नई दिल्ली। चालू समर सीजन में जहां दलहन दलहन की बुआई में 40.29 फीसदी की भारी बढ़ोतरी हुई है, वहीं तिलहनी फसलों की बुआई पिछले साल की तुलना में 3.44 फीसदी ज्यादा हुई है। इसी तरह से मोटे अनाजों की बुआई में भी बढ़ोतरी हुई है, लेकिन धान की रोपाई पिछले साल की तुलना में पिछे चल रही है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू समर में अभी तक कुल बुआई बढ़कर 69.76 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 65.07 लाख हेक्टेयर से 4.69 लाख हेक्टेयर कम है। दालों की बुआई चालू समर में 40.29 फीसदी बढ़कर 19.15 लाख हेक्टयेर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई केवल 13.65 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी। मूंग की बुआई चालू समर में बढ़कर 15.11 लाख हेक्टेयर में और उड़द की 3.65 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 11 लाख हेक्टेयर और 2.31 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी।
इसी तरह से मोटे अनाजों की बुआई चालू समर में बढ़कर 10.65 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक 10.24 लाख हेक्टयेर में ही हो पाई थी। मोटे अनाजों में बाजरा की बुआई 3.83 लाख हेक्टयेर में, मक्का की 6.38 लाख हेक्टेयर में और ज्वार 19 हजार तथा रागी की बुआई 25 हजार हेक्टेयर में हुई है।
तिलहनी फसलों की बुआई चालू समर में बढ़कर 10.82 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई 10.46 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी। समर तिलहन में मूंगफली की बुआई चालू सीजन में 5.30 लाख हेक्टेयर में, शीसम सीड की 4.49 लाख हेक्टेयर में और सनफ्लावर की 37 हजार हेक्टेयर में हो चुकी है।
धान की रोपाई चालू समर में घटकर 29.14 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी रोपाई 30.73 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।
30 अप्रैल 2022
समर में दलहन की बुआई 40 फीसदी से ज्यादा बढ़ी, तिलहन की 3.44 फीसदी आगे
अरहर और उड़द की कीमतों में गिरावट जारी, मसूर के भाव में आया सुधार
नई
दिल्ली। दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर बनी रहने के कारण शुक्रवार को अरहर
के साथ ही उड़द की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई, जबकि मसूर के भाव में
सुधार आया। दालों में थोक के साथ ही खुदरा में ग्राहकी कमजोर है साथ ही
कीमतों में आई गिरावट से जहां स्टॉकिस्ट घबराहटपूर्ण बिकवाली कर रहे हैं,
वहीं मिलर्स केवल जरुरत के हिसाब से ही खरीद कर रहे हैं।
व्यापारियों
के अनुसार बर्मा से अरहर और उड़द के मौजूदा भाव में आयात पड़ते नहीं लग
रहे हैं, लेकिन उत्पादक मंडियों में देसी अरहर और उड़द में नीचे दाम पर
व्यापार हो रही है। इसीलिए आयातित उड़द एवं अरहर की कीमतों पर दबाव बना हुआ
है।
चालू रबी चना की एमएसपी पर खरीद 10 लाख टन से ज्यादा की हो
चुकी है, तथा मध्य प्रदेश और राजस्थान की मंडियों से खरीद में हुई देरी के
कारण किसान ज्यादातर माल एमएसपी से नीचे बेच चुके हैं। स्टॉकिस्टों ने चालू
सीजन में गेहूं और जौ का स्टॉक ज्यादा किया है, जिस कारण चना की कीमतों
में तेजी नहीं बन पाई।
सूत्रों के अनुसार चालू सीजन में चना की
एमएसपी पर खरीद करीब 20 लाख टन होने का अनुममान है, जबकि सरकारी एजेंसियों
के पास पुराना करीब पांच लाख टन बचा हुआ है। ऐसे में केंद्रीय पूल में कुल
स्टॉक 25 लाख टन के करीब हो जायेगा, जबकि केंद्रीय पूल में तय मानकों बफर
के अनुसार 21 लाख टन का स्टॉक होना चाहिए। केंद्रीय एजेंसियों के पास मूंग
का बकाया स्टॉक 3.20 लाख टन का, उड़द का 30 हजार टन का, अरहर का 1.20 लाख
टन का और मसूर का 70 हजार टन का बकाया स्टॉक है।
जानकारों के
अनुसार चालू सीजन में मसूर का उत्पादन अनुमान ज्यादा है, इसके बावजूद भी
घरेलू खपत की पूर्ति के लिए कनाडा और आस्ट्रेलिया से करीब 2.50 लाख टन मसूर
का आयात करना होगा। घरेलू मंडियों में देसी मसूर की आवक बनी हुई है, तथा
मिलर्स केवल जरुरत के हिसाब से ही खरीद कर रहे हैं लेकिन आयातकों के पास
बदंरगाहों पर बकाया स्टॉक अच्छा है। अत: आयातक दाम तेज करना चाहते हैं, जिस
कारण इसके भाव में हल्का सुधार तो आ सकता है लेकिन बड़ी तेजी के आसार अभी
नहीं है।
बर्मा की लेमन अरहर 2022 की फसल की कीमतों में दिल्ली में 75 रुपये की गिरावट आकर भाव 6,550 से 6,575 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।
चेन्नई में, बर्मा की लेमन अरहर के भाव 6,250 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे, लेकिन ग्राहकी कमजोर थी।
महाराष्ट्र
की नांदेड़ लाईन से पुरानी अरहर का दिल्ली डिलीवरी का व्यापार क्रमशः
6,400 रुपये और 6,500 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर हुआ है।
मुंबई में लेमन अरहर के भाव 6,250 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।
मुंबई
में तंजानिया की अरुषा अरहर के दाम 5,500-5,550 रुपये प्रति क्विंटल पर
स्थिर बने रहे। मलावी अरहर के दाम भी 4,900-5,000 रुपये प्रति क्विंटल के
पूर्वस्तर पर टिके रहे। मोजाम्बिक लाईन की गजरी अरहर की कीमतें 5,450 रुपये
प्रति क्विंटल बोली गई। इसी तरह से तंजानिया लाईन की मटवारा अरहर के दाम
5,350-5,400 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर रहे। हालांकि इन भाव में ग्राहकी
कमजोर बनी रही।
मिलों की मांग कमजोर होने से दिल्ली में बर्मा
उड़द एफएक्यू और एसक्यू नई के भाव में 100-150 रुपये की गिरावट आकर दाम
क्रमश: 7,000 रुपये और 7,650 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। इस दौरान उड़द
एफएक्यू और एसक्यू पुरानी के भाव में भी 100-150 रुपये की गिरावट आकर भाव
क्रमश: 6,950 रुपये और 7,600 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। बर्मा में उड़द का
उत्पादन अनुमान ज्यादा है।
दाल मिलों की सीमित मांग से मुंबई में बर्मा उड़द एफएक्यू के भाव 25 रुपये कमजोर होकर 6,725 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।
चेन्नई
में एफएक्यू उड़द और एसक्यू की हाजिर डिलीवरी के भाव में 50-50 रुपये का
मंदा आकर दाम क्रमश: 6,650 रुपये और 7,300 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।
नीचे
दाम पर दाल मिलों की मांग बढ़ने से दिल्ली में कनाडा और मध्य प्रदेश की
मसूर के भाव में 50-50 रुपये तेज होकर दाम क्रमश: 7,050 रुपये और 7,000
रुपये प्रति क्विंटल हो गए। हालांकि, इन भाव में मिलों की खरीद कमजोर बनी
रही।
दाल मिलों की हाजिर मांग सीमित होने से कनाडा की मसूर के भाव
हजिरा बंदरगाह पर 6,950 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। इस दौरान
आस्ट्रेलियाई मसूर के दाम कंटेनर में 7,250 रुपये और कनाडा की मसूर के भाव
कंटेनर में 7,200 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।
28 अप्रैल 2022
इंडोनेशिया ने क्रुड पाम तेल के निर्यात पर भी लगाई रोक, सरसों के साथ ही तेल होगा महंगा
नई
दिल्ली। इंडोनेशिया ने सभी तरह के खाद्य तेलों के निर्यात पर भी रोक लगा
दी है जिससे घरेलू बाजार में सरसों के साथ ही खाद्य तेलों की कीमतों में
तेजी आयेगी। घरेलू बाजार में बुधवार को सरसों की कीमतों में 100 रुपये
प्रति क्विंटल की तेजी दर्ज की गई। जयपुर में कंडीशन की सरसों के दाम 100
