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27 दिसंबर 2025

केंद्र सरकार ने जनवरी के लिए 22 लाख टन चीनी का कोटा जारी किया

नई दिल्ली। केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मामले मंत्रालय ने जनवरी 2026 के लिए 22 लाख टन चीनी का मासिक कोटा जारी किया है, जो कि जनवरी 2025 में किए गए आवंटित कोटे से कम है।


मंत्रालय ने दिसंबर 2025 के लिए घरेलू बिक्री के लिए 22 लाख टन का मासिक चीनी कोटा आवंटित जारी किया गया था जबकि जनवरी 2025 में केंद्र सरकार ने चीनी का कोटा 22.5 लाख टन का जारी किया था।

व्यापारियों के अनुसार, जनवरी 2026 के लिए 22 लाख चीनी के कोटा की घोषणा से घरेलू बाजार के चीनी के दाम स्थिर ही बने रहने की उम्मीद है। चालू पेराई सीजन के आरंभ होने के बाद से अभी तक चालू सीजन में चीनी की कीमतों में करीब 8 फीसदी की गिरावट आई है। पेराई सीजन के आरंभ में, महाराष्ट्र में चीनी की कीमत लगभग 3,900 रुपये प्रति क्विंटल थी जोकि अब घटकर 3,600 रुपये प्रति क्विंटल रह गई हैं।

सीसीआई ने बिनौले की बिक्री कीमतों में बढ़ोतरी की, हाजिर बाजार में दाम तेज

नई दिल्ली। कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया, सीसीआई ने शुक्रवार को बिनौले की बिक्री कीमतों में 30 से 70 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी। अत: हाजिर बाजार में बिनौला के साथ ही कपास खली के दाम 50 से 100 रुपये प्रति क्विंटल तक तेज हुए।


व्यापारियों के अनुसार सीसीआई लगातार बिनौला की बिक्री कीमतों में बढ़ोतरी कर रही है तथा चालू फसल सीजन में सीसीआई उत्पादक राज्यों से करीब 50 लाख गांठ कपास की खरीद कर चुकी है। अत: बिनौला का सबसे ज्यादा स्टॉक सीसीआई के पास होने के कारण हाजिर बाजार में बिनौला एवं कपास खली की कीमत निगम के बिक्री भाव के हिसाब से ही तेज हो रही है।

उत्तर भारत के राज्यों में सप्ताह भर में जहां बिनौला के भाव 300 से 350 रुपये प्रति क्विंटल तक तेज हुए हैं, वहीं इस दौरान कपास खली की कीमतों में 150 से 200 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आई है।

कॉटन कारपोरेशन ऑफ इंडिया, सीसीआई ने शुक्रवार को घरेलू बाजार में ई नीलामी के माध्यम से 14,57,200 क्विंटल बिनौले की बिक्री की तथा इसकी बिक्री कीमतों में 30 से 70 रुपये प्रति क्विंटल तक की बढ़ोतरी की।

तेल मिलों की खरीद बनी रहने के कारण उत्तर भारत के राज्यों में शुक्रवार को बिनौले की कीमत तेज हुई। हरियाणा में बिनौले के भाव 50 रुपये तेज होकर 3,750 से 3,900 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। इस दौरान राजस्थान में बिनौला के भाव 100 रुपये तेज होकर 3,650 से 4,000 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। बिनौला के दाम पंजाब में 50 रुपये बढ़कर 3,600 से 3,850 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

पशु आहार वालों की मांग बढ़ने से कपास खली की कीमत तेज हुई। सेलू में रेगुलर क्वालिटी की कपास खली की कीमत 50 रुपये तेज होकर 3,475 रुपये प्रति क्विंटल हो गई। इस दौरान शाहपुर में रेगुलर क्वालिटी की कपास खली की कीमत 50 रुपये बढ़कर 3,500 रुपये प्रति क्विंटल हो गई। सूर्यापेट में रेगुलर क्वालिटी की कपास खली के भाव 50 रुपये तेज होकर 3,350 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश एवं हरियाणा तथा पश्चिम बंगाल में सरसों की बुआई बढ़ी

नई दिल्ली। प्रमुख उत्पादक राज्यों राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश एवं हरियाणा तथा पश्चिम बंगाल में चालू रबी में सरसों की बुआई बढ़ोतरी हुई है। मौसम फसल के अनुकूल है जिससे उत्पादन अनुमान में बढ़ोतरी का अनुमान है।


सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, एसईए के अनुसार देशभर में सरसों की बुआई लगभग 84.67 लाख हेक्टेयर में होने का अनुमान है, जो कि पिछले साल की समान अवधि की तुलना में लगभग 4 फीसदी ज्यादा है।

उत्पादक राज्यों में ज्यादातर में सरसों की फसल ब्रांडिंग से फूल/फली बनने के स्टेज पर हैं, जबकि अगेती बोई गई फसल में फली बनने बनने लगी हैं। सभी मॉनिटर किए गए राज्यों में ओवरऑल फसल की स्थिति अच्छी है तथा अभी तक कहीं किसी रोग की सूचना नहीं है।

दिसंबर 2025 के पहले दो सप्ताह में उत्पादक राज्यों में बारिश नहीं हुई है। लेकिन फसल के लिए तापमान अच्छा है, साथ ही मिट्टी में काफी नमी और सिंचाई से फसल की ग्रोथ और डेवलपमेंट में मदद मिली है।  

रबी सीजन 2025-26 के लिए सरसों की फसल की मॉनिटरिंग स्टडी की तीसरी रिपोर्ट पेश की जा रही है। इसे एग्रीवॉच ने तैयार किया है, जिसे एसईए ने 2025-26 के लिए रेप-सरसों की फसल सर्वे के लिए ऑफिशियल एजेंसी के तौर पर नियुक्त किया है। यह रिपोर्ट 15 दिसंबर 2025 तक सरसों की बुवाई की प्रोग्रेस और फसल की कंडीशन का अपडेट और कॉम्प्रिहेंसिव एनालिसिस देती है।

राजस्थान में चालू रबी में गेहूं की बुआई 8 फीसदी कम, चना की तय लक्ष्य से ज्यादा

नई दिल्ली। राजस्थान में चालू रबी सीजन में गेहूं की बुआई में 8.33 फीसदी की कमी आई है, जबकि इस दौरान चना के साथ ही जौ की बुआई तय लक्ष्य से ज्यादा हुई है। चालू रबी में फसलों की कुल बुआई 98 फीसदी क्षेत्रफल में पूरी हो चुकी है।


चालू रबी सीजन में राज्य में गेहूं की बुआई 18.33 फीसदी घटकर 35.17 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य में इसकी बुआई 38.37 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। हालांकि जौ की बुआई चालू रबी सीजन में बढ़कर 4.45 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 3.30 लाख हेक्टेयर में हो पाई थी।

चालू रबी सीजन में तिलहनी फसलों की बुआई राज्य में बढ़कर 35.70 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 35.03 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। तिलहनी फसलों में सरसों की बुआई बढ़कर 34.19 लाख हेक्टेयर में, तारामीरा की 1.38 लाख हेक्टेयर में हुई है, जबकि पिछले रबी की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 33.72 लाख हेक्टेयर और 1.20 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

रबी दलहन की प्रमुख फसल चना की बुआई राज्य में चालू रबी सीजन में बढ़कर 22.37 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इस समय तक 16.55 लाख हेक्टेयर में ही इसकी बुआई हुई थी। चालू रबी में चना की बुआई का लक्ष्य 21.50 लाख हेक्टेयर तय किया गया था। अन्य रबी दलहन की बुआई 34 हजार हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 38 हजार हेक्टेयर की तुलना में कम है।

राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार 22 दिसंबर तक राज्य में रबी फसलों की बुआई 117.87 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में केवल 114.86 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हुई थी। चालू रबी सीजन में राज्य में 120.15 लाख हेक्टेयर में फसलों की बुआई का लक्ष्य तय किया है।

चालू रबी में गेहूं एवं दलहन के साथ ही तिलहन की बुआई बढ़ी - कृषि मंत्रालय

नई दिल्ली। चालू रबी सीजन में फसलों की बुआई 1.41 फीसदी बढ़कर 580.70 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई केवल 572.59 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। गेहूं के साथ ही दलहन एवं तिलहनी फसलों की बुआई में बढ़ोतरी हुई है।  

कृषि मंत्रालय के अनुसार 19 दिसंबर तक रबी सीजन की प्रमुख फसल गेहूं की बुआई बढ़कर 301.63 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक कुल 300.34 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

चालू रबी में दलहनी फसलों की बुआई बढ़कर 126.74 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 123.02 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। रबी दलहन की प्रमुख फसल चना की बुआई चालू रबी सीजन में बढ़कर 91.70 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इस समय तक 86.81 लाख हेक्टेयर में ही इसकी बुआई हुई थी।

अन्य रबी दलहन में मसूर की बुआई घटकर 15.76 लाख हेक्टेयर में तथा मटर की 7.92 लाख हेक्टेयर में ही हुई है। पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 15.83 लाख हेक्टेयर में और 8.27 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। उड़द की बुआई चालू रबी में घटकर 3.13 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि में 3.48 लाख हेक्टेयर की तुलना में हो चुकी थी है।

चालू रबी सीजन में तिलहनी फसलों की बुआई देशभर में बढ़कर 93.33 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 92.65 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। तिलहनी फसलों में सरसों की बुआई बढ़कर 87.80 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 86.57 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। हालांकि मूंगफली की बुआई घटकर 2.36 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 2.83 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। अलसी की बुआई भी चालू रबी में घटकर 1.61 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि के 2.00 लाख हेक्टेयर की तुलना में कमी है।

मोटे अनाजों की बुवाई चालू रबी में बढ़कर 45.66 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 45.05 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। मोटे अनाजों में ज्वार की 19.62 लाख हेक्टेयर और मक्का की 18.34 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 21.39 और 16.90 लाख हेक्टेयर में हुई थी।

जौ की बुआई चालू रबी सीजन में बढ़कर 6.78 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 6.08 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।

चालू रबी सीजन में राज्य में धान की रोपाई बढ़कर 13.35 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 11.52 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

गुजरात में रबी फसलों की बुआई 88.83 फीसदी क्षेत्रफल में पूरी - कृषि निदेशालय

नई दिल्ली। गुजरात में चालू रबी सीजन में फसलों की कुल बुआई 88.86 फीसदी क्षेत्रफल में पूरी हो चुकी है। इस दौरान दलहनी फसलों की बुआई सामान्य क्षेत्रफल से ज्यादा में हुई है जबकि मसालों में जीरा के साथ ही धनिया की बुआई पिछले साल की तुलना में पिछड़ी है।

राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार 22 दिसंबर तक राज्य में रबी फसलों की बुआई 41.24 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई 43.86 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। रबी सीजन में राज्य में सामान्यत: 46.43 लाख हेक्टेयर में फसलों की बुआई होती है।

चालू रबी सीजन में राज्य में गेहूं की बुआई 1,216,046 हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुआई 1,199,696 हेक्टेयर में ही हुई थी। इस दौरान मोटे अनाजों की बुआई बढ़कर 1,366,267 हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 1,352,678 हेक्टेयर में ही हो पाई थी। मक्का की बुआई चालू रबी में 124,079 हेक्टेयर में, ज्वार की 12,478 हेक्टेयर में तथा अन्य मोटे अनाजों की 13,664 हेक्टेयर में हुई है।

चालू रबी सीजन में तिलहनी फसलों की बुआई राज्य में बढ़कर 277,282 हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 251,223 हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। सरसों की बुआई बढ़कर 276,231 हेक्टेयर में हुई है, जबकि पिछले रबी की समान अवधि में इसकी बुआई 249,290 हेक्टेयर में ही हुई थी।

जीरा की बुआई राज्य में चालू रबी सीजन में घटकर 354,169 हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इस समय तक इसकी बुआई 442,238 हेक्टेयर में हो चुकी थी। इस दौरान धनिया की बुआई 112,333 हेक्टेयर में ही हुई है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 120,512 हजार हेक्टेयर की तुलना में कम है।

राजस्थान में चालू रबी में गेहूं की बुआई 10 फीसदी से ज्यादा पिछड़ी, चना एवं जौ की ज्यादा

नई दिल्ली। राजस्थान में चालू रबी सीजन में गेहूं की बुआई में 10.47 फीसदी की कमी आई है, जबकि फसलों की कुल बुआई 96 फीसदी क्षेत्रफल में पूरी हो चुकी है। इस दौरान चना के साथ ही जौ की बुआई तय लक्ष्य से ज्यादा हुई है।


राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार 18 दिसंबर तक राज्य में रबी फसलों की बुआई 115.56 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में केवल 114.86 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हुई थी। चालू रबी सीजन में राज्य में 120.15 लाख हेक्टेयर में फसलों की बुआई का लक्ष्य तय किया है।

चालू रबी सीजन में राज्य में गेहूं की बुआई 10.47 फीसदी घटकर 34.35 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य में इसकी बुआई 38.37 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। हालांकि जौ की बुआई चालू रबी सीजन में बढ़कर 4.45 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 3.30 लाख हेक्टेयर में हो पाई थी।

चालू रबी सीजन में तिलहनी फसलों की बुआई राज्य में बढ़कर 35.50 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 35.03 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। तिलहनी फसलों में सरसों की बुआई बढ़कर 34 लाख हेक्टेयर में, तारामीरा की 1.36 लाख हेक्टेयर में हुई है, जबकि पिछले रबी की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 33.72 लाख हेक्टेयर और 1.20 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

रबी दलहन की प्रमुख फसल चना की बुआई राज्य में चालू रबी सीजन में बढ़कर 22.18 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इस समय तक 16.55 लाख हेक्टेयर में ही इसकी बुआई हुई थी। चालू रबी में चना की बुआई का लक्ष्य 21.50 लाख हेक्टेयर तय किया गया था। अन्य रबी दलहन की बुआई 31 हजार हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 38 हजार हेक्टेयर की तुलना में कम है।

नवंबर में डीओसी के निर्यात में 26 फीसदी की गिरावट आई - एसईए

नई दिल्ली। नवंबर में देश से डीओसी के निर्यात में 28 फीसदी की गिरावट आकर कुल निर्यात 270,843 टन का ही हुआ है, जबकि पिछले साल नवंबर में इनका निर्यात 363,620 टन का हुआ था।


सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, एसईए के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2025-26 के पहले 8 महीनें अप्रैल से नवंबर के दौरान डीओसी के निर्यात में 0.62 फीसदी कमी आकर कुल निर्यात 2,734,839 टन का हुआ है, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इनका निर्यात 2,751,947 टन का हुआ था।

भारत सरकार ने अधिसूचना संख्या 37/2025-26 दिनांक 3 अक्टूबर, 2025 को डी-ऑयल राइस ब्रान के निर्यात पर प्रतिबंध हटा लिया है, जिसके परिणामस्वरूप निर्यात फिर से शुरू हो गया है और अक्टूबर तथा नवंबर 2025 के दौरान वियतनाम और नेपाल को 38,257 टन डी-ऑयल राइस ब्रान का निर्यात होने की जानकारी मिली है।

