आर एस राणा
नई
दिल्ली। उत्पादक राज्यों में मौसम साफ रहा तो आगे उड़द के साथ ही मूंग की
दैनिक आवक बढ़ेगी, जिससे इनकी मौजूदा कीमतों में 200 से 300 रुपये प्रति
क्विंटल का मंदा आने का अनुमान है। चना और अरहर में उंचे भाव में मांग
कमजोर हुई है, हालांकि स्टॉकिस्ट तेजी करना चाहते हैं, इसलिए इनके भाव में
100 से 150 रुपये की तेजी आए तो फिर स्टॉक बेचना ही चाहिए।
उत्पादक
राज्यों में मौसम साफ रहा तो अगले आठ-दस दिनों में मूंग के साथ ही उड़द की
नई फसल की आवक बढ़ेगी, जिससे इनकी कीमतों में मंदा ही आने का अनुमान है।
कर्नाटक की मंडियों में उड़द के भाव 4,000 से 6,000 रुपये प्रति क्विंटल
हैं, जबकि चालू खरीफ में उड़द के साथ ही मूंग का उत्पादन अनुमान ज्यादा है।
मूंग के भाव राजस्थान की मंडियों में 5,500 से 6,500 रुपये प्रति क्विंटल
चल रहे हैं। उड़द की बुआई बढ़कर चालू खरीफ सीजन में 37.52 लाख हेक्टेयर में
और मूंग की बुआई 34.85 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय
तक इनकी बुआई क्रमश: 37.09 एवं 30.19 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।
व्यापारियों
के अनुसार उत्पादक मंडियों में चना के भाव 4,600 से 5,000 रुपये प्रति
क्विंटल हैं जबकि नेफेड ने राजस्थान में 5,001 से 5,071 रुपये और मध्य
प्रदेश में 4,901 से 5,001 रुपये प्रति क्विंटल के भाव चना बेचा है। नेफेड
के बिक्री भाव उंचे हैं जबकि आगे त्यौहारी सीजन है इसलिए चना की कीमतों में
हल्का तेजी आए तो फिर स्टॉक बेचना ही चाहिए। वैसे भी केंद्र सरकार ने
बदगाह पर पड़ी हुई डेढ़ लाख टन को घरेलू बाजार में बेचने की अनुमति दी है,
जोकि उंचे भाव की है। केंद्र सरकार नवंबर तक गरीबों को एक किलो राशन में
फ्री में चना दे रही है जबकि आगे अक्टूबर में बुआई भी शुरू हो जायेगी।
इसलिए बड़ी तेजी की उम्मीद नहीं है।
अरहर की कीमतों में आगे अब बड़ी
तेजी की संभावना नहीं है, चालू खरीफ में बुआई बढ़ी है, जिससे उत्पादन
अनुमान ज्यादा है। सूत्रों के अनुसार केंद्र सरकार चार लाख टन अरहर के आयात
को मंजूरी चालू महीने के अंत तक दे सकती है, ऐसे में अक्टूबर, नवंबर में
आयात होगा, जबकि घरेलू मंडियों में नई फसल की आवक नवंबर में बनेगी, तथा
दिसंबर में आवक का दबाव बन जायेगा। इसलिए अब बड़ी तेजी मानकर व्यापार नहीं
करना चाहिए। अरहर के भाव में उपर का टारगेट 6,200 से 6,300 रुपये प्रति
क्विंटल का था, जोकि लगभग पूरा हो चुका है अत: मौजूदा कीमतों में 100-150
रुपये की तेजी आए तो फिर स्टॉक बेचना ही चाहिए। अरहर की बुआई पिछले साल की
तुलना में 5.72 फीसदी बढ़कर 47.10 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले
साल इस समय तक 44.55 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हुई थी है।
सस्ती मसूर
का आयात नहीं हो पायेगा, जबकि 30 फीसदी आयात शुल्क पर नए आयात सौदे नहीं
होंगे। ऐसे में मसूर की कीमतों में हल्का सुधार और भी बन सकता है। जानकारों
के अनुसार उत्पादक मंडियों में मसूर के भाव 5,500 से 6,000 रुपये प्रति
क्विंटल के दायरे में रहने का अनुमान है।............. आर एस राणा
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