आर एस राणा
नई दिल्ली। देश के कई हिस्सों में हो रही भारी बारिश से उड़द की फसल को नुकसान की आशंका है। कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात आदि के कई क्षेत्रों में बाढ़ जैसे हालात हो गए हैं। ऐसे में फसल को नुकसान के साथ क्वालिटी भी कमजोर होने की आशंका है। इसीलिए स्टॉकिस्ट उड़द के भाव तेज कर रहे हैं। उधर महाराष्ट्र के अहमदनगर में नई उड़द की आवक शुरू हो गई है, तथा मौसम साफ होने पर दैनिक आवक और बढ़ेगी।
स्टॉकिस्टों की मांग बढ़ने से चेन्नई, दिल्ली, मुंबई और कोलकाता में बर्मा उड़द के भाव तेज बने हुए हैं, हालांकि उचे भाव में दाल में ग्राहकी कजोर है। व्यापारियों के अनुसार पिछले तीन-चार दिनों में ही उड़द की कीमतों में करीब 200-250 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आ चुकी है। म्यांमार से एफएक्यू क्वालिटी की उड़द के भाव 745 डॉलर प्रति टन (सीएंडएफ) और एसक्यू क्वालिटी के भाव 855 डॉलर प्रति टन बोले गए।
उत्पादक मंडियों में अगले महीने बढ़ेगी नई फसल की आवक
महाराष्ट्र की अहमदनगर मंडी में 150 से 200 बोरी नई उड़द की आवक हुई है जोकि 5,500 से 6,000 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर बिकी। व्यापारियों के अनुसार अगले महीने कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश की मंडियों में नई फसल की आवक बनेगी, जिससे कीमतों में मंदा ही आने का आने का अनुमान है। जानकारों के अनुसार म्यांमार से करीब 600 कंटेनर उड़द के आ रहे हैं जोकि अगले सप्ताह तक भारतीय बंदरगाह पर पहुंचने का अनुमान है। चैन्नई में एफएक्यू क्वालिटी की उड़द के भाव 6,000 से 6,150 रुपये और एसक्यू क्वालिटी की उड़द के भाव 7,000 से 7,025 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।
अगस्त अंत नहीं हो पायेगा चार लाख टन का आयात
केंद्र सरकार ने चालू वित्त वर्ष 2020-21 के लिए के लिए 4 लाख टन उड़द आयात का कोटा जारी किया था। जिसकी मियाद अगस्त अंत तक है, लेकिन अगस्त तक पूरा चार लाख माल नहीं आ पायेगा, इसलिए आयातक सरकार से आयात की मियाद बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। व्यापारियों के अनुसार कुछ आयातकों ने ज्यादा आयात सौदे कर रखे हैं, लेकिन तय समय लोडिंग नहीं होने के कारण यह माल अगस्त अंत तक नहीं आ पायेंगा। उत्पादक मंडियों में उड़द के भाव समर्थन मूल्य से नीचे हैं जबकि अगले महीने नई फसल की आवक बढ़ेगी, ऐसे में सरकार शायद आयात की समय सीमा को नहीं बढ़ाये। कृषि मंत्रालय के अनुसार उड़द की बुआई बढ़कर 35.62 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 33.74 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी।............... आर एस राणा
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