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20 नवंबर 2025

फसल बीमा क्लेम में किसानों की शिकायतों पर केंद्र सरकार सख्त - शिवराज सिंह चौहान

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के तहत किसानों को नाममात्र की क्लेम राशि मिलने की शिकायतों पर केंद्र सरकार हरकत में आ गई है। केंद्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को दिल्ली में उच्चस्तरीय बैठक बुलाई और अधिकारियों और बीमा कंपनियों को सख्त निर्देश दिए कि किसानों के साथ किसी भी तरह का अन्याय या मजाक बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि 1 रुपया, तीन रुपया या फिर 21 रुपये का क्लेम मिलना किसानों के साथ मजाक है, इसे किसी भी हालत में जारी नहीं रहने दिया जाएगा।


बैठक में शिवराज सिंह ने महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के कई किसानों को वर्चुअली जोड़ा और उनसे सीधे उनकी समस्याएं सुनी। मंत्री ने सीहोर जिले के किसानों का उदाहरण देते हुए कहा कि जिन किसानों ने पूरी प्रीमियम राशि देकर फसल बीमा कराया है, उन्हें फसल में नुकसान होने के बावजूद ‘जीरो लॉस’ दिखाया गया या फिर 1 रुपये का क्लेम दिया गया। उन्होंने अधिकारियों से पूछा कि क्या यह किसानों के साथ अन्याय नहीं है? यह कौन-सा तरीका है नुकसान का आकलन करने का?

शिवराज सिंह ने बताया कि उन्हें सीहोर जिले के दौरे के दौरान कई किसानों ने यह शिकायत की थी कि उन्हें बीमा के नाम पर नाममात्र की राशि दी गई। इसी तरह से महाराष्ट्र के अकोला जिले के किसानों ने भी शिकायत की थी कि उन्हें 5 रुपये या 21 रुपये जैसी राशि क्लेम के तौर पर मिली है। इस पर मंत्री ने बीमा कंपनियों से जवाब तलब करते हुए कहा कि फसल बीमा योजना किसानों के लिए मोदी सरकार का सुरक्षा कवच है, इसे मजाक बनने नहीं देंगे।

कृषि मंत्री ने बैठक में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के सीईओ एवं कृषि मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी, और सभी बीमा कंपनियों के उच्चाधिकारियों को तलब किया। उन्होंने साफ निर्देश दिए कि किसानों को क्लेम राशि जल्द और एकमुश्त मिले तथा नुकसान का आकलन पारदर्शी और वैज्ञानिक प्रणाली से किया जाए।

उन्होंने कहा कि रिमोट सेंसिंग तकनीक से नुकसान के आकलन की प्रमाणिकता की जांच कराई जाएगी और आवश्यक होने पर योजना के प्रावधानों में संशोधन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि किसानों को क्लेम में देरी नहीं होनी चाहिए और बीमा कंपनियों के प्रतिनिधि नुकसान के सर्वे के समय अनिवार्य रूप से मौजूद रहें।

बैठक में यह भी बात भी सामने आई कि कुछ राज्य सरकारें अपने हिस्से की सब्सिडी राशि समय पर जमा नहीं करा रही हैं, जिससे क्लेम भुगतान में देरी हो रही है। इस पर शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि जो राज्य ऐसा कर रहे हैं, उनसे 12 फीसदी ब्याज वसूला जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्यों की लापरवाही से केंद्र सरकार बदनाम नहीं होगी तथा किसानों का हक उन्हें समय पर मिलना चाहिए।

शिवराज सिंह ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के सीईओ को आदेश दिया कि जिन किसानों को 1, 2 या 5 रुपये जैसे क्लेम मिले हैं उन सभी मामलों की फील्ड में जांच की जाए तथा जांच में स्थानीय कलेक्टर और बीमित किसानों की बात भी सुनी जाए, ताकि वास्तविक स्थिति सामने आ सके।

उन्होंने यह भी कहा कि किसानों को टेक्नोलॉजी से जोड़ा जाए, ताकि पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहे और कोई गड़बड़ी न हो। मंत्री ने जोर देते हुए कहा कि हम किसानों को परेशान नहीं होने देंगे क्योंकि फसल बीमा योजना उनकी सुरक्षा के लिए बनी है, किसी के शोषण का माध्यम नहीं।

बैठक के अंत में शिवराज सिंह चौहान ने महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारियों और बीमा कंपनियों से सुझाव मांगे है ताकि योजना को और प्रभावी बनाया जा सके। उन्होंने कहा कि किसानों के हित सर्वोपरि हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार का उद्देश्य है कि हर किसान को उसका वास्तविक हक मिले, समय पर मिले और पारदर्शिता के साथ मिले।

बैठक में यह भी तय किया गया कि भविष्य में बीमा क्लेम की गणना प्रक्रिया को सरल, पारदर्शी और एकीकृत तकनीकी प्लेटफॉर्म से जोड़ा जाएगा, जिससे किसानों को अपने क्लेम की स्थिति रियल-टाइम में पता चल सके। 

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