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11 दिसंबर 2025

सीसीआई ने बिनौले की बिक्री कीमतों में बढ़ोतरी की, हाजिर बाजार में भी इसके भाव तेज

नई दिल्ली। कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया, सीसीआई ने सोमवार को बिनौले की बिक्री कीमतों में 50 से 100 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी, जिससे हाजिर बाजार में बिनौला के साथ ही कपास खली की कीमतों में 100 से 125 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आई।


तेल मिलों की खरीद सीमित होने के कारण बिनौले की कीमत स्थिर हो हुई। हरियाणा में बिनौले के भाव 100 रुपये तेज होकर 3,450 से 3,650 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। इस दौरान राजस्थान में बिनौला के भाव 100 रुपये बढ़कर 3,550 से 3,750 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। बिनौला के दाम पंजाब में 100 रुपये बढ़कर 3,450 से 3,650 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

सीसीआई ने सोमवार को घरेलू बाजार में ई नीलामी के माध्यम से 6,17,100 क्विंटल बिनौला की बिक्री की। निगम ने सरसों में 26,900 क्विंटल बिनौला की बिक्री की तथा बिक्री कीमतों में 50 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की। इसी तरह से निगम ने श्रीगंगानगर में 63,100 क्विंटल बिनौला बेचा तथा बिक्री कीमतों में 50 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की।

इस दौरान निगम ने आदिलाबाद में 1,25,900 क्विंटल बिनौला की बिक्री की, तथा बिक्री कीमतों में 100 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की। बठिंडा में निगम ने 8,800 क्विंटल बिनौला की बिक्री की तथा इसके बिक्री भाव 50 रुपये प्रति क्विंटल तक बढ़ाए।

निगम द्वारा बिनौला के बिक्री भाव बढ़ाने से कपास खली की कीमतों में 100 से 125 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी दर्ज की गई। सेलू में कपास खली की कीमत तेज होकर 3,230 रुपये प्रति क्विंटल हो गई। इस दौरान भोकर में रेगुलर क्वालिटी की कपास खली की कीमत बढ़कर 3,250 रुपये प्रति क्विंटल बोली गई। शाहपुरा में रेगुलर क्वालिटी की कपास खली के भाव तेज होकर 3,270 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

विश्व बाजार में खाद्य तेलों की कीमतों में गिरावट का रुख रहा, हालांकि इस दौरान घरेलू बाजार में कॉटन वॉश की कीमत स्थिर से कमजोर हुई। मुंबई में कॉटन आरएफ के भाव 1,300 रुपये प्रति 10 किलो पर स्थिर हो गए। इस दौरान धुले में कॉटन वॉश की कीमत कमजोर होकर 1,235 रुपये प्रति दस किलो बोली गई। राजकोट में कॉटन वॉश के दाम 1,250 रुपये प्रति 10 किलो पर स्थिर हो गए।

उद्योग ने की कॉटन उत्पादन अनुमान में बढ़ोतरी, 309.50 लाख गांठ होने की उम्मीद

नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2025 से शुरू हुए फसल सीजन 2025-26 के दौरान देश में कॉटन का उत्पादन 309.50 लाख गांठ, एक गांठ 170 किलो होने का अनुमान है, जोकि पहले के अनुमान से 4.50 लाख गांठ ज्यादा है। इस दौरान कॉटन का आयात बढ़कर 50 लाख गांठ होने का अनुमान है।


कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया, सीएआई के अनुसार चालू फसल सीजन 2025-26 में देश में 309.50 लाख गांठ कॉटन के उत्पादन का अनुमान है, तथा इससे पहले के अनुमान में 4.50 लाख गांठ की बढ़ोतरी की उम्मीद है। प्रमुख उत्पादन राज्य गुजरात में आरंभिक उत्पादन में 3 लाख गांठ, महाराष्ट्र में 3 लाख गांठ तथा कर्नाटक में एक लाख गांठ की बढ़ोतरी का अनुमान है जबकि तेलंगाना में पहले के अनुमान में 2.50 लाख गांठ की कमी आने का अनुमान है।

