कुल पेज दृश्य

28 अगस्त 2024

चालू खरीफ में फसलों की बुआई 2 फीसदी बढ़कर 1,065 लाख हेक्टेयर के पार

नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन में फसलों की कुल बुआई 2 फीसदी बढ़कर 1,065.08 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई केवल 1,044.85 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।


चालू खरीफ में जहां धान एवं दलहन के साथ ही तिलहन एवं मोटे अनाजों की बुआई के क्षेत्रफल में जहां बढ़ोतरी हुई है, वहीं कपास की बुआई में कमी आई है।

कृषि मंत्रालय के अनुसार 23 अगस्त 2024 तक दलहनी फसलों की बुआई 5.72 फीसदी बढ़कर 122.16 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 115.55 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। खरीफ दलहन की प्रमुख फसल अरहर की बुआई चालू खरीफ में 45.78 लाख हेक्टेयर में, उड़द की 29.04 लाख हेक्टेयर में और मूंग की 34.07 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 40.74 लाख हेक्टेयर में, 30.81 लाख हेक्टेयर में तथा 30.57 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

मोठ की बुवाई चालू खरीफ में 9.12 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 9.37 लाख हेक्टेयर से कम है।

धान की रोपाई चालू खरीफ में बढ़कर 394.28 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी रोपाई 378.04 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

तिलहनी फसलों की बुआई बढ़कर चालू खरीफ सीजन में 188.37 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई केवल 187.36 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। तिलहनी फसलों में सोयाबीन की बुआई चालू खरीफ में 125.11 लाख हेक्टेयर में, मूंगफली की 46.82 लाख हेक्टेयर में और सनफ्लावर की 0.71 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 123.85 लाख हेक्टेयर में, 43.614 लाख हेक्टेयर में तथा 0.68 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

अन्य तिलहनी फसलों में शीशम की बुआई 10.67 लाख हेक्टेयर में, कैस्टर सीड की 4.70 लाख हेक्टेयर में तथा नाइजर की 0.31 लाख हेक्टेयर में हुई है।

मोटे अनाजों की बुवाई चालू खरीफ सीजन में बढ़कर 185.51 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई केवल 177.50 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। मोटे अनाजों में मक्का की 87.23 लाख हेक्टेयर में बाजरा 68.85 लाख हेक्टेयर तथा ज्वार 14.93 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। पिछले साल की समान अवधि में मक्का की बुआई 81.25 लाख हेक्टेयर में, बाजरा की 70 लाख हेक्टेयर में तथा ज्वार की 13.84 लाख हेक्टेयर में हुई थी।

कपास की बुआई खरीफ सीजन में 9.24 फीसदी घटकर 111.39 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 122.74 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

महाराष्ट्र में खरीफ फसलों की बुआई 3 फीसदी बढ़ी, कपास की पिछले साल से घटी

नई दिल्ली। महाराष्ट्र में चालू खरीफ सीजन में फसलों की कुल बुआई 3.09 फीसदी बढ़कर 19 अगस्त तक 144.94 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 140.59 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।


राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार 19 अगस्त 2024 तक राज्य में कपास की बुआई चालू खरीफ में 2.30 फीसदी घटकर केवल 40.83 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 41.79 लाख हेक्टेयर की तुलना में कम है।

चालू खरीफ में मक्का, बाजरा एवं धान के साथ ही ज्वार की बुआई राज्य में 31.23 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले की समान अवधि के 29.08 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। मोटे अनाजों में बाजरा की बुआई चालू खरीफ में 3.98 लाख हेक्टेयर में, मक्का की 11.06 लाख हेक्टेयर में तथा ज्वार की 1.07 लाख हेक्टेयर में ही हुई है। पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 3.62 लाख हेक्टेयर में, 8.82 लाख हेक्टेयर में और 1.10 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

धान की रोपाई राज्य में घटकर 14.11 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुआई 14.41 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

दलहनी फसलों की बुआई चालू सीजन में राज्य में 18.88 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले खरीफ में इस समय तक केवल 15.83 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हुई थी। खरीफ दलहन की प्रमुख फसल अरहर की बुआई चालू खरीफ में 12.10 लाख हेक्टेयर में, उड़द की 3.74 लाख हेक्टेयर में तथा मूंग की 2.32 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 11.05 लाख हेक्टेयर में, 2.44 लाख हेक्टेयर एवं 1.74 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

