खरीफ में 11.70 फीसदी घटकर 23.68 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 26.82 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

तिलहनी फसलों की कुल बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 28.94 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 26.84 लाख हेक्टेयर की तुलना में ज्यादा है। खरीफ तिलहन की प्रमुख फसल मूंगफली की बुआई बढ़कर 19.08 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 16.35 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

अन्य तिलहन की फसलों में सोयाबीन की बुआई चालू खरीफ में 3 लाख हेक्टेयर में, कैस्टर सीड की 6.35 लाख हेक्टेयर तथा शीशम की 49,441 हेक्टेयर में हुई है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 2.65 लाख हेक्टेयर में और 7.24 लाख हेक्टेयर तथा 58,205 हेक्टेयर में हो चुकी थी।

राज्य में धान की रोपाई चालू खरीफ सीजन में 7 अक्टूबर तक 8.86 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 8.73 लाख हेक्टेयर की तुलना में ज्यादा है।

राज्य में बाजरा की बुआई घटकर चालू खरीफ में अभी तक 1.68 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 1.97 लाख हेक्टेयर में इसकी बुआई हो चुकी थी। मक्का की बुआई राज्य में बढ़कर 2.86 हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुआई 2.82 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

ग्वार सीड की बुआई राज्य में 84,950 हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 1.03 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

राइस मिलर्स की हड़ताल के बावजूद हरियाणा में धान की खरीद बढ़ी, पंजाब से पिछड़ी

नई दिल्ली। हरियाणा और पंजाब में राइस मिलर्स की हड़ताल के बावजूद हरियाणा से धान की न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर खरीद में तेजी आई है, लेकिन पंजाब से खरीद सीमित मात्रा में ही हो रही है।


सूत्रों के अनुसार हरियाणा की मंडियों से चालू खरीफ विपणन सीजन 2024-25 में अभी तक 1,18,763 टन धान की खरीद हो चुकी है, जबकि पंजाब की मंडियों में केवल 9,433 टन धान की खरीद ही हो पाई है।

हरियाणा के खाद्य और आपूर्ति विभाग के अनुसार राज्य में सरकारी एजेंसियां मंडियों में धान की एमएसपी पर खरीद कर रही हैं तथा धान की खरीद राज्य की मंडियों से 15 नवंबर, 2024 तक की जायेगी। धान की खरीद के राज्य की 241 मंडियों में खरीद केंद्र खोले गए हैं तथा विभाग द्वारा 17 फीसदी तक की नमी वाले धान को ही खरीदने के निर्देश दिए हुए है। सभी मंडियों में उचित मात्रा में बारदाना उपलब्ध कराया गया है, ताकि समय पर उठाव हो सके।

राज्य की मंडियों में चार अक्टूबर तक 4,37,775 टन धान की आवक हुई है जिसमें से सरकारी एजेंसियों ने 17 फीसदी तक नमी युक्त 1,18,763 टन धान की खरीद की है जिसमें से 18,577 टन धान का उठाव भी किया जा चुका है। किसानों को उनकी खरीदी गई फसल का समय पर भुगतान भी सुनिश्चित किया जा रहा है तथा अब तक 15,000 से अधिक किसानों के बैंक खातों में 12.85 करोड़ रुपये से अधिक की राशि भेज जा चुकी है।

केंद्र सरकार ने चालू खरीफ विपणन सीजन 2024-25 के लिए कॉमन धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य,एमएसपी 2,300 रुपये और ग्रेड-ए धान का समर्थन मूल्य 2,320 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है।

पहली अक्टूबर 24 को 46 लाख टन सरसों का बकाया स्टॉक - उद्योग

नई दिल्ली। रबी विपणन सीजन 2024-25 में मार्च से सितंबर अंत तक देशभर की मंडियों में 90 लाख टन सरसों की आवक हो चुकी है, जिसमें से 74 लाख टन की क्रॉसिंग हुई है। अत: पहली अक्टूबर को मिलर्स एवं किसानों के साथ ही सरकारी एजेंसियों को मिलाकर कुल 46 लाख टन सरसों का बकाया स्टॉक बचा हुआ है।


उद्योग के अनुसार मार्च 24 से सितंबर 24 के अंत तक देशभर की मंडियों में 90 लाख टन सरसों की आवक हुई है। सीजन के पहले दो महीनों मार्च एवं अप्रैल में आवक क्रमश: 15.50 एवं 15 लाख टन की हुई थी, जबकि मई में 11 लाख टन तथा जून और जुलाई में क्रमश: 9 एवं 8 लाख टन के अलावा अगस्त एवं सितंबर में क्रमश: 6 तथा 5 लाख टन की आवक हुई।

मार्च 24 से सितंबर 24 के अंत तक 74 लाख टन सरसों की क्रॉसिंग हो चुकी है अत: तेल मिलों के साथ स्टॉकिस्टों के पास पहली अक्टूबर को 6 लाख टन सरसों का बकाया स्टॉक बचा हुआ है। इसके अलावा किसानों के पास करीब 18 लाख टन का स्टॉक है, जबकि नेफेड एवं हेफैड के पास नया एवं पुराना मिलाकर करीब 22 लाख टन सरसों का स्टॉक है। अत: देशभर में 46 लाख टन सरसों का स्टॉक बचा हुआ है जबकि नई फसल की आवक फरवरी, मार्च में बनेगी।