चीन से भारी मांग के कारण सरसों डीओसी का निर्यात चालू वित्त वर्ष में बढ़ा है। अप्रैल से नवंबर 2025 के दौरान इसका निर्यात 651,829 टन का हुआ है (सरसों डीओसी के कुल निर्यात का 47 फीसदी), जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसका निर्यात केवल 25,624 टन का ही हुआ था। सीजन के आखिर में सरसों की घरेलू क्रशिंग कम हो गई है, जिस कारण सरसों डीओसी की उपलब्धता में कमी आने से इसके निर्यात में भी कमी आई। हाल ही में जीएसीसीसी, चीन ने एक्सपोर्ट इंस्पेक्शन काउंसिल ऑफ इंडिया (ईआईसी) के जरिए चीन को सरसों डीओसी का निर्यात करने के लिए कुछ और कंपनियों को मंजूरी दी है या उनके एप्लीकेशन प्रोसेस में हैं। अभी भारतीय सरसों डीओसी की कीमत 217 डॉलर प्रति टन एफओबी हैं, जबकि हैम्बर्ग एक्स-मिल में सरसों डीओसी की कीमत 216 डॉलर प्रति टन हैं।

पिछले दो महीनों अक्टूबर और नवंबर में सोया डीओसी का निर्यात फ्रांस और जर्मनी जैसे यूरोपियन खरीदारों की मांग बढ़ने की वजह से बढ़ा है। पिछले दो सालों से, सोया डीओसी  बनाने वालों को घरेलू जानवरों का चारा बनाने वालों से कम डिमांड का सामना करना पड़ रहा था, जो सस्ते डिस्टिलर्स ड्राइड ग्रेन्स विद सॉल्युबल्स (डीडीजीएस) को पसंद कर रहे हैं, जो मक्का और चावल जैसे अनाज से इथेनॉल बनने के बाद बचा हुआ एक प्रोडक्ट है।

भारतीय बंदरगाह पर नवंबर में सोया डीओसी का भाव तेज होकर 393 डॉलर प्रति टन हो गया, जबकि अक्टूबर में इसका दाम 387 डॉलर प्रति टन था। इस दौरान सरसों डीओसी का मूल्य नवंबर में भारतीय बंदरगाह पर बढ़कर 217 डॉलर प्रति टन का हो गया, जबकि अक्टूबर में इसका भाव 211 डॉलर प्रति टन था। इस दौरान कैस्टर डीओसी का दाम अक्टूबर के 99 डॉलर प्रति टन से तेज होकर नवंबर में 100 डॉलर प्रति टन हो गया।

कैस्टर सीड की बुआई 6 फीसदी बढ़ने का अनुमान, सरसों की फसल अच्छी स्थिर में - एसईए

नई दिल्ली। चालू रबी फसल सीजन में कैस्टर सीड की बुआई 6 फीसदी बढ़कर 9.09 लाख हेक्टेयर में होने का अनुमान है क्योंकि गुजरात और राजस्थान में रकबा बढ़ना है। इसी तरह से रबी तिलहन की प्रमुख फसलों सरसों की बुआई पिछले साल की तुलना में बढ़ी है तथा मौसम अनुकूल बना हुआ है। कटाई तक मौसम अनुकूल रहा तो कैस्टर सीड के साथ ही सरसों का उत्पादन बढ़ने का अनुमान है।


सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईस) ने एग्रीवॉच को कैस्टर की फसल, रकबे और पैदावार पर नजर रखने की जिम्मेदारी दी हुई है। खरीफ 2025-26 के लिए तीसरी कैस्टर फसल मॉनिटरिंग की रिपोर्ट जारी की है, जिसमें गुजरात, राजस्थान, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना शामिल हैं। कैस्टर सीड का कुल रकबा 9.09 लाख हेक्टेयर होने का अनुमान है, जो पिछले साल से लगभग 6 फीसदी ज्यादा है, जिसका मुख्य कारण गुजरात और राजस्थान में रकबा बढ़ना है। अधिकांश क्षेत्रों में फसल अच्छी से नॉर्मल हालात में है। कुछ बारिश वाले इलाकों में नमी की थोड़ी कमी बताई गई। हालांकि, कुल मिलाकर फसल की सेहत ठीक-ठाक बनी हुई है। एसईए 27-28 फरवरी को गांधीनगर, गुजरात में होने वाले ग्लोबल कैस्टर कॉन्फ्रेंस 2026 के दौरान कैस्टर फसल के सर्वे और उत्पादन का डेटा जारी करेगा।

इसी तरह से SEA ने रबी 2025-26 के लिए एग्रीवॉच द्वारा तैयार की गई पहली और दूसरी सरसों की फसल मॉनिटरिंग रिपोर्ट जारी की है। 30 नवंबर 2025 तक, पूरे भारत में सरसों का रकबा लगभग 77.06 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है, जो पिछले साल से लगभग 6 फीसदी ज्यादा है। राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पश्चिम बंगाल में इसके रकबे में काफी बढ़ोतरी हुई है। फसल की हालत अधिकांश क्षेत्रों में नॉर्मल है, जिसे अच्छे मौसम और मिट्टी की नमी से मदद मिली है। हालांकि अक्टूबर में कुछ जगह बारिश का असर हुआ है लेकिन कुल मिलाकर फसल की सेहत ठीक-ठाक बनी हुई है। मौसम नॉर्मल रहा तो उत्पादन बढ़ने का अनुमान है।

एसईए के मस्टर्ड मॉडल फार्म प्रोग्राम के तहत, सॉलिडारिडाड ने हमारे इम्प्लीमेंटिंग पार्टनर के तौर पर मौजूदा रबी सीजन के दौरान राजस्थान, मध्य प्रदेश और हरियाणा में लगभग 3,000 मॉडल फार्म बनाए हैं, जिसमें आईसीएआर– आआईआरआर टेक्निकल नॉलेज पार्टनर है। इस प्रोग्राम को एडब्ल्यूएस एग्रीबिजनेस लिमिटेड के लीड सपोर्ट के साथ-साथ दूसरे मेंबर्स एलडीसी, गोदरेज, वी.वी.एफ, जे आर एग्रो और अरिहंत सॉल्वेक्स का भी सपोर्ट मिला है। शुरुआती दौर की एक्टिविटीज में किसानों को मोबिलाइज करना, कैपेसिटी बिल्डिंग और रीजेनरेटिव पैकेज ऑफ प्रैक्टिसेज के डेवलपमेंट पर फोकस किया गया। इन मॉडल फार्म्स का मकसद सस्टेनेबल खेती के तरीकों को दिखाना और फार्म-लेवल प्रोडक्टिविटी को बेहतर बनाना है।

नवंबर 2025 के दौरान खाद्य तेलों का आयात सालाना आधार पर 28 फीसदी घटकर 11.84 लाख टन का रह गया। रिफाइंड तेल, खासकर आरबीडी पामोलिन के आयात में बड़ी गिरावट आई है, जबकि क्रूड तेल अब लगभग पूरे आयात बास्केट का हिस्सा है। क्रूड पाम तेल का आयात बढ़ा है, जबकि सोयाबीन और सनफ्लावर तेल का आयात कम हुआ है। 1 दिसंबर 2025 तक पोर्ट और पाइप लाइन पर खाने के तेल का कुल स्टॉक 16.23 लाख टन था, जो पिछले महीने से कम है। ये ट्रेंड घरेलू रिफाइनिंग को बढ़ावा देने वाले हालिया पॉलिसी उपायों के असर को दिखाते हैं।