रुपये बढ़कर 7,375 रुपये प्रति क्विंटल हो गए, जबकि सरसों की दैनिक आवक
घटकर 6.50 लाख बोरियों की हुई।
इंडोनेशिया ने साफ कर दिया है कि
रिफाइंड, ब्लीच्ड, आरबीडी पोमीलन के साथ ही क्रुड पॉम तेल के निर्यात पर भी
रोक लगेगी। यह रोक 28 अप्रैल को आधी रात से लागू हो जायेग। इंडोनेशिया
दुनिया में पॉम तेल का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक है। तथा इंडोनेशिया
ने घरेलू बाजार में कुकिंग ऑयल की कमी और आसमान छूती कीमतों की समस्या से
निबटने के लिए सभी तरह के खाने के तेलों के निर्यात पर रोक लगाने का फैसला
किया है। इससे पहले इंडोनेशिया ने क्रुड पॉम तेल को रोक की श्रेणी से बाहर
रखा था।
इंडोनेशिया द्वारा सभी तरह से खाने के तेलों पर निर्यात की
घोषणा से मलेशिया में पॉम तेल के दाम 9 फीसदी से ज्यादा तेज हो गए, जोकि
एक दिन में आने वाली सबसे बड़ी तेजी है। जुलाई महीने के वायदा अनुबंध में
मलेशिया में पॉम तेल के भाव 601 रिगिंट यानि 6.39 फीसदी बढ़कर 7,001 रिगिंट
प्रति टन के स्तर पर पहुंच गए। इस दौरान शिकागों में इलेक्ट्रानिक
ट्रेडिंग में सोयाबीन, सोया तेल और मील के भाव में भी तेजी दर्ज की गई।
व्यापारियों
के अनुसार इंडोनेशिया द्वारा खाने तेलों पर पूरी तरह से रोक लगा देने से
आयातित खाद्य तेलों की कीमतों में तेजी आयेगी, जिससे घरेलू बाजार में खाद्य
तेलों एवं तिलहन की कीमतों में और बढ़ोतरी होगी। किसानों के साथ ही
स्टॉकिस्ट सरसों की बिकवाली भी कम रहे हैं, जिस कारण उत्पादक मंडियों में
सरसों की दैनिक आवक बढ़ने के बजाए कम हो गई, इसलिए घरेलू बाजार में आगे
सरसों एवं इसके तेल के दाम और तेज होने की उम्मीद है।
देशभर की
मंडियों में बुधवार को सरसों की दैनिक आवक घटकर 6.50 लाख बोरी की ही हुई,
जबकि मंगलवार को आवक 7 लाख बोरियों की हुई थी। कुल आवकों में से प्रमुख
उत्पादक राज्य राजस्थान में 3.25 लाख बोरी, मध्य प्रदेश में 50 हजार बोरी,
उत्तर प्रदेश में 1 लाख बोरी, हरियाणा और पंजाब में 70 हजार बोरी, गुजरात
में 35 हजार बोरी तथा अन्य राज्यों की मंंडियों में 70 हजार बोरियों की आवक
दर्ज की गई।
गेहूं की एमएसपी पर खरीद तय लक्ष्य से आधी रहने की आशंका, हेफेड की कमर्शिलय खरीद से भाव तेज
नई
दिल्ली। भारतीय खाद्व निगम, एफसीआई के अनुसार देशभर की मंडियों से न्यूनतम
समर्थन मूल्य, एमएसपी पर चालू रबी विपणन सीजन 2022-23 में अभी तक केवल
143.78 लाख टन गेहूं की खरीद ही हो पाई है। प्रमुख उत्पादक राज्यों की
मंडियों में गेहूं की दैनिक आवक काफी कम हो गई है, ऐसे में जानकारों का
मानना है कि चालू रबी में एमएसपी पर गेहूं की खरीद 165 से 175 लाख टन ही हो
पायेगी, जबकि केंद्र सरकार ने चालू रबी में गेहूं की खरीद का लक्ष्य 444
लाख टन का तय किया है।
हरियाणा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश,
राजस्थान के साथ ही पंजाब की मंडियों में गेहूं की दैनिक आवक सामान्य की
तुलना में कम हो रही है, जिस कारण सरकार खरीद में तेजी नहीं आ पा रही है।
अभी तक हुई कुल खरीद में पंजाब और हरियाणा की हिस्सेदारी ज्यादा है जबकि
पिछली बार केंद्रीय पूल में पंजाब के बाद सबसे ज्यादा गेहूं देने वाले मध्य
प्रदेश से एमएसपी पर खरीद 26 लाख टन से भी कम हो पाई है।
उधर
हरियाणा राज्य सहकारी आपूर्ति एवं विपणन संघ (हैफेड) द्वारा हरियाणा की
मंडियों से गेहूं की कमर्शिलय खरीद शुरू करने से भाव 25 से 30 रुपये प्रति
क्विंटल तेज हो गए। हैफेड राज्य की मंडियों से गेहूं की खरीद 2,040 रुपये
प्रति क्विंटल के साथ 25 रुपये दामी को मिलाकर 2,065 रुपये प्रति क्विंटल
की दर से कर रही है, जबकि केंद्र सरकार ने चालू रबी विपणन सीजन 2022-23 के
लिए गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी 2,015 रुपये प्रति क्विंटल तय
किया हुआ है।
रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण विश्व बाजार में गेहूं के
दाम तेज हैं, तथा भारत से बड़ी मात्रा में गेहूं का निर्यात हो रहा है।
हैफेड के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार निगम को लंदन, मिडल-ईस्ट के देशों के
साथ ही मिस्र को गेहूं निर्यात करने के आर्डर मिलें हैं, इसलिए निगम ने
चालू रबी में करीब तीन लाख टन गेहूं की कमर्शिलय खरीद करने की योजना बनाई
है। इसमें से करीब 2 लाख टन गेहूं निर्यात करने की योजना है। उन्होंनें
बताया कि आमतौर पर निगम हर साल एमएसपी पर 50 हजार टन गेहूं की खरीद ही करता
है।
जानकारों के अनुसार निर्यातक एवं स्टॉकिस्ट मध्य प्रदेश,
गुजरात, उत्तर प्रदेश और राजस्थान से गेहूं की खरीद ज्यादा मात्रा में कर
रहे हैं, क्योंकि इन राज्यों में हरियाणा और पंजाब की तुलना में गेहूं की
खरीद पर शुल्क कम है, साथ ही हरियाणा और पंजाब में इस बार क्वालिटी भी
कमजोर है।
व्यापारियों के अनुसार सिरसा और फतेहाबाद में गेहूं की
क्वालिटी हरियाणा के अन्य राज्यों में तुलना में अच्छी है, इसलिए निगम
इन्हीं राज्यों की मंडियों से गेहूं की खरीद कर रही है। हैफेड गेहूं की
खरीद में किसानों को आश्वासन दे रही है कि अगर राज्य सरकार ने गेहूं पर
बोनस दिया तो, हैफेड द्वारा कमर्शिलय तौर पर खरीद गेहूं पर निगम किसानों को
बोनस भी देगी।
19 अप्रैल 2022
चालू पेराई सीजन में 15 अप्रैल तक चीनी का उत्पादन 13 फीसदी बढ़कर 329.91 लाख टन - इस्मा
नई दिल्ली। चालू पेराई सीजन 2021-22 के पहले साढ़े छह महीनों पहली
अक्टूबर 2021 से 15 अप्रैल 2022 तक चीनी का उत्पादन 13.05 फीसदी बढ़कर
329.91 लाख टन का हो चुका है जबकि पिछले पेराई सीजन में इस दौरान केवल
291.82 लाख टन चीनी का ही उत्पादन हुआ था।
इंडियन शुगर मिल्स
एसोसिएशन (इस्मा) के अनुसार चालू पेराई सीजन में महाराष्ट्र में 15 अप्रैल
2022 तक 126.48 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है, जबकि पिछले साल इस समय तक
केवल 103.95 लाख टन का ही उत्पादन हुआ था।
उत्तर प्रदेश में चालू
पेराई सीजन में मिलों में देर सेे गन्ने की पेराई आरंभ हुई थी तथा राज्य
में 15 अप्रैल 22 तक राज्य की 120 चीनी मिलों में से 52 में पेराई बंद हो
गई। राज्य में 15 अप्रैल 22 तक 94.41 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है जोकि
पिछले पेराई सीजन की समान अवधि के 100.86 लाख टन से कम है।
कर्नाटक
में 15 अप्रैल 22 तक 59 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है जबकि पिछले
पेराई सीजन की समान अवधि में केवल 42.48 लाख टन चीनी का ही उत्पादन हुआ था।
राज्य में चालू पेराई सीजन में 72 मिलों में गन्ने की पेराई चल रही थी,
जिनमें से 66 मिलों में पेराई बंद हो गई है।
गुजरात में चालू पेराई
सीजन में 15 अप्रैल 22 तक 14 चीनी मिलों ने 10.77 लाख टन चीनी का उत्पादन
किया है, जबकि पिछले पेराई सीजन की समान अवधि में राज्य की मिलों ने 9.50
लाख टन चीनी का उत्पादन किया था, राज्य में 6 चीनी मिलों मेंं पेराई अभी भी
चल रही है।
तमिलनाडु में चालू पेराई सीजन में 15 अप्रैल् 22 तक
राज्य की मिलों ने 7.90 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है, जबकि पिछले पेराई
सीजन की समान अवधि में राज्य में 5.56 लाख टन चीनी का ही उत्पादन हुआ था।
देश
के अन्य राज्यों आंध्र प्रदेश और तेलंगाना, बिहार, उत्तराखंड, पंजाब,
हरियाणा, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़, राजस्थान और ओडिशा की चीनी मिलों ने 15