नेफेड के साथ ही हेफैड ने चालू रबी विपणन सीजन में न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर 20 लाख टन सरसों की खरीद की थी, जबकि इनके पास 7.50 लाख टन का पुराना स्टॉक बचा हुआ है। इन्होंने 5.50 लाख टन सरसों की बिक्री की है, अत: 22 लाख टन सरसों का स्टॉक केंद्रीय पूल में है।

उद्योग ने सितंबर में सरसों के उत्पादन अनुमान को घटाकर 115 लाख टन कर दिया था, जबकि सीजन के आरंभ में मार्च मध्य में 123 लाख टन के उत्पादन का अनुमान जारी किया था।

03 अक्टूबर 2024

सितंबर में 53,625 टन कैस्टर तेल का निर्यात, सीड एवं तेल के भाव स्थिर

नई दिल्ली। सूत्रों के अनुसार सितंबर में कैस्टर तेल का निर्यात 53,625 टन का हुआ है, जिसमें 25,995 टन अकेले चीन ने आयात किया है। मंगलवार को उत्पादक राज्यों में कैस्टर सीड के साथ ही तेल के भाव स्थिर बने रहे।


व्यापारियों के अनुसार चालू सीजन में बुआई में आई कमी से कैस्टर सीड का उत्पादन कम होने का अनुमान है, जिस कारण इसके भाव में हाल ही में तेजी आई है। उत्पादक मंडियों में पिछले दस दिनों में कैस्टर सीड के भाव 75 से 80 रुपये प्रति 20 किलो तक तेज हुए हैं।

गुजरात की मंडियों में मंगलवार को कैस्टर सीड के भाव 1,310 से 1,330 रुपये प्रति 20 किलो पर स्थिर बने रहे, जबकि 21 सितंबर को इसे भाव 1,230 से 1,255 रुपये प्रति 20 किलो थे। इस दौरान कैस्टर तेल की कीमतों में भी 50 से 55 रुपये प्रति 10 किलो की तेजी आई है। राजकोट में कमर्शियल तेल के भाव बढ़कर सोमवार को 1,340 रुपये और एफएसजी के 1,350 रुपये प्रति 10 किलो हो गए, जबकि 21 सितंबर को इसके भाव क्रमश: 1,285 रुपये और एफएसजी के 1,295 रुपये प्रति 10 किलो थे।

देशभर की मंडियों में कैस्टर सीड की दैनिक आवक मंगलवार को 36 से 37 हजार बोरी, एक बोरी 35 किलो की हुई, जिसमें से गुजरात की मंडियों में 28 हजार बोरी तथा राजस्थान की मंडियों में पांच से छह हजार बोरियों की हो रही है। इसके अलावा करीब 2,500 से 3,000 बोरी सीधे मिल पहुंच का व्यापार हो रहा है।

कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ सीजन में 20 सितंबर तक प्रमुख उत्पादक राज्यों में कैस्टर सीड की बुआई घटकर केवल 8 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 9.50 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी।  

राजस्थान में खरीफ में 25.43 लाख टन दलहन एवं 40.78 लाख टन तिलहन के उत्पादन का अनुमान

नई दिल्ली। आरंभिक अनुमान के अनुसार खरीफ सीजन 2024 में राजस्थान में दलहन का उत्पादन 25.43 लाख टन एवं तिलहनी फसलों का 40.78 लाख टन के अलावा मोटे अनाजों का 86.94 लाख टन होने का अनुमान है।


राज्य के एग्री निदेशालय द्वारा जारी अग्रिम अनुमान के अनुसार खरीफ सीजन में राज्य में फसलों की कुल बुआई 160.41 लाख हेक्टेयर में हुई है।

राज्य की खरीफ दलहन की प्रमुख फसल मूंग का उत्पादन 17,81,128 टन, मोठ का 4,94,767 टन तथा उड़द का 1,96,359 टन होने का अनुमान है। इसके अलावा राज्य में अरहर का उत्पादन 6,330 टन का तथा छोले का 64,168 टन होने का अनुमान है।

खरीफ तिलहन की प्रमुख फसल मूंगफली का उत्पादन राज्य में 22,70,348 टन तथा सोयाबीन का 14,15,985 टन होने का अनुमान है। इसके अलावा कैस्टर सीड का 3,03,822 टन तथा शीशम का 88,379 टन होने का अनुमान है।

आरंभिक अनुमान के अनुसार राज्य में बाजरा का उत्पादन 49,09,383 टन, मक्का का 23,44,475 टन तथा धान के 8,21,319 टन के अलावा ज्वार का 6,18,277 टन होने का अनुमान है।

राज्य में ग्वार सीड का उत्पादन चालू खरीफ में 16,77,504 टन तथा गन्ने का उत्पादन 3,82,280 टन होने का अनुमान है।

चालू खरीफ सीजन में कपास का उत्पादन 61,30,780 गांठ, एक गांठ-170 किलो होने का अनुमान है।