एसईए के अनुसार एफएसएसएआई ने फ़ूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स (पैकेजिंग) अमेंडमेंट रेगुलेशन, 2025 का ड्राफ्ट जारी किया है, जिसमें फूड कॉन्टैक्ट मटीरियल में पॉली- और परफ़्लूरोएल्काइल सब्सटेंस (वीएफएएस) पर बैन लगाने का प्रस्ताव है। ड्राफ्ट में यह भी ज़रूरी है कि पॉलीकार्बोनेट और एपॉक्सी रेजिन से बने फूड कॉन्टैक्ट मटीरियल में बिस्फेनॉल ए (बीपीए) और उसके डेरिवेटिव न हों। एसईए ड्राफ्ट रेगुलेशन और उनके असर की जांच कर रहा है। एसोसिएशन, जहा भी जरूरत होगी, इंडस्ट्री के विचारों को सही तरीके से पेश करेगी।

मेंबर्स को यह ध्यान देने की सलाह दी जाती है कि मिनिस्ट्री ऑफ कंज्यूमर अफेयर्स के डिपार्टमेंट ऑफ फूड एंड पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन (डीएफपीडी) ने बताया है कि वीओपीपीए रेगुलेशन ऑर्डर, 2025 के तहत रजिस्ट्रेशन न कराने और मंथली रिटर्न फाइल न करने पर पीओपीपीए के नियमों के तहत सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। सभी संबंधित मेंबर्स से अपील है कि वे तुरंत रजिस्ट्रेशन पूरा करें और अप्रैल 2025 से तय पोर्टल पर मंथली रिटर्न फाइल करना शुरू करें।

एसईए ने आईवीपीए, कूईट, सोपा और मोपा के साथ मिलकर खाने के तेल और फैट के लिए स्टैंडर्ड पैकेजिंग शुरू करने पर मिनिस्ट्री ऑफ कंज्यूमर अफेयर्स के साथ मिलकर काम किया है। कई बार की बातचीत के बाद, पांचों एसोसिएशन ने एक कॉमन सिफारिश पेश की है, जिसमें मिनिस्ट्री से इसे लागू करने के लिए एक साफ स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) जारी करने की मांग की गई है, जिसमें मुख्य खाने के तेलों के लिए तय स्टैंडर्ड पैक साइज शामिल हैं। प्रस्ताव में वॉल्यूम को मुख्य घोषणा के तौर पर बताया गया है, जिसमें वजन ब्रैकेट में दिखाया गया है और कम खपत के कारण छोटे पैकेट वाले तेलों के लिए छूट मांगी गई है। यह इंडस्ट्री का तरीका कंज्यूमर के हित, रेगुलेटरी क्लैरिटी और बिजनेस करने में आसानी को सपोर्ट करता है।

18 दिसंबर 2025

अक्टूबर से नवंबर के दौरान सोया डीओसी का निर्यात 38.58 फीसदी बढ़ा - सोपा

नई दिल्ली। चालू फसल सीजन 2025-26 के पहले दो महीनों अक्टूबर 25 से नवंबर 25 के दौरान देश से सोया डीओसी का निर्यात 38.58 फीसदी बढ़कर 3.34 लाख टन का हो चुका है, जबकि इसके पिछले फसल सीजन की समान अवधि में 2.41 लाख टन का ही निर्यात हुआ था।


सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, सोपा के अनुसार चालू फसल सीजन 2025-26 के पहले दो महीनों अक्टूबर से नवंबर के दौरान 16.18 लाख टन सोया डीओसी का उत्पादन हुआ है, जबकि इसके पिछले साल का करीब 0.68 लाख टन का बकाया स्टॉक बचा हुआ था। इस दौरान 3.34 लाख टन सोया डीओसी का निर्यात हुआ है जबकि 1.40 लाख टन की खपत फूड में एवं 10.50 लाख टन की फीड में हुई है। अत: पहली दिसंबर 2025 को मिलों के पास 1.62 लाख टन सोया डीओसी का बकाया स्टॉक बचा हुआ है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 1.31 लाख टन से ज्यादा है।

सोपा के अनुसार चालू फसल सीजन 2025-26 के पहले दो महीनों में देशभर की उत्पादक मंडियों में 33 लाख टन सोयाबीन की आवक हुई है, जबकि नवंबर अंत तक 20.50 लाख टन की पेराई हुई है। इस दौरान एक लाख टन सोयाबीन की खपत डारेक्ट हुई है जबकि 0.06 लाख टन का निर्यात हुआ है। अत: प्लांटों एवं व्यापारियों तथा किसानों के पास पहली दिसंबर 2025 को 76.56 लाख टन सोयाबीन का बकाया स्टॉक बचा हुआ है, जोकि इससे पिछले साल की समान अवधि के 102.79 लाख टन की तुलना में कम है।

सोपा के अनुसार फसल सीजन 2025-26 में देश में सोयाबीन का उत्पादन 105.36 लाख टन का हुआ था, जबकि 4.66 लाख टन का बकाया स्टॉक नई फसल की आवक के समय बचा हुआ था। अत: कुल उपलब्धता 110.02 लाख टन की बैठी है, जबकि फसल सीजन 2025-26 के पहले दो महीनों में ही करीब 6 लाख टन सोयाबीन का आयात हुआ है। फसल सीजन 2024-25 में 125.82 लाख टन सोयाबीन का उत्पादन हुआ था, जबकि नई फसल की आवक के समय 8.94 लाख टन का बकाया स्टॉक बचा हुआ था। अत: कुल उपलब्धता 134.66 लाख टन की बैठी थी, जबकि 0.02 लाख टन का ही आयात हुआ था।

पिछले सीजन की खरीदी हुई 92,76,400 गांठ की बिक्री कर चुकी है सीसीआई

नई दिल्ली। कॉटन कारपोरेशन आफ इंडिया (सीसीआई) फसल सीजन 2024-25 की खरीदी हुई अब तक कुल 92,76,400 गांठ (एक गांठ-170 किलो) की बिक्री कर चुकी है तथा निगम ने पिछले सप्ताह कॉटन की बिक्री कीमतों में 100 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी - 356 किलो) की बढ़ोतरी की थी।

सूत्रों के अनुसार सीसीआई के पास अभी भी पिछले साल की खरीदी हुई करीब 7 लाख गांठ कॉटन का स्टॉक बचा हुआ है तथा चालू फसल सीजन में भी सीसीआई ने करीब 30 लाख गांठ कपास की समर्थन मूल्य पर खरीद कर ली है। माना जा रहा है कि चालू सीजन में निगम की कुल खरीद एक करोड़ गांठ को पार कर जायेगी। ऐसे में कॉटन का सबसे ज्यादा स्टॉक सीसीआई के पास होगा। अत: घरेलू बाजार में कॉटन की कीमतों में तेजी, मंदी सीसीआई के बिक्री दाम पर भी निर्भर करेगी।  

केंद्र सरकार ने कॉटन के आयात पर शून्य शुल्क की समय सीमा को 30 सितंबर 2025 से बढ़ाकर 31 दिसंबर 2025 किया हुआ है। माना जा रहा है कि दिसंबर अंत तक करीब 29 से 30 लाख गांठ आयातित कॉटन की भारतीय बंदरगाह पर आयेंगी।

स्पिनिंग मिलों की मांग बनी रहने के कारण मंगलवार को शाम के सत्र में गुजरात के साथ ही उत्तर भारत के राज्यों में कॉटन की कीमत तेज हुई।

गुजरात के अहमदाबाद में 29 शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव मंगलवार को 100 रुपये तेज होकर दाम 52,800 से 53,200 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो हो गए।

पंजाब में रुई हाजिर डिलीवरी के भाव बढ़कर 5,140 से 5,290 रुपये प्रति मन बोले गए।हरियाणा में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव तेज होकर 5,120 से 5,210 रुपये प्रति मन बोले गए। ऊपरी राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के दाम बढ़कर 5,120 से 5,320 रुपये प्रति मन बोले गए। लोअर राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के दाम 49,500 से 50,500 रुपये कैंडी बोले गए। देशभर की मंडियों में कपास की आवक 182,700 गांठ, एक गांठ-170 किलो की हुई।

