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18 दिसंबर 2025

पिछले सीजन की खरीदी हुई 92,76,400 गांठ की बिक्री कर चुकी है सीसीआई

नई दिल्ली। कॉटन कारपोरेशन आफ इंडिया (सीसीआई) फसल सीजन 2024-25 की खरीदी हुई अब तक कुल 92,76,400 गांठ (एक गांठ-170 किलो) की बिक्री कर चुकी है तथा निगम ने पिछले सप्ताह कॉटन की बिक्री कीमतों में 100 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी - 356 किलो) की बढ़ोतरी की थी।

सूत्रों के अनुसार सीसीआई के पास अभी भी पिछले साल की खरीदी हुई करीब 7 लाख गांठ कॉटन का स्टॉक बचा हुआ है तथा चालू फसल सीजन में भी सीसीआई ने करीब 30 लाख गांठ कपास की समर्थन मूल्य पर खरीद कर ली है। माना जा रहा है कि चालू सीजन में निगम की कुल खरीद एक करोड़ गांठ को पार कर जायेगी। ऐसे में कॉटन का सबसे ज्यादा स्टॉक सीसीआई के पास होगा। अत: घरेलू बाजार में कॉटन की कीमतों में तेजी, मंदी सीसीआई के बिक्री दाम पर भी निर्भर करेगी।  

केंद्र सरकार ने कॉटन के आयात पर शून्य शुल्क की समय सीमा को 30 सितंबर 2025 से बढ़ाकर 31 दिसंबर 2025 किया हुआ है। माना जा रहा है कि दिसंबर अंत तक करीब 29 से 30 लाख गांठ आयातित कॉटन की भारतीय बंदरगाह पर आयेंगी।

स्पिनिंग मिलों की मांग बनी रहने के कारण मंगलवार को शाम के सत्र में गुजरात के साथ ही उत्तर भारत के राज्यों में कॉटन की कीमत तेज हुई।

गुजरात के अहमदाबाद में 29 शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव मंगलवार को 100 रुपये तेज होकर दाम 52,800 से 53,200 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो हो गए।

पंजाब में रुई हाजिर डिलीवरी के भाव बढ़कर 5,140 से 5,290 रुपये प्रति मन बोले गए।हरियाणा में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव तेज होकर 5,120 से 5,210 रुपये प्रति मन बोले गए। ऊपरी राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के दाम बढ़कर 5,120 से 5,320 रुपये प्रति मन बोले गए। लोअर राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के दाम 49,500 से 50,500 रुपये कैंडी बोले गए। देशभर की मंडियों में कपास की आवक 182,700 गांठ, एक गांठ-170 किलो की हुई।

घरेलू वायदा कारोबार में कॉटन की कीमतों में मिलाजुला रुख रहा। एनसीडीईएक्स पर अप्रैल 26 महीने के वायदा अनुबंध में कपास के दाम 13.5 रुपये तेज होकर 1,535 रुपये प्रति 20 किलो हो गए। इस दौरान एमसीएक्स पर दिसंबर 25 महीने के वायदा अनुबंध में कॉटन के भाव 140 रुपये की गिरावट आकर 25,140 रुपये रह गए। आईसीई के इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग में कॉटन की कीमतों में नरमी का रुख रहा।

जानकारों के अनुसार स्पिनिंग मिलों की मांग बढ़ने से गुजरात के साथ ही उत्तर भारत के राज्यों  में कॉटन की कीमतों में दूसरे दिन भी सुधार आया। व्यापारियों के अनुसार मौजूदा भाव में जिनिंग मिलों की बिक्री कमजोर है इसलिए इसके भाव में ज्यादा मंदे के आसार नहीं है। हालांकि घरेलू बाजार में कॉटन की कुल उपलब्धता ज्यादा है। सीसीआई घरेलू बाजार में लगातार पिछले साल की खरीदी हुई कॉटन बेच रही है। अत: मिलों को आसानी से कच्चा माल मिल रहा है। इसलिए स्पिनिंग मिलें कॉटन की खरीद जरुरत के हिसाब से ही कर रही है।

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