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10 मई 2023

तेल मिलों की सीमित मांग से सरसों की कीमतें स्थिर, दैनिक आवक भी रुकी

नई दिल्ली। तेल मिलों की सीमित मांग के कारण घरेलू बाजार में मंगलवार को सरसों की कीमतें स्थिर हो गई। जयपुर में कंडीशन की सरसों के भाव 5,450 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। इस दौरान सरसों की दैनिक आवक भी 8.50 लाख बोरियों के पूर्व स्तर पर टिकी रही।


व्यापारियों के अनुसार विदेशी बाजार में आज खाद्वय तेलों की कीमतों में मिलाजुला रुख रहा। मलेशियाई पाम तेल के साथ ही शाम के सत्र में शिकागो में सोया तेल के दाम सुधर गए। उधर डालियान में सोया तेल कमजोर हुआ, जबकि पाम तेल के दाम बढ़ गए।

जानकारों के अनुसार घरेलू बाजार में सरसों तेल में मांग सामान्य के मुकाबले कमजोर हुई, लेकिन तेल मिलों नीचे दाम पर बिकवाली नहीं कर रही है। इसलिए घरेलू बाजार में सरसों एवं इसके तेल की कीमतों में ज्यादा मंदे के आसार नहीं है।

सरसों का स्टॉकिस्टों के पास उंचे दाम का स्टॉक है, जबकि किसान भी इन भाव में बिकवाली कम कर रहे हैं। इसलिए सरसों की कीमतों में बड़ी गिरावट के आसार नहीं है। हालांकि इसकी कीमतों में तेजी काफी हद तक आयातित खाद्वय तेलों के दाम पर भी निर्भर करेगी। सरसों तेल एवं खल में ग्राहकी सामान्य की तुलना में कमजोर है इसलिए तेल मिलों सरसों की खरीद जरुरत के हिसाब से ही कर रही हैं।

मलेशिया में अप्रैल के अंत में पाम उत्पादों के कम स्टॉक की उम्मीद के साथ ही एल नीनो से प्रतिकूल मौसम के साथ ही निर्यात में बढ़ोतरी की संभावना को देखते हुए मलेशियाई पाम तेल की कीमतों में बड़ी गिरावट के आसार नहीं है।

बुधवार को मलेशियाई पाम ऑयल बोर्ड (एमपीओबी) अप्रैल के आपूर्ति और मांग के आंकड़े जारी करेगा। जानकारों के अनुसार पाम उत्पादों के उत्पादन में भारी गिरावट आने का अनुमान है।

बुर्सा मलेशिया डेरिवेटिव्स एक्सचेंज, बीएमडी पर जुलाई डिलीवरी महीने के वायदा अनुबंध में पाम तेल के दाम 42 रिंगिट तेज होकर 3,804 रिंगिट प्रति टन हो गए। इस दौरान शिकागो में जुलाई वायदा अनुबंध में सोया तेल की कीमतें 0.05 फीसदी तेज हुई। डालियान का सबसे सक्रिय सितंबर सोया तेल वायदा अनुबंध 0.26 फीसदी कमजोर हुआ, जबकि इसका पाम तेल सितंबर वायदा अनुबंध 0.42 फीसदी तेज हुआ।

जयपुर में सरसों तेल कच्ची घानी एवं एक्सपेलर की कीमतें मंगलवार को एक-एक रुपये कमजोर होकर भाव क्रमश: 1021 रुपये और 1011 रुपये प्रति 10 किलो रह गए। इस दौरान सरसों खल के दाम 10 रुपये कमजोर होकर 2525 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

देशभर की मंडियों में सरसों की दैनिक आवक मंगलवार को 8.50 लाख बोरियों की ही हुई, जबकि इसके पिछले कारोबारी दिवस में आवक इतनी ही बोरियों की हुई थी। कुल आवकों में से प्रमुख उत्पादक राज्य राजस्थान की मंडियों में 4.25 लाख बोरी, मध्य प्रदेश की मंडियों में 1.5 लाख बोरी, उत्तर प्रदेश की मंडियों में 80 हजार बोरी, पंजाब एवं हरियाणा की मंडियों में 85 हजार बोरी तथा गुजरात में 45 हजार बोरी, तथा अन्य राज्यों की मंडियों में एक लाख बोरियों की आवक हुई।