घरेलू वायदा कारोबार में कॉटन की कीमतों में मिलाजुला रुख रहा। एनसीडीईएक्स पर अप्रैल 26 महीने के वायदा अनुबंध में कपास के दाम 13.5 रुपये तेज होकर 1,535 रुपये प्रति 20 किलो हो गए। इस दौरान एमसीएक्स पर दिसंबर 25 महीने के वायदा अनुबंध में कॉटन के भाव 140 रुपये की गिरावट आकर 25,140 रुपये रह गए। आईसीई के इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग में कॉटन की कीमतों में नरमी का रुख रहा।

जानकारों के अनुसार स्पिनिंग मिलों की मांग बढ़ने से गुजरात के साथ ही उत्तर भारत के राज्यों  में कॉटन की कीमतों में दूसरे दिन भी सुधार आया। व्यापारियों के अनुसार मौजूदा भाव में जिनिंग मिलों की बिक्री कमजोर है इसलिए इसके भाव में ज्यादा मंदे के आसार नहीं है। हालांकि घरेलू बाजार में कॉटन की कुल उपलब्धता ज्यादा है। सीसीआई घरेलू बाजार में लगातार पिछले साल की खरीदी हुई कॉटन बेच रही है। अत: मिलों को आसानी से कच्चा माल मिल रहा है। इसलिए स्पिनिंग मिलें कॉटन की खरीद जरुरत के हिसाब से ही कर रही है।

चालू रबी सीजन में फसलों की कुल बुआई 4.68 फीसदी बढ़ी - कृषि मंत्रालय

नई दिल्ली। चालू रबी सीजन में फसलों की बुआई 4.68 फीसदी बढ़कर 536.76 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई केवल 512.76 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। गेहूं के साथ ही दलहन एवं तिलहनी फसलों की बुआई में बढ़ोतरी हुई है।  

कृषि मंत्रालय के अनुसार 12 दिसंबर तक रबी सीजन की प्रमुख फसल गेहूं की बुआई बढ़कर 275.66 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक कुल 259.48 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

चालू रबी में दलहनी फसलों की बुआई बढ़कर 117.11 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 115.41 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। रबी दलहन की प्रमुख फसल चना की बुआई चालू रबी सीजन में बढ़कर 84.91 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इस समय तक 81.67 लाख हेक्टेयर में ही इसकी बुआई हुई थी।

अन्य रबी दलहन में मसूर की बुआई बढ़कर 14.60 लाख हेक्टेयर में तथा मटर की 7.92 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 14.57 लाख हेक्टेयर में और 8.27 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। उड़द की बुआई चालू रबी में घटकर 2.41 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि में 3.09 लाख हेक्टेयर की तुलना में हो चुकी थी है।

चालू रबी सीजन में तिलहनी फसलों की बुआई देशभर में बढ़कर 89.79 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 87.10 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। तिलहनी फसलों में सरसों की बुआई बढ़कर 84.67 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 81.16 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। हालांकि मूंगफली की बुआई घटकर 2.12 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 2.57 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। अलसी की बुआई भी चालू रबी में घटकर 1.61 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि के 2.24 लाख हेक्टेयर की तुलना में कमी है।

मोटे अनाजों की बुवाई चालू रबी में बढ़कर 41.77 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 41.13 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। मोटे अनाजों में ज्वार की 18.52 लाख हेक्टेयर और मक्का की 15.60 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 19.99 और 13.99 लाख हेक्टेयर में हुई थी।

जौ की बुआई चालू रबी सीजन में बढ़कर 6.78 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 6.47 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।

चालू रबी सीजन में राज्य में धान की रोपाई बढ़कर 12.44 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 10.64 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

नवंबर में खाद्य एवं अखाद्य तेलों का आयात 28 फीसदी घटा - एसईए

नई दिल्ली। चालू तेल वर्ष 2025-26 के पहले महीने नवंबर 2025 में खाद्य एवं अखाद्य तेलों का आयात 28 फीसदी घटकर 1,183,832 टन का ही हुआ है, जबकि पिछले साल नवंबर में इनका आयात 1,650,976 टन का हुआ था। अक्टूबर 2025 के मुकाबले नवंबर 2025 में खाद्य एवं अखाद्य तेलों के आयात में 11 फीसदी की कमी आकर कुल आयात 1,332,173 टन का हुआ है।


सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अनुसार  आरबीडी पामोलिन के आयात में इस दौरान कमी आई है। नवंबर 2025 में केवल 3,500 टन तक आरबीडी पामोलीन का आयात हुआ है, जबकि नवंबर 2024 में इसका आयात 285,416 टन और अक्टूबर 2024 में 5,000 टन का हुआ था।

इस दौरान क्रूड सनफ्लावर तेल का आयात भी कम होकर 142,953 टन का रह गया, जो नवंबर 2024 के 340,660 टन से 58 फीसदी कम और अक्टूबर 2025 के 257,548 टन की तुलना में 45 फीसदी कम है।

इसी तरह, सोया तेल का आयात घटकर नवंबर 2025 में 370,661 टन का रह गया, जो नवंबर 2024 के 407,648 टन से 9 फीसदी और अक्टूबर 2025 के 414,619 टन की तुलना में 11 फीसदी कम है।

कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के अनुसार, 5 दिसंबर, 2025 तक देशभर के उत्पादक राज्यों में रबी तिलहन की फसलों की बुआई में 2.40 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है और यह पिछले साल इसी समय के 81.75 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 84.14 लाख हेक्टेयर हो चुकी है। इस दौरान रबी तिलहन की प्रमुख फसल सरसों का रकबा 3.45 फीसदी बढ़ा है और इसकी बुवाई पिछले साल के 76.43 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 79.88 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है।

एसईए के अनुसार पहली दिसंबर, 2025 को अलग-अलग बंदरगाह पर खाने के तेल का स्टॉक प्रोविजनल तौर पर 1,023,000 टन (सीपीओ और सीपीओके 620,000 टन, आरबीडी पामोलिन 7,000 टन, डीगम्ड सोयाबीन तेल 265,000 टन, क्रूड सनफ्लावर तेल 125,000 टन और सरसों तेल 6,000 टन) होने का अनुमान है। पहली दिसंबर 2025 तक कुल स्टॉक 1,623,000 टन होने का अनुमान लगाया गया है, जबकि 1 नवंबर 2025 को इनका स्टॉक 1,731,000 टन था। अत: इसमें 108,000 टन की कमी आई है।

नवंबर 2025 के दौरान 307,849 टन की तुलना में केवल 3,500 टन रिफाइंड तेल (आरबीडी पामोलिन) का आयात किया गया। इसी तरह से सक नवंबर 2024 के 1,305,786 टन की तुलना में 1,147,455 टन क्रूड तेल तेल का आयात किया किया। रिफाइंड तेल का रेश्यो इस दौरान घटकर 19 फीसदी से 0.30 फीसदी रह गया, जबकि क्रूड पाम तेल का रेश्यो 81 फीसदी से बढ़कर 99.7 फीसदी हो गया है।

एसईए के अनुसार अक्टूबर के मुकाबले नवंबर में आयातित खाद्य तेलों के दाम भारतीय बंदरगाह पर कमजोर हुए हैं। नवंबर में आरबीडी पामोलिन का भाव भारतीय बंदरगाह पर घटकर 1,049 डॉलर प्रति टन का रह गया, जबकि अक्टूबर में इसका भाव 1,106 डॉलर प्रति टन था। इसी तरह से क्रूड पाम तेल का भाव भारतीय बंदरगाह पर नवंबर में घटकर 1,096 डॉलर प्रति टन का रह गया, जबकि अक्टूबर में इसका भाव 1,148 डॉलर प्रति टन था। क्रूड सोया तेल का भाव अक्टूबर में भारतीय बंदरगाह पर 1,181 डॉलर प्रति टन था, जोकि नवंबर में घटकर 1,175 डॉलर प्रति टन का रह गया।

