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08 अप्रैल 2013
किसानों ने पहले कभी नहीं देखी थी ऐसी बैंकिंग
आर एस राणा नई दिल्ली | Apr 06, 2013, 00:15AM IST
जमीन अधिग्रहण के बदले मिली 1,650 करोड़ की मुआवजा राशि हथियाने के लिए मची है होड़
मालामाल किसान-2
रात दस बजे भी जमा हो रहे हैं चेक, अगले ही दिन कैश निकालने की भी गारंटी
रकम चुकाए बगैर मिल रहा किसान क्रेडिट कार्ड पर कर्ज वापसी का सर्टिफिकेट
कार कंपनियां भी अपने लेटेस्ट मॉडल के साथ मौजूद हैं इन गांवों में
मुआवजे के सदुपयोग की जानकारी का अभाव
सरकारें मुआवजा तो देती हैं लेकिन अक्सर किसानों को मिलने वाला पैसा बर्बाद हो जाता है। किसानों के बीच इस बारे में जागरूकता अभियान चलाना चाहिए ताकि पैसे का सदुपयोग हो सके। जिन गांवों में अधिग्रहण किया जाना है वहां एक महीना पहले कैंप आयोजित किए जाने चाहिए और किसानों को यह बताया जाना चाहिए कि वे पैसे का उचित इस्तेमाल कैसे कर सकते हैं।
दिल्ली से सटे सोनीपत जिले के खरखौदा तहसील कार्यालय में इन दिनों मेले जैसा माहौल है। चारों तरफ बड़ी-बड़ी गाडिय़ां पार्क हैं। गेट के बाहर दोनों तरफ कई कार कपंनियों ने टेंट में ही शोरूम बना लिए हैं, जिनमें चार-पांच लेटेस्ट मॉडल की गाडिय़ां खड़ी हैं।
कार कंपनियों के कर्मचारी और अधिकारी किसानों को कार की खूबियां बताकर रिझाने की कोशिश में लगे हैं। किसानों के लिए टेस्ट ड्राइव का विशेष इंतजाम है। एक कार कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि 13 मार्च से 2 अप्रैल के दौरान 35 गाडिय़ों की बिक्री हो चुकी है। मुआवजा राशि के दूसरे चरण में उन्हें और 20 से 25 गाडिय़ों की बिक्री होने की उम्मीद है।
आईएमटी के लिए सभी दस गांवों में जमीन अधिग्रहण के पहले चरण की मुआवजा राशि का आवंटन 13 मार्च से 3 अप्रैल के दौरान पूरा हो चुका है। गुरुवार को इसका दूसरा चरण शुरू हुआ। सोनीपत जिले के राजस्व अधिकारी सुरेश कुमार ने बताया कि पहले चरण में सभी दस गांवों के किसानों को मुआवजा राशि का वितरण किया गया है।
कुछ किसान, जिन्होंने किसी कारणवश मुआवजा नहीं लिया, वे दूसरे चरण में ले सकते हैं। इंडस्ट्रियल मॉडल टाउनशिप (आईएमटी) करने के लिए इन दस गांवों की अधिग्रहीत 3,303 एकड़ जमीन के बदले किसानों को लगभग 1,650 करोड़ रुपये की मुआवजा राशि दी जा रही है।
मुआवजे का चेक अपने-अपने बैंक में जमा कराने के लिए बैंक कर्मचारी से लेकर अधिकारी तक, सभी किसानों की मिन्नतें करते मिल जाएंगे। बैंक शाखाओं में 12 से 14 घंटे तक काम हो रहा है। अधिकारीगण रात भर जाग कर सुबह की प्लानिंग बना रहे हैं।
इन गांवों की शाखाओं में कर्मचारियों की कमी ना रहे, इसके लिए दूसरी शाखाओं के लोगों की भी ड्यूटी यहां लगाई जा रही है। जैसे ही किसान तहसील कार्यालय से चेक लेता है। दो-तीन बैंक अधिकारी उसकी तरफ लपकते हैं और अपने बैंक में जमा कराने के फायदे बताने लगते हैं।
किसानों के लिए तो बैंक जैसे पलकें बिछाए बैठे हैं। किसान रात के दस बजे भी अपना चेक जमा करा सकते हैं। जिन किसानों ने बैंकों से किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से कर्ज ले रखा है, उन्हें बैंक की तरफ से फटाफट कर्ज वापसी का सर्टिफिकेट दिया जा रहा है। वह भी कर्ज चुकाए बगैर।
यही नहीं, चेक जमा होने के अगले ही दिन किसानों को कैश निकालने की गारंटी भी दी जा रही है। किसानों को रिझाने की रेस में सार्वजनिक क्षेत्र के ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, पंजाब नेशनल बैंक और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के अधिकारी आगे हैं। इन बैंकों ने महीनेभर में इन गांवों में अपनी शाखाएं खोल ली हैं और अब एटीएम केंद्र भी खोल रहे हैं। (Business Bhaskar.....R S Rana)
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