12 फ़रवरी 2015

ईरानी नियम से बासमती में अड़चन

ईरान को किए जाने वाले निर्यात में गिरावट आने की वजह से पिछले साल देश से होने वाले बासमती चावल निर्यात में कम से कम 10 फीसदी की गिरावट आने का अनुमान है। परिणामस्वरूप इससे कुल चावल निर्यात पर बुरा असर पडऩे के आसार हैं और दुनिया भर में सर्वाधिक चावल निर्यात करने वाले देश के तौर भारत की जगह अब थाईलैंड लेने के लिए तैयार है। इस गिरावट की वजह से निर्यात की जाने वाली जिंसों में बासमती चावल पहले पायदान से खिसककर नीचे आ जाएगा और इसकी जगह भैंस का मांस ले लेगा।

भारत से किए जाने वाले बासमती चावल के निर्यात में करीब एक तिहाई हिस्सेदारी भारत की है। हाल ही में ईरान ने आयात के लिए नए नियमों की घोषणा की है जिसके तहत स्थानीय पंजीकरण, प्रमाण पत्र जारी करने की जरूरत होगी जिससे स्थानीय पंजीकरण और सुरक्षा मानकों का खयाल रखा जा सकेगा। अप्रैल-अक्टूबर 2014 के दौरान भारत का कुल बासमती निर्यात मात्रा के लिहाज से पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले करीब 10 फीसदी घटकर लगभग 18 लाख टन रहा। हालांकि घरेलू स्तर पर कम उत्पादन की वजह से कीमतें ऊंची रही। इसलिए भुगतान के लिहाज से निर्यात अप्रैल-अक्टूबर 2014 के दौरान 15,789 करोड़ रुपये का रहा जो पिछले साल की समान अवधि में 15,543 करोड़ रुपये था। 

इसके साथ ही अप्रैल-अक्टूबर के दौरान गैर बासमती चावलों का निर्यात मात्रा और मूल्य दोनों ही लिहाज से पिछले साल के बराबर ही रहा। इस दौरान 45 लाख टन गैर बासमती चावल का निर्यात किया गया जिसकी कीमत करीब 11,569 करोड़ रुपये थी। पिछले साल भारत ने 29,299 करोड़ रुपये मूल्य के करीब 37 लाख टन बासमती चावल का निर्यात किया था। इस निर्यात में अकेले ईरान की हिस्सेदारी करीब 14 लाख टन है। ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन (एआईआरईए) के कार्यकारी निदेशक राजन सुंदरेशन के मुताबिक इस साल ईरान को भारत का बासमती चावल निर्यात करीब 10 लाख टन रह सकता है।   

सुंदरेशन ने कहा, 'इस साल बासमती चावल निर्यात में गिरावट आ सकती है। हमारा निर्यात पिछले साल के मुकाबले 10 फीसदी कम हो सकता है। ईरान को होने वाले कम निर्यात का एक और कारण पिछले साल जरूरत से किया गया निर्यात है। इसके अलावा उन्होंने निर्यात के लिए नए मानक भी तय कर दिए हैं।' खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) के मुताबिक अक्टूबर में थाईलैंड एक बार फिर चावल के सबसे बड़े निर्यातक के तौर पर दुनिया में अपनी स्थिति वापस पा लेगा। 

पिछले साल यह रुतबा भारत को हासिल हुआ था। एफएओ के अनुमान के मुताबिक वर्ष 2015 में यह उम्मीद थी कि थाईलैंड 106 लाख टन चावल निर्यात करके थाईलैंड फिर से पहले पायदान पर काबिज हो जाएगा। इसके बाद 80 लाख टन बासमती और गैर बासमती चावल निर्यात के साथ भारत दूसरे पायदान पर होगा। हालांकि सरकार के अनुमानों के मुताबिक भारत 2014-15 में 101 लाख टन चावल का निर्यात किया जाएगा जबकि देश ने पिछले साल 101.4 लाख टन निर्यात किया था। वर्ष 2014-15 में भारत में चावल का कुल उत्पादन 1,049.2 लाख टन रहा जबकि 2013-14 में चावल उत्पादन 1,065.4 लाख टन रहा था। (BS Hindi)

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