महाराष्ट्र में 184 चीनी मिलों में पेराई शुरू, 27.83 लाख टन हो चुका है चीनी का उत्पादन

नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2025 से शुरू हुए चालू पेराई सीजन (अक्टूबर-25 से सितंबर-26) में 11 दिसंबर तक महाराष्ट्र में 184 चीनी मिलों ने पेराई आरंभ चल रही है तथा इस दौरान राज्य में 27.83 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है।


शुगर कमिश्नर के अनुसार 11 दिसंबर तक राज्य में 336.43 लाख टन गन्ने की पेराई हो चुकी है और 27.83 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है। राज्य की औसत चीनी रिकवरी 8.27 फीसदी की बैठ रही है। राज्य में 11 दिसंबर तक कुल 184 फैक्ट्रियों (91 कोऑपरेटिव और 93 प्राइवेट) ने ही पेराई शुरू की है।

पिछले पेराई सीजन की समान अवधि में राज्य में 195 चीनी फैक्ट्रियों (95 को ऑपरेटिव और 95 प्राइवेट) ने पेराई आरंभ कर दी थी। पिछले साल की समान अवधि में राज्य में 177.33 लाख टन गन्ने की पेराई की थी और 13.9 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था। औसत चीनी की रिकवरी दर 7.89 फीसदी की थी।

कोल्हापुर डिवीजन ने 77.58 लाख टन गन्ने की पेराई की है और 7.48 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है। कोल्हापुर डिवीजन में रिकवरी की दर 9.65 फीसदी की है। डिवीजन में 35 फैक्ट्रियां चल रही हैं, जिसमें 23 सहकारी और 12 प्राइवेट हैं।

इसी तरह से पुणे डिवीजन में कुल 29 फैक्ट्रियां चल रही हैं, जिसमें 17 सहकारी और 12 प्राइवेट मिलें है। उन्होंने अब तक 80.08 लाख टन गन्ने की पेराई कर 6.92 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है। पुणे डिवीजन की रिकवरी दर 8.65 फीसदी की है।

सोलापुर डिवीजन गन्ना पेराई में तीसरे स्थान पर है। जिले में कुल 41 फैक्ट्रियां चल रही हैं, जिसमें 14 सहकारी और 27 प्राइवेट हैं। अब तक डिवीजन में 71.03 लाख टन गन्ने की पेराई हो चुकी है और 5.28 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है। चीनी की रिकवरी दर 7.44 फीसदी की है।

अहमदनगर (अहिल्यानगर) डिवीजन गन्ना पेराई में चौथे नंबर पर है तथा इस डिवीजन में कुल 25 फैक्ट्रियां, 14 को ऑपरेटिव और 11 प्राइवेट ने पेराई शुरू कर दी हैं। इन सभी फैक्ट्रियों ने अब तक 40.92 लाख टन गन्ने की पेराई की है और 3.12 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है। अहमदनगर डिवीजन में चीनी की रिकवरी दर 7.65 फीसदी है। छत्रपति संभाजीनगर और नांदेड़ डिवीजन क्रम से पांचवें और छठे नंबर पर हैं। छत्रपति संभाजीनगर डिवीजन में कुल 21 चीनी मिलों (12 कोऑपरेटिव और 9 प्राइवेट) ने पेराई शुरू कर दी है तथा उन्होंने 31.26 लाख टन गन्ने की पेराई कर 2.19 लाख क्विंटल चीनी का उत्पादन किया है। चीनी की रिकवरी की दर 7.01 फीसदी है।

नांदेड़ डिवीजन में कुल 29 फैक्ट्रियां (10 कोऑपरेटिव और 19 प्राइवेट) चल रही हैं और उन्होंने 32.05 लाख टन गन्ने की पेराई कर 2.53 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है। इस डिवीजन में चीनी की रिकवरी दर 7.9 फीसदी है। अमरावती डिवीजन में एक को ऑपरेटिव और 3 प्राइवेट फैक्ट्रियां चल रही हैं, और उन्होंने 3.51 लाख टन गन्ने की पेराई की है और 2.9 लाख क्विंटल चीनी का उत्पादन किया है। इस डिवीजन में चीनी की रिकवरी दर 8.26 फीसदी की है। नागपुर डिवीजन में अभी तक कोई फैक्ट्री शुरू नहीं हुई है।

राजस्थान में रबी फसलों की बुआई 93 फीसदी पूरी, चना की तय लक्ष्य से ज्यादा

नई दिल्ली। राजस्थान में चालू रबी सीजन में तय लक्ष्य की 93 फीसदी क्षेत्रफल में फसलों की बुवाई हो चुकी है। चना के बुआई तय लक्ष्य से ज्यादा हुई है, साथ ही सरसों एवं गेहूं की बुआई में भी बढ़ोतरी हुई है।


राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार 11 दिसंबर तक राज्य में रबी फसलों की बुआई 112.12 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में केवल 101.36 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हुई थी। चालू रबी सीजन में राज्य में 120.15 लाख हेक्टेयर में फसलों की बुआई का लक्ष्य तय किया है।

चालू रबी सीजन में तिलहनी फसलों की बुआई राज्य में बढ़कर 35.29 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 33.83 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। तिलहनी फसलों में सरसों की बुआई बढ़कर 33.81 लाख हेक्टेयर में, तारामीरा की 1.35 लाख हेक्टेयर में हुई है, जबकि पिछले रबी की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 32.89 लाख हेक्टेयर और 83,000 हेक्टेयर में ही हुई थी।

रबी दलहन की प्रमुख फसल चना की बुआई राज्य में चालू रबी सीजन में बढ़कर 22.20 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इस समय तक 16.93 लाख हेक्टेयर में ही इसकी बुआई हुई थी। चालू रबी सीजन में चना की बुआई का लक्ष्य 21.50 लाख हेक्टेयर तय किया गया था। अन्य रबी दलहन की बुआई 31 हजार हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 38 हजार हेक्टेयर की तुलना में कम है।

चालू रबी सीजन में राज्य में गेहूं की बुआई बढ़कर 32.55 लाख हेक्टेयर में और जौ की बुआई 4.33 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 28.61 लाख हेक्टेयर एवं 3.30 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

सीसीआई द्वारा बिनौले की बिक्री बढ़ने से उत्तर भारत में भाव कमजोर हुए

नई दिल्ली। कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया, सीसीआई द्वारा गुरुवार को बिनौले की बिक्री बढ़ाने से उत्तर भारत के राज्यों में इसके दाम 50 रुपये प्रति क्विंटल तक कमजोर हुए। निगम ने गुरुवार को घरेलू बाजार में 10,97,800 क्विंटल बिनौला की बिक्री की। इससे पहले निगम ने बुधवार देशभर के राज्यों में ई नीलामी के माध्यम से 8,28,800 क्विंटल बिनौला बेचा था।


सूत्रों के अनुसार सीसीआई ने गुरुवार को बिनौले की बिक्री कीमतों को स्थिर रखा, इसके बावजूद भी हाजिर बाजार में इसकी कीमतों पर दबाव देखा गया। व्यापारियों के अनुसार निगम की बिक्री बनी रहने की उम्मीद है, साथ ही विश्व बाजार में खाद्य तेलों की कीमतों में हाल ही मंदा आया है। अत: आयातित खाद्य तेलों के भाव कमजोर होने से तेल मिलें बिनौला की खरीद सीमित मात्रा में कर रही है।