अप्रैल 22 तक 31.35 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है।
इस्मा के
अनुसार चालू पेराई सीजन में अभी तक 80 लाख टन चीनी के निर्यात सौदे हो चुके
है, जबकि मार्च अंत तक 57.17 लाख टन चीनी की शिपमेंट भी हो चुकी है।
अप्रैल के अंत तक करीब 7 से 8 लाख टन चीनी का और भी निर्यात होने का अनुमान
है।
चालू पेराई सीजन में, देश से चीनी का सबसे ज्यादा निर्यात
इंडोनेशिया और बांग्लादेश को हुआ हैं, तथा अभी तक हुए कुल निर्यात में इनकी
हिस्सेदारी लगभग 44 फीसदी की है, जबकि पिछले पेराई सीजन की समान अवधि में
इंडोनेशिया और अफगानिस्तान को मिलाकर देश से हुए कुल चीनी के निर्यात में
हिस्सेदारी 48 फीसदी थी।
चालू पेराई सीजन में देश में 350 लाख टन
चीनी के उत्पादन का अनुमान है। पहली अक्टूबर 2021 को चीनी का बकाया स्टॉक
82 लाख टन का बचा हुआ था, जबकि चालू पेराई सीजन में देश में चीनी की घरेलू
खपत 272 लाख टन होने का अनुमान है। चालू पेराई सीजन में चीनी का कुल
निर्यात बढ़कर 90 लाख टन होेने की उम्मीद है, ऐसे में 30 सितंबर 2022 को
चीनी का बकाया स्टॉक 68 लाख टन ही बचने का अनुमान है।
मिलों की कमजोर मांग से अरहर, उड़द और मसूर में गिरावट जारी, समर में दलहन की बुआई बढ़ी
नई
दिल्ली। दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर बनी रहने के कारण सोमवार को अरहर
और उड़द के साथ ही कनाडा और मध्य प्रदेश की मसूर की कीमतों में गिरावट जारी
रही। व्यापारियों के अनुसार दालों में ग्राहकी सामान्य की तुलना में कमजोर
है, जबकि रबी दलहन के बाद अब समर दालों की आवक मंडियों में बनने लगी है।
वैसे भी चालू समर सीजन में मूंग के साथ ही उड़द की बुआई पिछले साल की तुलना
में ज्यादा हुई है।
बर्मा के स्थानीय बाजार में उड़द एफएक्यू और
एसक्यू के भाव आज क्रमश: 930 डॉलर और 1,025 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ पर
स्थिर बनी रहे। इसी तरह से लेमन अरहर के दाम भी 890 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ
के पूर्वस्तर पर टिके रहे।
मध्य प्रदेश की हरदा मंडी में नई मूंग
की आवक शुरू हो गई है, तथा क्वालिटी भी अच्छी है। व्यापारियों के अनुसार नई
मूंग में 6,599 रुपये प्रति क्विंटल की दर से व्यापार हुआ। माना जा रहा है
कि आगामी दिनों में इसकी दैनिक आवक और बढ़ेगी।
कृषि मंत्रालय के
अनुसार चालू समर में मूंग की बुआई बढ़कर 8.62 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है,
जोकि पिछले साल की समान अवधि के 6.73 लाख हेक्टेयर की तुलना में ज्यादा
है। इसी तरह से समर में उड़द की बुआई बढ़कर 3.22 लाख हेक्टेयर में हो चुकी
है जबकि पिछले साल इस समय तक 1.86 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी।
चालू समर में दालों की कुल बुआई 37.19 फीसदी बढ़कर 12.21 लाख हेक्टेयर में
हो चुकी है, जबकि पिछले समर में इनकी बुआई केवल 8.9 लाख हेक्टेयर में ही हो
पाई थी।
बर्मा की लेमन अरहर 2021 और 2022 की फसल की कीमतों में
दिल्ली में 50-50 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमश: 6,550-6,575 रुपये प्रति
क्विंटल रह गए।
चेन्नई में, बर्मा की लेमन अरहर के भाव 6,200 रुपये प्रति क्विंटल पर कमजोर बने रहे।
मिलों
की मांग सीमित होने से मुंबई में बर्मा की लेमन अरहर नई के भाव 6,250
रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। व्चापारी नीचे दाम पर बिकवाली कम हो
गई, इसलिए भाव में सुधान आने का अनुमान है।
मुंबई में तंजानिया की
अरुषा अरहर और तंजानिया की मटवारा अरहर के दाम क्रमश: 5,600 रुपये और
5,350 से 5,400 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। मलावी अरहर के दाम
भी 4,950-5,000 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। मोजाम्बिक लाईन की गजरी अरहर
की कीमतें 5,450 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बनी रही।
मिलों की
हाजिर मांग कमजोर होने से दिल्ली में बर्मा उड़द एफएक्यू और एसक्यू नई के
भाव में 75-125 रुपये की गिरावट आकर दाम क्रमश: 7,100 रुपये और 7,800 रुपये
प्रति क्विंटल रह गए। इसी तरह से उड़द एफएक्यू और एसक्यू पुरानी के भाव भी
75-125 रुपये का सुधार आकर दाम क्रमश: 7,050 रुपये और 7,750 रुपये प्रति
क्विंटल हो गए। हालांकि, बर्मा में उड़द का उत्पादन अनुमान ज्यादा है।
मुंबई में उड़द एफएक्यू के भाव में 50 रुपये का मंदा आकर भाव 7,000 से 7,050 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।
दिल्ली
में मध्य प्रदेश और कनाडा की मसूर के भाव में 25-50 रुपये की गिरावट आकर
दाम क्रमश: 7,000 रुपये और 7,100 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। उत्पादक
मंडियों में देसी मसूर की आवक बढ़ी है, जबकि मिलों की खरीद सीमित बनी हुई
है।
दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने से कनाडा की मसूर के भाव
मुंद्रा और हजिरा बंदरगाह पर 25 रुपये कमजोर होकर 6,825-6,850 रुपये और
7,000-7,025 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। आस्ट्रेलियाई और कनाडा की मसूर के
दाम कंटेनर में पूर्वस्तर पर स्थिर बने रहे।
दिल्ली में राजस्थानी
चना के भाव में 25 रुपये की तेजी आकर भाव 5,100 से 5,125 रुपये प्रति
क्विंटल हो गए, जबकि मध्य प्रदेश के चना के दाम 5,050 रुपये प्रति क्विंटल
पर स्थिर बने रहे।
मार्च में खाद्य एवं अखाद्य तेलों का आयात 13 फीसदी बढ़ा - एसईए
नई
दिल्ली। मार्च महीने में देश में खाद्य एवं अखाद्य तेलों के आयात में 13
फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल आयात 1,104,570 टन का हुआ है, जबकि पिछले साल
मार्च में इनका आयात 980,243 टन का हुआ था। मार्च में खाद्य तेलों का आयात
1,051,698 टन का एवं अखाद्य तेलों का आयात 52,872 टन का हुआ।
साल्वेंट
एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (एसईए) के अनुसार चालू तेल वर्ष
2021-22 के पहले पांच महीनों नवंबर 21 से मार्च 22 के दौरान खाद्य एवं
अखाद्य तेलों का कुल आयात 8 फीसदी बढ़कर 5,795,728 टन का हुआ है, जबकि इसके
पिछले तेल वर्ष की समान अवधि में इनका आयात 5,375,003 टन का हुआ था।
रूस
और यूक्रेन के बीच जंग से पहले से लोडिंग हो चुके वैसल मार्च-2022 में देश
में 212,000 टन सूरजमुखी तेल लेकर आये। इनमें मुख्य रूप से यूक्रेन से
(127,000 टन), रूस से (73,500 टन) और अर्जेंटीना से (11,900 टन) सूरजमुखी
तेल आया। लेकिन अप्रैल 2022 में यूक्रेन से कोई शिपमेंट नहीं आने के कारण,
सूरजमुखी तेल का आयात लगभग 80,000 टन तक कम हो गया। इस दौरान मुख्य रूप से
रूस और अर्जेंटीना से ही सूरजमुखी तेल का आयात हुआ। इस दौरान उपलब्धता कम
होने के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में सूरजमुखी के तेल की कीमतें बढ़कर
2200 डॉलर प्रति टन के स्तर पर पहुंच गई, जिससे इसकी खपत में भी कमी आई।
अत: इस कमी को आंशिक रूप से दक्षिण भारत में पामोलिन, सोयाबीन तेल, मूंगफली
तेल जैसे अन्य खाद्य तेलों और उत्तर भारत में रिफाइंड सरसों तेल और राइस
ब्रान तेल ने पूरी की की। साथ ही महीनेभर के दौरान सोया तेल, सन ऑयल, पाम
ऑयल और अन्य खाद्य तेल की कीमतों में गिरावट आई है, जिससे उपभोक्ताओं को
कुछ राहत मिली है।
फरवरी के मुकाबले मार्च में भारतीय बंदरगाह पर
आयातित खाद्य तेलों की कीमतों में भारी तेजी दर्ज की गई। मार्च में आरबीडी
