कुल पेज दृश्य

30 अक्टूबर 2021

शुरूआती चरण में चालू रबी सीजन में तिलहन की बुआई आगे, दलहन की पिछड़ी

नई दिल्ली। चालू रबी सीजन के जहां तिलहन की बुआई आगे चल रही है, वहीं रबी दलहन की बुआई पिछड़ रही है। हालांकि रबी फसलों की बुआई अभी शुरूआती चरण में है तथा आगे बुआई की गति में तेजी आयेगी।

कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू रबी सीजन में 29 अक्टूबर 2021 तक रबी फसलों की बुआई बढ़कर 43.29 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई 42.52 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

मंत्रालय के अनुसार तिलहनी फसलों की बुआई चालू रबी में बढ़कर 25.33 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई 20.01 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। रबी तिलहन की प्रमुख फसल सरसों की बुआई चालू रबी में बढ़कर 24.67 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुआई 19.60 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। अन्य तिलहनी फसलों में सनफ्लवर की बुआई 43 हजार हेक्टेयर में, मूंगफली की 8 हजार हेक्टेयर में और सफ्लावर की तीन हजार हेक्टेयर के अलावा केस्टर सीड की बुआई सात हजार हेक्टेयर में ही हुई है।

रबी दालों की बुआई चालू रबी में घटकर 9.70 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले रबी सीजन की समान अविध इनकी बुआई 12.58 लाख हेक्टेयर में हुई थी। रबी दलहन की प्रमुख फसल चना की बुआई चालू रबी में शुरूआती चरण में घटकर 7.77 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले रबी सीजन की समान अवधि में इसकी बुआई 9.36 लाख हेक्टेयर में हुई थी। मसूर की बुआई चालू रबी में 26 हजार हेक्टेयर में, मटर की 38 हजार हेक्टेयर में और उड़द की 28 हजार हेक्टेयर में हुई है।

मोटे अनाजों की बुआई चालू रबी में 4.20 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 5.24 लाख हेक्टेयर से कम है।

रबी की प्रमुख फसल गेहूं की बुआई चालू रबी में 34 हजार हेक्टेयर में हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 35 हजार हेक्टेयर से कम है।

धान की रोपाई चालू रबी में 3.71 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले रबी सीजन की समान अवधि में इसकी रोपाई 4.34 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

मुंबई में आयातित उड़द एवं चना की कीमतों में नरमी, काबुली चना में सुधार, अरहर और मसूर स्थिर

नई दिल्ली। दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने के कारण शनिवार को मुंबई में आयातित उड़द के साथ ही चना की कीमतों में नरमी आई, जबकि काबुली चना के भाव में सुधार आया। अरहर के साथ ही मसूर की कीमतें स्थिर बनी रही।

सरकार के हस्तक्षेप और नीतियों के कारण दलहन बाजार में दबाव है। व्यापारियों के अनुसार मिलर्स, व्यापारी एवं स्टॉकिस्टों के साथ-साथ किसानों की दीपावली से पहले बिकवाली बढ़ने से दालों की कीमतों पर दबाव देखा जा रहा है। दालों की थोक के साथ ही खुदरा मांग सीमित बनी हुई है, हालांकि व्यापारियों के अनुसार त्यौहारी सीजन चल रहा है, इसलिए आगे दालों की मांग में बढ़ोतरी की उम्मीद है।

स्थानीय मिलों की मांग कमजोर होने से मुंबई में बर्मा उड़द एफएक्यू नई और पुरानी की कीमतों में 50-50 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमशः 6,850 रुपये और 6,750 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। इसके अलावा, नेफेड मध्य प्रदेश में अपने पुराने स्टॉक की बिकवाली कर रही है। इस बीच, मौसम साफ होने से नई खरीफ उड़द की आवक बढ़ी है, हालांकि नई फसल की क्वालिटी काफी हल्की है, जबकि मिलर्स और व्यापारी अच्छी क्वालिटी की नई उड़द की खरीद कर रहे हैं। दिवाली के त्योहार के लिए नवंबर के पहले सप्ताह के दौरान प्रमुख बाजार बंद रहेंगे, इसलिए घरेलू मंडियों में में आवक कम रहेगी।

स्थानीय मिलों की मांग सुधरने से मुंबई में सूडान और रुस के काबुली चना के भाव में 50-50 रुपये की तेजी आकर भाव क्रमश: 5,150 से 5,300 रुपये और 4,750 से 5,000 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। सूडान में काबुली चना की नई फसल आ रही है, लेकिन काबुली चना के आयात पर 40 फीसदी आयात शुल्क होने के कारण आयात पड़ते नहीं लग रहे हैं।

तंजानिया के चना में दाल मिल की हाजिर मांग कमजोर होने भाव में 25 रुपये की गिरावट आकर भाव 4,800-4,950 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। हालांकि, मध्य प्रदेश में नेफेड के द्वारा खरीदे हुए पुराने वर्ष-2018 और वर्ष-2019 चने का बकाया स्टॉक नगण्य है, जबकि वर्ष-2020 के चना की क्वालिटी हल्की है।

दाल मिलों की सीमित खरीद के कारण कनाडा की मसूर मुंद्रा और हजीरा बंदरगाह पर क्रमश:  7,000 से 7,050 रुपये और 7,050-7,125 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बनी रही। आस्ट्रेलियाई मसूर के दाम मुंबई में 7,150 से 7,300 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

मिलों की खरीद कम होने के कारण मुंबई में बर्मा की लेमन अरहर नई के भाव 6,000 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। इसी तरह से सूडान की अरहर के भाव भी 6,150 से 6,200 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। तंजानिया की मटवारा अरहर की कीमतें 5,400 रुपये और तंजानिया लाईन की अरुषा अरहर के दाम 5,400 से 5,450 रुपये तथा मोजाम्बिक लाईन की गजरी किस्म के दाम 5,350 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

व्यापारियों के अनुसार हाजिर बाजार में अफ्रीका की सस्ती अरहर की उपलब्धता ज्यादा है साथ्घ ही नियमित आवक बनी हुई है। अफ्रीका की अरहर की क्वालिटी हल्की है, जिस कारण हाजिर बाजार में अरहर की कीमतों पर दबाव है।

29 अक्टूबर 2021

नवंबर के लिए 22.5 लाख टन चीनी का कोटा जारी, अक्टूबर के बचे कोटे को भी बेचने की होगी अनुमति

नई दिल्ली। केंद्रीय खाद्य मंत्रालय ने नवंबर महीने के लिए 22.5 लाख टन चीनी का कोटा जारी किया है। इसके साथ ही सरकार ने चीनी मिलों को अक्टूबर महीने के बचने हुए कोटे को भी नवंबर में बेचने की मोहलत मिलों को दे दी है।

