आर एस राणा
नई दिल्ली। उत्तर भारत के राज्यों में आगे कपास की दैनिक आवक बढ़ेगी, जबकि अन्य राज्यों में भी यार्न मिलों की मांग कमजोर है। इसलिए आगे इसकी कीमतों में नरमी ही आने का अनुमान है। वैसे भी चालू खरीफ में कपास का उत्पादन अनुमान ज्यादा है।
पिछले सप्ताह में तेजी के बाद महाराष्ट्र और गुजरात आदि में कपास की कीमतें स्थिर सी हो गई हैं। इन राज्य में कपास की 2,500 गांठ (एक गांठ-170 किलो) की आवक हुई, जबकि कीमतें 4,450-4,800 रुपये क्विंटल रही। मध्य प्रदेश कपास की कीमतें राज्य में लगभग स्थिर सी बनी रही जबकि उत्तर भारत में सुस्त मांग के कारण कपास की चयनित किस्मों की कीमतें 200 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी-356 किलो) घट गई गयी। उत्तर भारत के राज्य में 1,000 से 1,200 गांठ कपास की आवक हुई।
अहमदाबाद में 29 मिमी संकर-6 कपास की कीमतों 35,800-36,000 रुपये और 28.5 प्लस मिमी कपास की कीमतों 34,800-35,000 रुपये प्रति कैंडी थी जबकि 28 मिमी की कीमत 200 रुपये कम होकर 33,000-33,300 रुपये प्रति कैंडी रह गई। सीसीआई के पास कपास का बकाया स्टॉक ज्यादा है जबकि विदेशी बाजार में भी भाव नरम हैं। आगे नई फसल की आवक बढ़ेगी, तथा कपास का समर्थन मूल्य उंचा है, जबकि मंडियों में कीमतें कम है। ऐसे में पहली अक्टूबर 2020 से शुरू होने वाले सीजन में भी सीसीआई को ज्यादा खरीद करनी पड़ेगी। खरीफ विपणन सीजन 2019-20 में सीसीआई ने 100 लाख गांठ से ज्यादा कपास की खरीद की थी, जबकि महाराष्ट्र में राज्य की एजेंसी ने भी अलग से समर्थन मूल्य पर खरीद की थी।
मीडियम स्टेपल कपास का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) खरीफ विपणन सीजन 2020-21 के लिए 5,515 रुपये और लोंग स्टेपल कपास का एमएसपी 5,828 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है। कपास की बुआई चालू खरीफ में 2.80 फीसदी बढ़कर 128.41 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 124.90 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। सामान्यत: कपास की बुआई 120.97 लाख हेक्टेयर में होती है।.......... आर एस राणा
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