पॉमोलीन का भाव बढ़कर 1,812 डॉलर प्रति टन भारतीय बंदरगाह पर हो गया, जबकि
फरवरी में इसका भाव 1,581 डॉलर प्रति टन था। इसी तरह से क्रुड पॉम तेल का
भाव मार्च में भारतीय बंदरगाह पर बढ़कर 1,828 डॉलर प्रति टन के स्तर पर
पहुंच गया, जबकि फरवरी में इसका भाव 1,594 डॉलर प्रति टन था।
केंद्रीय पूल में गेहूं का स्टॉक तीन साल के न्यूनतम स्तर पर, विदेश में तेजी से बढ़ेगा निर्यात
नई
दिल्ली। केंद्रीय पूल में गेहूं का स्टॉक तीन साल के निचले स्तर पर पहुंच
गया है। पिछले साल गेहूं की एमएसपी पर खरीद अच्छी होने के बावजूद भी पहली
अप्रैल, 2022 को केंद्रीय पूल में गेहूं का स्टॉक 189.90 लाख टन पर आ गया
जो एक साल पहले इसी समय 273 लाख टन पर था। हालांकि 1 अप्रैल 2022 को
केंद्रीय पूल के तय मानकों, बफर 74.60 लाख टन के मुकाबले यह करीब ढाई गुना
है। केंद्रीय पूल से सार्वजनिक वितरण प्रणाली, पीडीएस और अन्य दूसरी
योजनाओं के लिए गेहूं और चावल का आवंटन किया जाता है।
यूक्रेन और
रूस के युद्ध के चलते वैश्विक बाजार में गेहूं की कीमतें तेजी से बढ़ी हैं।
यही वजह है कि पिछले साल में 70 लाख टन गेहूं के निर्यात के बाद चालू साल
में भी अप्रैल के जुलाई के लिए करीब 25 से 30 लाख टन गेहूं निर्यात के सौदे
होने का अनुमान है। विश्व बाजार में दाम तेज हैं, इसलिए चालू साल में
निर्यात में बढ़ोतरी होने का अनुमान है। हालांकि केंद्रीय पूल में बकाया
स्टॉक सरकार के लिए चिंता पैदा कर सकता है, क्योंकि इस बार सरकारी खरीद में
भी कमी आयेगी।
केंद्रीय पूल में गेहूं का स्टॉक कम होने की मुख्य
वजह प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्य योजना (पीएमजीकेएवाई) के तहत पांच किलो
फ्री खाद्यान्न का आवंटन करना है। साथ ही सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस)
के तहत भी खाद्यान्न का आवंटन बढ़ा है। वित्त वर्ष 2019-20 में केंद्रीय
पूल से गेहूं का उठाव 271.90 लाख टन रहा था। जो 2020-21 में बढ़कर 363.90
लाख टन पर पहुंच गया और पिछले वित्त वर्ष (2021-22) के 11 माह में अप्रैल
से फरवरी के बीच यह 464.60 लाख टन पर पहुंच गया था। पिछले साल पीएमजीकेएवाई
के तहत ही फरवरी तक 184.90 लाख टन गेहूं का उठाव हो चुका था।
चालू
रबी सीजन में होली के बाद एकाएक तापमान में हुई बढ़ोतरी के कारण उत्तर
भारत के प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों के कई क्षेत्रों में प्रति हेक्टेयर
उत्पादकता कम बैठ रही है। ऐसे में चालू सीजन में गेहूं का उत्पादन सरकार के
पहले अनुमान 11.13 करोड़ टन से कम होने की आशंका है। प्रमुख उत्पादक
राज्यों की कई मंडियों में गेहूं के दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी
2,015 रुपये प्रति क्विंटल से ज्यादा है, जिस कारण किसान सरकारी केंद्रों
के बजाए निजी व्यापारियों को गेहूं बेच रहे हैं। इसलिए गेहूं की सरकारी
खरीद भी तय लक्ष्य 444 लाख टन से कम होने का अनुमान है।
12 अप्रैल 2022
चालू फसल सीजन की पहली छमाही में सोया डीओसी का निर्यात 71 फीसदी घटा - सोपा
नई
दिल्ली। विदेशी बाजार में दाम नीचे होने के कारण पहली अक्टूबर 2021 से
चालू हुए फसल सीजन की पहली छमाही अक्टूबर-21 से मार्च-22 के दौरान देश से
सोया डीओसी के निर्यात में 71.06 फीसदी की गिरावट आकर कुल निर्यात केवल
4.72 लाख टन का ही हुआ है। पिछले फसल सीजन की समान अवधि में इसका निर्यात
16.31 लाख टन का हुआ था
सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन आफ इंडिया,
सोपा के कार्यकारी निदेशक डीएन पाठक के अनुसार अंतरराष्ट्रीय बाजार में
भारतीय सोया खली के भाव अमेरिका, ब्राजील और अर्जेंटीना के मुकाबले ऊंचे
बने हुए हैं, जिसका असर भारतीय डीओसी के निर्यात पर पड़ा है। सोपा के
अनुसार चालू फसल सीजन के पहले छह महीनों में सोया डीओसी का आयात बढ़कर 4.40
लाख टन का हुआ है, जबकि पिछले फसल सीजन की समान अवधि में इसका आयात केवल
0.06 लाख टन का ही हुआ था।
सोपा के अनुसार चालू फसल सीजन में
सोयाबीन का उत्पादन 118.89 लाख टन का हुआ था, जबकि नई फसल की आवकों के समय
1.83 लाख टन का बकाया स्टॉक बचा हुआ था, अत: कुल उपलब्धता 120.72 लाख टन की
बैठी थी, जोकि पिछले साल के 109.71 लाख टन से ज्यादा थी।
मार्च
अंत तक उत्पादक मंडियों में 61 लाख टन सोयाबीन की आवक हो चुकी है, जोकि
पिछले साल की समान अवधि के 74.75 टन से कम है। चालू फसल सीजन में मार्च अंत
तक करीब 40.50 लाख टन सोयाबीन की क्रेसिंग हो चुकी है तथा 1.40 लाख टन की
खपत डायरेक्ट हुई है। इस दौरान 0.27 लाख टन सोयाबीन का आयात हुआ है अत:
पहली अप्रैल को देश के किसानों, व्यापारियों एवं प्लांटों के पास 67.45 लाख
टन सोयाबीन का स्टॉक बचा हुआ है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 32.17
लाख टन से ज्यादा है।
दाल मिलों की कमजोर मांग से दलहन की कीमतों में गिरावट, अभी बड़ी तेजी के आसार नहीं
नई
दिल्ली। दाल मिलों की मांग कमजोर होने से सोमवार को घरेलू बाजार में अरहर,
उड़द के साथ ही मसूर और चना की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई। उत्पादक
मंडियों में जहां रबी दलहन की प्रमुख फसल चना एवं मसूर की दैनिक आवक बढ़ी
है, वहीं अरहर और उड़द में भी स्टॉकिस्टों की बिकवाली बढ़ने से कीमतें
कमजोर हुई है, हालांकि आयातक दाम तेज करना चाहते हैं, क्योंकि परिवहन लागत
बढ़ने से आयात पड़ते महंगे हुए हैं।
व्यापारियों के अनुसार दालों
में खपत का सीजन होने के कारण थोक एवं खुदरा में मांग कमजोर है, जिससे
दालों की कीमतों में तेजी टिक नहीं पा रही है। बंदरगाहों में जहां आयातित
उड़द एवं अरहर का बकाया स्टॉक ज्यादा है, वहीं उत्पादक मंडियों में अगले
महीने समर उड़द और मूंग की आवक बढ़ेगी तथा चालू समर में इनकी बुआई पिछले
साल की तुलना में बढ़ी है। जिस कारण उत्पादन अनुमान भी ज्यादा है। ऐसे में
अरहर, उड़द की कीमतों में हल्का सुधार तो आ सकता है लेकिन अभी बड़ी तेजी की
उम्मीद नहीं है।
उत्पादक मंडियों में चना के साथ ही मसूर की दैनिक
आवक बढ़ी है। चना की सरकार खरीद में तो तेजी आई है, लेकिन मध्य प्रदेश और
राजस्थान से चना की खरीद शुरू नहीं होने से कीमतों पर दबाव है। चालू रबी
में चना का उत्पादन अनुमान ज्यादा है इसलिए दैनिक आवकों का दबाव अभी बना
रहेगा। मसूर में आयातक दाम तेज करना चाहते हैं, लेकिन मसूर दाल में ग्राहकी
सामान्य की तुलना में कमजोर है, जिस कारण तेजी टिक नहीं पा रही है।
बर्मा की लेमन अरहर 2022 की फसल की कीमतों में दिल्ली में 100 रुपये की गिरावट आकर भाव 6,700 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।
चेन्नई में, बर्मा की लेमन अरहर के भाव 50 रुपये कमजोर होकर भाव 6,375 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।
मिलों की मांग कमजोर होने मुंबई में बर्मा की लेमन अरहर नई के भाव में 50 रुपये की गिरावट आकर भाव 6,400 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।
मुंबई
में तंजानिया की अरुषा अरहर और तंजानिया की मटवारा अरहर के दाम भी 50-50
रुपये कमजोर होकर क्रमश: 5,550 से 5,650 रुपये और 5,400 से 5,450 रुपये
प्रति क्विंटल रह गए। मलावी अरहर के दाम भी 5,000-5,100 रुपये प्रति
क्विंटल पर स्थिर बने रहे। मोजाम्बिक लाईन की गजरी अरहर की कीमतें 50 रुपये
