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19 जून 2009

सुस्त मानसून, उम्मीदों का खून

मुंबई June 18, 2009
मानसून में देरी से कई फसलों की बुआई पर संकट गहरा गया है। इससे तिलहन, दालों और मक्का की बुआई में 10 दिन की देरी हो चुकी है।
कृषि जानकारों का कहना है कि अगर मानसून में जरा देरी और हुई तो इन फसलों का उत्पादन प्रभावित हो सकता है। ऐसे में किसान भी इन फसलों का दामन छोड़कर कपास और अरंडी जैसी फसलों का रुख कर सकते हैं।
देश में सिंचाई की हालत बहुत अच्छी नहीं है। ऐसे में सिंचाई के लिए मानसून पर निर्भरता कुछ ज्यादा ही है। अनुमान के मुताबिक मानसून को 15 जून तक गुजरात में दाखिल होना था लेकिन महाराष्ट्र और कर्नाटक को भी बारिश का इंतजार करना पड़ रहा है।
इसलिए पिछले एक पखवाड़े में दालों और मक्का की कीमतों में तेजी आई है। जानकारों का मानना है कि बारिश देर से होने पर कीमतों में और इजाफा हो सकता है। नैशनल कमोडिटी ऐंड डेरिवेटिव एक्सचेंज के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस का कहना है, 'अभी हालात बहुत बिगड़े नहीं हैं लेकिन अगर मानसून में और देरी हुई तो फिर जरूर कुछ गड़बड़ हो जाएगी। इसका असर फसलों के उत्पादन पर जरूर होगा।'
अल्लाह.. मेघ दे.. पानी दे..
मानसून में विलंब से बिगड़ सकता है खेती का गणित तिलहन, मक्का और दालों की बुआई में होगी देरी 5 जुलाई तक बारिश न हुई तो से बिगड़ सकते हैं हालातपिछले पखवाड़े में मक्का और दाल की कीमतें हुईं तेजदूसरी फसलों का रुख कर सकते हैं किसान (BS Hindi)

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