सूत्रों के अनुसार केंद्र सरकार ने अक्टूबर के लिए 24 लाख टन चीनी का कोटा जारी किया था, जिसमें से 1.5-2 लाख टन चीनी बची हुई है। इस तरह से नवंबर के लिए करीब 24-24.5 लाख टन चीनी खुले बाजारों में बिक्री के लिए उपलब्ध होगी। पिछले साल नवंबर 2020 के लिए केंद्र सरकार ने 22.5 लाख टन चीनी का कोटा जारी किया था।

जानकारों के अनुसार नवंबर के कोटे के साथ ही अक्टूबर की बची हुई चीनी को मिलाकर कुल उपलब्धता 24 से 24.50 लाख टन की होगी, जिससे कीमतों पर दबाव बना रहा। हालांकि नवंबर में त्यौहारी सीजन के साथ ही ब्याह-शादियों का सीजन शुरू होने से चीनी की खपत तो बढ़ेगी, लेकिन दीपावली के बाद मिलों में पेराई भी आरंभ हो जायेगी।

उत्तर प्रदेश में दीपावली बाद शुरू होगी गन्ने की पेराई, किसान कोल्हुओं को सस्ता गन्ने बेचने को मजबूर

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में गन्ने की पेराई आरंभ होने में हो देरी का खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है। गेहूं की बिजाई के लिए खेत करने वाले किसानों को गन्ना कोल्हुओं को राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) से 80 से 100 रुपये प्रति क्विंटल नीचे दाम पर बेचना पड़ रहा है। आमतौर पर राज्य की चीनी मिलें 15 अक्टूबर के बाद गन्ने की पेराई आरंभ कर देती है, लेकिन चीनी के दाम नीचे होने के साथ ही नकदी की किल्लत के कारण मिलें पेराई देर से आरंभ करना चाहती है।

सूत्रों के अनुसार पिछले महीने गन्ने का मूल्य (एसएपी) 25 रुपये बढ़ाकर 350 रुपये प्रति क्विंटल घोषित किए जाने के बाद राज्य सरकार मिलों में जल्द पेराई शुरू कराना चाहती थी। राज्य के गन्ना विकास मंत्री सुरेश राणा ने पिछले महीने कहा था कि राज्य की गन्ना मिलें 20 अक्टूबर से पेराई आरंभ कर देंगी। कुछ मिलों ने अक्टूबर के आखिरी सप्ताह में पेराई शुरू करने की तैयारी भी की थी, लेकिन हाल की बारिश के चलते उन्होंने पेराई दिवाली तक के लिए टाल दी है।

सूत्रों के अनुसार राज्य की चीनी मिलें दीपावली से पहले पेराई शुरू करने की इच्छुक नहीं हैं, क्योंकि चालू महीने में चीनी की कीमतों में सुधार आया था, जिस कारण मिलें पुराना स्टॉक हल्का करना चाहती है। वैसे भी पेराई जल्दी शुरू करने से चीनी मिलों पर किसानों के बकाया भुगतान का दबाव भी बढ़ जाएगा। मालूम हो कि पेराई सीजन 2020-21 का बकाया भी राज्य की चीनी मिलों पर अभी बचा हुआ है।

ब्राजील में उत्पादन घटने की संभावना से विश्व बाजार में चीनी की कीमतों में सुधार आया है, लेकिन हाजिर बाजार में दाम स्थिर बने रहे। आईसीई मार्च रॉ शुगर 0.27 सेंट यानी 1.4 फीसदी बढ़कर 19.26 सेंट प्रति पाउंड पर पहुंच गया। दिसंबर व्हाइट शुगर फ्यूचर्स 5.90 डॉलर बढ़कर 511.30 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गया। महाराष्ट्र और बंदरगाह के पास वाले राज्यों की मिलें निर्यात के लिए रॉ शुगर 3,050 से 3,100 रुपये और व्हाइट शुगर 3,200 से 3,250 रुपये प्रति क्विंटल के भाव बेचन रही है, लेकिन निर्यात सौदे नहीं के बराबर हो रहे हैं।

उत्तर भारत के थोक बाजारों में चीनी की मांग सुस्त होने के दाम स्थिर बने रहे। कमजोर मांग को देखते हुए हुए आगे चीनी की कीमतों में नरमी बनने की उम्मीद है, वैसे भी दीपावली की मांग लगभग पूरी हो चुकी है। उधर दक्षिणी और पश्चिमी राज्यों के थोक बाजारों में भी मांग कमजोर होने से आज कीमतें स्थिर बनी रही।

चीनी का उत्पादन घटकर 305 लाख टन होने का अनुमान, आरंभिक अनुमान से पांच लाख टन कम - इस्मा

नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2021 से शुरू हुए पेराई सीजन 2021-22 (अक्टूबर से सितंबर) के दौरान देश में चीनी का उत्पादन घटकर 305 लाख टन ही होने का अनुमान है, जोकि जुलाई में जारी आरंभिक उत्पादन अनुमान 310 लाख टन से पांच लाख टन कम है। पिछले पेराई सीजन में देश में चीनी का उत्पादन 311.81 लाख टन का हुआ था।

इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) ने जुलाई 2021 में चालू पेराई सीजन के लिए 310 लाख टन चीनी उत्पादन का आरंभिक अनुमान जारी किया था, जोकि जून 2021 के अंतिम सप्ताह में किए गए उपग्रह मानचित्रण के पहले सर्वेक्षण पर आधारित था। यह उत्पादन अनुमान 34 लाख टन चीनी के बराबर गन्ने की खपत शीरा उत्पादन में बदलाव होने की संभावना को ध्यान में रखकर दिया गया था। चालू सीजन में देश भर में गन्ने की बुआई बढ़कर 54.37 लाख हेक्टेयर में हुई है, जोकि पिछले साल के 52.88 लाख हेक्टेयर की तुलना में तीन फीसदी ज्यादा है।

उत्तर प्रदेश में गन्ने की बुआई तो बढ़कर 23.08 लाख हेक्टेयर में हुई है, जोकि पिछले साल के 23.07 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। लेकिन पूर्वी उत्तर प्रदेा में भारी और बेमौसमी वर्षा के कारण प्रति हेक्टेयर उत्पादकता में कमी आने के साथ-साथ गन्ने में रिकवरी की दर घटने की संभावना जताई है। एथनॉल में गन्ना जाने के बाद उत्तर प्रदेश में चालू पेराई सीजन में चीनी का 113.5 लाख टन उत्पादन ही होने का अनुमान है।

