कुल पेज दृश्य

31 दिसंबर 2025

सीसीआई ने चालू सप्ताह में एक लाख गांठ से ज्यादा कॉटन की बिक्री की

नई दिल्ली। कॉटन कारपोरेशन आफ इंडिया, सीसीआई ने चालू सप्ताह में घरेलू बाजार में 100,400 गांठ, एक गांठ - 170 किलो कॉटन की बिक्री की जबकि निगम के पास अभी भी पिछले साल की खरीदी हुई कॉटन का 6 लाख गांठ से ज्यादा का स्टॉक बचा हुआ है।

सीसीआई फसल सीजन 2024-25 की खरीदी हुई कॉटन की लगातार घरेलू बाजार में मिलों को बिकवाली कर रही है। इससे पिछले सप्ताह में निगम के केवल 51,300 गांठ कॉटन की बिक्री की थी।

सीसीआई ने पिछले सप्ताह कॉटन की बिक्री कीमतों में 200/- रुपये प्रति कैंडी की कटौती की की थी तथा निगम अभी तक फसल सीजन 2024-25 की खरीदी हुई कुल 93,27,700 गांठ की बिक्री कर चुकी है। सबसे ज्यादा बिक्री निगम ने तेलंगाना में 36,23,300 गांठ की, महाराष्ट्र में 29,55,700 गांठ के अलावा गुजरात में 13,59,500 गांठ की बिक्री की है। कर्नाटक में निगम ने 5,26,800 गांठ के अलावा मध्य प्रदेश में 3,60,900 गांठ तथा ओडिशा में 2,01,600 गांठ तथा 1,82,600 गांठ और पंजाब, हरियाणा तथा राजस्थान में क्रमश: 62,800 तथा 1,800 और 52,700 गांठ कॉटन की बिक्री की है।

स्पिनिंग मिलों की सीमित मांग बनी रहने के कारण शनिवार को शाम के सत्र में गुजरात में कॉटन के दाम स्थिर हो गए, जबकि उत्तर भारत में इसकी कीमतों में हल्का सुधार आया।

गुजरात के अहमदाबाद में 29 शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव शनिवार को 53,400 से 53,800 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो पर स्थिर हो गए।

पंजाब में रुई हाजिर डिलीवरी के भाव बढ़कर 5,280 से 5,450 रुपये प्रति मन बोले गए।हरियाणा में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव 5,210 से 5,380 रुपये प्रति मन बोले गए।ऊपरी राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के दाम बढ़कर 5,250 से 5,500 रुपये प्रति मन बोले गए। लोअर राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के दाम 51,000 से 52,000 रुपये कैंडी बोले गए। देशभर की मंडियों में कपास की आवक 136,500 गांठ, एक गांठ-170 किलो की हुई।

केंद्र सरकार ने कॉटन के आयात पर शून्य शुल्क की समय सीमा को 30 सितंबर 2025 से बढ़ाकर 31 दिसंबर 2025 किया हुआ है।

व्यापारियों के अनुसार स्पिनिंग मिलों की मांग बनी रहने से उत्तर भारत में कॉटन की कीमतों में सुधार आया है, जबकि गुजरात में इसके भाव स्थिर हो गए। व्यापारियों के अनुसार हाल ही में सूती धागे की स्थानीय मांग में सुधार आया है, जिस कारण स्पिनिंग मिलें अच्छे मार्जिन में व्यापार कर रही है। वैसे भी अधिकांश मिलों के पास कॉटन का बकाया स्टॉक कम है। इसलिए कॉटन के भाव में हल्का सुधार बन सकता है। हालांकि घरेलू बाजार में कॉटन की कुल उपलब्धता ज्यादा है। सीसीआई घरेलू बाजार में लगातार पिछले साल की खरीदी हुई कॉटन बेच रही है। अत: मिलों को आसानी से कच्चा माल मिल रहा है। इसलिए स्पिनिंग मिलें कॉटन की खरीद जरुरत के हिसाब से ही कर रही है।

कोई टिप्पणी नहीं: