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16 मई 2020

राजस्थान में हड़ताल पर व्यापारियों में नहीं बनी सहमति, बीकानेर और श्रीगंगानगर समेत कई मंडियों बंद

आर एस राणा
नई दिल्ली। राजस्थान की मंडियों में किसान कल्याण फीस के मामले पर राज्य भर के कारोबारी दो फाड़ हो गए हैं। कारोबारियों ने सरकार से बगैर राहत मिले राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के हड़ताल वापसी के फैसले को विश्वासघात करार दिया है। लिहाजा बीकानेर और श्रीगंगानगर समेत राज्य की कई मंडियां अभी बंद हैं। वहीं टोंक में किसानों ने सरकार के इस फैसले के खिलाफ मंडी में हंगामा कर दिया।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के आश्वासन के बाद राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ ने एक हफ्ते से जारी हड़ताल को खत्म करने का एलान कर दिया था। संघ के चेयरमैन बाबूलाल गुप्ता के मुताबिक मुख्यमंत्री ने व्यापारियों की समस्या पर विचार करने का आश्वासन दिया है। हालांकि उनके इस फैसले का राज्य के दूसरे स्थानीय संगठनों ने विरोध कर दिया है।
इस महीने के शुरुआत में राजस्थान सरकार ने मंडियों में होने वाले कारोबार पर 2 फीसदी किसान कल्याण फीस लगाने का एलान कर दिया था। ये फीस 1.6 फीसदी मंडी टैक्स के ऊपर से वसूली जा रही है। जिसका विरोध करते हुए राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ ने अनिश्चित कालीन हड़ताल का एलान कर दिया था। लेकिन लेकिन अभी तक 2 फीसदी किसान कल्याण फीस को वापिस नहीं लिया है, तथा इस बारे में केवल आश्वासन ही दिया है। जिसे राज्य के आधे व्यापारियों ने मानने से इनकार कर दिया है। लिहाजा हड़ताल समाप्त करने के बाद भी बीकानेर, गंगानगर, टोंक, सुमेरपुर, निमाई, व्यावर और नागौर समेत राज्य की ज्यादातर मंडियां नहीं खुली।
गंगानगर ट्रेडर्स एसोसिएशन ने राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के चेयरमैन बाबूलाल गुप्ता को लिखे अपने पत्र में असहमति जताते हुए संघ से अपने रिश्ते खत्म करके अनिश्चत कालीन हड़ताल का एलान कर दिया है। एसोसिएशन के सचिव विनय जिंदल के मुताबिक बाबूलाल गुप्ता कारोबारियों, उद्योग और किसानों की भावनाओं को नहीं समझ पाए और बिना किसी चर्चा के एकतरफा फैसला ले लिया है। सुमेरपुर व्यापार संघ ने भी राजस्थान व्यापार संघ के हड़ताल वापसी के फैसले को एकतरफा करार दिया है और 2 फीसदी किसान कल्याण फीस के वापस लिए जाने तक अनिश्चित कालीन हड़ताल कर दिया है। वहीं बीकानेर कच्ची आढ़त व्यापार संघ ने भी हड़ताल जारी रखने का फैसला किया है। संघ के अध्यक्ष जगदीश प्रसाद पेड़ीवाल के मुताबिक राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ हमारे हितों की रक्षा नहीं कर पा रहा है। लिहाजा हम राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के किसी भी फैसले को मानने के लिए बाध्य नहीं है।
इस बीच सुमेरपुर मंडी में किसानों ने हंगामा कर दिया। किसानों का कहना है कि राज्य सरकार के इस तुगलकी फरमान से व्यापारी उनकी उपज का कम भाव लगा रहे हैं। वहीं कारोबारियों की दलील है कि राज्य सरकार के इस फैसले का बोझ किसानों पर ही आएगा क्योंकि इस 2 फीसदी के अतिरिक्त टैक्स से खर्च बढ़ जायेंगे।.....  आर एस राणा

देश में खाद्यान्न का रिकार्ड 29.56 करोड़ टन उत्पादन का अनुमान, चावल और गेहूं की बंपर पैदावार

आर एस राणा
नई दिल्ली। देश में इस साल खाद्यान्नों का रिकॉर्ड उत्पादन करीब 29.56 करोड़ टन होने की उम्मीद है। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की ओर से शुक्रवार को जारी फसल वर्ष 2019-20 के तीसरे अग्रिम उत्पादन अनुमान के अनुसार देश में इस साल खाद्यान्नों का उत्पादन 29.56 करोड़ टन से ज्यादा हो सकता है जोकि पिछले साल के उत्पादन 28.52 करोड़ टन से 104.6 लाख टन अधिक है।
मंत्रालय द्वारा जारी अनुमान के अनुसार फसल चावल का उत्पादन 2019-20 में 11.79 करोड़ टन होने का अनुमान है जोकि पिछले साल के 11.64 करोड़ टन से ज्यादा है। इसी तरह से गेहूं का उत्पादन इस साल करीब 10.72 करोड़ टन होने का अनुमान है जोकि पिछले साल के 10.36 करोड़ टन से अधिक है। दालों का उत्पादन 2019-20 में 230.10 लाख टन होने का अनुमान है जोकि पिछले पांच साल के 220.8 लाख टन ज्यादा है। हालांकि दालों का उत्पादन वर्ष 2017-18 के रिकार्ड उत्पादन 254.2 लाख टन से कम है। दालों में अरहर का उत्पादन इस साल 37.5 लाख टन और चने का 109 लाख टन होने का अनुमान है। इस दौरान उड़द का उत्पादन 23.3 लाख टन, मसूर का 14.4 लाख टन और मूंग का 23.4 लाख टन होने का अनुमान है।
मोटे अनाजों का रिकार्ड उत्पादन का अनुमान, तिलहन का पिछले साल से ज्यादा
मोटे अनाजों का उत्पादन भी इस साल रिकार्ड 475.4 लाख टन होने का अनुमान है जोकि पिछले साल के उत्पादन 430.6 लाख टन से 44.8 लाख टन ज्यादा है। मोटे अनाज में मक्का का रिकॉर्ड उत्पादन 289.8 लाख टन होने का अनुमान है। तिलहन फसलों का उत्पादन इस साल 335.01 लाख टन होने का अनुमान है जोकि पिछले साल के मुकाबले 19.8 लाख टन अधिक है जबकि पिछले पांच साल के औसत 41 लाख टन ज्यादा है। तिलहनों में सोयाबीन का उत्पादन 122.42 लाख टन, सरसों का उत्पादन 87.03 लाख टन और मूंगफली का 93.5 लाख टन होने का अनुमान है।
गन्ने के उत्पादन में कमी आने की आशंका
गन्ने का उत्पादन 2019-20 में 35.81 करोड़ टन होने का अनुमान है जोकि पिछले साल के 40.54 लाख टन से कम है। वहीं कपास का उत्पादन इस साल 360.5 लाख गांठ (एक गांठ 170 किलोग्राम) होने का अनुमान है जोकि पिछले साल से 80.1 लाख गांठ अधिक है। जूट का उत्पादन इस साल 99.2 लाख गांठ (एक गांठ 180 किलोग्राम) होने का अनुमान है।...........  आर एस राणा

