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20 नवंबर 2025

उद्योग ने केंद्र से 20 लाख टन चीनी के निर्यात की अनुमति देने की मांग

नई दिल्ली। उत्पादन अनुमान में बढ़ोतरी एवं घरेलू बाजार में उपलब्धता ज्यादा होने के कारण उद्योग ने केंद्र सरकार से पहली अक्टूबर 2025 से शुरू हुए चालू पेराई सीजन 2025-26 (अक्टूबर से सितंबर) में 20 लाख टन चीनी निर्यात की अनुमति देने की मांग की है।


भारतीय चीनी एवं जैव-ऊर्जा निर्माता संघ (इस्मा) ने नई दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की जिसमें उद्योग के लिए चिंता के कई मुद्दों, विशेष रूप से चीनी क्षेत्र को एथेनॉल आवंटन में भारी कमी पर चर्चा की गई। इस्मा ने सरकार से चीनी आधारित फीडस्टॉक्स के लिए अधिक एथेनॉल आवंटन, एथेनॉल खरीद मूल्यों में वृद्धि और चीनी के न्यूनतम समर्थन मूल्य आदि के संबंध में तत्काल नीतिगत हस्तक्षेप की मांग की है।

पहली अक्टूबर से शुरू हुए पेराई सीजन 2025-26 के दौरान उत्पादन अनुमान में बढ़ोतरी को देखते हुए उद्योग ने केंद्र सरकार से इस सीजन में 20 लाख टन चीनी निर्यात की घोषणा करने का अनुरोध किया है। इस अवसर पर केंद्रीय खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने भी माना कि देश में निश्चित रूप से चीनी की उपलब्धता कुल खपत की तुलना में ज्यादा है और सरकार निर्यात की अनुमति देने पर विचार कर रही है। उन्होंने कहा कि ब्राजील में चीनी उत्पादन बढ़ने से कीमतों पर दबाव है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी की कीमतें चार साल के अपने सबसे निचले स्तर पर कारोबार कर रही हैं।

इस्मा के महानिदेशक दीपक बल्लानी के अनुसार भारतीय उद्योग के लिए चीनी निर्यात का एक अच्छा अवसर है। उन्होंने कहा कि जनवरी से मार्च के बीच हमारे पास चीनी निर्यात का एक अच्छा अवसर है, क्योंकि ब्राजीलियाई फसल लगभग अप्रैल तक बाजार में नहीं आती है। हालांकि, हम सरकार से अनुरोध करते हैं कि वह निर्यात संबंधी निर्णय जल्द ही घोषित करे ताकि मिलें अपने कच्ची चीनी उत्पादन की योजना बना सकें।

हाल ही में हरियाणा के साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार ने गन्ने के एसएपी में बढ़ोतरी की है। उद्योग ने केंद्र सरकार से सरकार गन्ना के एसएपी में की गई बढ़ोतरी की भरपाई के लिए चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य में संशोधन की मांग की है। उद्योग का कहना है कि 60 फीसदी से ज्यादा चीनी की खपत पेय पदार्थ, मिठाई, होटल, रेस्टोरेंट आदि निर्माताओं द्वारा की जाती है, इसलिए चीनी उद्योग द्वारा किसानों को गन्ना मूल्य का भुगतान जारी रखने की व्यवहार्यता सुनिश्चित करने के लिए एफआरपी एवं एसएपी के अनुरूप चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य घोषित करना आवश्यक है।

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