सीएआई के अनुसार चालू फसल सीजन 2025-26 में उत्तर भारत के राज्यों में कॉटन का कुल उत्पादन 30.50 लाख गांठ होने का अनुमान है। इसमें पंजाब की हिस्सेदारी 2 लाख गांठ, हरियाणा की 7 लाख गांठ के अलावा अपर राजस्थान में 12.50 लाख गांठ के अलावा लोअर राजस्थान में 9 लाख गांठ कॉटन के उत्पादन का अनुमान है।

मध्य भारत के राज्यों में कॉटन का उत्पादन 185 लाख गांठ होने का अनुमान है। इसमें गुजरात की हिस्सेदारी 75 लाख गांठ तथा महाराष्ट्र की 91 लाख गांठ के अलावा मध्य प्रदेश की 19 लाख गांठ है।

दक्षिण भारत के राज्यों में चालू फसल सीजन में 88 लाख गांठ कॉटन के उत्पादन का अनुमान है। इसमें तेलंगाना की हिस्सेदारी 40.50 लाख गांठ, आंध्रप्रदेश 17 लाख गांठ के अलावा कर्नाटक 26 लाख गांठ तथा तमिलनाडु में 4.50 लाख गांठ कॉटन के उत्पादन का अनुमान है।

अन्य राज्यों में ओडिशा में चालू सीजन में 4 लाख गांठ तथा अन्य राज्यों में 2 लाख गांठ के उत्पादन का अनुमान है।

एसएआई के अनुसार चालू फसल सीजन में 50 लाख गांठ कॉटन के आयात का अनुमान है, जोकि पिछले साल के 41 लाख गांठ से 9 लाख गांठ ज्यादा है। चालू फसल सीजन के पहले दो महीनों में नवंबर अंत तक 18 लाख गांठ आयातित कॉटन भारतीय बंदरगाह पर पहुंच चुकी है।

चालू फसल सीजन 2025-26 के दौरान देश से 18 लाख गांठ कॉटन के निर्यात का अनुमान है, जोकि पिछले साल के लगभग बराबर ही है। चालू फसल सीजन के पहले दो महीनों में नवंबर अंत देश से 3 लाख गांठ कॉटन का निर्यात हो चुका है।

एसएआई के अनुसार चालू फसल सीजन के आरंभ में 60.59 लाख गांठ का बकाया स्टॉक बचा हुआ था जबकि 309.50 लाख गांठ का उत्पादन होने की उम्मीद है। इस दौरान 50 लाख गांठ आयातित कॉटन आयेगी। अत: घरेलू बाजार में कॉटन की कुल उपलब्धता 420.09 लाख गांठ की बैठेगी।

चालू फसल सीजन में कॉटन की कुल खपत 295 लाख गांठ की होने का अनुमान है, इसके अलावा 18 लाख गांठ का निर्यात हो जायेगा। अत: क्लोजिंग स्टॉक 107.09 लाख गांठ का बैठेगा।

चालू फसल सीजन में नवंबर अंत तक 69.78 लाख गांठ की आवक उत्पादक मंडियों में हो चुकी है। 

राजस्थान में रबी फसलों की बुआई 88 फीसदी पूरी, गेहूं एवं सरसों के साथ ही चना की ज्यादा

नई दिल्ली। चालू रबी सीजन में राजस्थान में तय लक्ष्य के 88 फीसदी क्षेत्रफल में फसलों की बुवाई हो चुकी  है। चना के साथ ही सरसों एवं गेहूं की बुआई पिछले साल की तुलना में बढ़ी है।

राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार 1 दिसंबर तक राज्य में रबी फसलों की बुआई 105.60 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में केवल 95.85 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हुई थी। चालू रबी सीजन में राज्य में 120.15 लाख हेक्टेयर में फसलों की बुआई का लक्ष्य तय किया है।

चालू रबी सीजन में तिलहनी फसलों की बुआई राज्य में बढ़कर 34.93 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 33.71 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। तिलहनी फसलों में सरसों की बुआई बढ़कर 33.57 लाख हेक्टेयर में, तारामीरा की 1.24 लाख हेक्टेयर में हुई है, जबकि पिछले रबी की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 32.80 लाख हेक्टेयर और 80,000 हेक्टेयर में ही हुई थी।