घटकर 5,400-5,500 रुपये प्रति क्विंटल और सूडान की अरहर के दाम भी 50
रुपये कम होकर 6,550 से 6,650 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।
दाल मिलों
की कमजोर मांग से दिल्ली में बर्मा उड़द एसक्यू और एफएक्यू नई के भाव में
50-50 रुपये की गिरावट आकर दाम क्रमश: 7,800-7,825 रुपये और 7,100 रुपये
प्रति क्विंटल रह गए। इसी तरह से उड़द एसक्यू और एफएक्यू पुरानी के भाव भी
50-50 रुपये घटकर दाम क्रमश: 7,750 से 7,775 रुपये और 7,050 रुपये प्रति
क्विंटल रह गए।
मुंबई में बर्मा उड़द एफएक्यू नई के भाव 50 रुपये कमजोर होकर 6,900 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।
दिल्ली
में कनाडा और मध्य प्रदेश की मसूर के भाव में 50-75 रुपये की गिरावट आकर
दाम क्रमश: 7,200 रुपये और 7,100 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।
दाल
मिलों की सीमित मांग से कनाडा की मसूर के भाव मुंबई और मुंद्रा बंदरगाह के
साथ ही आस्ट्रेलियाई मसूर के भाव कंटेनर में स्थिर बने रहे। मुंद्रा
बंदरगाह पर कनाडा की मसूर के भाव 6,975 से 7,000 रुपये और आस्ट्रेलियाई
मसूर के भाव कंटेनर में 7,300 से 7,350 रुपये तथा कनाडा की मसूर के भाव
7,250 से 7,300 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए।
इंदौर में मसूर के बिल्टी भाव 25 रुपये घटकर 6,775 से 6,800 रुपयेय प्रति क्विंटल रह गए।
दिल्ली
में चना की कीमतों में 25 से 75 रुपये का मंदा आकर मध्य प्रदेश के चना के
दाम 5,050 रुपये और राजस्थानी चना के भाव 5,100 से 5,125 रुपये प्रति
क्विंटल रह गए।
उद्योग ने कॉटन उत्पादन अनुमान में एक बार फिर कटौती, 335 लाख गांठ का अनुमान
नई
दिल्ली। प्रतिकूल मौसम के साथ ही पिंक बालवर्म की मार चालू सीजन में कपास
की फसल पर पड़ी थी, जिस कारण इसके उत्पादन अनुमान में उद्योग ने एक बार फिर
कटौती कर दी। उद्योग के अनुसार पहली अक्टूबर 2021 से शुरू हुए चालू फसल
सीजन में कॉटन का उत्पादक घटकर 335.13 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलो ही होने
का अनुमान है, जबकि इसके पहले 343.13 लाख गांठ के उत्पादन का अनुमान जारी
किया था।
कॉटन एसोसिएशन आफ इंडिया, सीएआई के अनुसार कॉटन के दूसरे
आरंभिक अनुमान मेें और 8 लाख गांठ की कमी आने की आशंका है। प्रमुख उत्पादक
राज्य गुजरात में दो लाख गांठ, महाराष्ट्र में 1.50 लाख गांठ, मध्य प्रदेश
में 50 हजार गांठ, तेलंगाना में 2 लाख गांठ, आंध्रप्रदेश में 50 हजार गांठ,
कर्नाटक में एक लाख गांठ तथा ओडिशा में 50 हजार गांठ कम होने का अनुमान
है।
उद्योग के अनुसार चालू फसल सीजन में कॉटन की खपत करीब 340 लाख
गांठ होने का अनुमान है, जबकि पिछले साल 335 लाख गांठ की खपत हुई थी। मार्च
अंत तक 175 लाख गांठ की खपत हो चुकी है।
चालू फसल सीजन में कॉटन
का आयात बढ़कर 15 लाख गांठ होने का अनुमान है, जबकि पिछले फसल सीजन में 10
लाख गांठ का आयात हुआ था। चालू फसल सीजन में 31 मार्च तक करीब 6 लाख गांठ
कॉटन का आयात हो चुका है।
उद्योग के अनुसार चालू फसल सीजन में कॉटन
का निर्यात 45 लाख गांठ का होने का अनुमान है, जिसमें से मार्च अंत तक 35
लाख गांठ का निर्यात हो भी चुका है।
सीएआई के अनुसार चालू फसल सीजन
2021-22 में पहली अक्टूबर 2021 से 31 मार्च 2022 तक देशभर की मंडियों में
262.68 लाख गांठ कॉटन की आवक हो चुकी है, जोकि कुल उत्पादन का करीब 80
फीसदी है। अत: उत्पादक राज्यों में अब केवल 20 फीसदी कपास ही बची हुई है,
जबकि नई फसल की आवक अगस्त, सितंबर में बनेगी।
उद्योग के अनुसार
मिलों के पास मार्च के अंत में करीब 75 लाख गांठ कॉटन का स्टॉक बचा हुआ है,
जोकि औसतन मिलों की खपत का करीब 81 दिनों का है। उधर कॉटन कारर्पोरेशन आफ
इंडिया, सीसीआई, महाराष्ट्र फैडरेशन, एमएनसी, जिनर्स, व्यापारी और एमसीएक्स
के पास मार्च अंत में कॉटन का करीब 58.68 लाख गांठ का बकाया स्टॉक है। ऐसे
में माना जा रहा है कि सीजन के अंत में 30 सितंबर 2022 को कॉटन का बकाया
स्टॉक 40.13 लाख गांठ का बचेगा।
व्यापारियों के अनुसार घरेलू बाजार
में हाल ही में जिस अनुपात में कॉटन के दाम तेज हुए हैं, उसके आधार पर
यार्न की कीमतें नहीं बढ़ पाई। यार्न में घरेलू एवं निर्यात मांग सामान्य
की तुलना में कमजोर है। इसलिए स्पिनिंग मिलों को मौजूदा भाव पर कॉटन की
खरीद करने पर नुकसान उठाना पड़ रहा है। ऐसे में स्पिनिंग मिलें केवल जरुरत
के हिसाब से ही कॉटन की खरीद कर रही है। हालांकि जिनर्स भी दाम घटाकर
गांठों की बिकवाली नहीं कर रह हैं, इसलिए हाजिर बाजार में कॉटन की कीमतों
में हल्की नरमी तो आ सकती है लेकिन अभी बड़ी गिरावट के आसार नहीं है।
गुजरात
की मंडियों में ए ग्रेड कॉटन के दाम 92,000 से 93,000 रुपये, बी ग्रेड
किस्म की कॉटन के भाव 91,000 से 92,000 रुपये और एवरेज ग्रेड की कॉटन के
भाव 90,000 से 91,000 रुपये प्रति कैंडी क्वालिटीनुसार बोले गए।
आईसीई
कॉटन वायदा की कीमतों में शुक्रवार को दूसरे दिन मिलाजुला रुख रहा। आईसीई
कॉटन के मई वायदा अनुबंध में 79 प्वाइंट की गिरावट आकर भाव 132.41 सेंट पर
बंद हुए। जुलाई वायदा अनुबंध में 34 प्वांइट की गिरावट आकर भाव 131.06 सेंट
रह गए, जबकि दिसंबर वायदा अनुबंध में दाम 79 प्वांइट सुधरकर भाव 115.48
सेंट हो गए।
चालू पेराई सीजन में चीनी का रिकार्ड 350 लाख टन उत्पादन का अनुमान, निर्यात भी नए स्तर पर
नई
दिल्ली। गन्ने की प्रति हेक्टेयर उत्पादकता में बढ़ोतरी होने के साथ ही
रिकवरी की दर भी ज्यादा आने से चालू पेराई सीजन 2021-22 (अक्टूबर से
सितंबर) के दौरान में चीनी का उत्पादन बढ़कर रिकार्ड 350 लाख टन होने का
अनुमान है। इस दौरान देश का चीनी का निर्यात भी बढ़कर 85 से 90 लाख टन होने
की उम्मीद है, जोकि अभी तक का रिकार्ड तो होगा, साथ ही बगैर सरकारी
सब्सिडी के होगा। जिससे उद्योग के साथ ही गन्ना किसानों को फायदा होगा।
इंडियन
शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के अनुसार चालू पेराई सीजन में चीनी का
उत्पनादन बढ़कर 350 लाख टन होने का अनुमान है, जोकि पहले के अनुमान 310 लाख
टन से 40 लाख टन ज्यादा है। महाराष्ट्र के साथ ही कनार्टक में चालू पेराई
सीजन में मार्च 2022 के अंत तक क्रमश: 119 लाख टन और 58 लाख टन चीनी का
उत्पादन हो चुका है, जबकि इन राज्यों में अभी भी क्रमश: 167 और 21 चीनी
मिलों में पेराई चल रही है।
इस्मा के अनुसार चालू पेराई सीजन
2021-22 के दौरान महाराष्ट्र में चीनी का उत्पादन बढ़कर 134 लाख टन होने का
अनुमान है, जबकि पहले अनुमान 126 लाख टन का था। इसी तरह से कर्नाटक में
चीनी का उत्पादन बढ़कर 62 लाख टन होने का अनुमान है, जबकि पहले अनुमान 55
लाख टन का था। उत्तर प्रदेश में चीनी का उत्पादन आरंभिक अनुमान 152 लाख टन
से बढ़कर 154 लाख टन होने का अनुमान है।
उद्योग के अनुसार चालू
पेराई सीजन में जहां गन्ने की प्रति हेक्टेयर उत्पादकता ज्यादा आ रही है,
वहीं गन्ने में रिकवरी की दर भी बढ़ी है।
इस्मा के अनुसार चालू
पेराई सीजन में 74 लाख टन चीनी के निर्यात सौदे हो चुके हैं, जिसमें से
मार्च अंत तक 57 लाख टन चीनी के निर्यात की शिपमेंट भी हो चुकी है। अप्रैल
अंत तक और भी 7 से 8 लाख टन चीनी के निर्यात सौदें हो जायेंगे।
अंतर्राष्ट्रीय व्यापारिक घरानों के अनुसार भारत से 85 लाख टन चीनी के
निर्यात की उम्मीद है, जबकि इस्मा की बैठक में देश से चालू पेराई सीजन में