महीनेभर में ही गेहूं खरीद का 70 फीसदी लक्ष्य हासिल, उत्तर प्रदेश और राजस्थान की हिस्सेदारी मात्र सात फीसदी

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी विपणन सीजन 2020-21 में महीनेभर में ही गेहूं की खरीद 283.64 लाख टन पर पहुंच गई है, जोकि तय लक्ष्य 407 लाख टन का 70 फीसदी है। अभी तक हुई कुल खरीद में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी पंजाब, मध्य प्रदेश और हरियाणा की क्रमश: 42.51, 27.66 और 22.52 फीसदी है जबकि सबसे बड़े उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश की खरीद में हिस्सेदारी जहां 4.97 फीसदी की है वहीं राजस्थान की मात्र 2.09 फीसदी ही है।
केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री राम विलास पासवान ने शुक्रवार को एक ट्वीट के जरिए बताया कि रबी सीजन 2020-21 के लिए तय खरीद लक्ष्य के तहत किसानों से गेहूं और चावल की खरीद का काम जारी है। उन्होंने कहा कि भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने 14 मई तक 283.64 लाख टन गेहूं और 41.98 लाख टन चावल की खरीद कर ली है। सभी खरीद केंद्रों पर कोविड-19 संक्रमण से सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। पंजाब, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान से गेहूं की खरीद 15 अप्रैल से शुरू हुई थी जबकि हरियाणा से 20 अप्रैल से। कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर 25 मार्च से देशभर में संपूर्ण लॉकडाउन हो जाने से इस साल गेहूं की खरीद एक अप्रैल से आरंभ नहीं हो पाई थी। हालांकि बाद में राज्यों ने वायरस संक्रमण की रोकथाम के लिए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए लॉकडाउन के दौरान खरीद चालू करने का फैसला लिया, जिसकी मंजूरी केंद्र सरकार ने पहले ही दे दी थी।
पिछले साल इस समय तक 311.91 लाख टन गेहूं की हो चुकी थी खरीद
एफसीआई के आंकड़ों के अनुसार पूरे देश में गुरुवार तक गेहूं की सरकारी खरीद 283.63 लाख टन हो चुकी थी, हालांकि पिछले साल इस अवधि के दौरान सरकारी एजेंसियों द्वारा 311.91 लाख टन गेहूं की सरकारी खरीद हुई थी। चालू रबी में पंजाब ने सबसे ज्यादा 120.66 लाख टन गेहूं की सरकारी खरीद की है। वहीं मध्यप्रदेश में करीब 78.49 लाख टन जबकि हरियाणा में 63.90 लाख टन गेहूं की सरकारी खरीद हुई है। देश के सबसे बड़े गेहूं उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में 14.10 लाख टन और राजस्थान में 5.93 लाख टन गेहूं की खरीद हुई है। चंडीगढ़ में 10,955 टन, गुजरात में 13,798 टन, हिमाचल प्रदेश में 2,380 टन गेहूं की खरीद हुई है।
चालू रबी में गेहूं का रिकार्ड 10.71 करोड़ टन उत्पादन का अनुमान
केंद्र सरकार ने चालू रबी विपणन सीजन 2020-21 में देश के किसानों से एमएसपी पर 407 लाख टन गेहूं की खरीद करने का लक्ष्य रखा है, जोकि पिछले साल के मुकाबले 66 लाख टन अधिक है। पिछले साल समर्थन मूल्य पर 341.32 लाख टन गेहूं खरीदा गया था। पंजाब ने इस साल 135 लाख टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य रखा है। जबकि हरियाणा में 95 लाख टन, मध्यप्रदेश में 100 लाख टन, उत्तर प्रदेश में 55 लाख टन और राजस्थान में 17 लाख टन गेहूं की सरकारी खरीद का लक्ष्य रखा गया है। कृषि मंत्रालय के तीसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू रबी में गेहूं का रिकार्ड 10.71 करोड़ टन उत्पादन का अनुमान है जोकि पिछले साल के 10.36 करोड़ टन से अधिक है।............  आर एस राणा

मानसून के आगमन में चार दिन की देरी संभव, पांच जून को केरल में देगा दस्तक - मौसम विभाग

आर एस राणा
नई दिल्ली। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के अनुसार दक्षिण पश्चिम मानसून पांच जून 2020 को केरल पहुंचने का अनुमान है, सामान्यत: पहली जून को मानसून केरल पहुंच जाता है। अत: इस बार मानसून के आगमन में चार दिन की देरी होने का अनुमान है।
मौसम विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार केरल में मानसून पांच जून 2020 (चार दिन पहले या बाद में) आने को आने का अनुमान है। मौसम विभाग ने पिछले साल 6 जून को मानसून के केरल में पहुचने की भविष्यवाणी की थी, जबकि मानसून का आगमन 8 जून 2019 को हुआ था। इससे पहले वर्ष 2018 में मौसम विभाग ने 29 मई को केरल में मानसून पहुंचने की भविष्यवाणी की थी, तथा 29 मई 2018 को ही मानसून ने केरल के तट पर दस्तक दे दी थी।
खरीफ फसलों धान, मोटे अनाज, दालें, कपास और तिलहन की लिए अहम
दक्षिण पश्चिम मानसून खरीफ फसलों धान, मोटे अनाज, दालें, कपास और तिलहन की लिए अहम है। केरल में मानसून आने के साथ देश में चार महीने के बारिश के मौसम की आधिकारिक शुरुआत हो जाती है। इस साल से भारतीय मौसम विभाग ने 1960-2019 के आंकड़ों के आधार पर देश के कई हिस्सों के लिए मानसून की शुरुआत और वापसी की तारीखों को भी संशोधित किया है जबकि पिछली तारीखें 1901 और 1940 के आंकड़ों पर आधारित थीं।
इस साला सामान्य मानसून रहने का अनुमान
इस साल देश में मानूसन सामान्य रहने का अनुमान है। अर्थ साइंस मंत्रालय के सचिव माधवन राजीवन ने पहले अनुमान में अप्रैल में कहा था कि लांग टर्म पीरियड एवरेज में मानसून 96 से 104 फीसदी रह सकता है। इस बात की संभावना 48 फीसदी है। मौसम विभाग के अनुसार जून से सितंबर में पूरे देश अच्छी बारिश होगी तथा इस बात की संभावना बेहद कम है कि बारिश सामान्य से कमजोर हो।........... आर एस राणा