राज्य में चालू खरीफ सीजन में तिलहनी फसलों की बुआई 52.22 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई 51.31 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। खरीफ तिलहन की प्रमुख फसल सोयाबीन की बुआई राज्य में 50.51 लाख हेक्टेयर में तथा मूंगफली की 1.47 लाख हेक्टेयर में और शीशम की 7,653 हेक्टेयर में हो चुकी है। पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 49.75 लाख हेक्टेयर और 1.39 लाख हेक्टेयर में और 4,490 हेक्टेयर में हुई थी।

गन्ने की बुआई चालू सीजन में घटकर 1.77 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 2.55 लाख हेक्टेयर की तुलना में कम है। 

खरीफ सीजन में तेलंगाना में फसलों की कुल बुआई 7.15 फीसदी कम

नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन में तेलंगाना में फसलों की कुल बुआई में 7.15 फीसदी की कमी आई है। राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार 21 अगस्त 2024 तक राज्य में खरीफ फसलों की बुआई घटकर 101,16,989 एकड़ में ही हुई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 108,95,879 एकड़ में बुवाई हो चुकी थी।


भारतीय मौसम विभाग, आईएमडी के अनुसार राज्य में चालू मानसूनी सीजन में पहली जून से 22 अगस्त तक सामान्य की तुलना में 13 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है

इस दौरान राज्य में मोटे अनाजों की बुआई घटकर 4,80,480 एकड़ में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 5,25,510 एकड़ में बुवाई हो चुकी थी। धान की रोपाई 40,73,025 एकड़ में तथा मक्का की 4,44,167 एकड़ में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 43,14,216 एकड़ में और 5,02,303 एकड़ में हुई थी।

दलहनी फसलों की बुआई चालू खरीफ में 5,27,288 एकड़ में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 5,27,327 एकड़ की तुलना में कम है। अरहर की बुआई चालू खरीफ में 4,42,837 एकड़ में मूंग की 64,057 एकड़ में तथा उड़द की 19,817 एकड़ में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 4,55,636 एकड़ में, 49,522 एकड़ में तथा 19,095 एकड़ में हो चुकी थी।

तिलहनी फसलों की बुआई राज्य में चालू खरीफ सीजन में घटकर 3,92,778 एकड़ में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई 4,52,248 एकड़ में हो चुकी थी। सोयाबीन की बुआई राज्य में अभी तक 3,76,986 एकड़ में तथा मूंगफली की 12,673 एकड़ में हुई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 4,43,449 एकड़ में तथा 6,027 एकड़ में ही हुई थी। कैस्टर सीड की बुआई चालू सीजन में 2,320 एकड़ में हुई है।

कपास की बुआई चालू खरीफ में घटकर 42,22,925 एकड़ में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुआई 44,52,411 एकड़ में हो चुकी थी।

राजस्थान में खरीफ फसलों की बुआई चार फीसदी पिछड़कर 155.60 हेक्टेयर में ही हुई

नई दिल्ली। राजस्थान में चालू खरीफ सीजन में फसलों की कुल बुआई 4.05 फीसदी पिछड़ कर 155.60 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 162.18 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। राज्य सरकार ने चालू खरीफ में 164.75 लाख हेक्टेयर में फसलों की बुआई का लक्ष्य तय किया है।


भारतीय मौसम विभाग, आईएमडी के अनुसार राज्य में पहली जून से 20 अगस्त के दौरान 474.4 मिलीमीटर बारिश हुई है, जो कि सामान्य की तुलना में 45 फीसदी ज्यादा है।

राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार 16 अगस्त 2024 तक राज्य में मक्का, बाजरा एवं धान के साथ ही ज्वार की बुआई 61.47 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई 63.51 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। मोटे अनाजों में बाजरा की बुआई चालू खरीफ में 42.50 लाख हेक्टेयर में, मक्का की 9.62 लाख हेक्टेयर में तथा ज्वार की 6.41 लाख हेक्टेयर में ही हुई है। पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 45.37 लाख हेक्टेयर में, 9.42 लाख हेक्टेयर में और 6.20 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

धान की रोपाई राज्य में बढ़कर 2.90 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 2.43 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।

दलहनी फसलों की बुआई चालू सीजन में 35.14 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले खरीफ में इस समय तक 35.24 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी। खरीफ दलहन की प्रमुख फसल मूंग की बुआई चालू खरीफ में 22.53 लाख हेक्टेयर में, उड़द की 2.97 लाख हेक्टेयर में तथा मोठ की 8.99 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 22.08 लाख हेक्टेयर में, 3.18 लाख हेक्टेयर एवं 9.15 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

