नई दिल्ली। व्यापारी सीसीआई से खरीदी हुई कॉटन दाम घटाकर बेच रहे हैं, जिससे घरेलू बाजार में इसकी कीमतों पर दबाव है। गुजरात में सोमवार को कॉटन की कीमतों में 200 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो का मंदा आया, जबकि उत्तर भारत के राज्यों में इसके दाम स्थिर से तेज हुए।
सूत्रों के अनुसार सीसीआई पहली अगस्त तक चालू सीजन 2024-25 की खरीदी करीब 66.71 लाख गांठ, एक गांठ 170 किलो कॉटन की बिक्री घरेलू बाजार में कर चुकी है तथा इसमें से व्यापारियों ने भारी मात्रा में खरीद की थी। अमेरिका द्वारा भारत से आयात पर टैरिफ दर 25 फीसदी करने के साथ ही हाल ही में विश्व बाजार में कॉटन की कीमतों में आई गिरावट को देखते हुए रिसेलर सक्रिय हुए हैं, जिस कारण घरेलू बाजार में कॉटन की कीमतों पर दबाव बढ़ा है।
गुजरात के अहमदाबाद में 29 शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव सोमवार को 200 रुपये कमजोर होकर 56,000 से 57,000 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो रह गए।
पंजाब में रुई हाजिर डिलीवरी के भाव 5,960 से 5,970 रुपये प्रति मन बोले गए। हरियाणा में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव 5,750 से 5,850 रुपये प्रति मन बोले गए। ऊपरी राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के दाम 5,850 से 6,020 रुपये प्रति मन बोले गए।लोअर राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के दाम 57,400 से 57,500 रुपये कैंडी बोले गए। देशभर की मंडियों में कपास की आवक 6,000 गांठ, एक गांठ-170 किलो की हुई।
स्पिनिंग मिलों की मांग कमजोर होने के कारण गुजरात में कॉटन की कीमत कमजोर हो गई, जबकि उत्तर भारत में इसके दाम स्थिर से तेज हुए। व्यापारियों के अनुसार विश्व बाजार में हाल ही में कॉटन के दाम नीचे बने हुए है, जिस कारण इसके आयात में पड़ते लग रहे हैं। वैसे भी स्पिनिंग मिलों के पास कॉटन का बकाया स्टॉक अच्छा है, जबकि घरेलू बाजार में यार्न में उठाव कमजोर है। हालांकि कॉटन का बकाया स्टॉक प्राइवेट बाजार में कम है। इसके बावजूद भी अभी कॉटन की कीमतों में बड़ी तेजी के आसार कम है। उत्तर भारत के राज्यों में कपास की नई फसल की आवक अगले महीने शुरू हो जायेगी।
कृषि मंत्रालय के अनुसार 25 जुलाई तक चालू खरीफ सीजन देशभर में कपास की बुआई 2.25 फीसदी कम होकर 103.15 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 105.52 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी।

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