कमोडिटी बाजार के लिए 2014 बेहद खास रहा। कारोबार के लिहाज से तो नहीं,
लेकिन रिफॉर्म्स के लिए ये साल खास तौर से जाना जाएगा। क्योंकि बात चाहे
छोटे कारोबारियों की हितों की हो, या हेजेर्स की भूमिका बढ़ाने की हो। वायदा
बाजार आयोग अपनी पहल की बदौलत पूरे साल सुर्खियों में रहा। कॉन्ट्रेक्ट
स्पेस्फिकेशन के मामले में एक्सचेंज को जहां ज्यादा आधिकार दिया गया। वहीं
एनएसईएल संकट के बाद वेयरहाउसिंग के क्षेत्र में पहली बार ऐसे कदम उठाए गए।
तो क्या दूर हो गई कमोडिटी बाजार की तकलीफें या अभी भी हैं चुनौतियां। ऐसे
में कैसा रहेगा अगला साल, क्या होगा नए साल का एजेंडा, जानिए कमोडिटी
मार्केट के लिए खास पेशकश एक्शन 2015 में।
कमोडिटी मार्केट में करोबारियों की सहूलियत से पोजिशन लिमिट बढ़ाई गई और छोटे कारोबारियों के लिए एग्री कमोडिटी में छोटा वायदा लाया गया। एग्री कमोडिटी के सर्किट नियमों में बदलाव किए गए और डेली प्राइस लिमिट पॉलिसी की साल में 2 बार समीक्षा होगी। स्पॉट प्राइस पुलिंग सिस्टम के तहत एक्सचेंज हाजिर भाव लेंगे और कारोबारियों के लिए एसएमएस/ई-मेल एलर्ट की सुविधा जरूरी की गई। इसके अलावा कॉन्ट्रैक्ट स्पेसिफिकेशन में एक्सचेंज लेवल पर बदलाव की इजाजत दी गई और सेटलमेंट गारंटी फंड को सख्ती से लागू किया गया।
वेयहाउसिंग पर एफएमसी की पहल के तहत एनएसईएल संकट के बाद एफएमसी की वेयरहाउसिंग सुधार पर जोर दिया गया। एक्सचेंजों से जुड़े वेयरहाउसों का डब्ल्यूआरडीए में रजिस्ट्रेशन जरूरी किया गया। एक्सचेंजों से जुड़े वेयरहाउसों के मालिकाना नियम तय किए गए और रेगुलेटेड वेयरहाउसों की कमोडिटी स्टॉक होल्डिंग लिमिट से बाहर की गई।
बिजनेस लाइन के कमोडिटी एडिटर जी चंद्रशेखर का कहना है कि जब तक फिजिकल कमोडिटी मार्केट में रिफॉर्म्स नहीं होते हैं तब तक वायदा बाजार का सही तरीके से काम करना मुश्किल है। 2014 में काफी सारे रिफॉर्म्स हो चुके हैं और अब इनका असर 2015 में देखने को मिलेगा। हालांकि अभी भी कमोडिटी बाजार के लिए कुछ और अच्छी पॉलिसी बनानी जरूरी हैं जिनके बाद और ज्यादा निवेशक कमोडिटी बाजार में आना चाहेंगे।
एनसीडीईएक्स के बिजनेस डेलपमेंट हेड सुरेश देवनानी का कहना है कि कमोडिटी बाजार में वॉल्यूम कम देखा गया। इस साल की शुरुआत एनएसईएल घोटाले के असर के साथ शुरू हुआ। कमोडिटी बाजार में नए निवेशकों को लाने के लिए मिनी कॉन्ट्रैंक्ट लाए गए। इसके साथ गोल्ड और सिल्वर हेज लॉन्च किए गए और कारोबारियों के लिए जो भी कदम लिए गए उनका असर 2015 में अवश्य देखा जाएगा।