90 लाख टन से अधिक चीनी का निर्यात होने का अनुमान है।
पहली अक्टूबर
2021 को 82 लाख टन चीनी का बकाया स्टॉक बचा हुआ था, जबकि 350 लाख टन चीनी
के उत्पादन का अनुमान है। देश में चीनी की सालाना खपत 272 लाख टन के अलावा
90 लाख टन चीनी के निर्यात को मिला दें, तो चालू पेराई सीजन के अंत 30
सितंबर 2022 को 68 लाख टन चीनी का बकाया स्टॉक बचेगा।
जानकारों के
अनुसार चालू महीने के अंत तक अधिकांश चीनी मिलों में पेराई बंद हो जायेगी,
जबकि खपत का सीजन होने के कारण चीनी की घरेलू मांग बनी रहेगी। इसलिए चीनी
की मौजूदा कीमतों में आगे 150 से 200 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी बनने की
उम्मीद है। दिल्ली में शुक्रवार को एम ग्रेड चीनी के भाव 3,650 रुपये और
उत्तर प्रदेश में एक्स फैक्ट्री भाव 3,400 रुपये प्रति क्विंटल रहे।
06 अप्रैल 2022
सरसों के कम भाव होने के कारण किसानों ने मंडियों में सरसों की आमदनी घटाई
सरसों उप्जाऊ वाले राज्यों की मंडियों में 7 मार्च 2022 से 25 मार्च तक सरसों की जोरदार आमदनी हुई थी परन्तु इस हफ्ते में घटे हुए भावों के कारण किसानों ने सरसों की आमदनी घटाई है अप्रैल के पहले हफ्ते में ही आमदनी समय के हिसाब से बहुत ज्यादा कम चल रही है मार्च महीने में कुल आमदनी 24 लाख 65 हजार बोरी भरती 50 किलो में के करीब करीब आंकी गई थी यानी 4 मार्च को सरसों की आमदनी में मामूली बढ़ोत्तरी भी देखी गयी थी पर नवरात्र लगने पहले 28 मार्च को 7 लाख 5 हजार बोरी 30 मार्च को 5 लाख 7 हजार बोरी 31मार्च को 3 लाख 7 हजार बोरी की आमदनी मंडियों में आंकी गयी थी 1अप्रैल को यह आमदनी बढ़कर 5 लाख 2 हज़ार बोरी 4 अप्रैल सोमवार को 7 लाख बोरी 5 अप्रैल को 9 लाख10 हजार 5अप्रैल को 8 लाख 5 हजार बोरी पहुंची थी रिकॉर्ड पैदावार के बावजूद आमदनी का धीमा पड़ना किसानों द्वारा स्टॉक रोकना है क्रशिंग भी घट सकती है दुसरे खाने वाले तेलों के भाव ऊंचे होने के कारण अन्य प्रोसेसर्स क्रशिंग से परहेज कर सकते हैं यही सिलसिला जारी रहा तो पाम तेल व सोया तेल का आयात और बढ़ सकता हैं इस साल जोरदार पैदावार 1करोड 15 लाख टन पहुंची है जो पिछले साल से 28% ज्यादा है लेकिन जब तक पेराई जोर नहीं पकडती तब तक किसान भी सरसों की बिकवाली शुरू नहीं करेंगे किसानों द्वारा लम्बे समय तक स्टॉक रोका गया तो सरसों में आगे जोरदार तेजी बन सकती है
धान किस्मों के लेटेस्ट मार्केट प्राइस Rate
5 april
आज के ताजा भाव
Sarso , Dhaan 1121, 1509, DP, 1401, TAAJ, परमल, सुगंधा, सरबती, धान किस्मों के लेटेस्ट मार्केट प्राइस Rate क्या हैं धान 1509 Dhan ka rate, 1509 dhan Price in Punjab, Haryana, Rajasthan Kota, UP MP Dabra 2021-2022 | 1509 dhan ka rate today 2022, Dhan ka aaj ka rate नीचे देख सकते है
तरनतारन मंडी
आवक 2600 बैग्स
धान 1121 हाथ भाव ₹ 4451
धान 1718 हाथ भाव ₹ 4380
धान 1121 कंबाइन भाव ₹ 4385
धान 1509 हाथ भाव ₹ 4100
धान 1718 कंबाइन भाव ₹ 4307
कोटकपूरा मंडी
धान 1121 कंबाइन भाव ₹ 4105
धान 1509 कंबाइन भाव ₹ 4025
बूंदी मंडी
धान 1121 भाव ₹ 4200 से 4350
धान 1718 भाव ₹ 3950 से 4400
धान 1509 भाव ₹ 3900 से 4081
धान सुगंधा भाव ₹ 3600 से 3900
आवक 5000
अलीगढ़ मंडी
धान 1121 भाव ₹ 4400 भाव डाउन ₹ 50
धान 1718 भाव ₹ 4400
धान 1509 भाव ₹ 4000
धान सुगंधा भाव ₹ 3600
आवक भाव ₹ 2000
जहांगीराबाद मंडी
धान 1509 भाव ₹ 4100
धान 1121 भाव ₹ 4550 तेजी ₹ 150
धान 1718 भाव ₹ 4500 तेजी ₹ 100
धान सुगंधा भाव ₹ 3500 भाव डाउन ₹ 50
धान सरबती भाव ₹ 2625 भाव डाउन ₹ 25
आवक भाव ₹ 700/1000
मैनपुरी मंडी
धान 1121 भाव ₹ 4200
धान 1718 भाव ₹ 4200
धान 1509 भाव ₹ 3700 भाव डाउन ₹ 100
धान हाइब्रिड भाव ₹ 1450
धान सुगंधा 3400
आवक 100/200
तरावडी मंडी
धान 1121 भाव ₹ 4300
धान सरबती भाव ₹ 2400
धान परमल भाव ₹ 1900
धान बासमती भाव ₹ 4100
धान DP लोकल भाव ₹ 3500
धान 1509 भाव ₹ 3500
आवक 2500
शाहजापुर मंडी
धान PR13 भाव ₹ 1400/1450
धान PR26 भाव ₹ 1600/1700
पिपरिया मंडी
धान पूसा भाव ₹ 3300/3850
बूंदी मंडी
धान 1121 भाव ₹ 4200 से 4350
धान 1718 भाव ₹ 3950 से 4400
धान 1509 भाव ₹ 3900 से 4081
धान सुगंधा 3600 से 3900
आवक 5000
अमृतसर मंडी
आवक 15’00 बैग्स
धान 1121 हाथ भाव ₹ 4469
धान 1718 हाथ भाव ₹ 4397
नरेला मंडी
धान 1718 भाव ₹ 4600
धान 1121 भाव ₹ 4600
धान 1509 भाव ₹ 4000 (medium)
धान 1718 भाव ₹ 4571
ऐलनाबाद मंडी
नरमा भाव ₹ 11300/11800
ग्वार भाव ₹ 5700/6221
सरसो भाव ₹ 5711/6000/6262
चना भाव ₹ 4700/4925
जो भाव ₹ 2750/2857
कनक भाव ₹ 1950/2025
तारामीरा भाव ₹ 5100
सरसों का भाव
Sarso ka bhav
दिल्ली मंडी भाव ₹ 6800
जयपुर मंडी भाव ₹ 7000
सिरसा मंडी भाव ₹ 6261
ऐलनाबाद मंडी भाव ₹ 6262
आदमपुर मंडी भाव ₹ 6320
नूह मंडी सरसो 6550
सुनाम मंडी भाव ₹ 6040
नरवाना सरसों भाव ₹ 6400
जुलाना मंडी भाव ₹ 6520
सोनीपत मंडी भाव ₹ 6241/6455
टोहाना मंडी भाव ₹ 6250
जींद मंडी भाव ₹ 6590
गंगानगर मंडी भाव ₹ 6551
संगरिया मंडी भाव ₹ 6521
रायसिंहनगर मंडी भाव ₹ 6431
नोहर मंडी भाव ₹ 6350
सादुलशहर मंडी भाव ₹ 6431
हनुमानगढ़ मंडी 6340
पोरसा मंडी भाव ₹ 6225
मुरैना मंडी भाव ₹ 6550
सुमेर पुर मंडी भाव ₹ 6880 से6950 तेजी ₹ 20
श्योपुर मंडी भाव ₹ 6500 से 6600
गंगापुर मंडी भाव ₹ 6770
टोंक मंडी भाव ₹ 7100
निवाई मंडी भाव ₹ 7125 तेजी ₹ 25
छिंदवाड़ा मंडी भाव ₹ 6300 से 6400
हिंडन मंडी भाव ₹ 6768 तेजी ₹ 37
BP OIL मिल भाव ₹ 7350
अलवर भाव ₹ 7000 तेजी ₹ 200 आवक 10000
खैरथल भाव ₹ 6700 भाव डाउन ₹ 100 आवक 10000
बीकानेर सरसों भाव ₹ 5700/6200 आवक 25000 बोरी
मूंगफली 6000/6300 आवक 5000 बोरी
केकड़ी सरसों 6200/6800 आवक 4000 बोरी
आगरा/शमशाबाद/दिगनेर भाव ₹ 7550 भाव डाउन ₹ 50
अलवर सलोनी भाव ₹ 7550 भाव डाउन ₹ 50
कोटा सलोनी भाव ₹ 7550 भाव डाउन ₹ 50
रुचि गुना भाव ₹ 6850
रूचि गंगानगर भाव ₹ 6700
इटारसी ऑयल्स ,इटारसी भाव ₹ 6900
नॉन कंडीशन भाव ₹ 6450मोस्चर भाव ₹ 6%
भरतपुर/कामां/कुम्हेर/नदबई/डीग भाव ₹ 6742 तेजी ₹ 66
गोयल कोटा भाव ₹ 7100
हिसार भाव ₹ 6500
बरवाला भाव ₹ 6500 आवक 3000

चरखी दादरी मंडी
सरसों भाव ₹ 6200/6400
सरसों तेल एक्सपेलर भाव ₹ 1400 भाव डाउन ₹ 40
खल भाव ₹ 2700 भाव डाउन ₹ 80
राज्यवार सरसों कुल आवक
राजस्थान -4,75,000
मध्य प्रदेश-60,000
उत्तर प्रदेश-1,25,000
हरियाणा -60,000
गुजरात -40,000
अन्य -90,000
कुल आवक -8,50,000 बोरी
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कृषि उपज मंडी समिति संगरिया
दिनांक 05.04.2022 के बाजार भाव
ग्वार
उच्चतम 6335
न्यूनतम 5900
सरसों
उचतम 6495
न्युनतम 5900
जौ
उच्चतम 2585
न्यूनतम 2510
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नोहर मंडी भाव 5 अप्रैल 2022
सरसों : 5800-6475
ग्वार : 5700-6275
चना : 4750-4888
मोठ : 5700-7400
अरंडी : 6400-7150
गेहूं : 2000-2091
जौ : 2500-2780
आदमपुर मंडी भाव 5 अप्रैल 2022
सरसों : 6320
नरमा : 10700
ग्वार : 6300
सिरसा मंडी भाव 5 अप्रैल 2022
नरमा : 8000-11900
कपास : 8000-8100

सरसों : 5800-6131
ग्वार : 5500-6211
ऐलनाबाद मंडी भाव 5 अप्रैल 2022
नरमा : 11000-11800
सरसों : 5700-6262
ग्वार : 5700-6221
चना : 4700-4925
गेहूं : 1950-2025
जौ : 2750-2857
तारामीरा : 4900-5100
फतेहाबाद मंडी भाव 5 अप्रैल 2022