राज्य में चालू खरीफ सीजन में तिलहनी फसलों की बुआई 22.81 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 24 लाख हेक्टेयर की तुलना में कम है। खरीफ तिलहन की प्रमुख फसल सोयाबीन की बुआई राज्य में 11.22 लाख हेक्टेयर में तथा मूंगफली की 8.59 लाख हेक्टेयर में और शीशम की 2.05 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 11.44 लाख हेक्टेयर में और 8.63 लाख हेक्टेयर में और 2.32 लाख हेक्टेयर में हुई थी।

कपास की बुआई राज्य में चालू खरीफ में घटकर केवल 5.15 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 7.90 लाख हेक्टेयर की तुलना में कम है।

इसी तरह से ग्वार सीड की बुआई राज्य में चालू खरीफ में घटकर केवल 27.10 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 27.42 लाख हेक्टेयर की तुलना में कम है।

जुलाई में डीओसी का निर्यात 18 फीसदी बढ़ा - एसईए

नई दिल्ली। जुलाई में देश से डीओसी के निर्यात में 18 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल निर्यात 451,794 टन का हुआ है, जबकि पिछले साल जुलाई में इनका निर्यात केवल 381,302 टन का ही हुआ था।


सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, एसईए के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2024-25 के पहले चार महीनों अप्रैल से जुलाई के दौरान डीओसी के निर्यात में 2 फीसदी की गिरावट आकर कुल निर्यात 1,554,426 टन का ही हुआ है, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इनका निर्यात 1,591,348 टन का ही हुआ था। निर्यात में कमी का प्रमुख कारण सरसों डीओसी एवं कैस्टर डीओसी के निर्यात में कमी तथा निर्यात पर प्रतिबंध के कारण सितंबर 2023 से राइस ब्रान डीओसी का निर्यात न होना है।

एसईए के अनुसार केंद्र सरकार ने राइस ब्रान डीओसी के निर्यात पर प्रतिबंध को 31 जनवरी, 2025 तक बढ़ाने का फैसला किया है। इससे पश्चिम बंगाल में स्थित राइस ब्रान डीओसी बनाने वाली इकाइयां प्रभावित होंगी।

चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीनों (अप्रैल से जुलाई 2024) में सोया डीओसी का निर्यात बढ़कर 6.92 लाख टन का हो गया, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 4.20 लाख टन का हुआ था। बढ़ोतरी का प्रमुख कारण ईरान और फ्रांस द्वारा अधिक आयात किया गया। बांग्लादेश, भारत से सरसों खली का एक प्रमुख आयातक है तथा बांग्लादेश में मौजूदा संकट से सरसों खली के निर्यात पर अस्थायी रूप से रोक लग सकती है, जिसका निर्यात मुख्य रूप से सड़क या रेल रेक द्वारा किया जाता है।

भारतीय बंदरगाह पर जुलाई में सोया डीओसी का भाव घटकर 489 डॉलर प्रति टन रह गया, जबकि जून में इसका दाम 497 डॉलर प्रति टन था। इस दौरान सरसों डीओसी का मूल्य जुलाई में भारतीय बंदरगाह पर घटकर 286 डॉलर प्रति टन रह गया, जबकि जून में इसका भाव 289 डॉलर प्रति टन था। इस दौरान कैस्टर डीओसी का दाम जून के 82 डॉलर प्रति टन से बढ़कर जुलाई में 84 डॉलर प्रति टन हो गया।

जुलाई में कैस्टर तेल के निर्यात में 34 फीसदी की भारी गिरावट - एसईए

नई दिल्ली। जुलाई में कैस्टर तेल के निर्यात में 34.09 फीसदी की भारी गिरावट आकर कुल निर्यात केवल 44,417 टन का ही हुआ है, जबकि पिछले साल जुलाई में इसका निर्यात 67,393 टन का हुआ है। सूत्रों के अनुसार कैस्टर तेल के सबसे बड़े आयातक चीन की मांग कमजोर होने से देश से निर्यात में कमी आई है।


सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अनुसार चालू साल 2024 के जनवरी से जुलाई के दौरान कैस्टर तेल का निर्यात 21.58 फीसदी बढ़कर 267,159 टन का हुआ है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसका निर्यात केवल 219,737 टन का ही हुआ था।

सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अनुसार जनवरी-24 से जुलाई-24 के दौरान मूल्य के हिसाब से कैस्टर तेल का निर्यात 3,206.34 करोड़ रुपये का हुआ है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसका निर्यात 2,765.95 करोड़ रुपये का ही हुआ था।