गेहूं की खरीद 276 लाख टन के पार, पंजाब और हरियाणा की हिस्सेदारी 67 फीसदी, उत्तर प्रदेश की पांच

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी विपणन सीजन 2020-21 में गेहूं की सरकारी खरीद 276.30 लाख टन की हो गई है जिसमें पंजाब और हरियाणा की हिस्सेदारी जहां 67.03 फीसदी की है वहीं सबसे बड़े उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी मात्र 5.12 फीसदी ही है।
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार चालू रबी में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर गेहूं की खरीद 276.30 लाख टन हो गई है जिसमें पंजाब और हरियाणा की हिस्सेदारी 185 लाख टन की है। हरियाणा के कृषि और किसान कल्याण एवं सहकारिता विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजीव कौशल ने बताया कि राज्य में पिछले 21 दिनों में 4,24,868 किसानों से कुल 65.66 लाख टन गेहूं की खरीद की जा चुकी है। राज्य की मंडियों से गेहूं की खरीद 20 अप्रैल से शुरू हुई थी।
पंजाब से तय लक्ष्य का 88.4 फीसदी गेहूं खरीदा जा चुका है
पंजाब से चालू रबी में अभी तक एमएसपी पर 119.34 लाख टन गेहूं की खरीद हो चुकी है जोकि तय लक्ष्य 135 लाख टन का 88.4 फीसदी है। राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव (विकास) विसवजीत खन्ना ने बताया कि चालू रबी में राज्य में 185 लाख टन गेहूं के उत्पादन का अनुमान है। पिछले रबी में पंजाब से 129.12 लाख टन गेहूं खरीदा गया था। चालू रबी में राज्य से गेहूं की खरीद 15 अप्रैल से शुरू हुई थी।
मध्य प्रदेश से 64.74 लाख टन गेहूं की हो चुकी है खरीद
मध्य प्रदेश से चालू रबी में 12 मई तक समर्थन मूल्य पर 64.74 लाख टन गेहूं की खरीद हो चुकी थी जबकि राज्य में खरीद का लक्ष्य 100 लाख टन का तय किया गया है। पिछले रबी में राज्य से 67.25 लाख टन गेहूं की खरीद की गई थी। राज्य के कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि चालू रबी में राज्य में गेहूं की बुआई में भारी बढ़ोतरी हुई थी, इसलिए उत्पादन 190 लाख टन होने का अनुमान है। मध्य प्रदेश से गेहूं की खरीद 15 अप्रैल से शुरू हुई थी।
उत्तर प्रदेश से खरीदा गया है केवल 14.13 लाख टन
सबसे बड़े गेहूं उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश से अभी तक समर्थन मूल्य पर केवल 14.13 लाख टन गेहूं की खरीद ही हो पाई है जोकि कुल खरीद का केवल 5.12 फीसदी ही है। राज्य के खाद्य एवं रसद विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि चालू सीजन में अभी तक राज्य के 2,68,121 किसानों का गेहूं खरीदा गया है तथा इसकी खरीद 5,905 खरीद केंद्रों के माध्यम से की गई है। उन्होंने बताया कि चालू रबी में राज्य से 55 लाख टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य तय किया गया है, जबकि पिछले रबी सीजन में 37 लाख टन की खरीद हो पाई थी।
गेहूं की खरीद का लक्ष्य 407 लाख टन का
चालू रबी में गेहूं की खरीद का लक्ष्य 407 लाख टन का तय किया गया है जबकि पिछले साल 341.32 लाख टन गेहूं की खरीद ही हुई थी। इस बार गेहूं की रिकार्ड पैदावार 10.62 करोड़ टन होने का अनुमान है जबकि कृषि मंत्रालय के अनुसार पिछले रबी में 10.37 करोड़ टन का उत्पादन हुआ था। केंद्र सरकार ने चालू रबी विपणन सीजन 2020-21 के लिए गेहूं का एमएसपी 1,925 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है जबकि पिछले रबी में 1,840 रुपये प्रति क्विंटल की दर से खरीद हुई थी।............  आर एस राणा