सिरसा में सीसीआई ने 22,900 क्विंटल बिनौला की बिक्री 3,520 से 3,620 रुपये प्रति क्विंटल एवं श्रीगंगानगर में 54,700 क्विंटल बिनौला की बिक्री 3,620 से 3,820 रुपये तथा बठिंडा में निगम ने 2,400 क्विंटल बिनौला की बिक्री 3,550 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर की।

सीसीआई ने गुरुवार को तेलंगाना में ई नीलामी के माध्यम से 4,22,200 क्विंटल बिनौला की बिक्री की थी जबकि इस दौरान महाराष्ट्र में 2,41,100 क्विंटल बिनौला की बिक्री की। सीसीआई ने बुधवार को तेलंगाना में 2,67,200 क्विंटल बिनौला की बिक्री की थी।

तेल मिलों की खरीद कमजोर होने के कारण उत्तर भारत के राज्यों में बिनौले की कीमतों में मंदा आया। हरियाणा में बिनौले के भाव 50 रुपये कमजोर होकर 3,450 से 3,650 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। इस दौरान राजस्थान में बिनौला के भाव 50 रुपये घटकर 3,550 से 3,750 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। बिनौला के दाम पंजाब में 50 रुपये कमजोर होकर 3,450 से 3,650 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

पशु आहार वालों की मांग कमजोर होने से कपास खली की कीमत स्थिर से कमजोर हुई। बीड़ में कपास खली की कीमत 3,180 से 3,300 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गई। इस दौरान बालानगर में रेगुलर क्वालिटी की कपास खली की कीमत कमजोर होकर 3,160 रुपये प्रति क्विंटल रह गई। पिंपलगांव में रेगुलर क्वालिटी की कपास खली के भाव घटकर 3,160 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

11 दिसंबर 2025

सीसीआई ने बिनौले की बिक्री कीमतों में बढ़ोतरी की, हाजिर बाजार में भी इसके भाव तेज

नई दिल्ली। कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया, सीसीआई ने सोमवार को बिनौले की बिक्री कीमतों में 50 से 100 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी, जिससे हाजिर बाजार में बिनौला के साथ ही कपास खली की कीमतों में 100 से 125 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आई।


तेल मिलों की खरीद सीमित होने के कारण बिनौले की कीमत स्थिर हो हुई। हरियाणा में बिनौले के भाव 100 रुपये तेज होकर 3,450 से 3,650 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। इस दौरान राजस्थान में बिनौला के भाव 100 रुपये बढ़कर 3,550 से 3,750 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। बिनौला के दाम पंजाब में 100 रुपये बढ़कर 3,450 से 3,650 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

सीसीआई ने सोमवार को घरेलू बाजार में ई नीलामी के माध्यम से 6,17,100 क्विंटल बिनौला की बिक्री की। निगम ने सरसों में 26,900 क्विंटल बिनौला की बिक्री की तथा बिक्री कीमतों में 50 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की। इसी तरह से निगम ने श्रीगंगानगर में 63,100 क्विंटल बिनौला बेचा तथा बिक्री कीमतों में 50 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की।

इस दौरान निगम ने आदिलाबाद में 1,25,900 क्विंटल बिनौला की बिक्री की, तथा बिक्री कीमतों में 100 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की। बठिंडा में निगम ने 8,800 क्विंटल बिनौला की बिक्री की तथा इसके बिक्री भाव 50 रुपये प्रति क्विंटल तक बढ़ाए।

निगम द्वारा बिनौला के बिक्री भाव बढ़ाने से कपास खली की कीमतों में 100 से 125 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी दर्ज की गई। सेलू में कपास खली की कीमत तेज होकर 3,230 रुपये प्रति क्विंटल हो गई। इस दौरान भोकर में रेगुलर क्वालिटी की कपास खली की कीमत बढ़कर 3,250 रुपये प्रति क्विंटल बोली गई। शाहपुरा में रेगुलर क्वालिटी की कपास खली के भाव तेज होकर 3,270 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

विश्व बाजार में खाद्य तेलों की कीमतों में गिरावट का रुख रहा, हालांकि इस दौरान घरेलू बाजार में कॉटन वॉश की कीमत स्थिर से कमजोर हुई। मुंबई में कॉटन आरएफ के भाव 1,300 रुपये प्रति 10 किलो पर स्थिर हो गए। इस दौरान धुले में कॉटन वॉश की कीमत कमजोर होकर 1,235 रुपये प्रति दस किलो बोली गई। राजकोट में कॉटन वॉश के दाम 1,250 रुपये प्रति 10 किलो पर स्थिर हो गए।

उद्योग ने की कॉटन उत्पादन अनुमान में बढ़ोतरी, 309.50 लाख गांठ होने की उम्मीद

नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2025 से शुरू हुए फसल सीजन 2025-26 के दौरान देश में कॉटन का उत्पादन 309.50 लाख गांठ, एक गांठ 170 किलो होने का अनुमान है, जोकि पहले के अनुमान से 4.50 लाख गांठ ज्यादा है। इस दौरान कॉटन का आयात बढ़कर 50 लाख गांठ होने का अनुमान है।


कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया, सीएआई के अनुसार चालू फसल सीजन 2025-26 में देश में 309.50 लाख गांठ कॉटन के उत्पादन का अनुमान है, तथा इससे पहले के अनुमान में 4.50 लाख गांठ की बढ़ोतरी की उम्मीद है। प्रमुख उत्पादन राज्य गुजरात में आरंभिक उत्पादन में 3 लाख गांठ, महाराष्ट्र में 3 लाख गांठ तथा कर्नाटक में एक लाख गांठ की बढ़ोतरी का अनुमान है जबकि तेलंगाना में पहले के अनुमान में 2.50 लाख गांठ की कमी आने का अनुमान है।

सीएआई के अनुसार चालू फसल सीजन 2025-26 में उत्तर भारत के राज्यों में कॉटन का कुल उत्पादन 30.50 लाख गांठ होने का अनुमान है। इसमें पंजाब की हिस्सेदारी 2 लाख गांठ, हरियाणा की 7 लाख गांठ के अलावा अपर राजस्थान में 12.50 लाख गांठ के अलावा लोअर राजस्थान में 9 लाख गांठ कॉटन के उत्पादन का अनुमान है।

मध्य भारत के राज्यों में कॉटन का उत्पादन 185 लाख गांठ होने का अनुमान है। इसमें गुजरात की हिस्सेदारी 75 लाख गांठ तथा महाराष्ट्र की 91 लाख गांठ के अलावा मध्य प्रदेश की 19 लाख गांठ है।

दक्षिण भारत के राज्यों में चालू फसल सीजन में 88 लाख गांठ कॉटन के उत्पादन का अनुमान है। इसमें तेलंगाना की हिस्सेदारी 40.50 लाख गांठ, आंध्रप्रदेश 17 लाख गांठ के अलावा कर्नाटक 26 लाख गांठ तथा तमिलनाडु में 4.50 लाख गांठ कॉटन के उत्पादन का अनुमान है।

अन्य राज्यों में ओडिशा में चालू सीजन में 4 लाख गांठ तथा अन्य राज्यों में 2 लाख गांठ के उत्पादन का अनुमान है।

एसएआई के अनुसार चालू फसल सीजन में 50 लाख गांठ कॉटन के आयात का अनुमान है, जोकि पिछले साल के 41 लाख गांठ से 9 लाख गांठ ज्यादा है। चालू फसल सीजन के पहले दो महीनों में नवंबर अंत तक 18 लाख गांठ आयातित कॉटन भारतीय बंदरगाह पर पहुंच चुकी है।