महाराष्ट्र में चालू सीजन में गन्ने की बुआई 11 फीसदी बढ़कर 12.78 लाख हेक्टेयर में होने का अनुमान है जबकि पिछले सीजन के 11.48 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। राज्य में दक्षिण-पश्चिम मानसून की अच्छी वर्षा हुई है। साथ ही राज्य के लगभग सभी जलाशयों में पर्याप्त पानी उपलब्ध है। राज्य में इथेनॉल में गन्ना जाने के बाद महाराष्ट्र में चीनी का उत्पादन 122.50 लाख टन उत्पादन होने का अनुमान है।

कर्नाटक में गन्ना की बुआई 5.01 लाख हेक्टेयर से बढ़कर चालू सीजन में 5.11 लाख हेक्टेयर में हुई है। वहां एथनॉल में गन्ना जाने के बाद 49.50 लाख टन चीनी का उत्पादन होने का अनुमान है। शेष राज्यों में कुल 53.10 लाख टन चीनी का उत्पादन अनुमान है।

अनुमान है कि गन्ने के रस और बी-शीरा को इथेनॉल में बदलने के लिए करीब 34 लाख टन चीनी के बराबर गन्ने की खपत एथेनॉल में होगी, इसीलिए इस्मा ने एथनॉल में बदलाव के बाद देश में चीनी के उत्पादन अनुमान को 310 लाख टन से घटाकर 305 लाख टन कर दिया है।

पहली अक्टूबर 2020 को 107.40 लाख टन चीनी का बकाया स्टॉक था जबकि पेराई सीजन 2020-21 के दौरान लगभग 311.81 लाख टन उत्पादन हुआ था। इसमें से 265.55 लाख टन चीनी की घरेलू खपत हुई, और करीब 70.72 लाख टन चीनी का निर्यात हुआ। इसके बाद एक अक्टूबर, 2021 को लगभग 82.94 लाख टन चीनी का बकाया स्टॉक बचने का अनुमान है। इस तरह शुरूआती स्टॉक पिछले सीजन के 107.40 लाख टन से करीब 25 लाख टन कम होकर 82.94 लाख टन ही रह जायेगा।

मिलों की मांग से दिल्ली में अरहर एवं मसूर में सुधार, उड़द की कीमतों में मंदा

नई दिल्ली। दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने के कारण शुक्रवार को दिल्ली के नया बाजार में बर्मा की अरहर ही कनाडा और मध्य प्रदेश की मसूर की कीमतों में तेजी दर्ज की गई जबकि उड़द की कीमतों में गिरावट आई।

दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने के कारण लगातार दूसरे दिन दिल्ली में बर्मा की लेमन अरहर नई के भाव में 25 रुपये की तेजी आकर भाव 6,350 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। इस दौरान पुरानी अरहर की कीमतें 6,200 रुपये प्रति क्विंटल पर ​स्थिर बने रहे, लेकिन इन भाव में बिकवाली कमजोर रही। हालांकि, हाजिर बाजार में अफ्रीका की अरहर सस्ती है, साथ ही उसकी क्वालिटी भी काफी हल्की है, जबकि आगे आयातित अरहर की आवक भी बढ़ेगी, इसलिए इसकी कीमतों में बड़ी तेजी की उम्मीद नहीं है।

दाल मिलों की हाजिर कमजोर होने के कारण दिल्ली में बर्मा उड़द एफएक्यू और एसक्यू की कीमतें 50 से 75 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमश: 6,975 रुपये और 7,750 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। महाराष्ट्र लाईन की नई उड़द के भाव दिल्ली में क्वालिटीनुसार 6,000-7,000 रुपये प्रति क्विंटल रहे।

इस बीच, मौसम साफ होने से नई खरीफ उड़द की आवक बढ़ी है, हालांकि नई फसल की क्वालिटी काफी हल्की है, जबकि मिलर्स और व्यापारी अच्छी क्वालिटी की नई उड़द की खरीद कर रहे हैं। दिवाली के त्योहार के लिए नवंबर के पहले सप्ताह के दौरान प्रमुख बाजार बंद रहेंगे, इसलिए घरेलू मंडियों में दलहन की आवक कम रहेगी।

दाल मिलों की हाजिर मांग सुधरने से लगातार दूसरे दिन दिल्ली में कनाडा और मध्य प्रदेश की मसूर की कीमतों में 25—100 रुपये की तेजी आकर भाव क्रमश: 7,325 रुपये और 7,600 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

28 अक्टूबर 2021

मिलों की मांग से दिल्ली में चना, अरहर, उड़द एवं मसूर के दाम बढ़े

नई दिल्ली। नीचे दाम पर दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने के कारण गुरूवार को दिल्ली के नया बाजार में बर्मा की अरहर, उड़द एफक्यू के साथ ही कनाडा और मध्य प्रदेश की मसूर और चना की कीमतों में तेजी दर्ज की गई।

व्यापारियों के अनुसार दालों की खुदरा और थोक मांग में नीचे भाव मेें मांग निकलने से सुधार आया है, आगे त्यौहारी सीजन है इसलिए इनकी मांग में आगे और भी हल्का सुधार आने का अनुमान है।

दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने के कारण दिल्ली में बर्मा की लेमन अरहर नई के भाव में 25 रुपये की तेजी आकर भाव 6,300 से 6,325 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। इसी तरह से पुरानी अरहर की कीमतों में 100 रुपये की तेजी आकर भाव 6,200 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। हालांकि, हाजिर बाजार में अफ्रीका की अरहर सस्ती है, साथ ही उसकी क्वालिटी भी काफी हल्की है, जबकि आगे आयातित अरहर की आवक भी बढ़ेगी, इसलिए इसकी कीमतों में बड़ी तेजी की उम्मीद नहीं है।

दाल मिलों की हाजिर बढ़ने के कारण दिल्ली में बर्मा उड़द एफएक्यू की कीमतें 50 रुपये बढ़कर 7,025 रुपये प्रति क्विंटल रह गई। उड़द एसक्यू के भाव इस दौरान 7,825 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। महाराष्ट्र लाईन की नई उड़द के भाव दिल्ली में क्वालिटीनुसार 6,000-7,000 रुपये प्रति क्विंटल रहे।

दाल मिलों की हाजिर मांग सुधरने से दिल्ली में कनाडा और मध्य प्रदेश की मसूर की कीमतों में 50-50 रुपये की तेजी आकर भाव क्रमश: 7,300 रुपये और 7,500 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