बर्मा में दाम तेज होने से अरहर एवं उड़द के भाव बढ़े, मूंग तथा मसूर की कीमतें स्थिर

नई दिल्ली। बर्मा में दाम तेज होने के साथ ही दाल मिलों की ग्राहकी बनी रही से घरेलू बाजार में मंगलवार को अरहर एवं उड़द के भाव बढ़ गए, जबकि इस दौरान चना के दाम नरम हुए। मूंग तथा मसूर की कीमतें लगभग स्थिर बनी रही। 


बर्मा के स्थानीय बाजार में उड़द के साथ ही लेमन अरहर की कीमतों में सुधार आया। उड़द एफएक्यू और एसक्यू के दाम मई शिपमेंट की फसल सीजन 2023 के 10-10 डॉलर तेज होकर क्रमश: 950 डॉलर प्रति टन और 1,050 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ हो गए। इस दौरान लेमन अरहर के भाव लगातार दूसरे दिन पांच डॉलर तेज होकर दाम 1,060 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ हो गए। सूत्रों के अनुसार बढ़ी हुई कीमतों में भारतीय आयातकों ने नए आयात सौदे नहीं किए।

बर्मा में दाम तेज होने के बावजूद भी घरेलू बाजार में उड़द में मिलाजुला रुख रहा। व्यापारियों के अनुसार उड़द के आयात पड़ते महंगे हैं, इसलिए आयातक नीचे दाम पर बिकवाली नहीं कर रहे हैं। जानकारों के अनुसार केंद्र सरकार की सख्ती के कारण पिछले डेढ़, दो महीनों में आयातित उड़द कम आई है, जिस कारण घरेलू बाजार में आयातित उड़द का हाजिर में स्टॉक कम हुआ है। इसलिए उड़द के भाव में घरेलू बाजार में अभी बड़ी गिरावट के आसार तो नहीं है, लेकिन उड़द दाल में दक्षिण भारत की मांग कमजोर है, दूसरा आगामी दिनों में उत्पादक राज्यों में नई उड़द की आवक बढ़ेगी। ऐसे में नई उड़द की आवक बढ़ने पर इसके भाव में नरमी आने का अनुमान है। इसलिए उड़द में बढ़ी हुई कीमतों में बिक्री करते रहना चाहिए।

घरेलू बाजार में आयातित अरहर के साथ ही देसी अरहर के दाम सुबह के सत्र में तेज हुए थे, लेकिन शाम के सत्र में नरमी आई। जानकारों के अनुसार बढ़े दाम पर दाल मिलें केवल जरुरत के हिसाब से ही अरहर की खरीद कर रही हैं। बर्मा में लेमन अरहर की कीमतों में लगातार दूसरे दिन सुधार आया है, जिस कारण आयातित अरहर, देसी की तुलना में महंगी हुई है। साथ ही घरेलू मंडियों में देसी अरहर की आवकों में काफी कमी आई है। इसलिए अरहर की कीमतों में अभी बड़ी गिरावट के आसार तो नहीं है लेकिन अरहर दाल में खुदरा के साथ ही थोक में ग्राहकी सामान्य की तुलना में कमजोर है। दूसरा सरकार की सख्ती को देखते हुए स्टॉकिस्ट भी जरुरत के हिसाब से ही खरीद नहीं कर रहे हैं। इसलिए अरहर की कीमतों में तेजी आने पर स्टॉक हल्का करना चाहिए।