केंद्र सरकार ने उड़द आयात की सीमा 31 मई तक बढ़ाई, आयातित उड़द के भाव तेज

आर एस राणा
नई दिल्ली। कोरोना वायरस के कारण विश्वभर में चल रहे लॉकडाउन के कारण केंद्र सरकार ने उड़द के आयात की मियाद को 31 मई 2020 तक बढ़ा दिया है, इससे म्यांमार में उड़द की कीमतों में सुधार आया। हालांकि व्यापारियों का मानना है कि इससे ज्यादा आयात सौदे नहीं हो पायेंगे। म्यांमार में 3 मई को भारत के लिए 20-30 कंटेनर एफएक्यू उड़द की खरीद हुई है। ये सौदे 710-715 डॉलर टन एफओबी की दर पर हुए हैं, जिनकी शिपमेंट 19-20 मई तक होने की उम्मीद है।
केंद्र सरकार ने मिलों की मांग के मद्देनजर वित्त वर्ष 2019-20 के अतिरिक्त 2.5 लाख टन उड़द आयात कोटे की अंतिम तारिख को 31 मई तक के लिए बढ़ा दी है। लॉकडाउन के कारण लोडिंग और अनलोडिंग तथा आयात सौदों में आ रही दिक्कतों की वजह से 15 मई तक आयात नहीं होने की वजह से दाल मिलों ने केंद्र सरकार से समय सीमा बढ़ाने की मांग की थी।
विदेश व्यापार महानिदेशालय, डीजीएफटी की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार दाल मिलर्स अब 31 मई 2020 तक आयातित उड़द को भारतीय बंदरगाहों पर ला सकेंगे। डीजीएफटी ने इसकी जानकारी सभी क्षेत्रीय कार्यालयों समेत कस्टम विभाग और व्यापार प्रतिनिधियों को भी दे दी है।
दिसंबर 2019 में बढ़ती कीमतों पर काबू के लिए सरकार ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए 2.5 लाख टन उड़द आयात का अतिरिक्त कोटा जारी किया था। शुरुआत में इसे 31 मार्च 2020 तक भारत पहुंचने की अंतिम तारिख तय की गई थी लेकिन इसी बीच जानलेवा कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए दुनिया के कई देशों में लॉकडाउन हो गया और लॉजिस्टिक दिक्कतों की वजह से 31 मार्च तक उड़द आयात करना मुश्किल दिखने लगा। तब मिलों की मांग को गंभीरता से लेते हुए केंद्र सरकार ने इसकी मियाद को 30 अप्रैल 2020 तक बढ़ा दिया लेकिन इस दौरान भारत मे देशव्यापी लॉकडाउन की वजह से शिपमेंट नहीं हो सकी। बाद में 16 अप्रैल को सरकार ने इसकी डेडलाइन को बढ़ाकर 15 मई कर दिया। लेकिन इस दौरान भारत मे लॉकडाउन का तीसरा चरण चल रहा है। यह सही है कि सरकार ने लॉजिस्टिक और माल ढुलाई को लॉकडाउन से छूट दे रखी है। लेकिन इसके बावजूद आयात नहीं हो सका। अब फिर से सरकार ने तीसरी बार आयात कोटे की समय सीमा को बढ़ाकर 31 मई 2020 किया है।
आल इंडिया दाल मिल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल का कहना है कि उड़द आयात की समय सीमा को बढ़ाने का फायदा नहीं हो पायेगा, क्योंकि सरकार ने अंतिम समय मे जाकर समय सीमा बढ़ाने को बढ़ाने का फैसला किया है। अत: ऐसे में सवाल यह है कि आयातक कब आयात सौदे करेंगे तथा नए आयात सौदों की लोडिंग कब ते पायेगी, तथा यह माल तय समय में नहीं आ पायेगा। म्यांमार से चैन्नई 8 से 10 दिन और मुंबई बंदरगाह पर आने में 15 दिन का समय लग जाता है। इसलिए सीमित मात्रा में ही आयात हो पायेगा। जानकारों के अनुसार आयातित उड़द के दो जहां अगले एक-दो दिनों में चैन्नई पहुंचने वाले हैं।.......... आर एस राणा

राष्ट्रीय तिलहन मिशन लांच करने का यही सही वक्त : विशेषज्ञ

आर एस राणा
नई दिल्ली। कोरोना वायरस जैसी महामहारी के काल में विश्व बाजार में खाने के तेल की कीमतों में भारी गिरावट के बाजवूद देश में खाद्य तेलों के आयात में भारी कमी आई है। मगर, खाद्य तेल उद्योग से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि यह गिरावट क्षणिक है, देश को खाद्य तेल आयात पर निर्भरता कम करने के लिए स्थाई समाधान करना होगा, जो राष्ट्रीय तिलहन मिशन हो सकता है। खाद्य तेल उद्योग संगठन का कहना है कि राष्ट्रीय तिलहन मिशन लांच करने का यही सही वक्त है।
उद्योग संगठन सॉल्वेंट एक्सटैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के प्रेसीडेंट अतुल चतुर्वेदी ने कहा कि देश में खाद्य तेल का उत्पादन बढ़ाकर आत्मनिर्भर बनने की दिशा में मिशन मोड में काम करने की जरूरत है, इसलिए सरकार को राष्ट्रीय तिलहन मिशन लांच करने में विलंब नहीं करना चाहिए। कोरोनावायरस के संक्रमण की कड़ी को तोड़ने के मकसद से पूरे देश में जारी लॉकडाउन से घरेलू खाद्य तेल उद्योग पर असर के बारे में पूछे जाने पर चतुर्वेदी ने कहा कि घरेलू खाद्य तेल उद्योग पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा है, क्योंकि आवश्यक वस्तु होने के कारण खाद्य तेल उद्योग में लगातार काम चल रहा है और मांग के अनुरूप आपूर्ति बनी हुई है।
उन्होंने कहा कि पहले भी घरेलू खाद्य तेल उद्योग की 50 फीसदी क्षमता का उपयोग होता था, जो आज भी हो रहा है। चतुर्वेदी ने कहा कि खाने के तेल की मांग में भारी कमी आई है। होटल, ढाबा, रेस्तरां आदि बंद होने के चलते खासतौर से पाम तेल की मांग घट गई है। उन्होंने बताया कि सोयाबीन उद्योग पर भी इसका असर पड़ा है। कोरोना के कहर से पोल्ट्री उद्योग प्रभावित है, इसलिए सोयामील की मांग कम हो गई है।
कोरोना वायरस के कारण सोयामील की घरेलू एवं निर्यात मांग कमजोर
सोयाबीन प्रोसेर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के कार्यकारी निदेशक डॉ. डीएन पाठक ने कहा कि सोयामील की घरेलू एवं निर्यात मांग नहीं होने से सोयाबीन उद्योग पर असर पड़ा है। पाठक ने कहा कि सरकार को खाने के तेल के मामले में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए मिशन मोड में काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय तिलहन मिशन का मसौदा बीते दो साल से पड़ा हुआ है, जिस पर काम शुरू होना चाहिए। सरकार भी मानती है कि खाद्य तेल का घरेलू उत्पादन बढ़ाने के लिए मिशन मोड में काम करने की जरूरत है, ताकि आत्मनिर्भरता आए।
राष्ट्रीय तिलहन मिशन लागू होने पर आयात में आयेगी कमी
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि राष्ट्रीय तिलहन मिशन पर जब अमल होगा तो खाद्य तेल के आयात पर भारत की निर्भरता कम होगी। भारत हर साल तकरीबन 150 लाख टन खाद्य तेल का आयात करता है, जबकि घरेलू उत्पादन तकरीबन 70-80 लाख टन का ही है।
अगले पांच साल में तिलहन उत्पादन 300 लाख टन से बढ़ाकर 480 लाख टन करने का लक्ष्य
कृषि वैज्ञानिक और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के तहत आने वाले सरसों अनुसंधान निदेशालय, भरतपुर के निदेशक डॉ. पीके राय ने बताया कि विश्वव्यापी कोरोना महामारी का संकट पैदा नहीं हुआ होता तो शायद राष्ट्रीय तिलहन मिशन पर काम शुरू हो गया होता, क्योंकि इस दिशा में तकरीबन तैयारी पूरी हो चुकी है। उन्होंने कहा कि तिलहनों का उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी विकास पर अनुसंधान निरंतर चल रहा है। सरकार ने अगले पांच साल में देश में तिलहनों का उत्पादन मौजूदा तकरीबन 300 लाख टन से बढ़ाकर 480 लाख टन करने का लक्ष्य रखा है। इस प्रकार पांच साल में तिलहनों का उत्पादन 180 लाख टन बढ़ाया जाएगा, जिसका खाका सरकार ने तैयार किया है।
चालू तेल वर्ष की पहली छमाही में तेलों का आयात 14 फीसदी घटा
एसईए के आंकड़ों के अनुसार, बीते महीने अप्रैल में भारत ने 7,90,377 टन खाद्य तेल का आयात किया, जो पिछले साल के इसी महीने के 11,98,763 टन से 34 फीसदी कम है। एसईए के अनुसार चालू तेल वर्ष 2019-20 की पहली छमाही (नवंबर-19 से अप्रैल-20) के दौरान खाद्य एवं अखाद्य तेलों के आयात में 14 फीसदी की कमी आकर कुल आयात 61,82,184 टन का हुआ है जबकि पिछले तेल वर्ष की समान अवधि में इनका आयात 72,03,830 टन का हुआ था।......... आर एस राणा