चना की कीमतों में 100 रुपये की तेजी आकर लारेंस रोड़ पर राजस्थानी चना के दाम 5,200 से 5,225 रुपये और मध्य प्रदेश के चना के दाम 5,125 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

22 अक्टूबर 2021

मुंबई में दाल मिलों की कमजोर मांग से अरहर, उड़द, चना और काबुली चना मंदा, मसूर के दाम स्थिर

नई दिल्ली। दाल मिलों की हाजिर कमजोर होने के कारण शुक्रवार को मुंबई में आयातित अरहर, उड़द के साथ ही चना और काबुली चना की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई जबकि मसूर की कीमतें स्थिर बनी रही। व्यापारियों के अनुसार दालों की थोक के साथ ही खुदरा मांग त्यौहारी सीजन के बावजूद भी सामान्य के मुकबाले कमजोर देखी गई। साथ ही केंद्र सरकार द्वारा लगातार दालों की कीमतों की निगरानी के कारण भी मिलर्स केवल जरुरत के हिसाब से ही खरीद कर रहे हैं।

मुंबई में बर्मा की लेमन अरहर नई की कीमतों में 25 रुपये की गिरावट आकर भाव 6,100-6,125 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। मोजाम्बिक लाईन की गजरी अरहर के भाव 50 रुपये होकर दाम 5,400 रुपये प्रति क्विंटल और अरुषा अरहर की भाव भी 50 रुपये घटकर 5,450 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। सूडान की अरहर के भाव भी 100 रुपये घटकर 6,250 से 6,350 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। मटवारा किस्म की अरहर के भाव 5,400 से 5,450 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।
 

स्थानीय मिलों की मांग कमजोर बनी रहने से मुंबई में बर्मा उड़द एफएक्यू नई और पुरानी की कीमतों में 50-50 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमशः 7,075 रुपये और 6,975 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। व्यापारियों के अनुसार उड़द दाल में ग्राहकी सामान्य की तुलना में कमजोर है हालांकि कई राज्यों में हुई बारिश से खरीफ उड़द की फसल को नुकसान हुआ है। नेफेड मध्य प्रदेश में अपने पुराने स्टॉक की बिकवाली कर रही है।

स्थानीय मिलों की मांग घटने से मुंबई में सूडान के काबुली चना के भाव में 50 रुपये की गिरावट आकर भाव 5,150 से 5,250 रुपये प्रति क्विंटल रह गए, जबकि इस दौरान रुस के काबुली चना के दाम 4,750 से 4,950 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। काबुली चना के आयात पर 40 फीसदी आयात शुल्क होने के कारण आयात पड़ते नहीं लग रहे हैं।

इसी तरह से तंजानिया के चना में दाल मिल की हाजिर मांग कमजोर होने भाव में 25 रुपये की गिरावट आकर भाव 4,800-4,950 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।


दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने से कनाडा की मसूर के भाव मुंद्रा और हजीरा बंदरगाह पर क्रमश: 7,075 से 7,150 रुपये और 7,150 से 7,200 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। इसी तरह से कनाडा की मसूर के दाम मुंबई में 7,350 रुपये और आस्ट्रेलिया की मसूर के भाव 7,400 से 7,425 रुपये प्रति क्विंटल पर टिके रहे।

चालू रबी सीजन में सरसों की बुआई बढ़ी, चना की घटी

नई दिल्ली। चालू रबी सीजन में जहां सरसों की बुआई शुरूआती चरण में बढ़ी है, वहीं चना के साथ ही अन्य दालों की बुआई पिछे चल रही है। कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू रबी में फसलों की बुआई 21.37 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई 20.37 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

कृषि मंत्रालय के अनुसार सरसों की बुआई चालू रबी में बढ़कर 14.48 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुआई 11.31​ लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। सनफ्लवर, मूंगफली और सफ्लावर आदि की बुआई शुरूआती चरण में है।

रबी दलहन की प्रमुख फसल चना की बुआई चालू रबी में शुरूआती चरण में घटकर 2.32 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले रबी सीजन की समान अवधि में इसकी बुआई 3.88 लाख हेक्टेयर में हुई थी। दालों की कुल बुआई चालू रबी में 3.04 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले रबी सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई 4.70 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। मसूर की बुआई 13 हजार हेक्टेयर में, मटर की 20 हजार हेक्टेयर में और उड़द की 6 हजार हेक्टेयर में हुई है।

मोटे अनाजों की बुआई चालू रबी में 1.59 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 1.17 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।

21 अक्टूबर 2021

मुंबई में अरहर, मसूर, चना और काबुली चना के भाव घटे, उड़द के स्थिर

नई दिल्ली। दाल मिलों की हाजिर कमजोर होने के कारण बुधवार को मुंबई में आयातित अरहर, मसूर के साथ ही चना और काबुली चना की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई जबकि उड़द के दाम स्थिर बने रहे। 

 मुंबई में बर्मा की लेमन अरहर नई की कीमतों में 25 रुपये की गिरावट आकर भाव 6,200-6,225 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। दूसरी और मिलों की सीमित मांग से मोजाम्बिक लाईन की गजरी अरहर के भाव 50 रुपये होकर दाम 5,400 से 5,450 रुपये प्रति क्विंटल और अरुषा अरहर की भाव भी 50 रुपये घटकर 5,450 से 5,500 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। सूडान की अरहर के भाव भी 50 रुपये घटकर 6,400 से 6,450 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। मटवारा किस्म की अरहर के भाव 5,400 से 5,450 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

व्यापारियों के अनुसार हाजिर बाजार में अफ्रीका की सस्ती अरहर की उपलब्धता के साथ ही आगे आने वाली नीचे भाव की अरहर से कीमतों में बड़ी तेजी की उम्मीद नहीं है। अफ्रीका की अरहर की क्वालिटी हल्की है, तथा नमी की मात्रा भी ज्यादा है।

दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने से कनाडा की मसूर के भाव मुंद्रा और हजीरा बंदरगाह पर 50-50 रुपये कमजोर होकर क्रमश: 7,075 से 7,150 रुपये और 7,150 से 7,200 रुपये प्रति क्विंटल कमजोर रह गए। हालांकि, घरेलू बाजार में मसूर के स्टॉक में कमी के साथ ही आयातित मसूर की उपलब्धता भी कम होने एवं विश्व बाजार में दाम तेज होने के कारण आगे मसूर की कीमतों में सुधार बन सकता है। वैसे भी घरेलू बाजार में मसूर की नई फसल की आवक मार्च, अप्रैल मेें ही बनेगी।

तंजानिया के चना में दाल मिल की हाजिर मांग कमजोर होने भाव में 25 रुपये की गिरावट आकर भाव 4,800-4,975 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। हालांकि, नेफेड के साथ ही भारतीय खाद्य निगम, एफसीआई लगातार केंद्रीय पूल से चना की बिकवाली कर रही हैं। उधर, मध्य प्रदेश में नेफेड के द्वारा खरीदे हुए पुराने वर्ष-2018 और वर्ष-2019 चने का बकाया स्टॉक नगण्य है, जबकि वर्ष-2020 के चना की क्वालिटी हल्की है।

स्थानीय मिलों की मांग घटने से मुंबई में सूडान और रुस के काबुली चना के भाव में 50-50 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमश: 5,200 से 5,300 रुपये और 4,750 से 4,950 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। काबुली चना के आयात पर 40 फीसदी आयात शुल्क होने के कारण आयात पड़ते नहीं लग रहे हैं।

स्थानीय मिलों की सीमित खरीद से मुंबई में बर्मा उड़द एफएक्यू नई और पुरानी की कीमतें क्रमशः 7,125 रुपये और 7,025 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बनी रही। व्यापारियों के अनुसार उड़द दाल में ग्राहकी सामान्य की तुलना में कमजोर है जबकि कई राज्यों में हुई बारिश से खरीफ उड़द की फसल को नुकसान हुआ है। अत: हल्के मालों की आवक ज्यादा होने से अभी कीमतों पर दबाव बना रहेगा।

19 अक्टूबर 2021

विदेश के साथ ही घरेलू बाजार में दाल की कीमतें नरम, अभी तेजी की उम्मीद नहीं

नई दिल्ली। विदेशी बाजार के साथ ही घरेलू बाजार में दालों की कीमतों में गिरावट आई है। स्थानीय एवं निर्यातकों की मांग कमजोर होने के कारण मंगलवार को बर्मा में उड़द एफएक्यू और एसक्यू की कीमतों में पांच-पांच डॉलर की गिरावट आकर भाव क्रमश: 905 डॉलर और 1,050 डॉलर प्रति टन, सीएंडएफ रह गए। इस दौरान लेमन और लिंकी की कीमतें क्रमश: 800-800 डॉलर प्रति टन, सीएंडएफ पर स्थिर बनी रही।

व्यापारियों के अनुसार त्यौहारी सीजन के बावजूद भी घरेलू बाजार में दालों की कीमतों में नरमी दर्ज की गई। मिलर्स इस समय केवल जरुरत के हिसाब से ही दालों की खरीद कर रहे हैं, जबकि अफ्रीका से आयातित अरहर की क्वालिटी काफी हल्की है। साथ ही घरेलू बाजार में अरहर दाल में मांग सामान्य की तुलना में कमजोर है। उत्पादक मंडियों में खरीफ उड़द की जो आवक हो रही है, उसकी क्वालिटी काफी हल्की है, तथा इसमें दागी एवं नमी युक्त माल ज्यादा आने के कारण कीमतों पर दबाव देखा जा रहा है। जानकारों के अनुसार अरहर और उड़द की कीमतों में घरेलू बाजार में सीमित तेजी, मंदी ही बनी रहने का अनुमान है। मसूर की कीमतों में हल्की नरमी आई है लेकिन व्यापारी इसमें ज्यादा मंदे में नहीं है, क्योंकि विदेश में भाव तेज होने के कारण आयात पड़ते महंगे हैं।

दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने के कारण दिल्ली में बर्मा की लेमन अरहर नई के साथ पुरानी के भाव में 50 से 100 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमश: 6,600 रुपये और 6,400 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

उधर, मुंबई में बर्मा की लेमन अरहर नई की कीमतों में 25 रुपये की गिरावट आकर भाव 6,250-6,275 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। दूसरी और मिलों की सीमित मांग से मटवारा किस्म की अरहर के भाव 5,400 से 5,450 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। इसी तरह से मोजाम्बिक लाईन की गजरी अरहर के भाव 5,450 से 5,500 रुपये प्रति क्विंटल और अरुषा अरहर की भाव 5,500 से 5,550 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। सूडान की अरहर के भाव 6,450 से 6,500 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।

दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने से दिल्ली में बर्मा उड़द एसक्यू पुरानी और नई की कीमतों में 25-25 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमश: 8,125 रुपये और 8,150 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। हालांकि उड़द एफएक्यू के भाव में इस दौरान 25 रुपये की तेजी आकर भाव 7,225 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। महाराष्ट्र लाईन की नई उड़द के भाव दिल्ली में क्वालिटीनुसार 6,000-7,200 रुपये प्रति क्विंटल रहे।

स्थानीय मिलों की सीमित मांग से मुंबई में बर्मा उड़द एफएक्यू नई और पुरानी के  भाव क्रमशः 7,075 रुपये और 6,975 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। व्यापारियों के अनुसार उड़द दाल में ग्राहकी कमजोर है लेकिन कई राज्यों में हुई बारिश से खरीफ उड़द की फसल को नुकसान हुआ है।

दाल मिलों की हाजिर मांग घटने से दिल्ली में मध्य प्रदेश और कनाडा की मसूर की कीमतों में 25-25 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमश: 7,750 रुपये और 7,550 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने से कनाडा की मसूर के भाव मुंबई, मुंद्रा और हजीरा बंदरगाह के साथ ही आस्ट्रेलियाई मसूर के दाम मुंबई में 50 से 75 रुपये प्रति क्विंटल कमजोर हो गए।

मुंबई में तंजानिया के चना में दाल मिल की सीमित मांग से भाव 4,850-5,000 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। हालांकि, नेफेड के साथ ही भारतीय खाद्य निगम, एफसीआई लगातार केंद्रीय पूल से चना की बिकवाली कर रही हैं।

मुंबई में रुस और सूडान के काबुली चना के भाव क्रमश: 4,800 से 5,000 रुपये और 5,250 से 5,350 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। काबुली चना के आयात पर 40 फीसदी आयात शुल्क होने के कारण आयात पड़ते नहीं लग रहे हैं।

18 अक्टूबर 2021

बर्मा और सूडान की अरहर मुंबई में तेज, कनाडा की मसूर के भाव हजिरा बंदरगाह पर बढ़े

नई दिल्ली। दाल मिलों की हाजिर बढ़ने के कारण सोमवार को मुंबई में बर्मा और सूडान की अरहर के भाव तेज हो गए, जबकि कनाडा की मसूर की कीमतों में हजिरा बंदगाहर पर सुधार आया।

दालों की थोक के साथ ही खुदरा मांग सीमित मात्रा में ही बनी हुई है। हालांकि त्यौहारी सीजन के कारण आगे इनकी मांग में सुधार आने का अनुमान है।