एंजेल कमोडिटीज के एसोसिएट डायरेक्टर नवीन माथुर का कहना है कि कारोबार के लिहाज से साल 2014 कमोडिटी बाजार के लिए ज्यादा अच्छा नहीं रहा। हालांकि भारतीय इक्विटी बाजार का प्रदर्शन अच्छा रहा। हालांकि रिफॉर्म्स के लिहाज से साल काफी अहम रहा। जो भी कदम कमोडिटी बाजार के लिए उठाए गए उनसे जहां बाजार में अधिक पारदर्शिता आई वहीं निवेशकों के लिए भी कारोबार करना आसान हो गया है। कुल मिलाकर रेगुलेशन के लिहाज से 2014 काफी बेहतर रहा और इसी के लिए ये साल जाना जाएगा।
कमोडिटी मार्केट में करोबारियों की सहूलियत से पोजिशन लिमिट बढ़ाई गई और छोटे कारोबारियों के लिए एग्री कमोडिटी में छोटा वायदा लाया गया। एग्री कमोडिटी के सर्किट नियमों में बदलाव किए गए और डेली प्राइस लिमिट पॉलिसी की साल में 2 बार समीक्षा होगी। स्पॉट प्राइस पुलिंग सिस्टम के तहत एक्सचेंज हाजिर भाव लेंगे और कारोबारियों के लिए एसएमएस/ई-मेल एलर्ट की सुविधा जरूरी की गई। इसके अलावा कॉन्ट्रैक्ट स्पेसिफिकेशन में एक्सचेंज लेवल पर बदलाव की इजाजत दी गई और सेटलमेंट गारंटी फंड को सख्ती से लागू किया गया।
वेयहाउसिंग पर एफएमसी की पहल के तहत एनएसईएल संकट के बाद एफएमसी की वेयरहाउसिंग सुधार पर जोर दिया गया। एक्सचेंजों से जुड़े वेयरहाउसों का डब्ल्यूआरडीए में रजिस्ट्रेशन जरूरी किया गया। एक्सचेंजों से जुड़े वेयरहाउसों के मालिकाना नियम तय किए गए और रेगुलेटेड वेयरहाउसों की कमोडिटी स्टॉक होल्डिंग लिमिट से बाहर की गई।
बिजनेस लाइन के कमोडिटी एडिटर जी चंद्रशेखर का कहना है कि जब तक फिजिकल कमोडिटी मार्केट में रिफॉर्म्स नहीं होते हैं तब तक वायदा बाजार का सही तरीके से काम करना मुश्किल है। 2014 में काफी सारे रिफॉर्म्स हो चुके हैं और अब इनका असर 2015 में देखने को मिलेगा। हालांकि अभी भी कमोडिटी बाजार के लिए कुछ और अच्छी पॉलिसी बनानी जरूरी हैं जिनके बाद और ज्यादा निवेशक कमोडिटी बाजार में आना चाहेंगे।
एनसीडीईएक्स के बिजनेस डेलपमेंट हेड सुरेश देवनानी का कहना है कि कमोडिटी बाजार में वॉल्यूम कम देखा गया। इस साल की शुरुआत एनएसईएल घोटाले के असर के साथ शुरू हुआ। कमोडिटी बाजार में नए निवेशकों को लाने के लिए मिनी कॉन्ट्रैंक्ट लाए गए। इसके साथ गोल्ड और सिल्वर हेज लॉन्च किए गए और कारोबारियों के लिए जो भी कदम लिए गए उनका असर 2015 में अवश्य देखा जाएगा।
एंजेल कमोडिटीज के एसोसिएट डायरेक्टर नवीन माथुर का कहना है कि कारोबार के लिहाज से साल 2014 कमोडिटी बाजार के लिए ज्यादा अच्छा नहीं रहा। हालांकि भारतीय इक्विटी बाजार का प्रदर्शन अच्छा रहा। हालांकि रिफॉर्म्स के लिहाज से साल काफी अहम रहा। जो भी कदम कमोडिटी बाजार के लिए उठाए गए उनसे जहां बाजार में अधिक पारदर्शिता आई वहीं निवेशकों के लिए भी कारोबार करना आसान हो गया है। कुल मिलाकर रेगुलेशन के लिहाज से 2014 काफी बेहतर रहा और इसी के लिए ये साल जाना जाएगा।
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