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07 दिसंबर 2012
खाद्य तेलों पर आयात शुल्क बढ़ाने की मांग नामंजूर
विश्व बाजार में खाद्य तेलों में गिरावट को देखते हुए इनके आयात पर शुल्क बढ़ाने की उद्योग की मांग सरकार ने नामंजूर कर दी है। केंद्र सरकार का खाद्य तेलों के आयात पर शुल्क बढ़ाने का अभी कोई प्रस्ताव नहीं है। इसके अलावा मौजूदा मार्केटिंग वर्ष 2012-13 के दौरान भी चीनी का निर्यात जारी रहेगा, भले ही चालू पेराई सीजन में उत्पादन पिछले साल से कम रहने का अनुमान है।
चालू पेराई सीजन में चीनी का उत्पादन घटकर 230 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले पेराई सीजन में 262 लाख टन का उत्पादन हुआ था। खाद्य राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रो. के वी थॉमस ने गुरुवार को पत्रकारों को बताया कि खाद्य तेलों के आयात पर शुल्क बढ़ोतरी का सरकार के पास अभी कोई प्रस्ताव नहीं है।
वर्तमान में क्रूड तेल पर आयात शुल्क शून्य है जबकि रिफाइंड तेलों के आयात पर 7.5 फीसदी आयात शुल्क है। सस्ते आयात से घरेलू बाजार में तिलहनों की कीमतों में चल रही गिरावट के चलते दबाव महसूस कर रहे खाद्य तेल उद्योग ने रिफाइंड खाद्य तेलों के आयात पर शुल्क को बढ़ाकर 20 फीसदी और क्रूड तेल पर 10 फीसदी आयात शुल्क लगाने की मांग की थी।
खाद्य तेलों में गिरावट से तिलहन उत्पादक किसानों पर भी दबाव है। सॉल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अनुसार तेल वर्ष 2011-12 (नवंबर-11 से अक्टूबर-12) में रिकॉर्ड 101.9 लाख टन खाद्य तेलों का आयात हुआ है, जो पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 17.53 फीसदी ज्यादा है। आयात में हुई भारी बढ़ोतरी से घरेलू बाजार में तिलहनों की कीमतों में गिरावट आई है। उत्पादक मंडियों में महीनेभर में सोयाबीन के दाम 3,500 रुपये से घटकर 3,200 रुपये और सरसों के दाम 4,500 रुपये से घटकर 4,375 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।
इस दौरान सोया रिफाइंड तेल का दाम भी इंदौर में 735 रुपये से घटकर 725 रुपये और सरसों तेल का भाव जयपुर में 825 रुपये से घटकर 810 रुपये प्रति दस किलो रह गया। हालांकि पिछले साल के मुकाबले तिलहन और खाद्य तेल के भाव ऊंचे स्तर पर हैं। एसईए के अनुसार रिफाइंड खाद्य तेलों के आयात पर 20 फीसदी और क्रूड तेल पर 10 फीसदी आयात शुल्क लगाने से सरकार को सालाना करीब 4,000 से 5,000 करोड़ रुपये की आय होगी।
प्रो. के वी थॉमस ने बताया कि चालू पेराई सीजन वर्ष 2012-13 (अक्टूबर से सितंबर) के दौरान चीनी का उत्पादन 230 लाख टन होने का अनुमान है। चीनी का निर्यात ओपन जरनल लाइसेंस (ओजीएल) के तहत जारी रहेगा। हालांकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में दाम कम होने के कारण इस समय निर्यात सौदे नहीं हो रहे हैं। पिछले पेराई सीजन 2011-12 में देश में 262 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था। (Business Bhaskar...R S Rana)
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