02 मई 2020

गेहूं की सरकारी खरीद 143 लाख टन, सबसे बड़े उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी मात्र चार फीसदी

 आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी विपणन सीजन 2020-21 में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर गेहूं की खरीद 142.99 लाख टन की हो चुकी है, इसमें सबसे बड़े गेहूं उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी मात्र 4.14 फीसदी ही यानि 5.92 लाख टन की हुई है। अभी तक हुई कुल खरीद में पंजाब से 74.16 लाख टन, हरियाणा से 33.74 लाख टन और मध्य प्रदेश से 27.60 लाख टन गेहूं खरीदा जा चुका है।
पंजाब और हरियाणा दोनों राज्यों को मिलाकर गेहूं का उत्पादन 300 लाख टन होने का अनुमान है, जबकि अकेले उत्तर प्रदेश में 363 लाख टन पैदावार की संभावना है, इसमें से खरीद का लक्ष्य केवल 55 लाख का ही तय किया गया है जोकि कुल उत्पादन का 15.28 फीसदी ही है। तय लक्ष्य तक खरीद का आंकडा पहुंच भी पायेगा, इसमें संदेह है, क्योंकि खरीद का लक्ष्य पिछले साल भी 55 लाख टन का ही था लेकिन खरीद हो पाई मात्र 37 लाख टन की। अत: न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद कम होने के कारण ही उत्तर प्रदेश के किसानों को अपना गेहूं व्यापारियों को एमएसपी से 200 से 250 रुपये प्रति क्विंटल तक नीचे भाव पर बेचना पड़ता है।
खरीद का लक्ष्य, पंजाब से कुल उत्पादन का 73 फीसदी और हरियाणा से 83 फीसदी
पंजाब में गेहूं के उत्पादन का अनुमान 185 लाख टन का है, जबकि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 135 लाख टन खरीद का लक्ष्य है जोकि कुल उत्पादन का करीब 73 फीसदी है, इसी तरह से हरियाणा में चालू रबी में गेहूं का उत्पादन का अनुमान 115 लाख टन का है, और खरीद का लक्ष्य 95 लाख टन यानि की 82.61 फीसदी। पंजाब और हरियाणा से पिछले रबी विपणन सीजन 2019-20 में समर्थन मूल्य पर क्रमश: 129.12 लाख टन और 93.20 लाख टन गेहूं की खरीद हुई थी। मध्य प्रदेश में चालू रबी में 190 लाख टन गेहूं की पैदावार होने का अनुमान है, जबकि राज्य से खरीद का लक्ष्य 100 लाख टन का है जोकि कुल उत्पादन का 53 फीसदी के करीब है। मध्य प्रदेश से पिछले रबी में एमएसपी पर 67.25 लाख टन गेहूं खरीदा गया था।
चालू रबी में एमएसपी 407 लाख टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य, पिछले साल की तुलना में ज्यादा
राजस्थान में चालू रबी में गेहूं का उत्पादन 100 लाख टन होने का अनुमान है जबकि खरीद का लक्ष्य केवल 17 लाख टन यानि कुल उत्पादन का 17 फीसदी ही है। पिछले रबी में राज्य से मात्र 14.11 लाख टन गेहूं की खरीद ही हो पाई थी। केंद्र सरकार ने चालू रबी विपणन सीजन 2020-21 में एमएसपी 407 लाख टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य तय किया है जबकि पिछले रबी सीजन में 342.32 लाख टन गेहूं की खरीद हुई थी। बुआई में हुई बढ़ोतरी से चालू रबी में गेहूं की रिकार्ड पैदावार 10.62 करोड़ टन होने का अनुमान है जबकि कृषि मंत्रालय के अनुसार पिछले रबी में 10.37 करोड़ टन का उत्पादन हुआ था। केंद्र सरकार ने चालू रबी विपणन सीजन 2020-21 के लिए गेहूं का एमएसपी 1,925 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है जबकि पिछले रबी में 1,840 रुपये प्रति क्विंटल की दर से खरीद हुई थी।


राज्य    उत्पादन अनुमान   खरीद का लक्ष्य   अभी तक खरीदा गया   पिछले साल कुल खरीद

उत्तर प्रदेश   363               55           5.92              37

पंजाब       185              135          74.16             129.12

हरियाणा     115               95          33.74             93.20

मध्य प्रदेश   190              100          27.60             76

गेहूं उत्पादन और खरीद (लाख टन में) (एफसीआई : पहली मई 2020 तक के आंकड़े)   ..    आर एस राणा