रबी दलहन की प्रमुख फसल चना की बुआई राज्य में चालू रबी सीजन में बढ़कर 21.25 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इस समय तक 16.55 लाख हेक्टेयर में ही इसकी बुआई हुई थी। अन्य रबी दलहन की बुआई 29 हजार हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 38 हजार हेक्टेयर की तुलना में कम है।

चालू रबी सीजन में राज्य में गेहूं की बुआई बढ़कर 29.40 लाख हेक्टेयर में और जौ की बुआई 3.91 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 24.69 लाख हेक्टेयर एवं 3.30 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

नीचे दाम पर मांग निकलने से बिनौला के साथ ही कपास खली के भाव तेज

नई दिल्ली। नीचे दाम पर तेल मिलों के साथ ही पशु आहार वालों की मांग निकलने से बिनौला के साथ ही कपास खली की कीमतों में गुरुवार तो तेजी दर्ज की गई। उत्पादक मंडियों में कपास की आवक बराबर बनी हुई है, जबकि विश्व बाजार में खाद्य तेलों के दाम कमजोर हुए है ऐसे में बिनौला एवं कपास खली की मौजूदा कीमतों में हल्का सुधार तो आ सकता है लेकिन बड़ी तेजी के आसार कम है।


नीचे दाम पर जिनिंग मिलों की बिक्री कमजोर होने के साथ ही तेल मिलों की खरीद बढ़ने के कारण बिनौले की कीमतों में सुधार आया। हरियाणा में बिनौले के भाव 50 रुपये तेज होकर 3,350 से 3,550 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। इस दौरान राजस्थान में बिनौला के भाव 50 रुपये बढ़कर 3,450 से 3,650 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। बिनौला के दाम पंजाब में 25 रुपये बढ़कर 3,350 से 3,550 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

कॉटन कारपोरेशन ऑफ इंडिया, सीसीआई घरेलू बाजार में लगातार बिनौला बेच रही है, तथा चालू सप्ताह में सीसीआई ने बिनौला के बिक्री भाव में 30 से 50 रुपये प्रति क्विंटल की कटौती की है। ऐसे में इसके भाव में हल्का सुधार तो आ सकता है, लेकिन बड़ी तेजी मानकर व्यापार नहीं करना चाहिए।

सीसीआई ने 2 दिसंबर को 5,77,100 क्विंटल बिनौला ई नीलामी के माध्यम से बेचा तथा इसकी बिक्री कीमतों में 30 से 50 रुपये प्रति क्विंटल तक की कटौती की थी।

पशु आहार वालों की मांग बढ़ने से कपास खली की कीमतों में भी सुधार आया। कपास खली की मौजूदा कीमतों में तेल मिलों को नुकसान हो रहा है, जिस कारण मिलों की बिकवाली पहले की तुलना में कमजोर हुई है। हालांकि व्यापारी इसके भाव में अभी बड़ी तेजी के पक्ष में नहीं है। सेलू में कपास खली की कीमत तेज होकर 3,100 रुपये प्रति क्विंटल हो गई। इस दौरान भोकर में रेगुलर क्वालिटी की कपास खली की कीमत बढ़कर 3,125 रुपये प्रति क्विंटल हो गई। शाहपुरा में रेगुलर क्वालिटी की कपास खली के भाव 50 रुपये तेज होकर 3,125 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।

विश्व बाजार में खाद्वय तेलों की कीमतों में गुरुवार को लगातार दूसरे दिन गिरावट का रुख रहा, अत: इस दौरान घरेलू बाजार में कॉटन वॉश की कीमत स्थिर से कमजोर हो गई। अकोला में कॉटन वॉश के भाव 1,240 रुपये प्रति 10 किलो पर स्थिर हो गए। इस दौरान धुले में कॉटन वॉश की कीमत 1,240 रुपये प्रति दस किलो बोली गई। राजकोट में कॉटन वॉश के दाम 15 रुपये कमजोर होकर 1,235 रुपये प्रति 10 किलो रह गए।