नरमा : 6000-11700
कपास : 7500-7800
संगरिया मंडी भाव 5 अप्रैल 2022
नरमा : 11686
हनुमानगढ़ मंडी भाव 5 अप्रैल 2022
नरमा : 12055
सरसों : 5750 (लेब 37.82)
सरसों : 6080 (लेब 40.22)
सरसों के भाव विभिन्न मंडियो में 05/04/2022
भट्टू : 6351
कैथल : 6300
जयपुर मंडी भाव 5 अप्रैल 2022
चना : 4200-4873
ग्वार : 5500-6281
ज्वार : 1950-2250
मूंग : 4000-6600

रायड़ा :5476-7002
मूँगफली : 4700-5400
गेंहू : 2080-2350
मोठ : 4700-5731
उड़द : 4800-5300
चौला : 4700-5100
तारामीरा : 4500-5077
जौ : 2160-2600
सूरतगढ़ मंडी भाव 5 अप्रैल 2022
गवार : 5715-5965
मूंग : 4000-6500
नरमा : 10200-11000
ज्वार : 1950-2300
बाजरी : 1800-1950
तारामीरा : 4650-5046

सरसों : 5600-6455
चना : 4330-4842
जौ : 2050-2633
विजयनगर मंडी भाव 5 अप्रैल 2022
कपास : 8700-9300
ग्वार : 5524-6249
गेहू : 2000-2345
जौ : 2100-2588
मोटी मकी : 1505-1780
देशी लाल मकी : 1801-2232
उड़द : 4800-5450
मूग : 4450-6800
ज्वार : 2000-2350
जीरा : 18000-21000
तिल : 8300-9000
सरसों : 5413-6682
नरेला मंडी भाव 5 अप्रैल 2022
1509 धान हाथ : 3999
1718 धान हाथ : 4575
1121 धान हाथ : 4600
बासमती हाथ धान : 3600
कोटकपुरा मंडी भाव 5 अप्रैल 2022
1509 धान : 4025
1121 धान : 4105
तरनतारण मंडी भाव 5 अप्रैल 2022
सरसों : 5000-6295
1509 धान हाथ : 4100
1121 धान : 4385
1718 धान : 4307
1121 धान हाथ : 4451
1718 धान हाथ : 4380
बूँदी मंडी भाव 5 अप्रैल 2022
1509 धान : 3900-4081
1718 धान : 3950-4400
1121 धान : 4200-4350
सुगंधा धान : 3600-3900
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05 अप्रैल 2022
रूस और यूक्रेन की जंग लंबी चली तो जौ में बनेगी तेजी
नई दिल्ली।
उत्पादक मंडियों में जौ की नई फसल की आवक शुरू हो चुकी है, तथा उत्पादक
मंडियों में नए जौ की कीमतें काफी तेज हैं। राजस्थान की मंडियों में नया जौ
2,700 से 2,900 रुपये प्रति क्विंटल के भाव बिक रहा है, जबकि चालू रबी
विपणन सीजन के लिए केंद्र सरकार ने इसका न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी से
1,635 रुपये प्रति क्विंटल है।
जानकारों के अनुसार आगामी दिनों में
उत्पादक मंडियों में नए जौ की दैनिक आवकों में बढ़ोतरी का अनुमान है, जिससे
मौजूदा कीमतों में हल्की गिरावट तो आ सकती है, लेकिन ज्यादा मंदे की
उम्मीद नहीं है। जानकारों के अनुसार रूस और यूक्रेन की जंग लंबी चली तो जौ
की कीमतों में आगे तेजी की ही उम्मीद है।
यूक्रेन और रूस जौ के
सबसे बड़े निर्यातक देशों में है। यूक्रेन की जौ के निर्यात में हिस्सेदारी
जहां दुनिया में 17 फीसदी है, वहीं रूस की हिस्सेदारी भी 14 फ़ीसदी है।
भारतीय माल्ट कंपनियां यूक्रेन से बड़े पैमाने पर जौ का आयात करती है,
लेकिन इन देशों के बीच चल रही जंग के कारण घरेलू मंडियो में जौ की कीमतें
पिछले साल की तुलना में 60 फीसदी से ज्यादा बढ़ चुकी है। कारोबारियों का
मानना है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते ग्लोबल सप्लाई चेन प्रभावित होने से
आने वाले दिनों में जौ की कीमतों में और भी 10 से 20 फीसदी तक बढ़ोतरी हो
सकती है।
कृषि मंत्रालय के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू रबी
में जौ का उत्पादन 190 लाख टन होने का अनुमान है, जबकि पिछले साल इसका
उत्पादन 166 लाख टन का हुआ था। जानकारों के अनुसार चालू रबी में राजस्थान,
हरियाणा और उत्तर प्रदेश में जौ के बजाए किसानों ने सरसों की बुआई की थी,
इसलिए जौ का उत्पादन मंत्रालय के अनुमान से कम होगा, जबकि उत्पादक राज्यों
में बकाया स्टॉक भी लगभग नहीं के बराबर है।
विदेश में दाम तेज होने से चालू पेराई सीजन में 85 लाख टन चीनी के निर्यात का अनुमान - उद्योग
नई दिल्ली। विश्व बाजार में भाव तेज होने के कारण चालू पेराई सीजन में चीनी
के निर्यात में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। उद्योग के अनुसार चालू पेराई
सीजन में अभी तक करीब 72 लाख टन चीनी के निर्यात सौदे हो चुके है, जबकि
मार्च अंत तक 56 से 57 लाख टन चीनी की शिपमेंट भी हो चुकी है। जानकारों के
अनुसार चालू पेराई सीजन में चीनी का कुल निर्यात बढ़कर 85 लाख टन होेने का
अनुमान है।
चालू पेराई सीजन 2021-22 के पहले छह महीनों पहली अक्टूबर
2021 से 31 मार्च 2022 तक चीनी का उत्पादन 11.18 फीसदी बढ़कर 309.87 लाख
टन का हो चुका है जबकि पिछले पेराई सीजन में इस दौरान केवल 278.71 लाख टन
चीनी का ही उत्पादन हुआ था।
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के
अनुसार चालू पेराई सीजन में महाराष्ट्र में 31 मार्च 2022 तक 118.81 लाख टन
चीनी का उत्पादन हुआ है, जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 100.47 लाख टन का
ही उत्पादन हुआ था।
उत्तर प्रदेश में चालू पेराई सीजन में 31 मार्च
22 तक राज्य की 120 चीनी मिलों में से 32 में पेराई बंद हो गई। राज्य में
31 मार्च 22 तक 87.50 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है जोकि पिछले पेराई सीजन
की समान अवधि के 93.71 लाख टन से कम है।
कर्नाटक में 31 मार्च 22
तक 57.65 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है जबकि पिछले पेराई सीजन की समान
अवधि में केवल 42.38 लाख टन चीनी का ही उत्पादन हुआ था।
गुजरात
में चालू पेराई सीजन में 31 मार्च 22 तक 15 चीनी मिलों ने 10 लाख टन चीनी
का उत्पादन किया है, जबकि पिछले पेराई सीजन की समान अवधि में राज्य की
मिलों ने 9.15 लाख टन चीनी का उत्पादन किया था। राज्य की पांच चीनी मिलों
में पेराई बंद हो चुकी है।
तमिलनाडु में चालू पेराई सीजन में 31
मार्च 22 तक राज्य की मिलों ने 6.87 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है, जबकि
पिछले पेराई सीजन की समान अवधि में राज्य में 5.08 लाख टन चीनी का ही
उत्पादन हुआ था।
देश के अन्य राज्यों आंध्र प्रदेश और तेलंगाना,
बिहार, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़, राजस्थान और
ओडिशा की चीनी मिलों ने 31 मार्च 22 तक 29.04 लाख टन चीनी का उत्पादन किया
है।
02 अप्रैल 2022
अप्रैल के लिए 22 लाख टन चीनी का कोटा जारी, भाव में आया हल्का सुधार
नई
दिल्ली। केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मामले मंत्रालय ने अप्रैल के लिए 22
लाख टन चीनी का कोटा जारी किया है, जोकि बाजार की उम्मीद के अनुरूप होने से
चीनी के भाव में सुधार आया। इससे हाजिर बाजार में गुरूवार को चीनी के भाव
में 20 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी दर्ज की गई।
दिल्ली में
गुरूवार को एम ग्रेड चीनी के भाव 20 रुपये तेज होकर 3,700 से 3,800 रुपये
प्रति क्विंटल हो गए। इस दौरान कानपुर में एम ग्रेड चीनी के भाव 20 रुपये
तेज होकर 3,720 से 3,820 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। हैदराबाद में एम ग्रेड
चीनी के दाम 20 रुपये तेज होकर 3,270 से 3,310 रुपये एवं चेन्नई में 3,510
से 3,550 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।
व्यापारियों के अनुसार केंद्र
सरकार ने पिछले साल के अप्रैल 2021 के बराबर ही 22 लाख टन का कोटा जारी
किया है, जबकि पिछले साल कोरोना के चलते लॉकडाउन लगा होने के कारण चीनी की
खपत में कमी आई थी। इस समय देशभर में कोरोना के मामले कम हुए हैं, जिसे
