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22 दिसंबर 2012
ऐतिहासिक खाद्य सुरक्षा विधेयक लोकसभा में पेश
नई दिल्ली ! केंद्र सरकार ने गुरुवार को लोकसभा में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक पेश किया, जिसमें देश की 1.2 अरब आबादी के आधे हिस्से को सस्ते दर पर अनाज उपलब्ध कराने का प्रावधान है। साथ ही यह विधेयक इस आबादी को सम्मान के साथ जीवन जीने के अधिकार को भी सुनिश्चित करता है। विधेयक को केंद्रीय खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के. वी. थॉमस ने लोकसभा में पेश किया।
विधेयक के पारित होने की सम्भावना के विषय में केंद्रीय खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के. वी. थॉमस ने संसद भवन के बाहर संवाददाताओं से कहा कि विधेयक के बजट सत्र में पारित होने की उम्मीद है। विधेयक पर टिप्पणी करते हुए उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने इसे चुनावी हथकंडा करार दिया।
थॉमस ने कहा, ''यह विधेयक लोगों के लिए सम्मान के साथ जीवन जीना सुनिश्चित करेगा।''
यह विधेयक सोनिया गांधी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की पसंदीदा परियोजना और वर्ष 2009 के आम चुनाव के समय घोषित कांग्रेस के घोषणापत्र का अहम हिस्सा है।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में रविवार को मंत्रिमंडल की बैठक में इस विधेयक के प्रारूप को मंजूरी दी गई थी।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक में ग्रामीण आबादी के 75 प्रतिशत और शहरी आबादी के 50 प्रतिशत हिस्से को दायरे में लाने का प्रावधान है। इसमें चावल तीन रुपये, गेहूं दो रुपये और मोटा अनाज एक रुपये प्रति किलो की दर पर दिए जाने का वादा किया गया है।
थॉमस ने गुरुवार को उम्मीद जताई कि खाद्य सुरक्षा विधेयक फरवरी-मार्च 2012 में संसद के बजट सत्र में पारित हो जाएगा।
थॉमस ने संसद भवन के बाहर संवाददाताओं से कहा कि लोकसभा में गुरुवार को पेश किए गए विधेयक से राज्यों को मदद मिलेगी और सभी पक्षों की शंकाओं पर विचार किया जाएगा।
थॉमस ने कहा, ''इसे बजट सत्र में पारित हो जाना चाहिए।''
मंत्री ने यह भी कहा कि इस विधेयक से राजस्व पर 21 हजार करोड़ रुपये से 23 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ बढ़ेगा।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक को गरीबों के लिए अव्यावहारिक बताते हुए बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने गुरुवार को कहा कि बिना धन और खाद्यान्न की व्यवस्था किए इस विधेयक को पारित कराना कांग्रेस पार्टी का एक चुनावी स्टंट है।
मुख्यमंत्री मायावती ने लखनऊ में गुरुवार दोपहर एक बयान जारी कर खाद्य सुरक्षा विधेयक के अंतर्गत किए गए प्रावधानों का जिक्र करते हुए कहा कि इस विधेयक में दी गई व्यवस्था के अनुसार पात्र व्यक्तियों को निर्धारित मात्रा में खाद्यान्न की आपूर्ति न होने पर उन्हें राज्य सरकार को खाद्य सुरक्षा भत्ता देना पड़ेगा, जो कि राज्य सरकार को वहन करना पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि इस विधेयक के प्रावधानों के तहत राज्यों में राज्य खाद्य सुरक्षा आयोग गठित करने की बात की गई है। इस आयोग के गठित होने पर इसके क्रियान्वयन व मूल्यांकन के लिए स्टाफ आदि की व्यवस्था करनी पड़ेगी, जिसका व्ययभार भी राज्य सरकारों को उठाना पड़ेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि खाद्यान्न और वित्तीय व्यवस्था किए बगैर इस विधेयक को पास कराने का प्रयास कांग्रेस पार्टी का एक चुनावी हथकंडा है। (Deshbhandhu)
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