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02 अप्रैल 2022

अप्रैल मध्य तक गेहूं में नरमी का अनुमान, सरकारी खरीद तय लक्ष्य से कम होने की आशंका

नई दिल्ली। उत्तर भारत के प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के साथ ही राजस्थान की मंडियों में अगले सप्ताह से गेहूं की दैनिक आवकों में बढ़ोतरी होगी, तथा मध्य अप्रैल तक आवकों का दबाव बनने पर मौजूदा कीमतों में 50 से 100 रुपये प्रति क्विंटल का मंदा आयेगा। इसके बावजूद भी चालू रबी विपणन सीजन 2022-23 के दौरान गेहूं की सरकारी खरीद तय लक्ष्य 444 लाख टन से कम रहने की आशंका है।

दिल्ली की नरेला मंडी में शुक्रवार को गेहूं 2,072 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर बिका। मंडी में अगले सप्ताह से नई फसल की आवक बढ़ेगी, जिससे भाव में गिरावट ही आने का अनुमान है। हालांकि दुनिया के दो सबड़े बड़े निर्यातक देशों रूस और यूक्रेन में युद्ध के चलते अंतरराष्ट्रीय बजाार में गेहूं की कीमतों में भारी तेजी आई थी, जिस कारण भारत से गेहूं का निर्यात बढ़ा है। निर्यातक कांडला बंदरगाह पर गेहूं की खरीद 2,335 रुपये प्रति क्विंटल की दर से कर रहे हैं।

जानकारों के अनुसार अप्रैल मध्य तक गेहूं की आवकों का दबाव बनने पर गेहूं की मौजूदा कीमतों में 50 से 100 रुपये प्रति क्विंटल का मंदा आकर भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी 2,015 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास आ जायेंगे। ऐसे में सरकारी खरीद तय लक्ष्य 444 लाख टन से कम रह सकती है। पिछले रबी सीजन में 433.44 लाख टन गेहूं की खरीद हुई थी।

केंद्र सरकार ने चालू रबी सीजन में 444 लाख टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य रखा है जिसमें पंजाब से 132 लाख टन, मध्यप्रदेश 129 लाख टन, हरियाणा से 85 लाख टन, उत्तर प्रदेश से 60 लाख टन, राजस्थान से 23 लाख टन, बिहार से 10 लाख टन, उत्तराखंड से 2.20 लाख टन, गुजरात से 2 लाख टन, हिमाचल प्रदेश से 27,000 टन, जम्मू-कश्मीर से 35,000 टन और दिल्ली से 18,000 टन का लक्ष्य शामिल है।

पहली अप्रैल से ज्यादातर राज्यों में गेहूं की सरकारी खरीद शुरू हो गई है। उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तराखंड और दिल्ली समेत ज्यादातर राज्यों में गेहूं की खरीद 15 जून 2022 तक चलेगी। बिहार और हिमाचल प्रदेश में खरीद 15 अप्रैल से शुरू होगी और मध्य प्रदेश के कई जिलों में 20 मार्च से गेहूं की खरीद शुरू हो गई।

जानकारों के अनुसार रूस-यूक्रेन युद्ध की जंग जारी रही तो फिर गेहूं की कीमतों में ज्यादा मंदे की संभावना नहीं है। रूस-यूक्रेन से गेहूं निर्यात नही होने के कारण विश्व बाजार में दाम तेज रह सकते हैं। रूस और यूक्रेन गेहूं के सबसे बड़े उत्पादकों में हैं। ऐसे में भारत से गेहूं का निर्यात बढ़ेगा। इस वर्ष 21 मार्च तक 70.35 लाख टन गेहूं का निर्यात किया जा चुका है।

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