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14 जनवरी 2013
ऑने-पॉने दाम पर किसान बेचते हैं धान!
केंद्र ने राज्य सरकारों से किसानों द्वारा बड़े पैमाने पर कम दाम पर अपनी फसल बेचे जाने और साथ ही इस तरह की बिक्री रोकने के लिए उठाए गए उपायों के बारे में भी जानकारी मांगी है। पिछले कुछ सालों के दौरान सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य में लगातार इजाफा किया है और इसके बावजूद किसानों को धान की फसल को औने पौने दाम पर बेचनी पड़ी है। इस तरह के कई मामले सामने आने के बाद केंद्र ने राज्यों से जानकारी तलब की है।
वर्ष 2013-14 के खरीफ सत्र के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किए जाने की प्रक्रिया के तहत केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने राज्यों से जानकारी मांगी है। खरीफ फसलों की बुआई जून से शुरू होती है। अधिकारियों ने कहा कि कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) ने विभिन्न फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तय किए जाने से पहले कई मसलों पर विस्तृत जानकारी मांगी है।
खरीफ सत्र के दौरान बड़े पैमाने पर धान की खेती की जाती है। वर्ष 2012-13 के दौरान भारत में करीब 8.55 करोड़ टन धान की पैदावार होने की उम्मीद है जो कि पिछले साल के मुकाबले करीब 7 फीसदी कम है। अधिकारियों ने बताया कि कम कीमत पर किसानों के धान बेचने का मामला मुख्य तौर से पूर्वी भारत के राज्यों, पश्चिम बंगाल, बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश, असम और ओडीशा में देखने को मिला है।
भारत के कुल चावल उत्पादन में संयुक्त तौर पर इन पांचों राज्यों की भागीदारी करीब 45 फीसदी है। हालांकि वर्ष 2013-14 में लगातार दूसरी बार इन राज्यों में खुले बाजार में धान की कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम रही हैं और इसकी वजह यहां पर खरीदारी केंद्रों की निष्क्रियता है जिससे किसानों को औने पौने दाम पर अपनी फसल बेचने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
एक वरिष्ठï अधिकारी ने कहा, 'कृषि विभाग और कृषि लागत एवं मूल्य आयोग के दो दलों ने पूर्वी भारत के कुछ इलाकोंं का दौरा किया और उन्होंने पाया कि किसानों को कम कीमत पर अपनी फसल बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। (BS Hindi)
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