एंटवर्प (बेल्जियम) June 14, 2009
कारोबार सहित कई मोर्चों पर भारत के लिए कड़ी चुनौती पेश करने वाला चीन एक और क्षेत्र में भारत की बादशाहत को ललकार रहा है।
हीरा कारोबार में अभी तक दुनिया में भारत का ही डंका बजा है लेकिन चीन जल्द ही दोनों देशों के बीच के अंतर को पाटकर हीरा बाजार का बेताज बादशाह बनने की तैयारी कर रहा है। हालांकि, चीन में हीरा कारोबार की कोई परंपरा नहीं रही है लेकिन इसके उलट हालिया वर्षों में चीन में हीरा कारोबार में काफी तेजी आई है।
मौजूदा दौर में दुनिया के हीरा बाजार में भारत के बाद चीन दूसरा सबसे बड़ा खिलाड़ी है। चीनी सरकार के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2003 से 2007 के बीच चीन में हर साल 30 लाख कैरेट हीरे का कारोबार हुआ है। वहां पर 80 हीरा प्रसंस्करण इकाइयां हैं, जिनके जरिये 30,000 लोगों को रोजगार मिला हुआ है।
केपीएमजी की एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक 2015 तक दुनिया के हीरा प्रसंस्करण कारोबार में चीन की हिस्सेदारी 21.3 फीसदी तक हो जाएगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि उस वक्त तक भारत की इस बाजार में हिस्सेदारी घटकर 49 फीसदी रह जाएगी जो कि मौजूदा 57 फीसदी से 9 फीसदी कम होगी।
लेकिन लागत के लिहाज से चीन की बनिस्बत भारत ही किफायती बना हुआ है। चीन में एक कैरेट हीरे के प्रसंस्करण पर जहां 17 डॉलर का खर्च आता है वहीं भारत में यह 10 डॉलर बैठता है। हालांकि चीनी कारीगरों को भारतीय कारीगरों की तुलना में ज्यादा कुशल और अनुशासित माना जाता है।
चीन में वर्ष 2006 हीरा कारोबार के लिए क्रांतिकारी रहा जब सरकार ने कुछ चीजों के आयात पर वैट में छूट देने के साथ-साथ पॉलिश हीरे पर करों को 17 फीसदी से घटाकर 4 फीसदी कर दिया।
शंघाई डायमंड एक्सचेंज के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2006 की दूसरी छमाही में चीन से पॉलिश हीरे के निर्यात में 194 फीसदी का इजाफा हुआ। इस दौरान चीन से 14.7 करोड़ डॉलर के पॉलिश हीरों का निर्यात किया गया। दुनिया भर की कई कंपनियां चीन पर दांव लगाने की तैयारी कर रही हैं।
हीरा बाजार में भारतीय बादशाहत के लिए खतरा बना चीन फिलहाल दूसरी पायदान पर काबिज2015 तक दुनिया के बाजार का 21.3 फीसदी हिस्सा होगा पास2015 में भारत की हिस्सेदारी में आएगी 9 फीसदी कमीमगर लागत के मामले में भारत अभी भी है किफायतीचीन में है 17 डॉलर का खर्च तो भारत में महज 10 डॉलर (BS Hindi)
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