19 जून 2009

खाद्यान की मांग तेज रहने से कृषि सेक्टर होगा मजबूत

पेरिस: ओईसीडी और संयुक्त राष्ट्र की खाद्य एजेंसी एफएओ ने एक रिपोर्ट में कहा है कि खाद्यान्न की मांग अगले एक दशक तक कृषि सेक्टर को मजबूत रखेगी और इस पर वैश्विक आर्थिक संकट का असर भी कम होगा। रिपोर्ट में कहा गया है, 'वैश्विक आर्थिक संकट के अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र पर असर डालने के बावजूद इसका कृषि सेक्टर पर तुलनात्मक रूप से कम प्रभाव पड़ा है। हाल के वक्त में खाद्य की मांग के जारी रहने से इस सेक्टर में बेहतर आमदनी देखी गई है।' पिछले साल फसलों की रिकॉर्ड कीमतों की वजह से मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी देखी गई। इस वजह से कुछ विकासशील देशों में बेहद खराब स्थिति पैदा हो गई थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2007-08 में उच्चतम स्तर पर पहुंचने के बाद कृषि उत्पादों की कीमतों में अगले दो-तीन वर्षों तक गिरावट रहने की उम्मीद है, लेकिन तब भी खाद्यान्नों की कीमतें साल 1997-98 के स्तर पर या उससे ऊपर ही रहेंगी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कीमतों का अनुमान लगाने में सावधानी बरतनी चाहिए, क्योंकि आर्थिक संकट और क्रूड ऑयल में चल रहे उतार-चढ़ाव का इन पर काफी असर पड़ सकता है। पेरिस स्थित ऑर्गनाइजेशन फॉर इकनॉमिक डेवलपमेंट एंड कोऑपरेशन के व्यापार और कृषि निदेशक केन एश के मुताबिक, 'हमें आने वाले वक्त में कीमतों में पहले के मुकाबले ज्यादा उतार-चढ़ाव आने की आशंका लग रही है।' साल 2009-2018 के बीच औसत फसल कीमतों के साल 1997-2006 के बीच की कीमतों के मुकाबले 10 से 20 फीसदी ज्यादा रहने का अनुमान है। ओईसीडी-एफएओ के कृषि आउटलुक में कहा गया है कि हालांकि, वनस्पति तेलों की कीमतों में इस दौरान करीब 30 फीसदी की तेजी आ सकती है। मीट और डेयरी उत्पादों में साल 2009-2018 के बीच कीमतों में फसलों के मुकाबले कम तेजी रहने का अनुमान है। इसकी वजह इन पर आमदनी स्तर में आर्थिक मंदी की वजह से पड़े असर का होने वाला गहरा प्रभाव है। रियल टर्म में, मीट में साल 1997-2006 की कीमतों का औसत पार होने की कोई संभावना को रिपोर्ट में खारिज कर दिया गया। डेयरी उत्पादों के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि एनर्जी और वनस्पति तेलों की बढ़ती कीमतों की वजह से इनकी कीमतों में भी कुछ तेजी दिखाई देगी। फसलों और वनस्पति तेल कीमतों को आने वाले सालों में विकासशील देशों में खाद्य मांग में होने वाले इजाफे से फायदा मिलेगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन देशों में बढ़ रही जनसंख्या और ऊपर उठ रहे आमदनी के स्तर के साथ ही बायोफ्यूल के इस्तेमाल में हो रही बढ़ोतरी से फसलों और वनस्पति तेलों की कीमतों में इजाफा होगा। रिपोर्ट में कहा गया है, 'बायोफ्यूल उत्पादन में तेज विस्तार के अनुमान का असर गेहूं, मक्का, ऑयलसीड और चीनी की कीमतों पर पड़ेगा।' हालांकि ओईसीडी के अधिकारियों के मुताबिक यह असर मामूली होगा। (ET Hindi)

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