नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने कॉटन के आयात पर लगने वाले 11 फीसदी शुल्क को शून्य कर दिया है, साथ ही सीसीआई ने मंगलवार को कॉटन की बिक्री कीमतों में 600 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी 356 किलो की कटौती कर दी है। इससे घरेलू बाजार में कॉटन की कीमतों पर दबाव है।
केंद्र सरकार ने घरेलू कपड़ा एवं परिधान उद्योग को अल्पकालीन राहत प्रदान करने के उद्देश्य से कॉटन के आयात को मौजूदा 11 फीसदी शुल्क को 42 दिनों की सीमित अवधि, 30 सितंबर तक छूट दे दी। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड ने आयात शुल्क को तत्काल प्रभाव से हटा दिया है। यह कदम उद्योग की बढ़ती इनपुट लागत और कपड़ा उत्पादों पर अमेरिका द्वारा लगाए गए उच्च शुल्कों के प्रभाव को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच उठाया गया है।
केंद्र सरकार के अनुसार इस उपाय से संपूर्ण कपड़ा मूल्य श्रृंखला धागा, कपड़ा एवं वस्त्र उद्योग को लाभ होने की उम्मीद है। हालांकि उद्योग के विशेषज्ञों का मानना है कि तत्काल लाभ सीमित हो सकता है। आयातकों के अनुसार अमेरिका, ब्राजील और पश्चिम अफ़्रीकी देशों जैसे प्रमुख आपूर्तिकर्ताओं से प्राप्त कॉटन को शिपिंग और हैंडलिंग प्रक्रिया के कारण भारतीय बंदरगाहों तक पहुँचने में आमतौर पर 40-50 दिन लगते हैं। केंद्र सरकार ने शुल्क छूट केवल 30 सितंबर तक ही मान्य होने के कारण, यह छूट संभवतः उन्हीं के लिए फायदेमंद होगी जोकि पहले से सौदे हो चुके हैं ना कि नए होने वाले सौदों के लिए।
उद्योग विशेषज्ञों के अनुसार इस छोटी सी अवधि में केवल 1.0 से 1.5 लाख गांठ, एक गांठ 170 किलो की ही आयात में बढ़ोतरी हो सकती है।
कॉटन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) ने मंगलवार के कॉटन की बिक्री कीमतों में 600 रुपये प्रति कैंडी की कटौती कर दी। यह कदम सरकार द्वारा 30 सितंबर तक कॉटन के आयात शुल्क हटाने के फैसले के बाद उठाया गया है।
सीसीआई द्वारा संशोधित निविदा भाव फसल सीजन 2024-25 की खरीदी कॉटन के लिए 54,300 रुपये से 58,000 रुपये प्रति कैंडी के बीच तय गई हैं, जो कि स्टेपल लेंथ और वैरायटी पर निर्भर करता है
अकोला में 30 एमएम की कॉटन की बिक्री निविदा 57,400 प्रति कैंडी तय की गई हैं, जबकि आदिलाबाद में 31 एमएम की कॉटन की बिक्री निविदा 58,000 प्रति कैंडी तय की गई। गुजरात के राजकोट और अहमदाबाद में कॉटन के बिक्री दाम 55,900 से 57,400 रुपये प्रति कैंडी के बीच तय किए गए हैं।
व्यापारियों के अनुसार आयात शुल्क हटने से विदेशी कॉटन सस्ती हो गई है, जिससे घरेलू बाजार में इसकी कीमतों पर दबाव बन गया है। यही कारण है कि सीसीआई को बिक्री कीमतों में कटौती करनी पड़ी। माना जा रहा है कि आगे सीसीआई बिक्री कीमतों में और भी कटौती कर सकती है।

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