नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2025 से शुरू हुए चालू पेराई सीजन 2025-26 (अक्टूबर से सितंबर) में अभी तक 10.50 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 7.10 लाख टन की तुलना में 47.88 फीसदी अधिक है।
राष्ट्रीय सहकारी चीनी कारखाना संघ लिमिटेड (एनएफसीएसएफ) के अनुसार देशभर में 325 चीनी मिलों में पेराई आरंभ हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 144 मिलों में ही पेराई आरंभ हुई थी।
चालू पेराई सीजन 2025-26 में अभी मिलों ने 128 लाख टन गन्ने की पेराई की है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 91 लाख टन की तुलना में ज्यादा है। इस दौरान गन्ने में औसत चीनी की रिकवरी दर 8.2 फीसदी आई है जोकि पिछले वर्ष की समान अवधि के 7.80 फीसदी के मुकाबले ज्यादा है।
देश में गन्ने का नया पेराई सीजन पहली अक्टूबर से शुरू होता है लेकिन इस वर्ष, यह देखा गया है कि मानसूनी बारिश अक्टूबर एवं महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में नवंबर तक जारी रही थी। जानकारों के अनुसार मानसून की वापसी में देरी हुई। साथ ही महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र के कुछ हिस्सों में हुई बेमौसम भारी बारिश के कारण सोयाबीन, ज्वार, दालें, मक्का, सब्जियों की फसल को नुकसान हुआ। अत: खेतों में खड़े गन्ने का वजन बढ़ने की उम्मीद के बावजूद, गीले खेतों के कारण समय पर कटाई नहीं हो पा रही है। इस स्थिति को देखते हुए, गन्ने के नए पेराई सत्र की शुरुआत में देरी हुई है। इसके अलावा, कर्नाटक और महाराष्ट्र में गन्ना मूल्य आंदोलन ने पूरे भारत में गन्ना पेराई को धीमा कर दिया। जानकारों के अनुसार पिछले गन्ना पेराई सीजन में भी देरी हुई थी, क्योंकि महाराष्ट्र में चुनावों थे। अत: गन्ने की पेराई पिछले सीजन में नवंबर के अंत तक शुरू हो पाई थी।
एनएफसीएसएफ के अनुसार नए पेराई सीजन में देरी से शुरुआत के बावजूद, देशभर में 350 लाख टन चीनी के उत्पादन का अनुमान है। प्रमुख उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में चालू पेराई सीजन में लगभग 125 लाख टन, उत्तर प्रदेश में 110 लाख टन और कर्नाटक में 70 लाख टन चीनी के उत्पादन का अनुमान है। चालू पेराई सीजन में करीब 35 लाख टन चीनी के उत्पादन का अनुमानित उपयोग इथेनॉल उत्पादन में होने की उम्मीद है।
देश में चीनी की सालाना खपत करीब 290 लाख टन होने का अनुमान है, जबकि पहली अक्टूबर से शुरू हुए चालू पेराई सीजन के आरंभ में लगभग 50 लाख टन चीनी का बकाया स्टॉक बचा हुआ था। अत: घरेलू बाजार में 20-25 लाख टन चीनी का स्टॉक कुल खपत के मुकाबले ज्यादा है। केंद्र सरकार ने निर्यात के लिए 15 लाख टन चीनी की अनुमति दी है। अत: केंद्र सरकार द्वारा समय पर की गई इस अग्रिम घोषणा से बाजार की धारणा को स्थिर करने में मदद मिलेगी।
जनवरी से अप्रैल 2026 तक के निर्यात अवसर की अवधि केवल 2 महीने दूर है तथा जानकारों को उम्मीद है कि केंद्र सरकार चालू पेराई सीजन के मध्य तक और भी करीब 10 लाख की अनुमति दे सकती है। इससे चीनी मिल मालिकों को आंशिक रूप से राहत मिलेगी, जो पिछले 6 वर्षों से चीनी के न्यूनतम समर्थन मूल्य में संशोधन न होने और पिछले 3 वर्षों से इथेनॉल खरीद मूल्यों के स्थिर रहने के कारण अर्ध-मंदी की स्थिति में हैं।

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