मुंबई में बर्मा की लेमन अरहर नई की कीमतों में 50 रुपये की तेजी आकर भाव 6,300 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। इसी तरह से सूडान की अरहर के भाव भी 50 रुपये बढ़कर 6,450 से 6,500 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। दूसरे और मिलों की सीमित मांग से मटवारा किस्म की अरहर के भाव 5,400 से 5,450 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। इसी तरह से मोजाम्बिक लाईन की गजरी अरहर के भाव 5,400 रुपये प्रति क्विंटल और अरुषा अरहर की भाव 5,500 से 5,550 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

जानकारों के अनुसार मिलर्स बर्मा की अरहर के साथ ही देसी अरहर की खरीद, अफ्रीका की अरहर की तुलना में ज्यादा कर रहे हैं। हाजिर बाजार में अफ्रीका की सस्ती अरहर की उपलब्धता के साथ ही आगे आने वाली नीचे भाव की अरहर से कीमतों में बड़ी तेजी की उम्मीद नहीं है। अफ्रीका की अरहर की क्वालिटी हल्की है, तथा नमी की मात्रा भी ज्यादा है।

अफ्रीका से 6,853.704 टन मलावी अरहर और 25,385.307 टन मोज़ाम्बिक अरहर लेकर आए वेसल से 18 अक्टूबर तक 19,089 टन माल को मुंबई बंदरगाह पर डिस्चार्ज कर दिया है।

एक वेसल जोकि 1,953.900 टन मोज़ाम्बिक मूंग और 27,617.625 टन मोज़ाम्बिक अरहर लेकर आया हुआ है, इस वैसल से मुंबई बंदरगाह पर 18 अक्टूबर 6,480 टन माल को मुंबई बंदरगाह पर डिस्चार्ज कर दिया है।

दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने से कनाडा की मसूर के भाव हजीरा बंदरगाह पर 25 रुपये प्रति क्विंटल तेज होकर भाव 7,300-7,375 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। हालांकि सूत्रों के अनुसार, नेफेड आयातकों से लगातार मसूर की खरीद हाजिर बाजार से कर रही है लेकिन व्यापारियों को डर है कि कहीं नेफेड आगे खरीद हुई मसूर को नीचे दाम पर न बेच दे।

मुंबई में बर्मा उड़द एफएक्यू नई और पुरानी की कीमतें क्रमशः 7,075 रुपये और 6,975 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बनी रही। व्यापारियों के अनुसार उड़द दाल में ग्राहकी कमजोर है हालांकि कई राज्यों में हुई बारिश से खरीफ उड़द की फसल को नुकसान हुआ है जिस कारण क्वालिटी काफी हल्की आ रही है।

तंजानिया के चना में दाल मिल की सीमित मांग से भाव 4,800-5,000 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। नेफेड के साथ ही भारतीय खाद्य निगम, एफसीआई लगातार केंद्रीय पूल से चना की बिकवाली कर रही हैं।

स्थानीय मिलों की सीमित मांग से मुंबई में रुस और सूडान के काबुली चना के भाव क्रमश: 4,800 से 5,000 रुपये और 5,250 से 5,350 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। काबुली चना के आयात पर 40 फीसदी आयात शुल्क होने के कारण आयात पड़ते नहीं लग रहे हैं।

13 अक्टूबर 2021

दिल्ली में बर्मा की अरहर के भाव बढ़े, अन्य दालों की कीमतें स्थिर

नई दिल्ली। नीचे दाम पर स्टॉकिस्टों की बिकवाली कम आने के कारण बुधवार को दिल्ली के नया बाजार में बर्मा की अरहर के भाव में सुधार आया, जबकि अन्य दालों की कीमतें स्थिर बनी रही।  

व्यापारियों के बाजार में धन की तंगी होने के कारण त्यौहारी सीजन के पहले दालों की खुदरा और थोक मांग कमजोर बनी हुई है। इसके अलावा, सरकारी नीतियों में बदलाव और हस्तक्षेप के कारण व्यापार सीमित मात्रा में ही हो रहा है। मिलर्स, व्यापारी और स्टॉकिस्ट केवल जरुरत के हिसाब ही खरीद कर रहे हैं।

दाल मिलों की हाजिर मांग सुधरने से दिल्ली में बर्मा की लेमन अरहर नई के साथ ही पुरानी के भाव में 50—50 रुपये की तेजी आकर भाव 6,350 रुपये और 6,500 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। हालांकि, हाजिर बाजार में अफ्रीका की अरहर सस्ती है, साथ ही उसकी क्वालिटी भी काफी हल्की है, जबकि आगे आयातित अरहर की आवक भी बढ़ेगी, इसलिए इसकी कीमतों में बड़ी तेजी की उम्मीद नहीं है।

दाल मिलों की हाजिर सीमित होने के कारण दिल्ली में बर्मा उड़द एसक्यू पुरानी और नई की कीमतें क्रमश: 8,075 से 8,100 रुपये और 8,125 से 8,150 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। इसी तरह उड़द एफएक्यू के भाव भी 7,150 रुपये प्रति क्विंटल टिके रहे।

नेफेड मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में उड़द के पुराने स्टॉक की बिकवाली कर रही है।

दाल मिलों की कमजोर मांग से दिल्ली में मध्य प्रदेश और कनाडा की मसूर के भाव क्रमश: 7,600 रुपये और 7,450 रुपये प्रति क्विंटल स्थिर बने रहे।

सूत्रों के अनुसार, नेफेड ने आयातित मसूर की खरीद हाजिर बाजार से कर रही है लेकिन व्यापारियों को डर है कि नेफेड आगे इसके भाव घटाकर बिकवाली कर सकती है।

सरकार ने खाद्य तेलों पर आयात शुल्क में कटौती की

नई दिल्ली। खाद्य तेलों की कीमतों में तेजी रोकने के लिए केंद्र सरकार लगातार कदम उठा रही है। इसी कड़ी में आज सरकार ने सोया पर कृषि उपकर, एग्री सेस को 20 फीसदी घटाकर 5 फीसदी कर दिया। इसी तरह से सीपीओ पर 20 फीसदी से घटाकर 7.5 फीसदी कर दिया।

सोया पर डयूटी कट अब 15 फीसदी और सीपीओ पर 12.5 फीसदी है।

12 अक्टूबर 2021

मिलों की कमजोर मांग से दिल्ली में बर्मा की अरहर, उड़द एवं मसूर में मंदा

नई दिल्ली। दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने के कारण मंगलवार को दिल्ली में बर्मा की अरहर, उड़द के साथ ही मसूर की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई।