अप्रैल अंत तक चीनी के उत्पादन में आई 20 फीसदी की गिरावट, 35 लाख टन के हुए निर्यात सौदे

आर एस राणा
नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2019 से शुरू हुए चालू पेराई सीजन 2019-20 के पहले सात महीनों में चीनी के उत्पादन 19.80 फीसदी की कमी आकर कुल 258.01 लाख टन का ही उत्पादन हुआ है जबकि पिछले पेराई सीजन में इस दौरान 317.71 लाख टन का उत्पादन हुआ था। चालू पेराई सीजन में अभी तक करीब 35 लाख टन चीनी के निर्यात सौदे हुए हैं, हालांकि पिछले दो महीनों में विश्व बाजार में चीनी के दाम घटे हैं। लॉकउाउन के कारण चीनी में ग्राहकी कमजोर है, माना जा रहा है कि लॉकडाउन खुलने के बाद ही इसमें मांग बढ़ेगी।
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के अनुसार इस समय देशभर में केवल 112 चीनी मिलों में पेराई चल रही है, जिनमें से ज्यादातर उत्तर भारत की है। पिछले साल इस समय देशभर में 90 चीनी मिलों में पेराई चल रही थी। कोरोना वायरस के कारण देशभर में चल रहे लॉकडाउन के कारण चीनी की घरेलू मांग में कमी आई है, क्योंकि होटल, दुकानें तथा मॉल आदि बंद हैं। उद्योग के अनुसार मार्च और अप्रैल मे चीनी की घरेलू खपत करीब 10 लाख टन कम हुई है। हालांकि पेराई सीजन के पहले पांच महीनों में चीनी की खपत में बढ़ोतरी हुई थी।
उत्तर प्रदेश में उत्पादन बढ़ा, महाराष्ट्र में घटा
उत्तर प्रदेश में चालू पेराई सीजन में 30 अप्रैल तक चीनी का उत्पादन बढ़कर 116.52 लाख टन का हो चुका है जबकि पिछले पेराई सीजन की समान अवधि में राज्य में केवल 112.80 लाख टन चीनी का ही उत्पादन हुआ था। राज्य की 119 चीनी मिलों में से 44 में पेराई बंद हो चुकी है तथा इस समय 75 में ही पेराई चल रही है। लॉकडाउन के कारण राज्य में गुड़ और खांडसारी इकाइयां लगभग बंद हो चुकी है जिस कारण चीनी मिलों को ज्यादा गन्ना मिल रहा है। महाराष्ट्र में चालू पेराई सीजन में अभी तक केवल 60.67 लाख टन चीनी का ही उत्पादन हुआ है जोकि पिछले पेराई सीजन की तुलना में 46.5 कम है। पिछले पेराई सीजन में इस समय तक 107.15 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका था।
कर्नाटक, तमिलनाडु और गुजरात में भी घटा उत्पादन
कर्नाटक में चालू पेराई सीजन में मध्य अप्रैल तक चीनी का उत्पादन घटकर 33.82 लाख टन का ही हुआ है जबकि पिछले पेराई सीजन की समान अवधि में राज्य में 43.25 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका था। तमिलनाडु में चीनी का उत्पादन चालू पेराई सीजन में 5.41 लाख टन का ही हुआ है जोकि पिछले साल के 7.02 लाख टन से कम है। गुजरात में पिछले साल इस समय तक 11.21 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका था, जबकि चालू पेराई सीजन में केवल 9.02 लाख टन का ही उत्पादन हुआ है।
विश्व बाजार में चीनी की कीमतों में आई नरमी से निर्यात सौदे प्रभावित
अन्य राज्यों में आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, बिहार, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और ओडिशा तथा राजस्थान को मिलाकर 30 अप्रैल तक 32.57 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है। इस्मा के अनुसार विश्व बाजार में चीनी की कीमतों में आई नरमी से निर्यात सौदे प्रभावित हुए हैं, हालांकि डॉलर के मुकाबले रुपया नीचले स्तर पर आने से निर्यातकों को कुछ राहत मिली है। चालू पेराई सीजन में अभी तक करीब 35 लाख टन चीनी के निर्यात सौदे हुए हैं।.......  आर एस राणा

राजस्थान के किसान समर्थन मूल्य से नीचे गेहूं बेचने को मजबूर, देशभर में खरीद 110 लाख टन के पार

आर एस राणा
नई दिल्ली। देश के पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश में गेहूं की खरीद में तेजी आकर कुल खरीद 110 लाख टन के पार पहुंच गई है, वहीं राजस्थान में अभी तक न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद केवल एक लाख टन के आंकड़े तक ही पहुंच पाई है। खरीद सीमित मात्रा में होने के कारण किसान एमएसपी से 125 से 175 रुपये प्रति क्विंटल नीचे दाम पर गेहूं बेचने को मजबूर हैं। चालू रबी में गेहूं का एमएसपी केंद्र सरकार ने 1,925 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है जबकि किसान 1,750 से 1,800 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर गेहूं बेच रहे हैं।
करौली जिले की नादौती तहसील के पावटा गांव के गेहूं किसान गोवर्धन ने बताया कि गंगापुर सिटी अनाज मंडी में अभी तक गेहूं की खरीद शुरू नहीं हो पाई है, इसलिए पिछले सप्ताह उन्होंने अपना 20 क्विंटल गेहूं व्यापारियों को 1,750 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर बेचना पड़ा है। उन्होंने बताया कि इस सप्ताह मंडी में भाव 1,800 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है। कोटा मंडी के गेहूं कारोबारी भानू जैन ने बताया कि दक्षिण भारत के फ्लोर मिलर 1,750 से 1,850 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर गेहूं की खरीद कर रहे हैं। राज्य की बारां मंडी में गेहूं बेचने आए किसान सत्यनारयण सिंह ने बताया कि एक खरीद केंद्र से केवल 250 क्विंटल गेहूं की खरीद ही की जा रही है जबकि एक किसान को 150 क्विंटल का टोकन दिया जा रहा है। इस हिसाब से पूरे दिन में दो से तीन किसानों का गेहूं ही खरीदा जा रहा है। मौसम खराब है जिस कारण किसान व्यापारियों को औने-पौने दाम पर गेहूं बेचने को मजबूर हैं।
राजस्थान में एमएसपी पर खरीद देरी से हुई शुरू
राज्य के खाद्य एवं नागरिक विभाग की जिला रसद अधिकारी (उपार्जन) निधि नारनोलिया ने बताया कि राज्य से गेहूं की खरीद एक लाख टन ही हो पाई है, जिसका प्रमुख कारण खरीद देरी से शुरू होना है। उन्होंने बताया कि राज्य की कुछ मंडियों से खरीद 16 अप्रैल से शुरू हुई जबकि प्रमुख गेेहूं उत्पादक जिलों गंगानगर और हनुमानगढ़ से खरीद 25 अप्रैल से शुरू हो पाई है। उन्होंने कहा कि अब आगे खरीद में तेजी आने का अनुमान है तथा राज्य में गेहूं की खरीद के लिए 430 केंद्र स्थापित किए हैं। उन्होंने बताया कि पिछले साल राज्य से 14.11 लाख टन की खरीद हुई थी जबकि चालू रबी में खरीद का लक्ष्य 17 लाख टन का तय किया गया है।
देशभर से एमएसपी पर 110 लाख टन से ज्यादा गेहूं की खरीद
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के अनुसार चालू रबी में अभी तक देशभर से एमएसपी पर 110 लाख टन से ज्यादा गेहूं की खरीद हो चुकी है। अभी तक हुई कुल खरीद में पंजाब से 66.78 लाख टन, हरियाणा से 28.42 लाख टन और मध्य प्रदेश से 21.84 लाख टन हुई है।.........  आर एस राणा