देसी मसूर के साथ ही बंदरगाह पर आयातित के दाम स्थिर हो गए। व्यापारियों के अनुसार मसूर दाल में खपत राज्यों की मांग सामान्य की तुलना में कमजोर है, जबकि मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की मंडियों में मसूर की आवक बनी रहेगी। चालू रबी सीजन में मसूर की बुआई पिछले साल की तुलना में ज्यादा हुई थी। उधर ऑस्ट्रेलिया के साथ ही कनाडा से मसूर का आयात बराबर बना रहेगा। हालांकि इसके दाम पहले ही काफी नीचे के हैं, इसलिए कीमतों में अभी सीमित तेजी, मंदी बनी रहने के आसार हैं। नेफेड ने 13,315.65 टन 2020 में आयात की हुई मसूर को बेचने के लिए निविदा मांगी है।


दाल मिलों की मांग कमजोर होने से चना की कीमतें दूसरे दिन भी कमजोर हुई। जानकारों के अनुसार चना दाल एवं बेसन में ग्राहकी सामान्य की तुलना में कमजोर है इसलिए दाल मिलें जरुरत के हिसाब से ही चना की खरीद कर रही हैं। नेफेड चालू रबी में एमएसपी पर 17.91 लाख टन चना की खरीद कर चुकी है, जबकि केंद्रीय पूल में 14 लाख टन चना का पुराना स्टॉक है। हालांकि उत्पादक मंडियों में चना के दाम एमएसपी से काफी नीचे के बने हुए हैं, इसलिए बड़ी गिरावट के आसार तो नहीं है, लेकिन एकतरफा तेजी भी नहीं आयेगी।

मूंग के दाम दाम स्थिर हो गए। हालांकि सोमवार को स्टॉकिस्ट नेदाम तेज किए थे। लेकिन बड़ी कीमतों में मिलों की खरीद नहीं बढ़ पाई। जानकारों के अनुसार उत्पादक राज्यों में आगामी दिनों में नई मूंग की आवक बढ़ेगी, तथा चालू सीजन में उत्पादन अनुमान ज्यादा है। इसलिए इसकी कीमतों में तेजी मानकर ही व्यापार नहीं करना चाहिए। मूंग दाल में ग्राहकी सामान्य की तुलना में कमजोर है। अत: मिलर्स भी जरुरत के हिसाब से ही खरीद कर रहे हैं। मध्य प्रदेश में मार्कफेड ने मूंग बेचने के लिए जो निविदा मांगी थी, उन्हें रद्द कर दिया है।

चेन्नई में नई उड़द एसक्यू के दाम हाजिर डिलीवरी के दाम 50 रुपये तेज होकर दाम 8550 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। इस दौरान जून डिलीवरी उड़द एसक्यू के दाम 8700 रुपये और जुलाई के 8900 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

दिल्ली में उड़द एफएक्यू के दाम 8100 रुपये और एसक्यू के 8900 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए।

मुंबई में उड़द एफएक्यू के दाम 7850 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए।

चेन्नई में लेमन अरहर हाजिर डिलीवरी के भाव 8500 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे, जबकि जून डिलीवरी के भाव 25 रुपये कमजोर होकर 8675 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। जुलाई डिलीवरी की लेमन अरहर के भाव 25 घटकर 8875 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।

दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने से मुंबई में लेमन अरहर के दाम 100 रुपये तेज होकर दाम 8550 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

मुंबई में अफ्रीकी देशों से आयातित अरहर के दाम भी तेज हुए। मोजाम्बिक लाइन की गजरी अरहर की कीमतें 100 रुपये बढ़कर 7300 रुपये प्रति क्विंटल हो गई। इस दौरान मलावी से आयातित अरहर के भाव 100 रुपये तेज होकर 7100 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। मोजाम्बिक की सफेद अरहर के भाव 100 रुपये बढ़कर 7400 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। सूडान से आयातित अरहर के दाम 100 रुपये बढ़कर 8850 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

दाल मिलों की सीमित खरीद से मध्य प्रदेश की मसूर के दाम दिल्ली में 5850 से 5875 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। इस दौरान कनाडा की मसूर के दाम 5,875 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।

ऑस्ट्रेलिया की मसूर की कीमतें वैसल में 5,600 से 5,625 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गई। इस दौरान मुंद्रा बंदरगाह पर कनाडा की मसूर के दाम 5,625 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। हजिरा बंदरगाह पर कनाडा की मसूर के भाव 5,700 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो रह गए। कनाडा की मसूर की कीमतें कंटेनर में 6,000 से 6,050 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। इस दौरान ऑस्ट्रेलिया की मसूर की कीमतें कंटेनर में 6,100 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गई।