व्यापारियों के अनुसार शुक्रवार को गुजरात में कैस्टर सीड के भाव 5 रुपये तेज होकर 1,180 से 1,205 रुपये प्रति 20 किलो हो गए तथा आवक 45,000 बोरियों, एक बोरी 35 किलो की हुई।  

इस दौरान अहमदाबाद में कैस्टर तेल के भाव 1,225 रुपये और एफएसजी के 1,235 रुपये प्रति 10 किलो पर स्थिर बने रहे।

कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ सीजन में उत्पादक राज्यों में कैस्टर सीड की बुआई केवल 2.44 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 5.34 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

16 अगस्त 2024

चालू तेल वर्ष के नौ महीनों में खाद्वय एवं अखाद्य तेलों का आयात एक फीसदी घटा- एसईए

नई दिल्ली। चालू तेल वर्ष 2023-24 के पहले 9 महीनों नवंबर 23 से जुलाई 24 के दौरान देश में खाद्वय एवं अखाद्य तेलों का आयात एक फीसदी घटकर 121.24 लाख टन का ही हुआ है, जबकि पिछले तेल वर्ष की समान अवधि में इनका आयात 122.55 लाख टन का हुआ था।


सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अनुसार जुलाई 2024 में खाद्वय एवं अखाद्य तेलों का आयात 7 फीसदी बढ़कर 1,895,076 टन का हुआ है, जबकि पिछले साल जुलाई में इनका आयात 1,771,833 टन का ही हुआ था। जुलाई 2024 के दौरान खाद्वय तेलों का आयात 1,840,062 टन का एवं अखाद्य तेलों का आयात 55,014 टन का हुआ है।

देश में जुलाई 2024 के दौरान 10.81 लाख टन रिकॉर्ड पाम तेल का आयात किया है, जोकि नवंबर 2022 के बाद सबसे अधिक है। नवंबर 2022 में इसका आयात 11.41 लाख टन का हुआ था।

एसईए के अनुसार तेल वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही में खाद्वय एवं अखाद्य तेलों के आयात में 23 फीसदी की बड़ी गिरावट आई थी, क्योंकि घरेलू उपलब्धता ज्यादा थी। हालांकि, दूसरी तिमाही में इनके आयात में 4 फीसदी की मामूली वृद्धि देखी गई। तीसरी तिमाही में आयात में 20 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई। देश में आमतौर पर त्योहारी सीजन के कारण जुलाई 2024 में खाद्वय तेलों का आयात ज्यादा मात्रा में होता है। आयात में हुई बढ़ोतरी के कारण कांडला बंदरगाह पर भीड़ बढ़ गई, जिससे बर्थ मिलने में 8 से 10 दिनों की देरी हुई।

तेल वर्ष 2023-24 के पहले नौ महीनों में, देश में 1,518,671 टन रिफाइंड तेल (आरबीडी पामोलिन) का आयात किया, जोकि पिछले तेल वर्ष की समान अवधि के दौरान आयात किए गए 1,640,960 टन की तुलना में 7 फीसदी कम है। इस दौरान 10,416,556 टन क्रूड तेल का आयात किया गया, जोकि नवंबर 2022 एवं जुलाई 2023 के 10,481,751 टन की तुलना में 1 फीसदी कम है।

जून के मुकाबले जुलाई में अधिकांश आयातित खाद्वय तेलों की कीमतों में तेजी का रुख रहा। जुलाई में भारतीय बंदरगाह पर आरबीडी पामोलिन का भाव बढ़कर 949 डॉलर प्रति टन हो गया, जबकि जून में इसका दाम 924 डॉलर प्रति टन था। इसी तरह से क्रूड पाम तेल का दाम जुलाई में बढ़कर 979 डॉलर प्रति टन हो गया, जबकि जून में इसका भाव 954 डॉलर प्रति टन था। क्रूड सोयाबीन तेल का भाव जुलाई में बढ़कर भारतीय बंदरगाह पर 1,054 डॉलर प्रति टन का हो गया, जबकि जून में इसका भाव 1,049 डॉलर प्रति टन था। हालांकि क्रूड सनफ्लावर तेल का भाव भारतीय बंदरगाह पर जून के 1,065 डॉलर से घटकर जुलाई में 1,043 डॉलर प्रति टन रह गया।

