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14 जनवरी 2013
गेहूं-कपास: दुनिया में बढ़े, भारत में गिरे दाम
भारतीय जिंस बाजार के लिए यह कुछ अजीब ही बात है कि यहां गेहूं और कपास की कीमतों में गिरावट का रुझान है। मॉनसून के बाद बुनियादी तत्वों में तेज बदलाव के कारण पिछले 3 सप्ताह से भारत में गेहूं और कपास की कीमतें गिरी हैं मगर दुनिया में बढ़ी हैं।
लंदन के बेंचमार्क लाइफ एक्सचेंज में गेहूं का भाव 3.9 फीसदी चढ़कर 331.8 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गया, जबकि नैशनल कमोडिटी डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स) में इस अनाज का भाव 1.8 फीसदी गिरकर 286.8 डॉलर (करीब 16,340 रुपये) प्रति टन के स्तर पर आ गया। बेंचमार्क एनवाईबीओटी में कपास का भाव 4.3 फीसदी तेजी के साथ 1,657.2 डॉलर प्रति टन रहा, जबकि एनसीडीईएक्स में इसके भाव में 1.6 फीसदी गिरावट दर्ज की गई।
शनिवार को एनसीडीईएक्स में कपास का अनुबंध 1,533 रुपये प्रति क्विंटल यानी 2,606 रुपये प्रति गांठ पर बंद हुआ।
जेआरजी सिक्योरिटीज में कमोडिटी प्रमुख हरीश गलिपेल्ली ने कहा, 'भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के गोदामों में रिकॉर्ड भंडार की वजह से घरेलू बाजार में गेहूं का भाव दबाव में है। रबी फसलों की भी अच्छी पैदावार होने की संभावना है। इसके विपरीत उत्तरी अमेरिकी राज्यों में गंभीर सूखा है और रूस में इस सीजन के दौरान कमतर उपज का अनुमान लगाया गया है। नतीजतन विदेश में कीमतें चढ़ रही हैं।Ó
एफसीआई के मुताबिक इस साल 1 जनवरी तक उसके गोदामों में 3.5 करोड़ टन का भंडार था। मौजूदा रबी सीजन में 8.8 करोड़ टन से ज्यादा पैदावार का अनुमान लगाया गया है, लिहाजा कुल मिलाकर 12.3 करोड़ टन की आपूर्ति होगी जबकि सालाना 8.4 करोड़ टन खपत का अनुमान है। चूंकि सरकार ने निर्यात पर प्रतिबंध लगा रखा है, इस कारण देश में इस विशाल भंडार से निपटना चुनौती बनती जा रही है।
दूसरी तरफ अमेरिका और सीआईएस ने गेहूं की कम पैदावार होने की आशंका जताई है। यूएसडीए ने अनुमान लगाया है कि 31 मई को खत्म होने वाले साल में गेहूं की वैश्विक पैदावार 5.9 फीसदी गिरकर 65.511 करोड़ टन रह जाएगी।
संयुक्त राष्ट्रï के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) की एक हालिया अध्ययन रिपोर्ट में कहा गया है, 'उत्तरी गोलाद्र्घ में गेहूं की जो फसल है और जिसकी बुआई होनी है, उसके शुरुआती संकेत मिलेजुले हैं। जाहिर है, किसान गेहूं के ऊंचे भाव से खासे उत्साहित हैं और इस कारण वे ज्यादा-से-ज्यादा शीतकालीन फसल लगा रहे हैं। बावजूद, मौसम अनुकूल रहने की संभावना नहीं है और अमेरिका एवं रूस जैसे प्रमुख गेहूं उत्पादक देशों में इस फसल की अच्छी पैदावार होने की उम्मीद नहीं है।Ó
ऐंजल कमोडिटीज ब्रोकिंग की वरिष्ठï अनुसंधान विश्लेषक वेदिका नार्वेकर के मुताबिक, 'पिछले दो महीनों के दौरान अंतरराष्टï्रीय बाजारों में गेहूं के भाव में अच्छी-खासी गिरावट आई थी, लेकिन तगड़ी विदेशी मांग की वजह से घरेलू बाजार में इसका भाव ऊंचा बना रहा। फिर भी, पिछले 2 हफ्तों में गेहूं के घरेलू भाव पर दबाव बना क्योंकि उत्तर भारत में शीत लहर का मौजूदा मौसम गेहूं की फसल के लिए अच्छा है। इसके अलावा गेहूं के रकबे में भी पिछले साल के मुकाबले बढ़ोतरी हुई है, जिससे गेहूं की पैदावार में तगड़ी बढ़ोतरी की उम्मीद है। इन सब कारणों से गेहूं के भंडार में जबरदस्त इजाफा होगा, जो पहले से ही जरूरत से ज्यादा आपूर्ति से जूझ रहा है।Ó
कपास के मामले में भी कमोबेश ऐसी ही स्थिति है। कपड़ा मंत्रालय के तहत कपास सलाहकार बोर्ड ने अनुमान लगाया है कि भंडारों में इस साल 34.56 लाख गांठ (1 गांठ = 170 किलोग्राम) कपास की आवक होगी, जबकि पिछले साल 28.56 लाख गांठ कपास की आवक हुई थी। तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और महाराष्टï्र जैसे प्रमुख कपड़ा उत्पादक राज्यों में बिजली की जरूरत से कम आपूर्ति के चलते मिलों ने उत्पादन क्षमता घटा दी है, लिहाजा देश में कपास की मांग घट गई है। यही वजह है कि वैश्विक बाजारों में कपास की कीमतें ऊंची रहने के बावजूद घरेलू बाजार में इसका भाव गिर रहा है।
(BS Hindi)
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