नई दिल्ली। विश्व बाजार में कॉटन की कीमतें मजबूत बनी हुई है, जबकि चालू सीजन में देश के कई राज्यों में बेमौसम बारिश और बाढ़ के साथ ही पिंक बॉलवर्म से फसल को हुए नुकसान से उत्पादन अनुमान में कमी आने की आशंका है। इसलिए कपास की मौजूदा कीमतों में और तेजी आने का अनुमान है।
नार्थ इंडिया कॉटन एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश राठी ने बताया कि घरेलू बाजार में कॉटन की कीमतों में सप्ताहभर में ही करीब 1,000 रुपये प्रति कैंडी से ज्यादा की तेजी आ चुकी है तथा जिस तरह से विश्व बाजार में दाम बढ़ रहे हैं, उससे आगे निर्यात सौदों में तेजी आने का अनुमान है। न्यूयार्क दिसंबर कॉटन वायदा में आज 0.82 फीसदी की तेजी आकर भाव 71.7 सेंट प्रति पाउंड हो गए। इसलिए घरेलू बाजार में कॉटन की कीमतों में अभी तेजी बनी रहने का अनुमान है।
उन्होंने बताया कि चालू सीजन में कृषि मंत्रालय ने 371.18 लाख गांठ और उद्योग ने कपास का जो आरंभिक उत्पादन अनुमान 356 लाख गांठ (एक गांठ-170 किलो) का लगाया है उसमें कमी आने का अनुमान है। उन्होंने बताया कि उत्पादन घटकर 345 से 350 लाख गांठ का ही होने का अनुमान है। कॉटन के प्रमुख उत्पादक राज्य महाराष्ट्र के विदर्भ में पिंक बॉलवर्म से फसल को नुकसान हुआ है जबकि तेलंगाना और कर्नाटक में बेमौसम बारिश और बाढ़ से फसल की क्वालिटी के साथ ही उत्पादकता में भी कमी आयेगी। उन्होंने बताया कि पहली अक्टूबर 2020 में शुरू हुए फसल सीजन में अभी तक करीब 10 लाख गांठ कपास के निर्यात सौदे हो चुके हैं, तथा जिस तरह से विदेशी बाजार में दाम बढ़ रहे है, उससे निर्यात सौदों में और तेजी आयेगी।
महाराष्ट्र के ओरंगाबाद के कॉटन व्यापारी ने बताया कि कॉटन कारर्पोशन आफ इंडिया (सीसीआई) चालू सीजन में पुरानी के साथ ही नई कॉटन की बिक्री भी कर रही है, तथा सीसीआई बिक्री भाव में बढ़ोतरी कर रही है, जिससे तेजी को बल मिल रहा है। उन्होंने बताया कि आज भी सीसीआई ने कॉटन के बिक्री भाव में 300 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी-356 किलो) की तेजी की। पहली अक्टूबर 2020 से अभी तक सीसीआई करीब 21 लाख गांठ से ज्यादा की खरीद कर चुकी है।
कॉटन एसोसिएशन आफ इंडिया (सीएआई) के पहले आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू फसल सीजन 2020-21 में बुआई में हुई बढ़ोतरी के बावजूद कई राज्यों में हुए नुकसान के कारण कपास के उत्पादन में 1.11 फीसदी की कमी आकर कुल उत्पादन 356 लाख टन गांठ (एक गांठ-170 किलो) होने का अनुमान है जबकि पिछले साल 360 लाख गांठ का उत्पादन हुआ था।
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