व्यापारियों के बाजार में धन की तंगी होने के कारण त्यौहारी सीजन के पहले दालों की खुदरा और थोक मांग कमजोर बनी हुई है। इसके अलावा, सरकारी नीतियों में बदलाव और हस्तक्षेप के कारण व्यापार सीमित मात्रा में ही हो रहा है। मिलर्स, व्यापारी और स्टॉकिस्ट केवल जरुरत के हिसाब ही खरीद कर रहे हैं।

आने वाले दिनों में उत्पादक मंडियों में खरीफ फसलों की आवक बढ़ने की उम्मीद है क्योंकि त्यौहारी सीजन शुरू हो रहा है, जिस कारण किसानी माल की बिकवाली बढ़ेगी, किसानों को रबी फसलों की बुआई के लिए भी पैसों की जरूरत पड़ेगी। इसके अलावा विदेशों से दाल की आपूर्ति का दबाव भी बना रहेगा।

दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने के कारण दिल्ली में बर्मा की लेमन अरहर नई के भाव में 50 रुपये की गिरावट आकर भाव 6,450 रुपये प्रति क्विंटल रह गए, जबकि पुरानी के दाम इस दौरान 6,300 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

हाजिर बाजार में अफ्रीका की अरहर सस्ती है, साथ ही आगे आयातित अरहर की आवक भी बढ़ेगी, इसलिए इसकी कीमतों पर दबाव देखा गया। इसके अलावा, अफ्रीका की अरहर में नमी की मात्रा 22-23 फीसदी से ज्यादा होने के कारण क्वालिटी हल्की है।

दाल मिलों की हाजिर खरीद कमजोर होने के कारण दिल्ली में बर्मा उड़द एसक्यू पुरानी और नई की कीमतों में 50-100 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमश: 8,075 रुपये और 8,100 से 8,125 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। इसी तरह उड़द एफएक्यू के भाव में भी 50 रुपये की गिरावट आकर भाव 7,125 से 7,150 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। महाराष्ट्र लाईन की नई उड़द के भाव क्वालिटीनुसार 6,000 से 7,500 रुपये प्रति क्विंटल पर व्यापार कर रहे हैं। इसके अलावा, नेफेड मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में उड़द के पुराने स्टॉक की बिकवाली कर रही है।

इस बीच, नई खरीफ उड़द की जो आवक मंडियों में हो रही है, उसकी क्वालिटी काफी हल्की है जबकि मिलर्स एवं व्यापारी अच्छी गुणवत्ता की नई उड़द खरीद रहे हैं। खरीफ की उड़द की कटाई के दौरान बारिश और कीटों के हमले के कारण क्वालिटी के साथ उत्पादकता में कई क्षेत्रों में 50-60 फीसदी तक का नुकसान होने के कारण अच्छी क्वालिटी की उड़द की कीमतों में ज्यादा मंदे की उम्मीद नहीं है।

दाल मिलों की कमजोर मांग से दिल्ली में मध्य प्रदेश की मसूर की कीमतों में 100 रुपये की गिरावट आकर भाव 7,600 रुपये प्रति क्विंटल रह गए, जबकि कनाडा की मसूर के दाम इस दौरान 7,450 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।
नेफेड ने आयातित मसूर की खरीद हाजिर बाजार से कर रही है लेकिन व्यापारियों को डर है कि नेफेड आगे इसके भाव घटाकर बिकवाली कर सकती है।

08 अक्टूबर 2021

दाल मिलों की कमजोर मांग से दिल्ली में कनाडा की मसूर नरम, अन्य दालों के दाम स्थिर

नई दिल्ली। दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने के कारण गुरूवार को दिल्ली के नया बाजार में कनाडा की मसूर के भाव में नरमी दर्ज की गई जबकि अन्य दालों के दाम स्थिर बने रहे। व्यापारियों के अनुसार त्यौहारी सीजन के पहले दालों की खुदरा और थोक मांग कमजोर बनी रही लेकिन आगे इनकी मांग में सुधार बन सकता है इसलिए मसूर में व्यापारी ज्यादा मंदे में नहीं है।  

दाल मिलों की कमजोर मांग से दिल्ली में कनाडा की मसूर की कीमतों में 50 रुपये की गिरावट आकर भाव 7,550 रुपये प्रति क्विंटल रह गए, जबकि मध्य प्रदेश की मसूर के भाव 7,800 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। सूत्रों के अनुसार, नेफेड ने आयातित मसूर की खरीद हाजिर बाजार से कर रही है लेकिन व्यापारियों को डर है कि नेफेड आगे इसके भाव घटाकर बिकवाली कर सकती है।

दाल मिलों की सीमित खरीद के कारण दिल्ली में बर्मा की लेमन अरहर पुरानी और नई के भाव क्रमश: 6,450 से 6,475 रुपये और 6,600 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

दाल मिलों की हाजिर खरीद कम होने के कारण दिल्ली में बर्मा उड़द एसक्यू पुरानी और नई की कीमतें क्रमश: 8,100 से 8,125 रुपये और 8,150 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बनी रही। इसी तरह उड़द एफएक्यू के भाव भी 7,150 से 7,175 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। महाराष्ट्र लाईन की नई उड़द के भाव में क्वालिटीनुसार 7,400-7,700 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर व्यापार हुआ।

07 अक्टूबर 2021

दाल मिलों की कमजोर मांग से अधिकांश आयातित दालों की कीमतें मुंबई में घटी

नई दिल्ली। दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने के कारण गुरूवार को मुंबई में शुरूआती कारोबार में बर्मा की अरहर, उड़द के साथ ही मसूर और तंजानियां के चना एवं काबुली चना की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई।  त्यौहारी सीजन शुरू होने से पहले दालों की थोक के साथ ही खुदरा मांग कमजोर ही बनी हुई है।

दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने के कारण बर्मा की लेमन अरहर नई के साथ ही पुरानी की कीमतों में 50-50 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमश: 6,250 रुपये और 6,150 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

दूसरी और मुंबई में मोजाम्बिक लाईन की गजरी अरहर के भाव 5,450 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। इस दौरान तंजानिया की अरुषा अरहर के साथ ही सूडान की अरहर के भाव क्रमश: 5,650 से 5,700 रुपये और 6,500 से 6,550 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। मटवारा की अरहर के भाव 5,600 से 5,650 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

