बाली, इंडोनेशिया 14 नवंबर 2025। एशियाई पाम तेल गठबंधन (एपीओए) के अध्यक्ष अतुल चतुर्वेदी ने 21वें इंडोनेशियाई पाम तेल सम्मेलन और 2026 मूल्य परिदृश्य (आईपीओसी 2025) के अवसर पर बोलते हुए इस बात पर ज़ोर दिया कि “एपीओए पाम उत्पादक और पाम उपभोक्ता देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने के लिए है।”
उन्होंने कहा कि इसका गठन मुख्यतः क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ाने के साथ ही मिथकों को तोड़ने और पाम के सतत विकास को समर्थन देने के लिए किया गया है। आईपीओसी 2025 पाम तेल उद्योग के लिए एक प्रमुख वार्षिक वैश्विक मंच है, जिसने 12-14 नवंबर को इंडोनेशिया के बाली में आयोजित अपने दो दिवसीय प्रमुख कार्यक्रम में इस क्षेत्र के शीर्षस्थ लोगों को एक साथ लाया।
उद्योग के नेताओं, नीति निर्माताओं, व्यापारियों और नवप्रवर्तकों की इस प्रतिष्ठित सभा को संबोधित करते हुए और भारत के पाम तेल नीति संतुलन अधिनियम' पर जानकारी देते हुए, अतुल चतुर्वेदी ने एपीओए और सीपीओपीसी (पाम ऑयल उत्पादक देशों की परिषद) के बीच हाल ही में हस्ताक्षरित अत्यंत महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन का उल्लेख किया, जिससे सकारात्मक जनधारणा को बढ़ावा मिलने और पाम तेल से जुड़ी भ्रामक सोशल मीडिया की खबरों का समाधान होने की उम्मीद है। इस समझौता ज्ञापन पर इस वर्ष सितंबर में मुंबई में आयोजित सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, एसईए की 54वीं वार्षिक आम बैठक में हस्ताक्षर किए गए थे।
आयात के बारे में बात करते हुए उन्होंने बताया कि भारत के खाद्य तेल के आयात में पाम ऑयल की हिस्सेदारी लगभग 50 फीसदी है। आयात में भारत का हिस्सा सोया तेल (29 फीसदी) और सूरजमुखी तेल (21 फीसदी) से यह ज्यादा है। हालाँकि, सॉफ्ट ऑयल की बढ़ती मांग के कारण इसकी हिस्सेदारी 60 फीसदी से घटकर अब 50 फीसदी रह गई है।
भविष्य के बारे में उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे जीडीपी बढ़ेगी, निम्न और मध्यम आय वर्ग की क्रय शक्ति मजबूत होने की उम्मीद है, जिससे मांग में और तेजी आएगी। वर्तमान में, भारत में खाद्य तेल की खपत लगातार बढ़ रही है, हालांकि विभिन्न क्षेत्रों में खपत में काफी भिन्नता है क्योंकि समृद्ध क्षेत्रों में प्रति व्यक्ति 25 किलोग्राम से अधिक खपत होती है जबकि गरीब क्षेत्रों में 10 किलोग्राम से कम खपत होती है, हालांकि औसत खपत लगभग 17.5 से 18.0 किलोग्राम प्रति व्यक्ति है।
पाम तेल के आयात में थाईलैंड प्रमुख रूप में उभरा है, जो कि भारत में पाम तेल के आयात में 10 फीसदी का योगदान देता है और लगातार बाजार में बढ़त बना रहा है, जबकि इंडोनेशिया, जो लगभग 48 फीसदी आयात करता है, की हिस्सेदारी में कमी आ रही है। मलेशिया से 30 फीसदी से बढ़कर 37 फीसदी की हो गई है जोकि मजबूत वृद्धि के संकेत हैं। आईपीओसी 2025 14 नवंबर को समाप्त हो गया है।
पाम ऑयल कॉन्क्लेव 2025 का आयोजन 6 दिसंबर 2025 को भोपाल होना है। यह कॉन्क्लेव एशियन पाम ऑयल अलायंस (एपीओए) के बैनर तले सॉलिडारिडाड रीजनल एक्सपर्टिस सेंटर (एसआरईसी) और दा सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है। पाम ऑयल संवादों के माध्यम से धारणाओं को नया आकार देना जैसा कि स्वास्थ्य, बाजार, जलवायु विषय पर आधारित यह कॉन्क्लेव नीति निर्माताओं, उद्योग जगत के नेताओं और स्वास्थ्य विशेषज्ञों को एक साथ लाएगा ताकि भारत के खाद्य तेल पारिस्थिति की तंत्र में पाम तेल की उभरती भूमिका पर सार्थक संवाद को बढ़ावा दिया जा सके।

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