देखते हुए राज्य सरकारों ने पाबंदियों में छूट दी हुई है। इसलिए चीनी की
घरेलू खपत बढ़ने का अनुमान है। यही कारण है कि कोटा जाने के बाद उत्तर से
लेकर दक्षिण तक सभी राज्यों में चीनी की मांग सुधरने से भाव को मजबूती
मिली।
जानकारों के अनुसार घरेलू मांग के साथ निर्यातकों की खरीद का
सहारा मिला तो आने वाले दिनों में चीनी के मौजूदा भाव में और बढ़ोतरी हो
सकती है। विश्व बाजार में वर्तमान भाव भारतीय निर्यातकों के लिए फायदेमंद
हैं। क्रूड ऑयल की कीमतों में आई मजबूती से आईसीई शुगर वायदा में बीते
कारोबारी सत्र में तेजी दर्ज की गई। मई महीने के वायदा अनुबंध में रॉ शुगर
के भाव 0.36 सेंट यानी 1.88 फीसदी बढ़कर 19.47 सेंट प्रति पाउंड के स्तर पर
पहुंच गए। इसी तरह से लंदन मई महीने के वायदा अनुबंध में व्हाइट शुगर के
भाव 0.67 फीसदी बढ़कर 537.20 डॉलर प्रति टन हो गए।
बर्मा में उड़द एवं अरहर के भाव तेज, घरेलू बाजार में मिलाजुला रुख
नई
दिल्ली। लगातार दो दिनों की गिरावट के बाद शुक्रवार को बर्मा के स्थानीय
बाजार में नीचे दाम पर मांग निकलने से उड़द की कीमतों में तेजी आई, साथ ही
लेमन अरहर के भाव भी बढ़ गए। हालांकि इस दौरान भारतीय आयातकों ने कोई बड़ा
आयात सौदा नहीं किया, बर्मा से पहले के सौदों की लोडिंग बराबर चल रही है।
घरेलू बाजार में दालों में मिलाजुला रुख बना रहा।
बर्मा में उड़द
एफएक्यू और एसक्यू के भाव में आज 10-15 डॉलर की तेजी आकर भाव क्रमश: 850
डॉलर और 945 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ हो गए। इस दौरान लेमन अरहर के भाव में
भी 10 डॉलर की तेजी आकर भाव 850 डॉलर प्रति टन, सीएंडएफ बोले गए।
कृृषि
मंत्रालय के अनुसार समर में मूंग की बुआई 34.79 फीसदी बढ़कर 5.54 लाख
हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले सीजन में इसकी बुआई 4.11 लाख हेक्टेयर
में ही हुई थी। इसी तरह से उड़द की बुआई 72.85 फीसदी बढ़कर 2.61 लाख
हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले सीजन में इसकी बुआई 1.51 लाख हेक्टेयर
में ही हुई थी।
नेफेड ने न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी 5,230 रुपये
प्रति क्विंटल की दर से अभी तक 3,28,014 टन चना खरीदा है। अभी तक हुई खरीद
में महाराष्ट्र से 1,26,176 टन, कर्नाटक से 30,993 टन और गुजरात से
1,70,845 टन की हिस्सेदारी है। राजस्थान में नेफेड द्वारा एमएसपी पर चना की
खरीद आज से शुरू होने की संभावना है।
अरहर और उड़द दाल में अगले
सप्ताह से मांग तो बढ़ने की उम्मीद है, लेकिन एक तो आयात बराबर हो रहा है,
दूसरा आयातित माल भी बदंरगाहों पर ज्यादा मात्रा में हैं। इसलिए इनकी
कीमतों में अभी बड़ी तेजी की उम्मीद नहीं है। उत्पादक मंडियों में अरहर की
आवक अभी बनी रहेगी, साथ ही आंध्रप्रदेश में उड़द की आवक भी अप्रैल में
बढ़ेगी।
न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर अगले सप्ताह से चना की
खरीद और बढ़ने की उम्मीद है, साथ ही उत्पादक मंडियों में नए चना की दैनिक
आवक बढ़ेगी। चना के दाम एमएसपी पर काफी नीचे हैं, इसलिए इसके भाव में आगे
हल्का सुधार और भी आयेगा।
आयातित के साथ ही देसी मसूर के दाम तेज
हैं, जबकि अगले सप्ताह से देसी मसूर की दैनिक आवक भी बढ़ेगी। इसलिए मसूर के
भाव में अभी बड़ी तेजी टिक नहीं पायेगी, क्योंकि बदंरगाहों पर आयातित मसूर
का बकाया स्टॉक भी ज्यादा है। हालांकि मसूर के आयात पड़ते महंगे हैं।
दाल
मिलों की हाजिर मांग बढ़ने से कनाडा की मसूर के भाव मुंद्रा और हजिरा
बंदरगाह पर तथा आस्ट्रेलियाई मसूर के भाव कंटेनर और वैसल में 50 रुपये
प्रति क्विंटल तेज हो गए।
मुंद्रा बंदरगाह पर कनाडा की मसूर के भाव
50 रुपये बढ़कर 6,950 से 7,000 रुपये एवं हजीरा बंदरगाह पर 6,975 से 7,025
रुपये प्रति क्विंटल हो गए। इसी तरह से आस्ट्रेलियाई मसूर के भाव कंटेनर
में बढ़कर 7,150 से 7,200 रुपये और कनाडा की मसूर के भाव कंटेनर में 7,100
से 7,150 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।
हालांकि दिल्ली में सुबह की
तुलना में शाम को मसूर के भाव में गिरावट आई। दिल्ली में कनाडा और मध्य
प्रदेश की मसूर के भाव 75-75 रुपये नरम होकर भाव क्रमश: 7,000 से 7,025
रुपये प्रति क्विंटल रह गए।
दिल्ली में उड़द एफएक्यू पुरानी के भाव
25 रुपये नरम होकर 6,600 रुपये और नई के भाव भी 25 रुपये घटकर 6,650 रुपये
प्रति क्विंटल रह गए। इसी तरह से उड़द एसक्यू नई और पुरानी के भाव में भी
25-25 रुपये का मंदा आकर भाव क्रमश: 7,275 रुपये और 7,225 रुपये प्रति
क्विंटल रह गए।
चेन्नई में एफएक्यू उड़द हाजिर डिलीवरी के भाव 6,325
रुपये और एसक्यू मई डिलीवरी के भाव 7,025 से 7,050 रुपये प्रति क्विंटल पर
स्थिर बोले गए।
दिल्ली में लेमन अरहर के भाव 6,625 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।
चेन्नई
में लेमन मई डिलीवरी के भाव 25 रुपये कमजोर होकर 6,400 रुपये प्रति
क्विंटल बोले गए। लेमन अरहर के हाजिर डिलीवरी के भाव 6,250 रुपये प्रति
क्विंटल पर स्थिर बने रहे।
मुंबई में तंजानिया की अरुषा अरहर और
तंजानिया की मटवारा अरहर के दाम के भाव क्रमश: 5,500 से 5,600 रुपये 5,400
से 5,450 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। जबकि मलावी अरहर के दाम
4,900-5,000 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। मोजाम्बिक लाईन की गजरी अरहर की
कीमतें 5,450-5,500 रुपये और सूडान की अरहर के दाम 6,500 से 6,600 रुपये
प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए।
दिल्ली में राजस्थान के चना के भाव
75 रुपये तेज होकर 5,175 से 5,200 रुपये प्रति क्विंटल हो गए, जबकि मध्य
प्रदेश के चना के भाव 50 रुपये बढ़कर 5,100 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।
अप्रैल मध्य तक गेहूं में नरमी का अनुमान, सरकारी खरीद तय लक्ष्य से कम होने की आशंका
नई
दिल्ली। उत्तर भारत के प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों पंजाब, हरियाणा और
उत्तर प्रदेश के साथ ही राजस्थान की मंडियों में अगले सप्ताह से गेहूं की
दैनिक आवकों में बढ़ोतरी होगी, तथा मध्य अप्रैल तक आवकों का दबाव बनने पर
मौजूदा कीमतों में 50 से 100 रुपये प्रति क्विंटल का मंदा आयेगा। इसके
बावजूद भी चालू रबी विपणन सीजन 2022-23 के दौरान गेहूं की सरकारी खरीद तय
लक्ष्य 444 लाख टन से कम रहने की आशंका है।
दिल्ली की नरेला मंडी
में शुक्रवार को गेहूं 2,072 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर बिका। मंडी में
अगले सप्ताह से नई फसल की आवक बढ़ेगी, जिससे भाव में गिरावट ही आने का
अनुमान है। हालांकि दुनिया के दो सबड़े बड़े निर्यातक देशों रूस और यूक्रेन
में युद्ध के चलते अंतरराष्ट्रीय बजाार में गेहूं की कीमतों में भारी तेजी
आई थी, जिस कारण भारत से गेहूं का निर्यात बढ़ा है। निर्यातक कांडला
बंदरगाह पर गेहूं की खरीद 2,335 रुपये प्रति क्विंटल की दर से कर रहे हैं।
जानकारों के अनुसार रूस-यूक्रेन युद्ध की जंग जारी रही तो फिर गेहूं की कीमतों में ज्यादा मंदे की संभावना नहीं है। रूस-यूक्रेन से गेहूं निर्यात नही होने के कारण विश्व बाजार में दाम तेज रह सकते हैं। रूस और यूक्रेन गेहूं के सबसे बड़े उत्पादकों में हैं। ऐसे में भारत से गेहूं का निर्यात बढ़ेगा। इस वर्ष 21 मार्च तक 70.35 लाख टन गेहूं का निर्यात किया जा चुका है।