17 जून 2009

चीनी दे रही है मुनाफा ही मुनाफा

नई दिल्ली June 14, 2009
चीनी की कीमतें बढने के साथ ही इसकी मिलों की सेहत भी सुधरने लगी है।
चीनी की कीमतें इस समय सर्वोच्च स्तर पर हैं तो कंपनियों के शेयर 52 सप्ताह के उच्चतम स्तर पर हैं। प्रमुख कंपनियों को अब उम्मीद है कि आने वाले दिनों में चीनी की कीमतें 10-15 प्रतिशत बढ़ेंगी, क्योंकि अग्रिम स्टॉक कम है और उत्पादन भी कम हुआ है।
महाराष्ट्र के बाद देश के दूसरे सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में चीनी की कीमतों में 2008-09 के सत्र शुरू होने यानी पिछले साल के अक्टूबर महीने के बाद से इसकी कीमतों में 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
देश में चीनी का उत्पादन 3 साल के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है। इस साल कुल 147 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ, जो पिछले सत्र के उत्पादन की तुलना में 44 प्रतिशत कम है। चीनी की वार्षिक अनुमानित मांग 220 लाख टन है।
बहरहाल उत्पादन में आई इस कमी को 80-90 लाख टन के अग्रिम स्टॉक ने पूरा कर दिया। चीनी के अगले सत्र (2009-10) में अग्रिम अनुमानित स्टॉक मात्र 20-30 लाख टन रहने के आसार हैं। चालू वित्त वर्ष में कमी, पिछले दो साल के अतिरिक्त उत्पादन के बाद आई है।
अतिरिक्त उत्पादन के दौरान कंपनियों को भारी नुकसान उठाना पड़ा और सरकार ने मिलों का निर्यात, ब्याज रहित धन और बफर स्टॉक के माध्यम से सहयोग कर क्षतिपूर्ति की, जिससे उन्हें किसानों का बकाया अदा करने में मदद मिली।
किसानों को गन्ना मूल्य भुगतान में देरी और उत्तर प्रदेश में गन्ने की कीमतों में अनिश्चितता की वजह से किसानों को बड़ी निराशा हुई। इसका परिणाम यह हुआ कि देश के गन्ना उत्पादन में 17 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। गन्ने का उत्पादन इस साल 28.9 करोड़ टन रहा, जिसकी वजह से चीनी का उत्पादन तीन साल के न्यूनतम स्तर पर आ गया।
अब स्थिति यह है कि जिन कंपनियों ने लगातार 2 साल तक नुकसान उठाया था, अब जोरदार मुनाफे में हैं। देश की तीसरी सबसे बड़ी शुगर कंपनी, त्रिवेणी इंजीनियरिंग ऐंड इंडस्ट्रीज के कार्यकारी निदेशक निखिल साहनी ने कहा, 'इस साल गन्ने की बुआई का क्षेत्रफल कम है, क्योंकि पेंड़ी कम है लेकिन हम उम्मीद करते हैं कि इस बाद रिकवरी अच्छी रहेगी।
गुड़ की ओर जाने की प्रवृत्ति भी है, लेकिन यह उम्मीद की जा रही है कि इस साल ऐसा कम होगा। उत्पादन 180-200 लाख टन के बीच रहने का अनुमान है और बाजार धारणा के मुताबिक कीमतें भी अधिक रहेंगी।' कंपनी, जो कि टर्बाइन कारोबार भी करती है, को महाराष्ट्र कोआपरेटिव मिलों से भी ऑर्डर मिले हैं, जो बगास से बिजली उत्पादन का काम करने की तैयारी में है।
विशेषज्ञों का मानना है कि निवेशक अभी इस सेक्टर में बने रह सकते हैं। शेयर की कीमतें हाल केबीते दिनों में तेजी से बढ़ीं हैं। निवेश सलाहकार एस पी तुलस्यान ने कहा, 'चीनी की कीमतें वर्तमान कीमतों से बहुत ज्यादा होने की उम्मीद नहीं है, लेकिन चीनी कंपनियों का मुनाफा बना रहेगा, क्योंकि आने वाले सत्र में रिकवरी बेहतर होने की उम्मीद है। वर्तमान स्तर पर निवेशक, चीनी क्षेत्र में निवेश के लिए आ सकते हैं, क्योंकि रिटर्न बेहतर रहेगा।'
सैध्दांतिक तौर पर देखें तो अगले पूरे सत्र के दौरान चीनी की कीमतें मजबूत बनी रहेंगी, जो सत्र सितंबर 2010 में समाप्त होगा। उद्योग जगत के जानकारों का कहना है कि बढ़त जारी रहेगी। सिंभावली शुगर्स के निदेशक (वित्त) संजय थापड़िया ने कहा, 'मांग बढ़ने की वजह से चीनी का अतिरिक्त स्टॉक निकल रहा है। अगर उत्पादकता में सुधार भी आता है, तो मांग में बढ़ोतरी के चलते कीमतों में स्थिरता बनी रहेगी।'
चीनी स्टॉक जो 12 जून को 52 सप्ताह के उच्च स्तर पर रहे
बजाज हिंदुस्तान 232.40बलरामपुर चीनी 110.50धामपुर शुगर्स 77रेडुका शुगर्स* 152.40पोन्नी शुगर्स 59.40बन्नारी अम्मन 1,200-*11 जून को -मूल्य रुपये में (BS Hindi)

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