दिल्ली में राजस्थान के नए चना के भाव 25 रुपये कमजोर होकर दाम 5,050 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। इस दौरान मध्य प्रदेश के चना के भाव 5,025 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए।

राजस्थान लाईन की मूंग की कीमतें दिल्ली में 8500 से 8700 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गई। इंदौर में बेस्ट क्वालिटी की मूंग के दाम 8400 से 8500 रुपये एवं मीडियम के 6700 से 6800 प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। लातूर में चमकी मूंग के दाम 150 रुपये कमजोर होकर 8500 से 8250 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।  

गेहूं की सरकारी खरीद बढ़कर 249.59 लाख टन की हुई

नई दिल्ली। चालू रबी विपणन सीजन 2023-24 में 8 मई तक गेहूं की समर्थन मूल्य पर खरीद बढ़कर 249.59 लाख टन की हो गई है। केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मामले मंत्रालय के अनुसार इस दौरान देशभर के 19.73 लाख किसानों से 53,037.24 करोड़ रुपये मूल्य का गेहूं खरीदा गया है।


गेहूं की न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर दैनिक खरीद में अब कमी आने लगी है। देशभर की मंडियों से 8 मई को एमएसपी पर केवल 3.03 लाख टन गेहूं की खरीद ही हो पाई है, जबकि चालू सप्ताह के आरंभ में पांच से छह लाख टन दैनिक की हो रही थी।

सूत्रों के अनुसार चालू रबी सीजन में पंजाब से गेहूं की समर्थन मूल्य पर खरीद करीब 120 लाख टन की हो चुकी है, जबकि खरीद का लक्ष्य 132 लाख टन का है। इसी तरह से हरियाणा से चालू रबी में एमएसपी पर 61.60 लाख टन गेहूं की खरीद हुई है, जबकि लक्ष्य 75 लाख टन का है। मध्य प्रदेश से चालू रबी में 80 लाख टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य तय किया था, जबकि अभी तक 63.80 लाख टन गेहूं की खरीद हो पाई है।

गेहूं के सबसे बड़े उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश से चालू रबी में 35 लाख टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य तय किया था, जबकि अभी तक खरीद केवल 1.50 लाख टन की ही हुई है। राजस्थान की मंडियों से चालू में 2.32 लाख टन गेहूं की सरकारी खरीद हो पाई है।  

चालू रबी विपणन सीजन 2023-24 में केंद्र सरकार ने गेहूं की खरीद का लक्ष्य 341.50 लाख टन का तय कर रखा है, लेकिन जिस तरह से मंडियों में गेहूं दैनिक आवक कम होने लगी है, उसे देखते हुए एमएसपी पर खरीद 300 लाख टन से भी कम रहने की आशंका है।

भारतीय खाद्य निगम, एफसीआई के अनुसार पिछले रबी विपणन सीजन 2022-23 के दौरान देशभर के राज्यों से एमएसपी पर केवल 187.92 लाख टन गेहूं की खरीद ही हो पाई थी।

केंद्र सरकार ने रबी विपणन सीजन 2023-234 के लिए गेहूं का एमएसपी 110 रुपये बढ़ाकर 2,125 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है, जबकि रबी विपणन सीजन 2022-23 में एमएसपी 2,015 रुपये प्रति क्विंटल था।

कृषि मंत्रालय के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2022-23 में देश में गेहूं का उत्पादन 11.21 करोड़ टन होने का अनुमान है, जबकि इसके पिछले साल 10.77 करोड़ टन का उत्पादन हुआ था। 

गेहूं की एमएसपी पर खरीद बढ़कर 246.56 लाख टन से ज्यादा

नई दिल्ली। चालू रबी विपणन सीजन 2023-24 में 7 मई तक गेहूं की न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर खरीद बढ़कर 246.56 लाख टन की हो गई है। केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मामले मंत्रालय के अनुसार इस दौरान देशभर के 19.41 लाख किसानों से 52,394.66 करोड़ रुपये मूल्य का गेहूं खरीदा गया है।


