आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2020-21 के लिए केंद्र सरकार ने चार लाख टन आयात की अनुमति दाल मिलों को दी थी, तथा मिलों को 31 अगस्त 2020 तक आयात करना था, लेकिन इस अवधि में केवल ढ़ाई लाख टन उड़द का ही आयात हो पाया है जबकि कोटे की तय मात्रा का डेढ़ लाख टन बचा हुआ है।
व्यापारियों के अनुसार पहले अनुमान लगाया जा रहा था कि सरकार आयात की तय सीमा में बढ़ोतरी कर सकती है, लेकिन घरेलू मंडियों में नई उड़द की आवक शुरू हो गई है, तथा आगे मौसम साफ होने पर आवक और बढ़ेगी, इसीलिए सरकार ने आयात कोटा नहीं बढ़ाया है।
चालू वित्त वर्ष के लिए केंद्र सरकार ने चार लाख टन उड़द आयात का कोटा जारी किया था। जिसकी मियाद 31 अगस्त 2020 तक थी। हालांकि इसे अगस्त के बाद भी बढ़ाए जाने को लेकर बाजार में चर्चा जरूर थी, लेकिन सरकार की ओर से इस पर कोई फैसला नहीं आया है। ऐसे में इस साल के लिए उड़द आयात की मियाद खत्म मानी जा रही है।
केंद्र सरकार द्वारा दो जून 2020 को जारी अधिसूचना के तहत मसूर आयात पर शूल्क 30 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी करने के फैसले की अवधि भी 31 अगस्त 2020 को समाप्त हो गई है। दाल की कीमतों को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक के एक बयान के बाद सरकार ने आनन फानन में अमेरिका के अलावा सभी देशों से आयातित मसूर पर लगने वाले शुल्क को 30 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी कर दिया था। जो महज 31 अगस्त 2020 तक ही मान्य था। अब इसकी भी मियाद खत्म हो जाने के बाद माना जा रहा है कि सस्ते आयात शुल्क पर अब मसूर का आयात नहीं हो सकेगा। मसूर की नई फसल आगे मार्च, अप्रैल में आयेगी, अत: आयात पड़ते महंगे होने से आगे इसकी कीमतों में घरेलू बाजार में जरुर हल्का सुधार बन सकता है। .............. आर एस राणा
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