राजस्थान में खरीफ फसलों की 92 फीसदी बुआई पूरी, पिछले साल से 5.67 फीसदी कम

नई दिल्ली। राजस्थान में चालू खरीफ सीजन में फसलों की कुल बुआई 5.67 फीसदी पिछड़ कर 152.35 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 161.51 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। राज्य सरकार ने चालू खरीफ में 164.75 लाख हेक्टेयर में फसलों की बुआई का लक्ष्य तय किया है।


भारतीय मौसम विभाग, आईएमडी के अनुसार राज्य में पहली जून से 13 अगस्त के दौरान 407.9 मिलीमीटर बारिश हुई है, जो कि सामान्य की तुलना में 41 फीसदी ज्यादा है।

राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार 12 अगस्त 2024 तक राज्य में मक्का, बाजरा एवं धान के साथ ही ज्वार की बुआई 60.87 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई 63.16 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। मोटे अनाजों में बाजरा की बुआई चालू खरीफ में 41.99 लाख हेक्टेयर में, मक्का की 9.62 लाख हेक्टेयर में तथा ज्वार की 6.41 लाख हेक्टेयर में ही हुई है। पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 45.03 लाख हेक्टेयर में, 9.41 लाख हेक्टेयर में और 6.20 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

धान की रोपाई राज्य में बढ़कर 2.81 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 2.42 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।

दलहनी फसलों की बुआई चालू सीजन में 34.40 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले खरीफ में इस समय तक 35.04 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी। खरीफ दलहन की प्रमुख फसल मूंग की बुआई चालू खरीफ में 22.05 लाख हेक्टेयर में, उड़द की 2.97 लाख हेक्टेयर में तथा मोठ की 8.82 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 22.07 लाख हेक्टेयर में, 3.18 लाख हेक्टेयर एवं 9.15 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

राज्य में चालू खरीफ सीजन में तिलहनी फसलों की बुआई 22.70 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 23.88 लाख हेक्टेयर की तुलना में कम है। खरीफ तिलहन की प्रमुख फसल सोयाबीन की बुआई राज्य में 11.22 लाख हेक्टेयर में तथा मूंगफली की 8.58 लाख हेक्टेयर में और शीशम की 2.02 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 11.43 लाख हेक्टेयर और 8.63 लाख हेक्टेयर में और 2.32 लाख हेक्टेयर में हुई थी।

कपास की बुआई राज्य में चालू खरीफ में घटकर केवल 5.13 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 7.90 लाख हेक्टेयर की तुलना में कम है।

इसी तरह से ग्वार सीड की बुआई राज्य में चालू खरीफ में घटकर केवल 25.29 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 27.34 लाख हेक्टेयर की तुलना में कम है।

चालू खरीफ में धान, दलहन एवं तिलहन के साथ मोटे अनाजों की बुआई बढ़ी, कपास की कम

नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन में फसलों की बुआई बढ़कर 1.40 फीसदी बढ़कर 979.89 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई केवल 866.40 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।


चालू खरीफ में जहां धान एवं दलहन के साथ ही तिलहन एवं मोटे अनाजों की बुआई के क्षेत्रफल में जहां बढ़ोतरी हुई है, वहीं कपास की बुआई में कमी आई है।

भारतीय मौसम विभाग, आईएमडी के अनुसार 1 जून से 12 अगस्त के दौरान देशभर में 552.6 मिमी बारिश हुई, जबकि सामान्य: इस दौरान 587.6 मिमी बारिश होती है। अत: इस दौरान सामान्य से 6 फीसदी कम बारिश हुई है।

कृषि मंत्रालय के अनुसार 9 अगस्त 2024 तक दलहनी फसलों की बुआई 6.68 फीसदी बढ़कर 117.43 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 110.08 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। खरीफ दलहन की प्रमुख फसल अरहर की बुआई चालू खरीफ में 44.57 लाख हेक्टेयर में, उड़द की 27.76 लाख हेक्टेयर में और मूंग की 32.78 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 38.49 लाख हेक्टेयर में, 28.83 लाख हेक्टेयर में तथा 29.89 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

मोठ की बुवाई चालू खरीफ में 8.69 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 9.28 लाख हेक्टेयर से कम है।

धान की रोपाई चालू खरीफ में बढ़कर 331.78 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी रोपाई 318.16 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