सूत्रों के अनुसार पंजाब, हरियाणा एवं मध्य प्रदेश की मंडियों में गेहूं की दैनिक आवक पहले की तुलना में कम हो गई है, जिस कारण समर्थन मूल्य पर दैनिक खरीद भी कमी आने लगी है। ऐसे में चालू रबी विपणन सीजन में गेहूं की खरीद तय लक्ष्य तक पहुंचने की उम्मीद कम है।

चालू रबी विपणन सीजन 2023-24 में केंद्र सरकार ने गेहूं की खरीद का लक्ष्य 341.50 लाख टन का तय कर रखा है, लेकिन जिस तरह से मंडियों में गेहूं आवक कम होने लगी है, उसे देखते हुए एमएसपी पर खरीद 300 लाख टन से भी कम रहने की आशंका है।

भारतीय खाद्य निगम, एफसीआई के अनुसार पिछले रबी विपणन सीजन 2022-23 के दौरान देशभर के राज्यों से एमएसपी पर केवल 187.92 लाख टन गेहूं की खरीद ही हो पाई थी।

केंद्र सरकार ने रबी विपणन सीजन 2023-234 के लिए गेहूं का एमएसपी 110 रुपये बढ़ाकर 2,125 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है, जबकि रबी विपणन सीजन 2022-23 में एमएसपी 2,015 रुपये प्रति क्विंटल था।

कृषि मंत्रालय के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2022-23 में देश में गेहूं का उत्पादन 11.21 करोड़ टन होने का अनुमान है, जबकि इसके पिछले साल 10.77 करोड़ टन का उत्पादन हुआ था। जानकारों के अनुसार प्रतिकूल मौसम से चालू रबी सीजन में गेहूं की फसल को नुकसान हुआ है, जिस कारण प्रति हेक्टेयर उत्पादकता के साथ ही क्वालिटी भी प्रभावित हुई है। ऐसे में गेहूं का कुल उत्पादन दूसरे आरंभिक अनुमान से कम रह सकता है।  

गेहूं के भाव सोमवार को दिल्ली में 10 रुपये तेज होकर उत्तर प्रदेश लाइन के 2,300 रुपये और राजस्थान लाइन के 2300 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। दिल्ली में गेहूं की दैनिक आवक 8,000 बोरियों की हुई।

06 मई 2023

मिलों की मांग चना एवं अरहर के दाम बढ़े, मसूर में मिलाजुला रुख तथा उड़द कमजोर

नई दिल्ली। दाल मिलों की हाजिर मांग बनी रहने से घरेलू बाजार में शुक्रवार को चना के साथ ही अफ्रीकी देशों से आयातित अरहर के दाम तेज हुए, जबकि उड़द के भाव में गिरावट दर्ज की गई। इस दौरान मसूर की कीमतों मेंं मिलाजुला रुख रहा, जबकि मूंग के दाम स्थिर बने रहे।


बर्मा के स्थानीय बाजार में उड़द के साथ ही लेमन अरहर की कीमतों में गिरावट आई। उड़द एफएक्यू और एसक्यू के दाम मई शिपमेंट की फसल सीजन 2023 के 10-10 डॉलर कमजोर होकर भाव क्रमश: 930 डॉलर प्रति टन और 1,030 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ रह गए। इस दौरान लेमन अरहर के भाव भी 10 डॉलर घटकर 1,040 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ पर रह गए।

आयातित गजरी अरहर की कीमतें मुंबई में अगस्त एवं सितंबर शिपमेंट की 845 डॉलर प्रति टन सीएडंएफ रही, जबकि गजरी एवं सफेद अरहर की कीमतें सितंबर एवं अक्टूबर शिपमेंट की 835 डॉलर प्रति टन सीएडंएफ बोले गए। चेन्नई में गजरी अरहर के दाम अगस्त एवं सितंबर शिपमेंट के 865 डॉलर प्रति टन सीएडंएफ रहे। चेन्नई में मलावी से आयातित अरहर के भाव अगस्त एवं सितंबर शिपमेंट 775 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ बोले गए।