 व्यापारियों के अनुसार हाजिर बाजार में अफ्रीका की सस्ती अरहर की उपलब्धता के साथ ही आगे आने वाली नीचे भाव की अरहर से कीमतों में हल्का सुधार ही आया। जानकारों के अनुसार नमी ज्यादा होने के कारण अफ्रीका की अरहर की क्वालिटी हल्की है। अफ्रीकी अरहर का वैसल मुंबई पहुंचा है।

स्थानीय मिलों की कमजोर मांग से मुंबई में बर्मा उड़द एफएक्यू नई और पुरानी की कीमतों में 25-25 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमशः 7,000 से 7,025 रुपये और 6,900 से 6,925 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। व्यापारियों के अनुसार उड़द दाल में ग्राहकी कमजोर है लेकिन कई राज्यों में हुई बारिश से खरीफ उड़द की फसल को नुकसान हुआ है। नेफेड मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में अपने पुराने स्टॉक की बिकवाली कर रही है।

नई खरीफ उड़द की जो आवक उत्पादक मंडियों में हो रही है, उसकी क्वालिटी काफी हल्की जबकि मिलर्स और व्यापारी अच्छी क्वालिटी की नई उड़द की खरीद कर रहे हैं।  बारिश और कीटों के हमले से खरीफ उड़द की फसल को कई क्षेत्रों में 50 से 60 फीसदी तक नुकसान होने की आशंका है, साथ ही नई फसल में नमी की मात्रा भी 20 से 25 फीसदी की आ रही है, अत: अच्छी क्वालिटी की उड़द में मिलों की मांग बनी रहने की उम्मीद है।

कनाडा की मसूर के भाव में मुंद्रा और हजीरा बंदरगाह पर 50-50 रुपये की गिरावट आकर कीमतें क्रमश: 7,200-7,250 रुपये और 7,250-7,300 रुपये प्रति क्विंटल रह गई। हालांकि नेफेड आयातकों से लगातार मसूर की खरीद हाजिर बाजार से कर रही है।

तंजानिया के चना में दाल मिल की हाजिर मांग कमजोर होने से भाव में 25 रुपये की तेजी आकर भाव 4,850 से 5,050 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। नेफेड के साथ ही भारतीय खाद्य निगम, एफसीआई लगातार केंद्रीय पूल से चना की बिकवाली कर रही हैं।

स्थानीय मिलों की हाजिर कमजोर होने के कारण मुंबई में सूडान और रुस के काबुली चना के भाव में 50-50 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमश: 5,450 से 5,600 रुपये और 4,850 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। काबुली चना के आयात पर 40 फीसदी आयात शुल्क होने के कारण आयात पड़ते नहीं लग रहे हैं।

06 अक्टूबर 2021

मूंग, उड़द और सोयाबीन की खरीद राजस्थान से पहली नवंबर को होगी शुरू

नई दिल्ली। चालू खरीफ विपणन सीजन 2021-22 में राजस्थान की मंडियों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर मूंग, उड़द और सोयाबीन की खरीद पहली नवंबर 2021 से शुरू होगी, जबकि मूंगफली की एमएसपी पर खरीद 18 नवंबर से शुरू की जायेगी।

सूत्रों के अनुसार केन्द्र सरकार ने राज्य के किसानों से 3.61 लाख टन मूंग, 61,807 टन उडद, 2.93 लाख सोयाबीन तथा 4.27 लाख टन मूंगफली की खरीद के लिए मंजूरी दी हुई है। मूंग की एमएसपी पर खरीद के लिए राज्य में 357 खरीद केंद्र, उड़द के लिए 168 खरीद केंद्र, मूंगफली के लिए 257 खरीद केंद्र एवं सोयाबीन के लिए 86 खरीद केन्द्र चिह्नित किए गए हैं।

केंद्र सरकार ने खरीफ विपणन सीजन 2021-22 के लिए मूंग का एमएसपी 7,275 रुपये एवं उड़द का एमएसपी 6,300 रुपये, मूंगफली का 5,500 रुपये एवं सोयाबीन का एमएसपी 3,950 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है।

स्थानीय मिलों की कमजोर मांग से बर्मा की अरहर एवं उड़द के साथ ​ही मसूर के भाव दिल्ली में नरम

नई दिल्ली। दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने के कारण बुधवार को दिल्ली के नया बाजार में बर्मा की अरहर एवं उड़द के साथ ​ही मसूर के भाव में नरमी दर्ज की गई। व्यापारियों के अनुसार त्यौहारी मांग के कारण चालू महीने के मध्य तक दालों की मांग में बढ़ोतरी होने का अनुमान है।

दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने के कारण दिल्ली में बर्मा की लेमन अरहर पुरानी और नई के भाव में 25-25 रुपये की गिरावट आकर भाव 6,450 से 6,475 रुपये और 6,600 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। हाजिर बाजार में अफ्रीका की अरहर सस्ती है, साथ ही आगे आयातित अरहर की आवक भी बढ़ेगी, इसलिए इसकी कीमतों पर दबाव देखा गया। इसके अलावा, अफ्रीका की अरहर में नमी ज्यादा होने के कारण हल्की क्वालिटी है।

दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने के कारण दिल्ली में बर्मा उड़द एसक्यू पुरानी और नई की कीमतों में 25-50 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमश: 8,100 से 8,125 रुपये और 8,150 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। इसी तरह उड़द एफएक्यू के भाव में भी 25 रुपये की गिरावट आकर भाव 7,150 से 7,175 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। महाराष्ट्र लाईन की नई उड़द के भाव क्वालिटीनुसार 7,400-7,700 रुपये प्रति क्विंटल पर व्यापार कर रहे हैं। नेफेड मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में अपने पुराने स्टॉक की लगातार बिकवाली कर रही है।

हालांकि, नई खरीफ उड़द की मंडियों में जो आवक हो रही है, उसकी क्वसालिटी काफी हल्की है, जबकि मिलर्स और व्यापारी अच्छी क्वालिटी की नई उड़द की खरीद कर रहे हैं। बारिश और कीटों के हमले से खरीफ उड़द की फसल को कई क्षेत्रों में 50 से 60 फीसदी तक नुकसान होने की आशंका है, साथ ही नई फसल में नमी की मात्रा भी 20 से 25 फीसदी की आ रही है, अत: अच्छी क्वालिटी की उड़द में मिलों की मांग बनी रहने की उम्मीद है।

दाल मिलों की कमजोर मांग से दिल्ली में मध्य प्रदेश की मसूर की कीमतों में 25 रुपये की गिरावट आकर भाव 7,800 रुपये प्रति क्विंटल रह गए, जबकि कनाडा की मसूर के भाव 7,600 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। सूत्रों के अनुसार, नेफेड ने आयातित मसूर की खरीद हाजिर बाजार से कर रही है।