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14 सितंबर 2012
मल्टी ब्रैंड रीटेल में FDI को कैबिनेट की मंजूरी
नई दिल्ली।। डीजल के दामों में भारी बढ़ोतरी करने के बाद अब सरकार ने मल्टी ब्रैंड रीटेल में एफडीआई का रास्ता साफ कर दिया है। आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमिटी ने शुक्रवार को कुछ शर्तों के साथ मल्टी ब्रैंड रीटेल में 51 फीसदी एफडीआई को मंजूरी दे दी। सरकार ने कहा है कि यह राज्य सरकारों पर निर्भर करेगा कि वे अपने यहां इसे लागू करते हैं या नहीं। सरकार ने एविएशन सेक्टर में भी 49 फीसदी एफडीआई की मंजूरी दे दी है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा ने कहा, 'शुक्रवार को आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमिटी ने मल्टी ब्रैंड रीटेल सेक्टर में कुछ शर्तों के साथ एफडीआई को मंजूरी दे दी है।' उन्होंने कहा कि पहले सामान विदेशों में बनते और यहां पर बेचे जाते थे लेकिन अब विदेशी कंपनियों को देश में ही सामान बनाना पड़ेगा और उन्हें 30 फीसदी खरीदारी भी यहीं करनी पड़ेगी। उन्होंने बताया कि सरकार ने सिंगल ब्रैंड रीटेल में 100 फीसदी एफडीआई को भी हरी झंडी दे दी है। शर्मा ने कहा, 'कमिटी ने केबल और डीटीएच सेक्टर में भी एफडीआई बढ़ाने पर सहमति दे दी है।' उन्होंने कहा कि सरकार के इस फैसले से देश में लोगों को ज्यादा से ज्यादा रोजगार के अवसर मिलेंगे और किसानों को फायदा होगा। जानकारों का मानना है कि सरकार के इस फैसले से रीटेल सेक्टर का चेहरा बदल जाएगा और इससे महंगाई पर काबू पाया जा सकेगा।
सबसे अहम बात यह है कि सरकार के इस फैसले को संसद से पास कराने की जरूरत नहीं पड़ेगी। यूपीए के सहयोगी दल तृणमूल कांग्रेस ने सरकार के इस फैसले का विरोध किया है। इसी बीच प्रधानमंत्री ने कहा है कि सुधारों का वक्त आ गया है और अब उनके सामने करो या मरो की स्थिति है। यही नहीं, सरकार ने कहा है कि विनिवेश से वह 15 हजार करोड़ रुपये जुटाएगी।
कैबिनेट के इस फैसले के बाद विदेशी कंपनियां भारत के मल्टी ब्रैंड रीटेल में 51 फीसदी की हिस्सेदारी कर सकेंगी। याद होगा, सरकार ने पिछले साल मल्टी ब्रैंड रिटेल में 51 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति दी थी, लेकिन सहयोगी दलों, विपक्षी पार्टियों और रीटेल कारोबारियों के विरोध के बाद इसे टाल दिया था। (Navbharat)
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