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21 अगस्त 2025

चालू तेल वर्ष के पहले 9 महीनों में खाद्वय एवं अखाद्य तेलों का आयात 9 फीसदी कम - एसईए

नई दिल्ली। चालू तेल वर्ष के पहले 9 महीनों नवंबर-24 से जुलाई-25 के दौरान देश में खाद्वय एवं अखाद्य तेलों का आयात 9 फीसदी कम होकर 11,013,634 टन का ही हुआ है, जबकि पिछले तेल वर्ष की समान अवधि में इनका आयात 12,124,182 टन का हुआ था।


सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अनुसार चालू तेल वर्ष 2024-25 के जुलाई 2025 में खाद्वय एवं अखाद्य तेलों का आयात 17 फीसदी कम होकर 1,579,041 टन का ही हुआ है, जबकि पिछले साल जुलाई में इनका आयात 1,895,076 टन का हुआ था। इस दौरान खाद्वय तेलों का आयात 1,548,041 टन का एवं अखाद्य तेलों का आयात 31,000 टन का हुआ है।

इसके अलावा नेपाल से साफ्टा समझौते के तहत देश में मुख्य रूप से रिफाइंड सोया तेल और सूरजमुखी तेल तथा थोड़ी मात्रा में आरबीडी पामोलिन और रेपसीड तेल का आयात शून्य शुल्क पर हुआ है। नवंबर 2024 से जून 2025 (8 महीने) के दौरान नेपाल से कुल आयात 5.21 लाख टन का हुआ।

अत: नवंबर 2024 से जुलाई 2025 के दौरान देश में कुल खाद्य तेलों का आयात 107.56 लाख टन + नेपाल से 5.21 लाख टन को मिलाकर कुल आयात 112.77 लाख टन का हुआ है।

एसईए के अनुसार सीपीओ और आरबीडी पामोलिन के बीच आयात शुल्क के अंतर को 8.25 फीसदी से बढ़ाकर 19.25 फीसदी करने के बाद, 31 मई, 2025 से रिफाइंड तेल के आयात पड़ते महंगे हुए है। अत: जुलाई 2025 के दौरान इसका आयात लगभग 5,000 टन कम हो गया, जबकि पिछले महीने जून 2025 में 1.63 लाख टन और पिछले साल जुलाई 2024 में 1.36 लाख टन का आयात हुआ था। शुल्क अंतर बढ़ाने का केंद्र सरकार का फैसला एक साहसिक और समय पर उठाया गया कदम है। उसने रिफाइंड पामोलिन के आयात को हतोत्साहित करना शुरू कर दिया है और मांग को वापस क्रूड तेल की ओर मोड़ दिया है। घरेलू रिफाइनिंग उद्योग को इसका फायदा मिलेगा।

चालू तेल वर्ष की पहली तिमाही (नवंबर 2024 - जनवरी 2025) के दौरान सोया और सूरजमुखी तेल के अधिक आयात के कारण कुल खाद्वय तेलों का आयात 6 फीसदी बढ़ा। दूसरी तिमाही (फरवरी 2025 - अप्रैल 2025) में आरबीडी पामोलिन और सीपीओ की ऊंची कीमतों के कारण खाद्वय तेलों का आयात 20 फीसदी कम हुआ और तीसरी तिमाही (मई 2025 - जुलाई 2025) में, खाद्वय तेलों का आयात बढ़कर 43.15 लाख टन हो गया। हालांकि पिछले वर्ष की तीसरी तिमाही की तुलना में इसमें 13 फीसदी की गिरावट आई है, जिसका मुख्य कारण पिछले वर्ष जुलाई 2024 में 18.6 लाख टन का रिकॉर्ड आयात हुआ था।

कृषि मंत्रालय के अनुसार 8 अगस्त 2025 तक, खरीफ तिलहनी फसलों की बुआई घटकर 171.03 लाख हेक्टेयर में हुई है, जो कि पिछले वर्ष के 178.14 लाख हेक्टेयर की तुलना में 7.11 लाख हेक्टेयर कम है। इस दौरान मूंगफली की बुआई 41.56 लाख हेक्टेयर (पिछले वर्ष के 43.45 लाख हेक्टेयर की तुलना में कम), सोयाबीन की 118.54 लाख हेक्टेयर ( पिछले साल की समान अवधि के 123.45 लाख हेक्टेयर की तुलना में कम) और कपास की 105.87 लाख हेक्टेयर में (पिछले साल के 108.43 लाख हेक्टेयर की तुलना में कम) है। सोयाबीन और कपास की बुआई में कमी का कारण मक्का की बुआई में हुई बढ़ोतरी है।

जून के मुकाबले जुलाई में आयातित खाद्वय तेलों के दाम भारतीय बंदरगाह पर तेज हुए हैं। जुलाई में आरबीडी पामोलिन का भाव भारतीय बंदरगाह पर बढ़कर 1,052 डॉलर प्रति टन हो गया, जबकि जून में इसका भाव 1,006 डॉलर प्रति था। इसी तरह से क्रूड पाम तेल का भाव भारतीय बंदरगाह पर जुलाई में बढ़कर 1,095 डॉलर प्रति टन हो गया, जबकि जून में इसका भाव 1,055 डॉलर प्रति टन था। क्रूड सोया तेल का भाव जून में भारतीय बंदरगाह पर 1,122 डॉलर प्रति टन था, जोकि जुलाई में बढ़कर 1,191 डॉलर प्रति टन हो गया। 

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