घरेलू बाजार में दाल मिलों की खरीद कमजोर होने से आयातित उड़द के भाव कमजोर हुए। बर्मा में उड़द की कीमतें नरम हुई है, लेकिन अभी भी आयात पड़ते महंगे हैं इसलिए आयातकों की बिकवाली कमजोर है। जानकारों के अनुसार उड़द के भाव में घरेलू बाजार में अभी बड़ी गिरावट के आसार तो नहीं है, लेकिन उड़द दाल में दक्षिण भारत की मांग कमजोर है, दूसरा आगामी दिनों में उत्पादक राज्यों में नई उड़द की आवक बढ़ेगी। ऐसे में नई उड़द की आवक बढ़ने पर इसके भाव में नरमी आने का अनुमान है।

घरेलू बाजार में अफ्रीकी देशों से आयातित अरहर के दाम तेज हुए, लेकिन लेमन के दाम स्थिर बने रहे। जानकारों के अनुसार बर्मा के साथ ही अफ्रीकी देशों से आयातित अरहर के आयात पड़ते महंगे हैं, साथ ही घरेलू मंडियों में देसी अरहर की आवकों में काफी कमी आई है। इसलिए अरहर की कीमतों में अभी बड़ी गिरावट के आसार तो नहीं है लेकिन अरहर दाल में खुदरा के साथ ही थोक में ग्राहकी सामान्य की तुलना में कमजोर है। दूसरा सरकार की सख्ती को देखते हुए स्टॉकिस्ट भी जरुरत के हिसाब से ही खरीद नहीं कर रहे हैं। इसलिए अरहर की कीमतों में तेजी, मंदी बनी रहने के आसार हैं।

जलगांव मंडी में समर मूंग की आवक शुरू हो गई है, तथा नई मूंग के दाम 8800 से 9200 रुपये प्रति क्विंटल है।

लातूर मंडी में अरहर के बिल्टी भाव 50 रुपये बढ़कर 8800 से 8850 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

इंदौर में मसूर के दाम 75 से 100 रुपये तेज होकर भाव 5500 से 5600 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

गुजरात की राजकोट मंडी में नई मूंग के भाव 9,000 से 9800 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए तथा आवक 200 बोरियों की हुई। मध्य प्रदेश दाहोद मंडी में नई मूंग के दाम 9000 से 9200 रुपये प्रति क्विंटल रहे।

देसी मसूर के दाम जहां दिल्ली में तेज हुए, वहीं बंदरगाह पर आयातित मसूर के दाम कमजोर हुए। व्यापारियों के अनुसार मसूर दाल में खपत राज्यों की मांग सामान्य की तुलना में कमजोर है, जबकि मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की मंडियों में मसूर की आवक बनी रहेगी। चालू रबी सीजन में मसूर की बुआई पिछले साल की तुलना में ज्यादा हुई थी। उधर ऑस्ट्रेलिया के साथ ही कनाडा से मसूर का आयात बराबर बना रहेगा, इसलिए मसूर की कीमतों में अभी सीमित तेजी, मंदी बनी रहने के आसार हैं।

दाल मिलों की मांग बढ़ने से चना की कीमतें दूसरे दिन 50 से 75 रुपये तेज हुई। जानकारों के अनुसार नीचे दाम पर मिलों की मांग से चना कीमतों में तेजी आई है। उत्पादक मंडियों में चना के दाम काफी नीचे आ चुके थे, इसलिए हल्का सुधार और भी बन सकता है। हालांकि चना दाल एवं बेसन में ग्राहकी सामान्य की तुलना में कमजोर है इसलिए चना में बड़ी तेजी के आसार अभी नहीं है। नेफेड चालू रबी में एमएसपी पर 17.22 लाख टन चना की खरीद कर चुकी है, जबकि केंद्रीय पूल में 14 लाख टन चना का पुराना स्टॉक है।