नवंबर अंत तक घरेलू बाजार में 23 लाख बोरी सरसों का बकाया स्टॉक - उद्योग

नई दिल्ली। सरसों का बकाया स्टॉक नवंबर अंत तक 23 लाख बोरी का बचा हुआ है, जिसमें से सबसे ज्यादा 13.50 लाख बोरी किसानों के पास है। इसके अलावा 4 लाख बोरी का स्टॉक तेल मिलों एवं स्टॉकिस्टों के पास तथा 5.50 लाख बोरी का स्टॉक नेफेड एवं हैफेड के पास नई एवं पुरानी का मिलाकर है।


उद्योग के अनुसार चालू मार्किट सीजन 2025-26 में नवंबर अंत तक देशभर की उत्पादक मंडियों में सरसों की आवक 96.75 लाख बोरी की हो चुकी है, जिसमें से 95.25 लाख बोरी की पेराई भी हो चुकी है। पहली मार्च 2025 को सरसों का बकाया स्टॉक एक लाख बोरी का बचा हुआ था। अत: नवंबर के अंत में तेल मिलों एवं स्टॉकिस्टों के पास 4 लाख बोरी का बकाया स्टॉक बचा हुआ है।

चालू मार्केट सीजन 2025-26 में देशभर में 109.25 लाख बोरी सरसों का उत्पादन हुआ था, जबकि पुराना स्टॉक करीब 9 लाख बोरी का बचा हुआ था। अत: कुल उपलब्धता 118.25 लाख बोरी की बैठी थी।  

03 दिसंबर 2025

सीसीआई ने नवंबर में 153,100 गांठ कॉटन बेची, कुल बिक्री 91 लाख गांठ से ज्यादा

नई दिल्ली, 2 दिसंबर। कॉटन कारपोरेशन आफ इंडिया, सीसीआई ने नवंबर में 153,100 गांठ, एक गांठ 170 किलो कॉटन की बिक्री की है। निगम द्वारा फसल सीजन 2024-25 में खरीदी हुई कॉटन की बिक्री नवंबर अंत तक 91,08,300 गांठ की हो चुकी है।


सीसीआई ने पिछले सप्ताह कस्तूरी मोड की कॉटन की कीमतों में 100 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी 356 किलो की कटौती की थी तथा निगम 2024-25 फसल सीजन में खरीदी हुई कॉटन में से नवंबर अंत तक 91,08,300 गांठों की बिक्री कर चुकी है। अत: निगम के पास अब सात लाख गांठ से भी कम कॉटन बची हुई है।

स्पिनिंग मिलों की सीमित मांग के कारण मंगलवार को शाम के सत्र में गुजरात में कॉटन की कीमत स्थिर हो गई, जबकि इस दौरान उत्तर भारत के राज्यों में इसके भाव तेज हुए।

गुजरात के अहमदाबाद में 29 शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव मंगलवार को 52,000 से 52,300 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो पर स्थिर हो गए।

पंजाब में रुई हाजिर डिलीवरी के भाव बढ़कर 5,150 से 5,250 रुपये प्रति मन बोले गए।हरियाणा में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव 5,060 से 5,080 रुपये प्रति मन बोले गए।
ऊपरी राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के दाम तेज होकर 5,180 से 5,240 रुपये प्रति मन बोले गए। लोअर राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के दाम बढ़कर 49,000 से 50,000 रुपये कैंड़ी बोले गए।

देशभर की मंडियों में कपास की आवक 141,000 गांठ, एक गांठ-170 किलो की हुई।

घरेलू वायदा कारोबार में कॉटन की कीमत में गिरावट का रुख रहा। एनसीडीईएक्स पर अप्रैल 26 महीने के वायदा अनुबंध में कपास के दाम 14 रुपये कमजोर होकर 1,520 रुपये प्रति 20 किलो रह गए। आईसीई के इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग में कॉटन की कीमतों में तेजी का रुख रहा।

केंद्र सरकार ने कॉटन के आयात पर शून्य शुल्क की समय सीमा को 30 सितंबर 2025 से बढ़ाकर 31 दिसंबर 2025 किया हुआ है।