उत्तर प्रदेश में गेहूं की खरीद ढीली, किसान समर्थन मूल्य से 250 रुपये तक नीचे बेचने को मजबूर

आर एस राणा
देश के सबसे बड़े गेहूं उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर गेहूं की खरीद ढीली होने के कारण किसानों को 1,775 से 1,850 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर गेहूं बेचना पड़ रहा है जबकि केंद्र सरकार ने चालू रबी विपणन सीजन 2020-21 के लिए गेहूं का एमएसपी 1,925 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है।
बहराइच जिले की तहसील मोतीपुर के गांव महेशपुर के किसान कुलदीप सिंह ने बताया कि गेहूं की खरीद के लिए सरकारी कांटे तो लगे हुए हैं, लेकिन अधिकारी बारदाना नहीं होने की बात कहकर खरीद नहीं कर रहे थे। लगातार एक सप्ताह तक महीनपूर कॉ-ऑपरेटिव खरीद केंद्र के चक्कर काटने के बाद मजबूरी में व्यापारी को 130 क्विंटल गेहूं 1,800 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बेचना पड़ा। उन्होंने बताया कि बार-बार मौसम खराब हो रहा था, इसलिए गेहूं का भंडारण कहा करते?
अधिकारी नमी और बारिश से भीगे हुए गेहूं बताकर खरीद में कर रहे हैं आनाकानी
पीलीभीत जिले की पूरनपुर तहसील के गांव बेगपुर के गेहूं किसान परगट सिंह ने बताया कि पूरनपुर मंडी में गेहूं की खरीद तो चल रही है, लेकिन खरीद की गति काफी धीमी है साथ ही अधिकारी नमी और बारिश से भीगे हुए गेहूं बताकर खरीद में आनाकानी कर रहे हैं। इससे तंग आकर उन्होंने अपना 100 क्विंटल गेहूं 1,850 रुपये प्रति क्विंटल की दरे से व्यापारी को बेचना पड़ा। व्यापारी ने पैमेंट का 20 दिन का समय दिया है, अगर आपको तुरंत पैमेंट चाहिए तो व्यापारी पैमेंट में एक फीसदी काटकर भुगतान करेगा। गौतमबुद्ध नगर की जेवर तहसील के गांव अहमदपुर चोरोली के किसान प्रमोद ने बताया कि नीम का गांव में सहकारी समिति में गेहूं की खरीद के लिए रजिस्ट्रेशन तो रहा है लेकिन खरीद शुरू नहीं हो पाई है जिस कारण उन्होंने अपना गेहूं व्यापारियों को 1,775 से 1,800 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर बेचना पड़ा।
राज्य से 5.25 लाख टन गेहूं की हो पाई है अभी तक खरीद
राज्य के खाद्य एवं रसद विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि राज्य में एमएसपी पर गेहूं की खरीद 5.25 लाख टन की हो चुकी है। उन्होंने बताया कि पहले जूट बोरों की कमी थी, प्लास्टिक के बोरे मंगाकर उसे दूर किया जा रहा है तथा आगे खरीद में तेजी आयेगी। उन्होंने बताया कि राज्य में गेहूं की खरीद के लिए खाद्य विभाग की विपणन शाखा, उत्तर प्रदेश सहकारी संघ (पीसीएफ), उ०प्र० राज्य कृषि एवं औद्योगिक निगम (यूपीएजीआरओ), उ०प्र० राज्य खाद्य एवं आवश्यक वस्तु निगम (एसएफसी), उ०प्र० कर्मचारी कल्याण निगम (केकेएन), भारतीय राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारी संघ मर्यादित (एनसीसीएफ), नेफेड, उत्तर प्रदेश को-ऑपरेटिव यूनियन (यूपीसीयू) के साथ ही उत्तर प्रदेश उपभोक्ता सहकारी संघ (यूपीएसएस) और भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) समेत 10 एजेंसियों द्वारा की जा रही है।
चालू रबी में खरीद का लक्ष्य 55 लाख टन
उन्होंने बताया कि अभी तक राज्य के 93,137 किसानों से गेहूं की खरीद हो चुकी है तथा खरीद के लिए राज्य में 5,675 खरीद केंद्र खोले गए हैं। चालू रबी में उत्तर प्रदेश से 55 लाख टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य तय किया है जबकि पिछले रबी में राज्य से 37 लाख टन गेहूं की खरीद के लिए राज्य के 1,30,932 किसानों को टोकन जारी किए जा चुके हैं।........   आर एस राणा

गेहूं की सरकारी खरीद 105 लाख टन के पार, उत्तर प्रदेश और राजस्थान की हिस्सेदारी कम

