आर एस राणा
नई दिल्ली। कोरोना वायरस के कारण देशभर में चल रहे लॉकडाउन का असर चीनी की घरेलू खपत पर पड़ा है। इससे चीनी की खपत में करीब दस लाख टन की कमी आने का अनुमान है।
रेटिंग एजेंसी इक्रा के अनुसार, कोविड-19 महामारी के कारण देशभर में चल रहे लॉकडाउन ने चीनी की घरेलू मांग पर प्रतिकूल असर डाला है, जिसके परिणामस्वरूप चीनी की कीमतें घटकर न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) के स्तर 31 रुपये प्रति किलो के करीब आ गई है जबकि फरवरी 2020 में इसकी कीमतें 32.5 रुपये प्रति किलो थी।
लॉकडाउन के कारण आइसक्रीम, शीतल पेय और कन्फेक्शनरी निर्माताओं की मांग कम
रिपोर्ट में कहा गया है कि मांग कम होने के कारण ही चीनी मिलें अपने मासिक कोटे की चीनी बेचने में भी असमर्थ हैं। कोरोना वायरस के कारण देशभर में चल रहे लॉकडाउन के कारण आइसक्रीम, शीतल पेय और कन्फेक्शनरी निर्माताओं का कारोबार बंद है, जबकि आमतौर पर जैसे ही गर्मियों का मौसम शुरू होता है चीनी में आइसक्रीम और शीतल पेय कंपनियों की मांग बढ़ जाती है। इक्रा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और ग्रुप हेड सब्यसाची मजूमदार ने कहा कि लॉकडाउन के चीनी की घरेलू मांग में करीब 10 लाख टन की कमी आने का अनुमान है।
लॉकडाउन के कारण विश्व बाजार में भी चीनी की कीमतों में आई गिरावट
उन्होंने कहा कि इस कारण मिलें चीनी कम मात्रा में चीनी बेच पा रही है जिस कारण चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का बकाया भी बढ़ गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर अधिकांश देशों में लॉकडाउन के कारण चीनी की मांग में गिरावट आई है, जिसकी वजह से वैश्विक स्तर पर भी चीनी की कीमतों में गिरावट आई है। हालांकि, चीनी निर्यात करने वाली मिलों को डॉलर के मुकाबले रुपये में आई गिरावट से कुछ राहत मिली है।
चालू पेराई सीजन में 35 से 40 लाख टन चीनी के हुए हैं निर्यात सौदे
चालू पेराई सीजन में अभी तक मिलें 35 से 40 लाख टन चीनी निर्यात के अनुबंध कर चुकी है। उन्होंने कहा कि जून-जुलाई से चीनी के निर्यात सौदे फिर से शुरू होने की संभावना है। इक्रा के अनुसार कच्चे तेल की कीमतों में आई गिरावट के कारण ब्राजील में चीनी का उत्पादन ज्यादा होगा, जिसका असर विश्व बाजार में चीनी की कीमतों पर पड़ सकता है। उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों में पेराई अभी जारी है, हालांकि महाराष्ट्र में परिवहन और मजदूरों की कमी के कारण पेराई कार्य प्रभावित हुआ है। महाराष्ट्र से अधिकांश प्रवासी मजदूर अपने-अपने गांव लौट गए हैं। महाराष्ट्र में चालू पेराई सीजन में चीनी के उत्पादन में भारी कमी आने का अनुमान है।..... आर एस राणा
नई दिल्ली। कोरोना वायरस के कारण देशभर में चल रहे लॉकडाउन का असर चीनी की घरेलू खपत पर पड़ा है। इससे चीनी की खपत में करीब दस लाख टन की कमी आने का अनुमान है।
रेटिंग एजेंसी इक्रा के अनुसार, कोविड-19 महामारी के कारण देशभर में चल रहे लॉकडाउन ने चीनी की घरेलू मांग पर प्रतिकूल असर डाला है, जिसके परिणामस्वरूप चीनी की कीमतें घटकर न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) के स्तर 31 रुपये प्रति किलो के करीब आ गई है जबकि फरवरी 2020 में इसकी कीमतें 32.5 रुपये प्रति किलो थी।
लॉकडाउन के कारण आइसक्रीम, शीतल पेय और कन्फेक्शनरी निर्माताओं की मांग कम
रिपोर्ट में कहा गया है कि मांग कम होने के कारण ही चीनी मिलें अपने मासिक कोटे की चीनी बेचने में भी असमर्थ हैं। कोरोना वायरस के कारण देशभर में चल रहे लॉकडाउन के कारण आइसक्रीम, शीतल पेय और कन्फेक्शनरी निर्माताओं का कारोबार बंद है, जबकि आमतौर पर जैसे ही गर्मियों का मौसम शुरू होता है चीनी में आइसक्रीम और शीतल पेय कंपनियों की मांग बढ़ जाती है। इक्रा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और ग्रुप हेड सब्यसाची मजूमदार ने कहा कि लॉकडाउन के चीनी की घरेलू मांग में करीब 10 लाख टन की कमी आने का अनुमान है।
लॉकडाउन के कारण विश्व बाजार में भी चीनी की कीमतों में आई गिरावट
उन्होंने कहा कि इस कारण मिलें चीनी कम मात्रा में चीनी बेच पा रही है जिस कारण चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का बकाया भी बढ़ गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर अधिकांश देशों में लॉकडाउन के कारण चीनी की मांग में गिरावट आई है, जिसकी वजह से वैश्विक स्तर पर भी चीनी की कीमतों में गिरावट आई है। हालांकि, चीनी निर्यात करने वाली मिलों को डॉलर के मुकाबले रुपये में आई गिरावट से कुछ राहत मिली है।
चालू पेराई सीजन में 35 से 40 लाख टन चीनी के हुए हैं निर्यात सौदे
चालू पेराई सीजन में अभी तक मिलें 35 से 40 लाख टन चीनी निर्यात के अनुबंध कर चुकी है। उन्होंने कहा कि जून-जुलाई से चीनी के निर्यात सौदे फिर से शुरू होने की संभावना है। इक्रा के अनुसार कच्चे तेल की कीमतों में आई गिरावट के कारण ब्राजील में चीनी का उत्पादन ज्यादा होगा, जिसका असर विश्व बाजार में चीनी की कीमतों पर पड़ सकता है। उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों में पेराई अभी जारी है, हालांकि महाराष्ट्र में परिवहन और मजदूरों की कमी के कारण पेराई कार्य प्रभावित हुआ है। महाराष्ट्र से अधिकांश प्रवासी मजदूर अपने-अपने गांव लौट गए हैं। महाराष्ट्र में चालू पेराई सीजन में चीनी के उत्पादन में भारी कमी आने का अनुमान है।..... आर एस राणा
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें