नई दिल्ली। भारतीय खाद्वय तेल रिफाइनर्स का कहना है कि नेपाल से सोया, सनफ्लावर और पाम तेल का री-एक्सपोर्ट तेजी से बढ़ रहे हैं। ये तेल क्रूड फर्म में थर्ड कंट्रीज से आयात करके नेपाल में सीमित स्तर की प्रोसेसिंग के बाद साउथ एशियन फ्री ट्रेड एरिया (साफ्टा) के तहत ड्यूटी-फ्री शुल्क में भारत को आयात हो रहा हैं। इससे घरेलू रिफाइनिंग मार्जिन और किसानों की आय पर सीधा प्रेशर पड़ रहा है, क्योंकि नॉन साफ्टा ओरिजिन्स पर लगने वाले हाई टैरिफ यहां समाप्त हो जाते हैं।
नेपाल से पहले 10 महीनों में खाद्वय तेल निर्यात में तेजी आई ह। सिर्फ भारत को सोया तेल निर्यात 0.56 अरब अमेरिकी डॉलर (मात्रा 3,74,086 टन) और सनफ्लावर ऑयल 71.19 मिलियन अमेरिकी डॉलर (मात्रा 4,57,760 टन) का हुआ है। इन री-एक्सपोर्ट के लिए क्रूड तेल ज्यादातर अर्जेंटीना, ब्राज़ील, यूक्रेन, इंडोनेशिया और थाईलैंड से नेपाल आयात करता है, जिसे नेपाल में सीमित स्तर की प्रोसेसिंग कर भारत में भेजा जाता है। इंडस्ट्री एस्टीमेट्स के मुताबिक वैल्यू एडिशन अक्सर 30 फीसदी साफ्टा थ्रेशहोल्ड से कम होता है, जो लगभग रीपैकेजिंग जैसा है।
भारतीय खाद्वय तेल रिफाइनर्स का मानना है कि ये इनफ्लो डोमेस्टिक प्राइसेज को डिस्टॉर्ट करते हैं, लोकल रिफाइंनिंग क्रशिंग की डिमांड घटाते हैं, और सोया व सनफ्लावर उत्पादक किसानों पर भी इसका सीधा असर पड़ता है। क्योंकि ऑफ सीजन में बड़ी मात्रा आने से प्रोक्योरमेंट प्लानिंग भी मुश्किल हो जाती है।
मार्च में भारत ने आयात नियमों में सख्ती की थी, जिसमें सर्टिफिकेट ऑफ ओरिजिन की जगह स्ट्रिक्टर प्रूफ ऑफ ओरिजिन रिक्वायरमेंट लागू की गई थी, ताकि साफ्टा का मिसयूज रोका जा सके। लेकिन इंडस्ट्री का कहना है कि जब तक एनफोर्समेंट स्ट्रॉन्ग नहीं होता और वैल्यू एडिशन क्लेम्स वेरिफाई नहीं होते, नेपाल का ये री-एक्सपोर्ट मॉडल भारतीय खाद्वय तेल रिफाइनर्स सेक्टर और फार्म-गेट प्राइसेज पर प्रेशर बनाए रखेगा।

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