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी विपणन सीजन 2020-21 में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर गेहूं की खरीद बढ़कर 105 लाख टन से ज्यादा की हो गई है। अभी तक हुई कुल खरीद में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश की है जबकि उत्तर प्रदेश और राजस्थान से खरीद सीमित मात्रा में ही हो पा रही है।
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अभी तक हुई कुल खरीद में पंजाब की हिस्सेदारी 53.79 लाख टन की है, जबकि हरियाणा से 26.55 लाख टन गेहूं खरीदा जा चुका है। मध्य प्रदेश से अभी तक 19.74 लाख टन गेहूं की खरीद हो चुकी है। पंजाब और मध्य प्रदेश से गेहूं की खरीद 15 अप्रैल से शुरू हुई थी, जबकि हरियाणा से खरीद 20 अप्रैल से चालू हुई थी।
उत्तर प्रदेश और राजस्थान से खरीद हो रही है कम
गेहूं के सबसे बड़े उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश से चालू रबी में समर्थन मूल्य पर 4.54 लाख टन गेहूं खरीदा जा चुका है जबकि राजस्थान से खरीद एक लाख टन से भी कम हुई है। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश और राजस्थान से गेहूं की खरीद 15 अप्रैल से शुरू हुई थी तथा इन राज्यों से चालू रबी में खरीद का लक्ष्य क्रमश: 55 और 17 लाख टन का तय किया गया है जबकि पिछले रबी में उत्तर प्रदेश से 37 लाख टन और राजस्थान से 14.11 लाख टन गेहूं की खरीद हो पाई थी। उत्तर प्रदेश और राजस्थान में खरीद की गति कम होने के कारण अधिकांश मंडियों में 1,600 से 1,700 रुपये प्रति क्विंटल के भाव गेहूं बिक रहा है।
चालू रबी में 407 लाख टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य, पिछले साल से ज्यादा
केंद्र सरकार ने चालू रबी विपणन सीजन में गेहूं की खरीद का लक्ष्य 407 लाख टन का तय किया है जबकि पिछले रबी में समर्थन मूल्य पर 341.32 लाख टन गेहूं की खरीद हुई थी। पंजाब से चालू रबी में खरीद का लक्ष्य 135 लाख टन और हरियाणा से 95 लाख टन का तय किया गया है जबकि पिछले रबी में इन राज्यों से क्रमश: 129.12 लाख टन और 93.20 लाख टन की हुई थी। मध्य प्रदेश से चालू रबी में खरीद का लक्ष्य 105 लाख टन का है जबकि पिछले रबी में खरीद 67.25 लाख टन की हुई थी।
गेहूं की रिकार्ड पैदावार का अनुमान
बुआई में हुई बढ़ोतरी से चालू रबी में गेहूं की रिकार्ड पैदावार 10.62 करोड़ टन होने का अनुमान है जबकि कृषि मंत्रालय के अनुसार पिछले रबी में 10.37 करोड़ टन का उत्पादन हुआ था। केंद्र सरकार ने चालू रबी विपणन सीजन 2020-21 के लिए गेहूं का एमएसपी 1,925 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है जबकि पिछले रबी में 1,840 रुपये प्रति क्विंटल की दर से खरीद हुई थी।............  आर एस राणा

लॉकडाउन के कारण चीनी की घरेलू खपत में 10 लाख टन की कमी आने का अनुमान

आर एस राणा
नई दिल्ली। कोरोना वायरस के कारण देशभर में चल रहे लॉकडाउन का असर चीनी की घरेलू खपत पर पड़ा है। इससे चीनी की खपत में करीब दस लाख टन की कमी आने का अनुमान है।
रेटिंग एजेंसी इक्रा के अनुसार, कोविड-19 महामारी के कारण देशभर में चल रहे लॉकडाउन ने चीनी की घरेलू मांग पर प्रतिकूल असर डाला है, जिसके परिणामस्वरूप चीनी की कीमतें घटकर न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) के स्तर 31 रुपये प्रति किलो के करीब आ गई है जबकि फरवरी 2020 में इसकी कीमतें 32.5 रुपये प्रति किलो थी।
लॉकडाउन के कारण आइसक्रीम, शीतल पेय और कन्फेक्शनरी निर्माताओं की मांग कम
रिपोर्ट में कहा गया है कि मांग कम होने के कारण ही चीनी मिलें अपने मासिक कोटे की चीनी बेचने में भी असमर्थ हैं। कोरोना वायरस के कारण देशभर में चल रहे लॉकडाउन के कारण आइसक्रीम, शीतल पेय और कन्फेक्शनरी निर्माताओं का कारोबार बंद है, जबकि आमतौर पर जैसे ही गर्मियों का मौसम शुरू होता है चीनी में आइसक्रीम और शीतल पेय कंपनियों की मांग बढ़ जाती है। इक्रा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और ग्रुप हेड सब्यसाची मजूमदार ने कहा कि लॉकडाउन के चीनी की घरेलू मांग में करीब 10 लाख टन की कमी आने का अनुमान है।
लॉकडाउन के कारण विश्व बाजार में भी चीनी की कीमतों में आई गिरावट
उन्होंने कहा कि इस कारण मिलें चीनी कम मात्रा में चीनी बेच पा रही है जिस कारण चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का बकाया भी बढ़ गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर अधिकांश देशों में लॉकडाउन के कारण चीनी की मांग में गिरावट आई है, जिसकी वजह से वैश्विक स्तर पर भी चीनी की कीमतों में गिरावट आई है। हालांकि, चीनी निर्यात करने वाली मिलों को डॉलर के मुकाबले रुपये में आई गिरावट से कुछ राहत मिली है।
चालू पेराई सीजन में 35 से 40 लाख टन चीनी के हुए हैं निर्यात सौदे
चालू पेराई सीजन में अभी तक मिलें 35 से 40 लाख टन चीनी निर्यात के अनुबंध कर चुकी है। उन्होंने कहा कि जून-जुलाई से चीनी के निर्यात सौदे फिर से शुरू होने की संभावना है। इक्रा के अनुसार कच्चे तेल की कीमतों में आई गिरावट के कारण ब्राजील में चीनी का उत्पादन ज्यादा होगा, जिसका असर विश्व बाजार में चीनी की कीमतों पर पड़ सकता है। उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों में पेराई अभी जारी है, हालांकि महाराष्ट्र में परिवहन और मजदूरों की कमी के कारण पेराई कार्य प्रभावित हुआ है। महाराष्ट्र से अधिकांश प्रवासी मजदूर अपने-अपने गांव लौट गए हैं। महाराष्ट्र में चालू पेराई सीजन में चीनी के उत्पादन में भारी कमी आने का अनुमान है।.....  आर एस राणा