तिलहनी फसलों की बुआई बढ़कर चालू खरीफ सीजन में 183.69 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई केवल 182.17 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। तिलहनी फसलों में सोयाबीन की बुआई चालू खरीफ में 124.69 लाख हेक्टेयर में, मूंगफली की 45.42 लाख हेक्टेयर में और सनफ्लावर की 0.69 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 122.89 लाख हेक्टेयर में, 41.91 लाख हेक्टेयर में तथा 0.62 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

अन्य तिलहनी फसलों में शीशम की बुआई 10.14 लाख हेक्टेयर में, कैस्टर सीड की 2.44 लाख हेक्टेयर में तथा नाइजर की 0.26 लाख हेक्टेयर में हुई है।

मोटे अनाजों की बुवाई चालू खरीफ सीजन में बढ़कर 173.13 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई केवल 171.36 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। मोटे अनाजों में मक्का की 85.17 लाख हेक्टेयर में बाजरा 65.69 लाख हेक्टेयर तथा ज्वार 14.23 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। पिछले साल की समान अवधि में मक्का की बुआई 79.17 लाख हेक्टेयर में, बाजरा की 68.81 लाख हेक्टेयर में तथा ज्वार की 13.29 लाख हेक्टेयर में हुई थी।

कपास की बुआई खरीफ सीजन में 8.86 फीसदी घटकर 110.49 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 121.24 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

गन्ने की बुआई चालू खरीफ सीजन में बढ़कर 57.68 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 57.11 लाख हेक्टेयर की तुलना में ज्यादा है।

चालू खरीफ सीजन में तेलंगाना में खरीफ फसलों की बुआई 15.31 फीसदी पिछड़ी

नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन में तेलंगाना में खरीफ फसलों की बुआई 15.31 फीसदी पीछे चल रही है। राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार 7 अगस्त 2024 तक राज्य में खरीफ फसलों की बुआई घटकर 84,59,853 एकड़ में ही हुई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 99,89,180 एकड़ में बुवाई हो चुकी थी।


इस दौरान राज्य में मोटे अनाजों की बुआई घटकर 4,40,001 एकड़ में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 5,23,049 एकड़ में ही बुआई हो चुकी थी। धान की रोपाई 25,58,399 एकड़ में तथा मक्का की 4,07,331 एकड़ में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 34,37,325 एकड़ में और 5,00,966 एकड़ में हुई थी।

दलहनी फसलों की बुआई चालू खरीफ में 4,98,901 एकड़ में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 5,23,606 एकड़ की तुलना में कम है। अरहर की बुआई चालू खरीफ में 4,17,831 एकड़ में मूंग की 61,580 एकड़ में तथा उड़द की 19,111 एकड़ में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 4,53,007 एकड़ में, 48,964 एकड़ में तथा 18,639 एकड़ में हो चुकी थी।

तिलहनी फसलों की बुआई राज्य में चालू खरीफ सीजन में घटकर 3,83,565 एकड़ में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई 4,52,800 एकड़ में हो चुकी थी। सोयाबीन की बुआई राज्य में अभी तक 3,71,519 एकड़ में तथा मूंगफली की 9,574 एकड़ में हुई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 4,44,263 एकड़ में तथा 5,868 एकड़ में ही हुई थी। कैस्टर सीड की बुआई चालू सीजन में 1,970 एकड़ में हुई है।

कपास की बुआई चालू खरीफ में घटकर 41,65,532 एकड़ में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुआई 44,32,153 एकड़ में हो चुकी थी।

09 अगस्त 2024

ओएमएसएस के तहत गेहूं की बिक्री शुरू नहीं होने से कीमतों में तेजी के आसार

नई दिल्ली। अगस्त का पहला सप्ताह बीतने के बावजूद भी अभी तक केंद्र सरकार ने खुले बाजार बिक्री योजना, ओएमएसएस के गेहूं बेचने के लिए कोई आधिकारिक सूचना जारी नहीं है, जिससे गेहूं की कीमतों में तेजी बन सकती है।


व्यापारियों के अनुसार केंद्र सरकार ने अगस्त से खुले बाजार बिक्री योजना, ओएमएसएस के तहत गेहूं बेचना का निर्णय किया था। ओएमएसएस के तहत गेहूं का बिक्री भाव 2,300 एवं 2,325 रुपये प्रति क्विंटल, इसमें परिवहन लागत अलग से जोड़कर करने का निर्णय लिया था, लेकिन इस बारे में अभी तक भारतीय खाद्वय निगम, एफसीआई की तरफ से कोई निविदा जारी नहीं की गई है।

फ्लोर मिलों की मांग बढ़ने से दिल्ली में गेहूं की कीमत गुरुवार को 10 रुपये तेज होकर भाव 2,715 से 2,720 रुपये प्रति क्विंटल हो गई तथा दिल्ली में गेहूं की आवक 10,000 बोरियों की हुई। इसी तरह से उत्पादक मंडियों में भी इसकी कीमतों में सुधार आया है। जानकारों के अनुसार स्टॉकिस्टों की बिकवाली गेहूं में कमजोर है, ऐसे में अगर अगले सप्ताह तक ओएमएसएस में गेहूं बेचने की निविदा जारी नहीं की गई तो फिर मौजूदा कीमतों में और भी 100 से 150 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी बन सकती है।

हालांकि केंद्र सरकार ने गेहूं पर तत्काल प्रभाव से स्टॉक लिमिट लगाई हुई है जोकि 31 मार्च, 2025 तक लागू रहेगी।

केंद्र सरकार ने चालू रबी विपणन सीजन 2024-25 में न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर 266 लाख टन गेहूं की खरीद की थी, जोकि पिछले रबी विपणन सीजन में खरीदे गए 262.02 लाख टन की तुलना में थोड़ा ज्यादा है हालांकि यह तय लक्ष्य से कम रही। 

महाराष्ट्र में खरीफ फसलों की बुआई 6 फीसदी बढ़ी, कपास की पिछले साल के मुकाबले कम

नई दिल्ली। महाराष्ट्र में चालू खरीफ सीजन में फसलों की कुल बुआई 5.85 फीसदी बढ़कर पांच अगस्त तक 139.46 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 131.74 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।


भारतीय मौसम विभाग, आईएमडी के अनुसार राज्य में पहली जून से 6 अगस्त के दौरान 818.8 मिलीमीटर बारिश हुई है, जो कि सामान्य की तुलना में 36 फीसदी ज्यादा है।

राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार 5 अगस्त 2024 तक राज्य में कपास की बुआई चालू खरीफ में 1.86 फीसदी घटकर केवल 40.70 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 41.47 लाख हेक्टेयर की तुलना में कम है।

चालू खरीफ में मक्का, बाजरा एवं धान के साथ ही ज्वार की बुआई राज्य में 28.45 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले की समान अवधि के 25.33 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। मोटे अनाजों में बाजरा की बुआई चालू खरीफ में 3.49 लाख हेक्टेयर में, मक्का की 10.97 लाख हेक्टेयर में तथा ज्वार की 1.05 लाख हेक्टेयर में ही हुई है। पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 3.29 लाख हेक्टेयर में, 8.33 लाख हेक्टेयर में और 1.07 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

धान की रोपाई राज्य में बढ़कर 11.61 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुआई 11.76 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

दलहनी फसलों की बुआई चालू सीजन में राज्य में 18.93 लाख हेक्टेयर हो चुकी है, जबकि पिछले खरीफ में इस समय तक 15.12 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हुई थी। खरीफ दलहन की प्रमुख फसल अरहर की बुआई चालू खरीफ में 12.04 लाख हेक्टेयर में, उड़द की 3.93 लाख हेक्टेयर में तथा मूंग की 2.29 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 10.71 लाख हेक्टेयर में, 2.24 लाख हेक्टेयर एवं 1.63 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

राज्य में चालू खरीफ सीजन में तिलहनी फसलों की बुआई 51.36 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई 49.82 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। खरीफ तिलहन की प्रमुख फसल सोयाबीन की बुआई राज्य में 49.73 लाख हेक्टेयर में तथा मूंगफली की 1.40 लाख हेक्टेयर में और शीशम की 7,513 हेक्टेयर में हो चुकी है। पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 48.38 लाख हेक्टेयर और 1.29 लाख हेक्टेयर में और 4,101 हेक्टेयर में हुई थी।

खरीफ फसलों की बुआई 2.88 फीसदी बढ़कर 904 लाख हेक्टेयर के पार

नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन में फसलों की बुआई बढ़कर 2.88 फीसदी बढ़कर 904.60 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई केवल 879.22 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।


चालू खरीफ में जहां धान एवं दलहन के साथ ही तिलहन एवं मोटे अनाजों की बुआई के क्षेत्रफल में जहां बढ़ोतरी हुई है, वहीं कपास की रोपाई में कमी आई है।

भारतीय मौसम विभाग, आईएमडी के अनुसार 1 जून से 1 अगस्त के दौरान देशभर में 454.7 मिमी बारिश हुई, जबकि सामान्य: इस दौरान 469.2 मिमी बारिश होती है। अत: इस दौरान सामान्य से 3 फीसदी कम बारिश हुई है।