चालू फसल सीजन 2025-26 के दौरान देश से 18 लाख गांठ कॉटन के निर्यात का अनुमान है, जोकि पिछले साल के लगभग बराबर ही है। चालू फसल सीजन के पहले दो महीनों में नवंबर अंत देश से 3 लाख गांठ कॉटन का निर्यात हो चुका है।

एसएआई के अनुसार चालू फसल सीजन के आरंभ में 60.59 लाख गांठ का बकाया स्टॉक बचा हुआ था जबकि 309.50 लाख गांठ का उत्पादन होने की उम्मीद है। इस दौरान 50 लाख गांठ आयातित कॉटन आयेगी। अत: घरेलू बाजार में कॉटन की कुल उपलब्धता 420.09 लाख गांठ की बैठेगी।

चालू फसल सीजन में कॉटन की कुल खपत 295 लाख गांठ की होने का अनुमान है, इसके अलावा 18 लाख गांठ का निर्यात हो जायेगा। अत: क्लोजिंग स्टॉक 107.09 लाख गांठ का बैठेगा।

चालू फसल सीजन में नवंबर अंत तक 69.78 लाख गांठ की आवक उत्पादक मंडियों में हो चुकी है। 

राजस्थान में रबी फसलों की बुआई 88 फीसदी पूरी, गेहूं एवं सरसों के साथ ही चना की ज्यादा

नई दिल्ली। चालू रबी सीजन में राजस्थान में तय लक्ष्य के 88 फीसदी क्षेत्रफल में फसलों की बुवाई हो चुकी  है। चना के साथ ही सरसों एवं गेहूं की बुआई पिछले साल की तुलना में बढ़ी है।

राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार 1 दिसंबर तक राज्य में रबी फसलों की बुआई 105.60 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में केवल 95.85 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हुई थी। चालू रबी सीजन में राज्य में 120.15 लाख हेक्टेयर में फसलों की बुआई का लक्ष्य तय किया है।

चालू रबी सीजन में तिलहनी फसलों की बुआई राज्य में बढ़कर 34.93 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 33.71 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। तिलहनी फसलों में सरसों की बुआई बढ़कर 33.57 लाख हेक्टेयर में, तारामीरा की 1.24 लाख हेक्टेयर में हुई है, जबकि पिछले रबी की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 32.80 लाख हेक्टेयर और 80,000 हेक्टेयर में ही हुई थी।

रबी दलहन की प्रमुख फसल चना की बुआई राज्य में चालू रबी सीजन में बढ़कर 21.25 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इस समय तक 16.55 लाख हेक्टेयर में ही इसकी बुआई हुई थी। अन्य रबी दलहन की बुआई 29 हजार हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 38 हजार हेक्टेयर की तुलना में कम है।

चालू रबी सीजन में राज्य में गेहूं की बुआई बढ़कर 29.40 लाख हेक्टेयर में और जौ की बुआई 3.91 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 24.69 लाख हेक्टेयर एवं 3.30 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

नीचे दाम पर मांग निकलने से बिनौला के साथ ही कपास खली के भाव तेज

नई दिल्ली। नीचे दाम पर तेल मिलों के साथ ही पशु आहार वालों की मांग निकलने से बिनौला के साथ ही कपास खली की कीमतों में गुरुवार तो तेजी दर्ज की गई। उत्पादक मंडियों में कपास की आवक बराबर बनी हुई है, जबकि विश्व बाजार में खाद्य तेलों के दाम कमजोर हुए है ऐसे में बिनौला एवं कपास खली की मौजूदा कीमतों में हल्का सुधार तो आ सकता है लेकिन बड़ी तेजी के आसार कम है।


नीचे दाम पर जिनिंग मिलों की बिक्री कमजोर होने के साथ ही तेल मिलों की खरीद बढ़ने के कारण बिनौले की कीमतों में सुधार आया। हरियाणा में बिनौले के भाव 50 रुपये तेज होकर 3,350 से 3,550 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। इस दौरान राजस्थान में बिनौला के भाव 50 रुपये बढ़कर 3,450 से 3,650 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। बिनौला के दाम पंजाब में 25 रुपये बढ़कर 3,350 से 3,550 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

कॉटन कारपोरेशन ऑफ इंडिया, सीसीआई घरेलू बाजार में लगातार बिनौला बेच रही है, तथा चालू सप्ताह में सीसीआई ने बिनौला के बिक्री भाव में 30 से 50 रुपये प्रति क्विंटल की कटौती की है। ऐसे में इसके भाव में हल्का सुधार तो आ सकता है, लेकिन बड़ी तेजी मानकर व्यापार नहीं करना चाहिए।

सीसीआई ने 2 दिसंबर को 5,77,100 क्विंटल बिनौला ई नीलामी के माध्यम से बेचा तथा इसकी बिक्री कीमतों में 30 से 50 रुपये प्रति क्विंटल तक की कटौती की थी।

पशु आहार वालों की मांग बढ़ने से कपास खली की कीमतों में भी सुधार आया। कपास खली की मौजूदा कीमतों में तेल मिलों को नुकसान हो रहा है, जिस कारण मिलों की बिकवाली पहले की तुलना में कमजोर हुई है। हालांकि व्यापारी इसके भाव में अभी बड़ी तेजी के पक्ष में नहीं है। सेलू में कपास खली की कीमत तेज होकर 3,100 रुपये प्रति क्विंटल हो गई। इस दौरान भोकर में रेगुलर क्वालिटी की कपास खली की कीमत बढ़कर 3,125 रुपये प्रति क्विंटल हो गई। शाहपुरा में रेगुलर क्वालिटी की कपास खली के भाव 50 रुपये तेज होकर 3,125 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।

विश्व बाजार में खाद्वय तेलों की कीमतों में गुरुवार को लगातार दूसरे दिन गिरावट का रुख रहा, अत: इस दौरान घरेलू बाजार में कॉटन वॉश की कीमत स्थिर से कमजोर हो गई। अकोला में कॉटन वॉश के भाव 1,240 रुपये प्रति 10 किलो पर स्थिर हो गए। इस दौरान धुले में कॉटन वॉश की कीमत 1,240 रुपये प्रति दस किलो बोली गई। राजकोट में कॉटन वॉश के दाम 15 रुपये कमजोर होकर 1,235 रुपये प्रति 10 किलो रह गए।

नवंबर अंत तक घरेलू बाजार में 23 लाख बोरी सरसों का बकाया स्टॉक - उद्योग

नई दिल्ली। सरसों का बकाया स्टॉक नवंबर अंत तक 23 लाख बोरी का बचा हुआ है, जिसमें से सबसे ज्यादा 13.50 लाख बोरी किसानों के पास है। इसके अलावा 4 लाख बोरी का स्टॉक तेल मिलों एवं स्टॉकिस्टों के पास तथा 5.50 लाख बोरी का स्टॉक नेफेड एवं हैफेड के पास नई एवं पुरानी का मिलाकर है।


उद्योग के अनुसार चालू मार्किट सीजन 2025-26 में नवंबर अंत तक देशभर की उत्पादक मंडियों में सरसों की आवक 96.75 लाख बोरी की हो चुकी है, जिसमें से 95.25 लाख बोरी की पेराई भी हो चुकी है। पहली मार्च 2025 को सरसों का बकाया स्टॉक एक लाख बोरी का बचा हुआ था। अत: नवंबर के अंत में तेल मिलों एवं स्टॉकिस्टों के पास 4 लाख बोरी का बकाया स्टॉक बचा हुआ है।

चालू मार्केट सीजन 2025-26 में देशभर में 109.25 लाख बोरी सरसों का उत्पादन हुआ था, जबकि पुराना स्टॉक करीब 9 लाख बोरी का बचा हुआ था। अत: कुल उपलब्धता 118.25 लाख बोरी की बैठी थी।