व्यापारियों के अनुसार गुजरात में कॉटन की कीमत स्थिर हो गई, जबकि इस दौरान उत्तर भारत के राज्यों में सुधार आया। व्यापारियों के अनुसार जिनिंग मिलों की बिक्री कमजोर है इसलिए इसके भाव में हल्का सुधार और भी बन सकता है। हालांकि कॉटन की कुल उपलब्धता घरेलू बाजार में ज्यादा है। सीसीआई घरेलू बाजार में लगातार पिछले साल की खरीदी हुई कॉटन बेच रही है। अत: मिलों को आसानी से कच्चा माल मिल रहा है। इसलिए स्पिनिंग मिल कॉटन की खरीद जरुरत के हिसाब से ही कर रही है। ऐसे में कॉटन की कीमतों में अभी बड़ी तेजी के आसार कम है। सूती धागे में घरेलू मांग तो अच्छी है, लेकिन निर्यात सौदे कम हो रहे हैं।

चालू पेराई सीजन में नवंबर अंत तक चीनी का उत्पादन 50 फीसदी बढ़ा - एनएफसीएसएफ

नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2025 से शुरू हुए चालू पेराई सीजन (अक्टूबर-25 से सितंबर-26) में नवंबर अंत तक चीनी का उत्पादन 50 फीसदी बढ़कर 41.35 लाख टन का हो चुका है, जबकि पिछले पेराई सीजन की समान अवधि में इसका उत्पादन केवल 27.60 लाख टन का ही हुआ था।


नेशनल फेडरेशन ऑफ को ऑपरेटिव शुगर फैक्ट्री लिमिटेड (एनएफसीएसएफ) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार चालू पेराई सीजन में 30 नवंबर 2025 तक 486 लाख टन गन्ने की पेराई हो चुकी है, जबकि पिछले पेराई सीजन में इस दौरान केवल 334 लाख टन गन्ने की पेराई ही हो पाई थी। नवंबर के आखिर तक औसत चीनी की रिकवरी 8.51 फीसदी की बैठ रही है, जबकि पिछले साल इसी तारीख को यह 8.27 फीसदी की दर्ज की गई थी।

महाराष्ट्र और कर्नाटक के कुछ इलाकों को छोड़कर जहां किसानों का आंदोलन चल रहा है, गन्ना पेराई का काम अभी पूरे देश में जोरों पर है। एनएफसीएसएफ के अनुसार चालू पेराई में कुल चीनी का उत्पादन 350 लाख टन होने का अनुमान है। इस दौरान एथेनॉल के उत्पादन में लगभग 35 लाख टन चीनी का इस्तेमाल होने की उम्मीद है। अत: चालू पेराई सीजन में कुल 315 लाख टन चीनी का उत्पादन। प्रमुख उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में चालू पेराई सीजन में 110 लाख टन, उत्तर प्रदेश में 105 लाख टन, कर्नाटक में 55 लाख टन तथा गुजरात में 8 लाख टन चीनी के उत्पादन का अनुमान है।

देश में चीनी की सालाना खपत 290 लाख टन होने का अनुमान है, जबकि चालू पेराई सीजन के आरंभ में 50 लाख टन चीनी का बकाया स्टॉक बचा हुआ था। ऐसे में चालू पेराई सीजन के अंत में चीनी मिलों के गोदामों में लगभग 75 लाख टन चीनी का बकाया स्टॉक बचेगा। ऐसे में उद्योग केंद्र सरकार ने 10 लाख टन और चीनी के निर्यात की अनुमति देने की मांग कर रहा है। इस कदम से न सिर्फ घरेलू चीनी की कीमतों में मजबूती आएगी।

उद्योग लंबे समय से चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य, एमएसपी में बढ़ोतरी नहीं करने से उलझन और अनिश्चितता का सामना कर रहा है। एनएफसीएसएफ ने एक रिलीज में कहा कि चीनी न्यूनतम बिक्री मूल्य बढ़कर 41 रुपये प्रति किलो करने की जरूरत है।