मूंग के दाम दाम स्थिर हो गए, गुरुवार को इसके दाम तेज हुए थे। जानकारों के अनुसार उत्पादक राज्यों में मौसम साफ हो गया है, जिस कारण मंडियों में नई मूंग की आवक बढ़ेगी, तथा चालू सीजन में उत्पादन अनुमान ज्यादा है। इसलिए आगे इसकी कीमतों में मंदा मानकर ही व्यापार करना चाहिए। मूंग दाल में ग्राहकी सामान्य की तुलना में कमजोर है, इसलिए मिलर्स भी जरुरत के हिसाब से ही खरीद कर रहे हैं।

चेन्नई में नई उड़द एसक्यू के दाम हाजिर डिलीवरी के दाम 8325 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। जून डिलीवरी उड़द एसक्यू के दाम 25 रुपये कमजोर होकर 8500 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। इस दौरान उड़द एफएक्यू के भाव हाजिर डिलीवरी के 7625 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।  

मुंबई में उड़द एफएक्यू के दाम 50 रुपये घटकर 7700 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

दाल मिलों की सीमित मांग मुंबई में लेमन अरहर के दाम 8225 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए।

मुंबई में मोजाम्बिक एवं मलावी अरहर के दाम तेज हुए। मोजाम्बिक लाइन की गजरी अरहर की कीमतें 50 रुपये बढ़कर 7050 रुपये प्रति क्विंटल हो गई। इस दौरान मलावी से आयातित अरहर के भाव 50 रुपये तेज होकर 6750 से 6800 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। मोजाम्बिक की सफेद अरहर के भाव 7100 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। सूडान से आयातित अरहर के दाम 8500 से 8600 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

दाल मिलों की मांग बढ़ने से मध्य प्रदेश की मसूर के दाम 50 रुपये बढ़कर 5,875 से 5900 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। इस दौरान कनाडा की मसूर के दाम 5,875 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

कनाडा की मसूर की कीमतें कंटेनर में 50 रुपये घटकर दाम 6,050 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। इस दौरान ऑस्ट्रेलिया की मसूर की कीमतें कंटेनर में 50 रुपये घटकर 6,100 रुपये प्रति क्विंटल रह गई। ऑस्ट्रेलिया की मसूर की कीमतें वैसल में 5,600 से 5,650 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बनी रही। इस दौरान हजिरा बंदरगाह पर कनाडा की मसूर के भाव 5,700 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो रह गए। मुंद्रा बंदरगाह पर कनाडा की मसूर के दाम 5,600 रुपये प्रति क्विंटल पर टिके रहे।

दिल्ली में राजस्थान के नए चना के भाव 50 रुपये तेज होकर दाम 5,125 से 5,150 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। इस दौरान मध्य प्रदेश के चना के भाव 75 रुपये बढ़कर 5,100 से 5,125 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

राजस्थान लाईन की मूंग की कीमतें दिल्ली में 8300 से 8500 रुपये प्रति क्विंटल हो गई। जयपुर में मूंग के बिल्टी भाव 7800 से 8600 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। जबकि जलगांव में चमकी मूंग के दाम 8500 से 9350 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए।

समर सीजन में दलहन की बुआई बढ़ी, तिलहन की पिछड़ी

नई दिल्ली। चालू समर सीजन में 5 मई 2023 तक देशभर में दलहन की बुआई में जहां 6.58 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, वहीं तिलहनी फसलों की बुआई पिछले साल की तुलना में पिछड़ रही है।


कृषि मंत्रालय के अनुसार दलहन की बुआई चालू समर सीजन में 6.58 फीसदी बढ़कर 18.80 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 17.64 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी। चालू सीजन में उड़द की बुआई 3.19 लाख हेक्टेयर में और मूंग की 15.38 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 3.15 और 14.21 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी। अन्य दलहन की बुआई 0.23 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 0.28 लाख हेक्टेयर से कम है।

