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04 अप्रैल 2013
निर्यात के बेहतर मौकों से मजबूत रहेगा जीरा
इस साल जीरा निर्यात के बेहतर मौके होने से अप्रैल और मई के दौरान इसकी कीमतों में मजबूती रहेगी। जूनागढ़ कृषि विश्वविद्यालय (जेएयू) के अध्ययन में यह बात कही गई है। अनुमान लगाया गया है कि जीरे का उत्पादन इस सीजन में 10 फीसदी घट सकता है।
जेएयू के कृषि अर्थशास्त्र विभाग के अध्ययन के मुताबिक गुजरात में 2011-12 के दौरान 3.74 लाख हेक्टेयर में जीरे की बुआई हुई। इससे उत्पादन 2.83 लाख टन और उत्पादकता 760 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर रही। देश में इसका रकबा 5.13 लाख हेक्टेयर और उत्पादन करीब 3.42 लाख टन रहा। लेकिन चालू वर्ष 2012-13 में गुजरात में जीरे का रकबा करीब 3.34 लाख हेक्टेयर होने का अनुमान है, जो कम सिंचाई के चलते 10 फीसदी कम है। राजस्थान में भी इस साल जीरे का उत्पादन घट सकता है।
जेएयू के कृषि अर्थशास्त्र विभाग के सहायक शोध वैज्ञानिक डॉ. मगनलाल ढंढालिया ने कहा, 'पिछले साल कटाई के समय मार्च से जून 2012 के बीच जीरे का भाव करीब 2,400 रुपये प्रति 20 किलोग्राम था। लेकिन मॉनसून की अनिश्चितता से जुलाई से यह बढऩा शुरू हो गया और इस समय यह विभिन्न बाजारों में 2,500 रुपये प्रति 20 किलोग्राम के आसपास है। अगले कुछ सप्ताह में आवक चरम पर होने को छोड़ दें तो इसके भाव मजबूत रह सकते हैं। Ó जीरे की कुल आवक बढ़कर 35,000 बैग से बढ़कर 45,000 बैग हो गई है, जबकि मांग 35,000 बैग थी। ढंढालिया ने कहा, 'बाजारों और निर्यात परिदृश्य के अध्ययन से निष्कर्ष निकलता है कि जीरे की कीमतें अप्रैल से मर्ई 2013 के बीच 2,450 से 2,700 रुपये प्रति किलोग्राम के दायरे में रहेंगी।Ó केडिया कमोडिटीज ने कहा कि तुर्की और सीरिया में कम उत्पादन की खबरें आ रही हैं, इसलिए आने वाले महीनों में जीरे का निर्यात बढ़ सकता है। (BS Hindi)
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