कृषि मंत्रालय के अनुसार 2 अगस्त 2024 तक दलहनी फसलों की बुआई 10.93 फीसदी बढ़कर 110.61 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 99.71 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। खरीफ दलहन की प्रमुख फसल अरहर की बुआई चालू खरीफ में 41.89 लाख हेक्टेयर में, उड़द की 25.96 लाख हेक्टेयर में और मूंग की 31.62 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 33.27 लाख हेक्टेयर में, 26.21 लाख हेक्टेयर में तथा 28.15 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

मोठ की बुवाई चालू खरीफ में 7.86 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 8.90 लाख हेक्टेयर से कम है।

धान की रोपाई चालू खरीफ में थोड़ा घटकर 276.91 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी रोपाई 263.01 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

तिलहनी फसलों की बुआई बढ़कर चालू खरीफ सीजन में 179.69 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई केवल 174.53 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। तिलहनी फसलों में सोयाबीन की बुआई चालू खरीफ में 123.77 लाख हेक्टेयर में, मूंगफली की 44.06 लाख हेक्टेयर में और सनफ्लावर की 0.66 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 120.51 लाख हेक्टेयर में, 39.24 लाख हेक्टेयर में तथा 0.55 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

अन्य तिलहनी फसलों में शीशम की बुआई 9.51 लाख हेक्टेयर में, कैस्टर सीड की 1.41 लाख हेक्टेयर में तथा नाइजर की 0.23 लाख हेक्टेयर में हुई है।

मोटे अनाजों की बुवाई चालू खरीफ सीजन में बढ़कर 165.59 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई केवल 160.38 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। मोटे अनाजों में मक्का की 82.55 लाख हेक्टेयर में बाजरा 62.70 लाख हेक्टेयर तथा ज्वार 13.53 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। पिछले साल की समान अवधि में मक्का की बुआई 74.56 लाख हेक्टेयर में, बाजरा की 65.99 लाख हेक्टेयर में तथा ज्वार की 12.88 लाख हेक्टेयर में हुई थी।

कपास की बुआई खरीफ सीजन में 8.25 फीसदी घटकर 108.43 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 118.19 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

गन्ने की बुआई चालू खरीफ सीजन में बढ़कर 57.68 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 57.11 लाख हेक्टेयर की तुलना में ज्यादा है।

चालू खरीफ सीजन में कपास की बुआई 6 फीसदी से ज्यादा पिछड़ी

नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन में 31 जुलाई तक देशभर में कपास की बुआई 6.08 फीसदी पिछड़ कर केवल 107.07 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 113.88 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी।


सूत्रों के अनुसार उत्तर भारत के राज्यों पंजाब में चालू खरीफ में कपास की बुआई एक लाख हेक्टेयर में, हरियाणा में 4.76 लाख हेक्टेयर में तथा राजस्थान में 4.94 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले खरीफ की समान अवधि में इन राज्यों में क्रमश: 2.14 लाख हेक्टेयर, 6.65 लाख हेक्टेयर तथा 7.73 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई थी।

कपास के प्रमुख उत्पादक राज्यों महाराष्ट्र में चालू खरीफ में 31 जुलाई तक 40.49 लाख हेक्टेयर में तथा गुजरात में 23.15 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इन राज्यों में क्रमश: 40.78 लाख हेक्टेयर एवं 26.64 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी। मध्य प्रदेश में चालू खरीफ सीजन में कपास की बुआई बढ़कर 6.08 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 5.79 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हुई थी।

उधर तेलंगाना में चालू खरीफ में कपास की बुआई 16.55 लाख हेक्टेयर में तथा आंध्र प्रदेश में 2.36 लाख हेक्टेयर और कर्नाटक में 6.09 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। पिछले साल इस समय तक इन राज्यों में क्रमश: 17.41 लाख हेक्टेयर में, 2.56 लाख हेक्टेयर में तथा 2.44 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। तमिलनाडु में कपास की बुआई चालू खरीफ में 4 हजार हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 7 हजार हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी।

ओडिशा में चालू खरीफ में कपास की बुआई 1.35 लाख हेक्टेयर में तथा अन्य राज्यों में 24 हजार हेक्टेयर में हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इन राज्यों में क्रमश: 1.45 लाख हेक्टेयर में और 17 हजार हेक्टेयर में ही बुआई हुई थी।