तिलहनी फसलों की बुआई चालू समर सीजन में घटकर 9.93 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 10.74 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी। इस दौरान मूंगफली की बुआई 4.75 लाख हेक्टेयर में और शीशम की 4.58 लाख हेक्टेयर में हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 5.28 और 4.46 लाख हेक्टेयर में हुई थी। अन्य तिलहनी फसलों में सनफ्लावर की बुआई 31 हजार हेक्टेयर में हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के बराबर ही है। अन्य तिलहन की फसलों की बुआई चालू समर में 28 हजार हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 68 हजार हेक्टेयर की तुलना में कम है। 

नीचे दाम पर बिकवाली कम आने से बिनौले के साथ कपास खली में सुधार

नई दिल्ली। नीचे दाम पर मिलों की बिकवाली कमजोर होने से शनिवार को बिनौले के साथ ही कपास खली की कीमतों में हल्का सुधार आया। जानकारों के अनुसार उत्पादक मंडियों में अभी भी कपास की आवक बराबर बनी हुई है, जिस कारण बिनौला की उपलब्धता अच्छी है। ऐसे में इनकी कीमतों में हल्की तेजी तो बन सकता है लेकिन अभी बड़ी तेजी के आसार कम है।


बिनौले की कीमतों में उत्तर भारत के राज्यों में 50 रुपये प्रति क्विंटल का सुधार आया। बिनौला के दाम पंजाब में 50 रुपये तेज होकर दाम 3,250 से 3,350 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। इस दौरान हरियाणा में इसके भाव 50 रुपये बढ़कर 3350 से 3450 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। श्रीगंगानगर लाइन में बिनौला के दाम 50 रुपये बढ़कर 3450 से 3650 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए।

कपास खली में पशु आहार निर्माताओं की मांग में सुधार आया। अत: नीचे दाम पर बिकवाली कम आने से जालना में कपास खली के दाम 25 रुपये बढ़कर 2975 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। राजकोट में कपास खली के दाम 10 रुपये बढ़कर 1480 से 1490 रुपये प्रति 50 किलो हो गए। इस दौरान पिंपलगांव में कपास खली के दाम 10 रुपये तेज होकर 2830 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

व्यापारियों के अनुसार बिनौले के साथ ही कपास खली की कीमतें काफी नीचे आ गई थी, अत: नीचे भाव में मिलों की बिकवाली कम आने से इनकी कीमतों में सुधार आया है। खपत राज्यों की मांग बनी रहने से इनके भाव में हल्का सुधार तो और भी बन सकता है लेकिन अभी एकतरफा बड़ी तेजी के आसार कम है।

चालू समर सीजन में दलहन की बुआई 8 फीसदी आगे, तिलहन की पिछे

नई दिल्ली। चालू समर सीजन में 28 अप्रैल तक देशभर में दलहन के साथ ही मोटे अनाजों की बुआई आगे चल रही है, जबकि तिलहन की बुआई पिछले साल की तुलना में पिछड़ रही है।


कृषि मंत्रालय के अनुसार दलहन की बुआई चालू समर सीजन में 8.26 फीसदी बढ़कर 17.57 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 16.23 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी। चालू सीजन में उड़द की बुआई 2.08 लाख हेक्टेयर में और मूंग की 14.27 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 2.12 और 12.84 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी। अन्य दलहन की बुआई 0.23 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 0.28 लाख हेक्टेयर से कम है।

तिलहनी फसलों की बुआई चालू समर सीजन में घटकर 9.40 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 10.46 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी। इस दौरान मूंगफली की बुआई 4.50 लाख हेक्टेयर में और शीशम की 4.36 लाख हेक्टेयर में हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 5.27 और 4.20 लाख हेक्टेयर में हुई थी। अन्य तिलहनी फसलों में सनफ्लावर की बुआई 29 हजार हेक्टेयर में हुई है, जोकि पिछले साल की तुलना में कम है।

मोटे अनाजों की बुवाई चालू समर में बढ़कर 10.86 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई 10.19 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी। बाजरा की बुआई 4.29 लाख हेक्टेयर में और मक्का की 6.30 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 3.59 और 6.26 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी। ज्वार और रागी की बुआई क्रमश: 15 हजार और 12 हजार हेक्टेयर में ही हुई है।