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09 अक्टूबर 2013
'विदेशी परिसंपत्ति से हो भुगतान'
नैशनल स्पॉट एक्सचेंज (एनएसईएल) में 5,600 करोड़ रुपये के भुगतान संकट का असर अब फाइनैंशियल टेक्रोलॉजीज (एफटीआईएल) के विदेश में कारोबार पर भी पड़
रहा है। एनएसईएल के निवेशकों ने वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) और भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) को लिखे पत्र में मांग की है कि समूह की विदेश में परिसंपत्तियों से निवेशकों को भुगतान किया जाए। एनएसईल के पेयर्ड कॉन्ट्रैक्ट में करीब 13,000 निवेशकों ने रकम लगाई थी। एनएसईएल में एफटीआईएल की 99.99 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
निवेशकों के मंच ने कहा कि समूह ने इस पूंजी का एक बड़ा हिस्सा विदेश में अपनी इकाइयों में लगाया है। इन्होंने नियामकों से आग्रह किया है कि भुगतान संकट का समाधान करने के लिए विदेश गई रकम वापस लाई जाए।
मंच ने शिकायत में कहा, 'हमारा मानना है कि निवेशकों की रकम कहां गई, इसका पता लगाना जरूरी है। रकम वापस लाकर कम से कम प्रभावित निवेशकों को कुछ हद तक ही सही लेकिन भुगतान होना चाहिए।'
सबसे अधिक 531 करोड़ रुपये का निवेश सिंगापुर मर्केंटाइल एक्सचेंज में और उसके बाद फाइनैंशियल टेक्रोलॉजीज सिंगापुर में 447.86 करोड़ रुपये का निवेश हुआ है। जिन अन्य संस्थानों में निवेश हुआ है उनमें ग्लोबल बोर्ड ऑफ ट्रेड (282 करोड़ रुपये) और बहरीन फाइनैंशियल एक्सचेंज (276 करोड़ रुपये) शामिल है।
ये सभी इकाइयां नुकसान में चल रही हैं और इन्हें करोड़ों रुपये का घाटा हुआ है। शिकायत में कहा गया है, 'इन इकाइयों में इतने बड़े पैमाने पर निवेश के बावजूद इनका राजस्व न के बराबर रहा है। पिछले पांच साल के दौरान इन इकाइयों को नियमित तौर पर भारी नुकसान हुआ है।Ó
इन निवेश के मकसद पर सवाल उठाते हुए मंच के संयोजक शरद कुमार ने कहा, 'इन तथ्यों से नुकसान में चल रही इन इकाइयों में रकम लगाने पर सवाल खड़े होते हैं। भारी नुकसान में चल रही कंपनियों में इतने बड़े स्तर पर पूंजी प्रवाहित करना स्पष्टï तौर पर समझ-बूझ से उठाया गया कदम नहीं लगता है।'
बिजनेस स्टैंडर्ड को ई-मेल से भेेजे एक जवाब में एफटीआईएल के प्रवक्ता ने कहा कि एक सूचीबद्ध कंपनी के तौर पर एफटीआईएल ने इन अंतररराष्टï्रीय एक्सचेंजों में निवेश का ब्योरा अपनी सालाना रिपोर्ट में सूचीबद्धता समझौते के तहत दिया है। प्रवक्ता ने लिखा, 'इतना ही नहीं, समूह के अंतरराष्टï्रीय उद्यमों में निवेश भारत और विदेश में संबंधित नियामकों से अनुमति प्राप्त करने के बाद ही होता है।'(BS Hindi)
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