11 जून 2009

मंदी नहीं घटा सकी मसाला निर्यात की महक

कोच्चि: वैश्विक आर्थिक मंदी के कारण देश के निर्यात क्षेत्र की रफ्तार भले ही धीमी पड़ी हो लेकिन मसालों के निर्यात पर इसका कोई असर नहीं पड़ा है। वित्त वर्ष 2008-09 में मसालों का निर्यात घटने के बजाय हैरतअंगेज ढंग से बढ़ा। इस दौरान मसाला निर्यातकों ने रिकॉर्ड 11.68 अरब डॉलर के मसालों का निर्यात किया। यह अब तक का उच्चतम स्तर है। स्पाइस बोर्ड के चेयरमैन वी जे कुरियन ने बताया कि 2008-09 में 4,70,520 टन मसालों का निर्यात हुआ। अमेरिकी डॉलर में यह कारोबार 11.68 अरब डॉलर (5,300.25 करोड़ रुपए) का है। इससे पहले वित्त वर्ष में 4,44,250 टन मसाला 11.01 अरब डॉलर (4,435.50 करोड़ रुपए) में निर्यात हुआ था। 2008-09 के दौरान स्पाइस बोर्ड के निर्यात का आंकड़ा अब तक का उच्चतम स्तर है। उन्होंने कहा कि पिछले साल की तुलना में निर्यातकों ने रुपए में मूल्यांकन के आधार पर 19 फीसदी और मात्रा के आधार पर 6 फीसदी बढ़त दर्ज की। कुरियन के मुताबिक मात्रा, रुपए और डॉलर के मूल्यांकन के आधार पर इस साल रिकॉर्ड निर्यात हुआ है। उन्होंने बताया कि 2008-09 के लिए निर्यात का लक्ष्य 4,25,000 टन या 4,350 करोड़ रुपए निर्धारित किया गया था। मंदी की वजह से आशंका थी कि इस दौरान निर्यात में कमी आ सकती है। कुरियन ने यह भी कहा कि बोर्ड ने 2009-10 में 4,500 करोड़ रुपए के निर्यात लक्ष्य तय किया है। निर्यात में कमजोरी की आशंका से मसालों का स्टॉक 6-12 महीने से घटाकर सिर्फ एक महीने का कर दिया गया है। कुरियन ने कहा कि पहले से ही दुनिया के सभी देशों को मसाला कारोबार की मात्रा में 20-25 फीसदी की कमी आ चुकी है। यूरोपीय देशों में होने वाले निर्यात में कमी आई है। बहरहाल वित्तीय सुस्ती के चंगुल में फंसने के बाद भी अमेरिका भारतीय मसालों का सबसे बड़ा आयातक देश बना हुआ है। भारत से अमेरिका को कुल निर्यात का 21 फीसदी, मलेशिया को 7 फीसदी, सऊदी अरब अमीरात को 6 फीसदी और ब्रिटेन को 5 फीसदी मसाला निर्यात किया जाता है। कुल निर्यात आमदनी में 40 फीसदी हिस्सा मिंट ऑयल, मेंथॉल क्रिस्टल और मेंथॉल पाउडर का है। (ET Hindi)

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