Daily update All Commodity news like : Wheat, Rice, Maize, Guar, Sugar, Gur, Pulses, Spices, Mentha Oil & Oil Complex (Musterd seed & Oil, soyabeen seed & Oil, Groundnet seed & Oil, Pam Oil etc.)
14 मई 2009
सरकार ने चावल निर्यात की समयसीमा को तीन महीने बढ़ाया
नई दिल्ली: सरकार ने चार अफ्रीकी देशों को 55,000 टन गैर-बासमती चावल के प्रस्तावित निर्यात की समय सीमा तीन महीने के लिए बढ़ा दी है। कुछ ही समय पहले वाणिज्य मंत्रालय ने 21 अफ्रीकी देशों के लिए 10 लाख टन चावल के निर्यात को मंजूरी दी थी। कृषि मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा है कि स्टेट ट्रेडिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एसटीसी) नाइजीरिया, सेनेगल, घाना और कैमरून को 30 जुलाई तक चावल का निर्यात करेगा। अब तक एसटीसी ने केवल घाना को 15,000 टन चावल का निर्यात किया है। यह निर्यात करीब 500 डॉलर प्रति टन मूल्य पर किया गया है। वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारी के मुताबिक, समय सीमा बढ़ाने का फैसला सरकार ने एसटीसी की मांग को देखते हुए किया है। एसटीसी ने कहा था कि नए आयात सौदों के न होने की वजह से सरकार को निर्यात की तय समय सीमा में विस्तार करना चाहिए। भारतीय चावल की कीमत पोर्ट पर पहुंचने के वक्त 17,000 रुपए या 340 डॉलर प्रति टन पड़ रही है। गौरतलब है कि घरेलू बाजार में चावल की कीमत इसकी आपूर्ति के मांग से ज्यादा होने की वजह से गिर गई थी। साथ ही सरकार के अतिरिक्त आपूर्ति की खरीद न करने से भी इसकी कीमतें दबाव में चल रही हैं। बढि़या क्वालिटी के छत्तीसगढ़ से आने वाले चावल की कीमत 11,500 रुपए प्रति टन पड़ रही है। वियतनाम या थाईलैंड से आने वाले चावल के मुकाबले भारत का चावल काफी सस्ता पड़ रहा है। मई के पहले हफ्ते में निर्यात होने वाले बेंचमार्क थाई चावल की कीमत पहले के 540 डॉलर प्रति टन से गिरकर 530 डॉलर प्रति टन के स्तर पर आ गई है। कमजोर मांग और स्टॉक बेचने की सरकारी योजनाओं के चलते इनकी कीमतों पर नीचे की ओर दबाव बना हुआ है। कीमतों में और गिरावट आने की आशंकाओं के चलते थाई सरकार ने पिछले हफ्ते कहा था कि वह अपने भंडार से 37.6 लाख टन चावल को बेचने की योजना की समीक्षा कर सकती है। पिछले बुधवार, सरकार ने एसटीसी, एमएमटीसी और पीईसी को 10 लाख टन गैर-बासमती चावल के निर्यात की मंजूरी दी थी। यह निर्यात 21 देशों को किया जाना है। वैसे तो चावल निर्यात सरकारों के बीच आपस का मामला है, लेकिन इसे वे एजेंसियां ही अंजाम देंगीं, जिन्हें इसकी जिम्मेदारी दी गई है। इसके लिए ये एजेंसियां निर्यात किए जाने वाले देशों की निजी फर्मों से अपने स्तर पर सौदा करेंगी। सचिवों की समिति की हाल में हुई बैठक में गेहूं के निर्यात के लिए निजी सेक्टर को मंजूरी देने का फैसला किया गया है। इस फैसले के तहत 20 लाख टन गेहूं के निर्यात की इजाजत दी गई है। सरकार के इस कदम का मकसद घरेलू बाजार में गेहूं की कम होती कीमतों को रोकना है। (ET Hindi)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें