कोच्चि June 10, 2009
केरल के इडुक्की जिले में मसाला बोर्ड काली मिर्च की खेती के लिए फि र से बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण करने के लिए योजनाएं बना रही है जिसके लिए 230 करोड़ रुपये तक खर्च करना होगा।
बोर्ड के अध्यक्ष वी. जे. कुरियन के मुताबिक इस स्कीम के तहत पुराने पौधे और रोग लगी हुई काली मिर्च की लताओं की बजाए बेहतर पैदावार वाली रोगमुक्त किस्मों का उत्पादन किया जाएगा। इसके लिए नेशनल हार्टीकल्चर मिशन के सक्रिय समर्थन और स्वीकृति की जरूरत होगी और यह स्कीम वर्ष 2013-14 तक पूरा होने की संभावना है।
इस योजना के तहत इद्दुकी जिले में ही काली मिर्च का कुल उत्पादन 100,000 टन सालाना करने का लक्ष्य रखा गया है। मौजूदा राष्ट्रीय उत्पादन का औसत 50,000 टन है। उनका कहना है कि बोर्ड ने पौधे को लगाने के लिए 130 करोड़ रुपये सब्सिडी के तौर पर रखने का प्रस्ताव रखा है।
इस योजना के तहत किसान हर लता के लिए 28 रुपये सब्सिडी के तौर पर पाएंगे। यह सब्सिडी अधिकतम 1080 लताओं के लिए या 2 हेक्टेयर जमीन पर वृक्षारोपड़ करने दिया जाएगा। सब्सिडी की पहली किस्त इस साल नवंबर-दिसंबर में दिया जाएगा। बोर्ड ने इद्दुकी जिले में 6800 हेक्टेयर जमीन पर वृक्षारोपण करने की योजना बनाई है।
भारत में उत्पादकता में बढ़ोतरी की स्थिति बेहद खराब है और यह भी एक कार्यक्रम का मुख्य हिस्सा है। मौजूदा वक्त में काली मिर्च की प्रति हेक्टेयर उत्पादकता 314 किलोग्राम है। उनका कहना है कि इसे बढ़ाकर 840 किलोग्राम कर दिया जाएगा। दुनिया में सबसे ज्यादा उत्पादन करने वाले मसाला उत्पादक देशों वियतनाम की औसत उत्पादकता से भी नीचे है जहां औसत उत्पादकता का दायरा 1200 किलोग्राम से 1300 किलोग्राम है।
केरल और तमिलनाडु में कई तरह की फसलों की खेती करने की वजह से ही भारत में कम उत्पादकता की स्थिति बनी हुई है। यह बोर्ड योग्य किसानों की पहचान करने के लिए एक सर्वे कराएगा। पहले चरण में यह जिले के छह गांवों में कराया जाएगा। इलायची और काली मिर्च के इस साल नवंबर तक एक स्पाइस पार्क शुरु कर दिया जाएगा।
इस बोर्ड ने इद्दुकी जिले के पुट्टाडी में पार्क के लिए 12.5 एकड़ जमीन अपने हिस्से में रखा है। इस पार्क में इन मसालों के लिए सामान्य पूर्व प्रसंस्करण की सुविधा दी जाएगी। मिर्च और हल्दी के स्पाइस पार्क के लिए 124.78 एकड़ जमीन आंध्रप्रदेश की सरकार ने गुंटुर में लिया है।
निर्माण कार्य के लिए जमीन का सर्वे पूरा कर लिया गया है और विस्तृत अनुमान बनाया जा रहा है। इसके अलावा जीरा, सौंफ, मेथी और धनिया के लिए गुजरात के उन्झा और राजस्थान के जोधपुर में स्पाइस पार्क बनाने का प्रस्ताव रखा जा रहा है।
इसके अलावा उत्तर प्रदेश में भी पुदीने के उत्पाद बनाने की योजना भी पाइपलाइन में है। मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा में खासतौर पर लहसुन और मिर्च के लिए स्पाइस पार्क बनाने की योजना पर भी काम चल रहा है।
बेहतर रहा मसाला निर्यात
वैश्विक मंदी के बावजूद वर्ष 2008-09 में भारत के मसाला निर्यात क्षेत्र का प्रदर्शन बेहतर रहा है। पहली बार अब तक के सबसे ज्यादा कारोबार की वजह से निर्यात की कमाई 5,000 करोड़ रुपये तक हो गई।
कुल निर्यात 470,520 टन रही है जिसकी वैल्यू 5300.25 करोड़ रुपये रही है जो वर्ष 2007-08 में 444,250 टन रही है जिसकी कीमत 4435.50 करोड़ रुपये थी। मसाला बोर्ड के ताजा आंकड़ों की मानें तो निर्यात में रुपये के लिहाज से 19 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई है और डॉलर और कारोबार के लिहाज से हर एक में 6 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई है।
निर्यात का लक्ष्य 425,000 टन है जिसकी कीमत 4350 करोड़ रुपये के मुकाबले मात्रा के लिहाज से 111 फीसदी और रुपये की वैल्यू के लिहाज से 122 फीसदी तक का लक्ष्य प्राप्त किया गया। मौजूदा वित्तीय वर्ष के लिए बोर्ड ने 425,000 टन तक का लक्ष्य निर्धारित किया जिसकी कीमत 4500 करोड़ रुपये है।
मात्रा के लिहाज से मसाले के कुल निर्यात में 7 फीसदी तक की गिरावट आई वहीं कीमत के लिहाज से इसमें 19 फीसदी और डॉलर के हिसाब से 4 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई। वित्तीय वर्ष के लिए कुल निर्यात 83,545 टन था जिसकी कीमत 765.39 करोड़ रुपये था जो वर्ष 2007-08 के दौरान 645.50 करोड़ रुपये था। (BS Hindi)
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