नई दिल्ली। चालू रबी फसल सीजन में कैस्टर सीड की बुआई 6 फीसदी बढ़कर 9.09 लाख हेक्टेयर में होने का अनुमान है क्योंकि गुजरात और राजस्थान में रकबा बढ़ना है। इसी तरह से रबी तिलहन की प्रमुख फसलों सरसों की बुआई पिछले साल की तुलना में बढ़ी है तथा मौसम अनुकूल बना हुआ है। कटाई तक मौसम अनुकूल रहा तो कैस्टर सीड के साथ ही सरसों का उत्पादन बढ़ने का अनुमान है।
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईस) ने एग्रीवॉच को कैस्टर की फसल, रकबे और पैदावार पर नजर रखने की जिम्मेदारी दी हुई है। खरीफ 2025-26 के लिए तीसरी कैस्टर फसल मॉनिटरिंग की रिपोर्ट जारी की है, जिसमें गुजरात, राजस्थान, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना शामिल हैं। कैस्टर सीड का कुल रकबा 9.09 लाख हेक्टेयर होने का अनुमान है, जो पिछले साल से लगभग 6 फीसदी ज्यादा है, जिसका मुख्य कारण गुजरात और राजस्थान में रकबा बढ़ना है। अधिकांश क्षेत्रों में फसल अच्छी से नॉर्मल हालात में है। कुछ बारिश वाले इलाकों में नमी की थोड़ी कमी बताई गई। हालांकि, कुल मिलाकर फसल की सेहत ठीक-ठाक बनी हुई है। एसईए 27-28 फरवरी को गांधीनगर, गुजरात में होने वाले ग्लोबल कैस्टर कॉन्फ्रेंस 2026 के दौरान कैस्टर फसल के सर्वे और उत्पादन का डेटा जारी करेगा।
इसी तरह से SEA ने रबी 2025-26 के लिए एग्रीवॉच द्वारा तैयार की गई पहली और दूसरी सरसों की फसल मॉनिटरिंग रिपोर्ट जारी की है। 30 नवंबर 2025 तक, पूरे भारत में सरसों का रकबा लगभग 77.06 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है, जो पिछले साल से लगभग 6 फीसदी ज्यादा है। राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पश्चिम बंगाल में इसके रकबे में काफी बढ़ोतरी हुई है। फसल की हालत अधिकांश क्षेत्रों में नॉर्मल है, जिसे अच्छे मौसम और मिट्टी की नमी से मदद मिली है। हालांकि अक्टूबर में कुछ जगह बारिश का असर हुआ है लेकिन कुल मिलाकर फसल की सेहत ठीक-ठाक बनी हुई है। मौसम नॉर्मल रहा तो उत्पादन बढ़ने का अनुमान है।
एसईए के मस्टर्ड मॉडल फार्म प्रोग्राम के तहत, सॉलिडारिडाड ने हमारे इम्प्लीमेंटिंग पार्टनर के तौर पर मौजूदा रबी सीजन के दौरान राजस्थान, मध्य प्रदेश और हरियाणा में लगभग 3,000 मॉडल फार्म बनाए हैं, जिसमें आईसीएआर– आआईआरआर टेक्निकल नॉलेज पार्टनर है। इस प्रोग्राम को एडब्ल्यूएस एग्रीबिजनेस लिमिटेड के लीड सपोर्ट के साथ-साथ दूसरे मेंबर्स एलडीसी, गोदरेज, वी.वी.एफ, जे आर एग्रो और अरिहंत सॉल्वेक्स का भी सपोर्ट मिला है। शुरुआती दौर की एक्टिविटीज में किसानों को मोबिलाइज करना, कैपेसिटी बिल्डिंग और रीजेनरेटिव पैकेज ऑफ प्रैक्टिसेज के डेवलपमेंट पर फोकस किया गया। इन मॉडल फार्म्स का मकसद सस्टेनेबल खेती के तरीकों को दिखाना और फार्म-लेवल प्रोडक्टिविटी को बेहतर बनाना है।
नवंबर 2025 के दौरान खाद्य तेलों का आयात सालाना आधार पर 28 फीसदी घटकर 11.84 लाख टन का रह गया। रिफाइंड तेल, खासकर आरबीडी पामोलिन के आयात में बड़ी गिरावट आई है, जबकि क्रूड तेल अब लगभग पूरे आयात बास्केट का हिस्सा है। क्रूड पाम तेल का आयात बढ़ा है, जबकि सोयाबीन और सनफ्लावर तेल का आयात कम हुआ है। 1 दिसंबर 2025 तक पोर्ट और पाइप लाइन पर खाने के तेल का कुल स्टॉक 16.23 लाख टन था, जो पिछले महीने से कम है। ये ट्रेंड घरेलू रिफाइनिंग को बढ़ावा देने वाले हालिया पॉलिसी उपायों के असर को दिखाते हैं।
एसईए के अनुसार एफएसएसएआई ने फ़ूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स (पैकेजिंग) अमेंडमेंट रेगुलेशन, 2025 का ड्राफ्ट जारी किया है, जिसमें फूड कॉन्टैक्ट मटीरियल में पॉली- और परफ़्लूरोएल्काइल सब्सटेंस (वीएफएएस) पर बैन लगाने का प्रस्ताव है। ड्राफ्ट में यह भी ज़रूरी है कि पॉलीकार्बोनेट और एपॉक्सी रेजिन से बने फूड कॉन्टैक्ट मटीरियल में बिस्फेनॉल ए (बीपीए) और उसके डेरिवेटिव न हों। एसईए ड्राफ्ट रेगुलेशन और उनके असर की जांच कर रहा है। एसोसिएशन, जहा भी जरूरत होगी, इंडस्ट्री के विचारों को सही तरीके से पेश करेगी।
मेंबर्स को यह ध्यान देने की सलाह दी जाती है कि मिनिस्ट्री ऑफ कंज्यूमर अफेयर्स के डिपार्टमेंट ऑफ फूड एंड पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन (डीएफपीडी) ने बताया है कि वीओपीपीए रेगुलेशन ऑर्डर, 2025 के तहत रजिस्ट्रेशन न कराने और मंथली रिटर्न फाइल न करने पर पीओपीपीए के नियमों के तहत सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। सभी संबंधित मेंबर्स से अपील है कि वे तुरंत रजिस्ट्रेशन पूरा करें और अप्रैल 2025 से तय पोर्टल पर मंथली रिटर्न फाइल करना शुरू करें।
एसईए ने आईवीपीए, कूईट, सोपा और मोपा के साथ मिलकर खाने के तेल और फैट के लिए स्टैंडर्ड पैकेजिंग शुरू करने पर मिनिस्ट्री ऑफ कंज्यूमर अफेयर्स के साथ मिलकर काम किया है। कई बार की बातचीत के बाद, पांचों एसोसिएशन ने एक कॉमन सिफारिश पेश की है, जिसमें मिनिस्ट्री से इसे लागू करने के लिए एक साफ स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) जारी करने की मांग की गई है, जिसमें मुख्य खाने के तेलों के लिए तय स्टैंडर्ड पैक साइज शामिल हैं। प्रस्ताव में वॉल्यूम को मुख्य घोषणा के तौर पर बताया गया है, जिसमें वजन ब्रैकेट में दिखाया गया है और कम खपत के कारण छोटे पैकेट वाले तेलों के लिए छूट मांगी गई है। यह इंडस्ट्री का तरीका कंज्यूमर के हित, रेगुलेटरी क्लैरिटी और बिजनेस करने में आसानी को सपोर्ट करता है।

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