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09 जून 2009
मांग में बढ़ोतरी के चलते एल्युमीनियम में आई तेजी
मुंबई- परिवहन और पैकेजिंग सेक्टर में भारी इस्तेमाल होने की वजह से हफ्ते भर एल्युमीनियम की कीमतों में खासा इजाफा देखा गया। एल्युमीनियम की भौतिक मांग के साथ इसमें अच्छा-खासा निवेश भी देखा गया। लंदन मेटल एक्सचेंज (एलएमई) पर तीन महीने वाले एल्युमीनियम के कॉन्ट्रैक्ट की कीमत 8.5 फीसदी ऊपर जाकर पिछले हफ्ते में 1,567 डॉलर प्रति टन हो गई। घरेलू कमोडिटी बाजार एमसीएक्स पर एल्युमीनियम के जून कॉन्ट्रैक्ट का भाव आठ फीसदी चढ़कर 73.3 प्रति किलो पर चला गया। निर्मल बंग कमोडिटीज के सहायक वाइस प्रेसिडेंट कुणाल शाह मानते हैं कि मध्यम अवधि के लिए एल्युमीनियम में तेजी का दौर जारी रह सकता है। शाह के मुताबिक, 'ज्यादातर कमोडिटी अपने 200 दिन के औसत भाव से ऊपर कारोबार कर रही हैं। एल्युमीनियम का 200 दिन का औसत 1,770 डॉलर है, ऐसे में इसकी कीमतों के और ऊपर जाने की संभावना बनी हुई है।' शाह के उलट एंजेल कमोडिटीज की रिसर्च एनालिस्ट रीना वालिया का कहना है कि एल्युमीनियम की कीमतों के ऊपर चढ़ने के पीछे कोई फंडामेंटल मजबूती दिखाई नहीं दे रही है। वालिया के मुताबिक, 'एल्युमीनियम की मांग में दोबारा तेजी आना केवल इस साल की दूसरी छमाही में ही संभव है। इससे पहले मुझे नहीं लगता कि एल्युमीनियम में चल रही तेजी बरकरार रह पाएगी।' उनके मुताबिक आर्थिक आंकड़े कुछ हद तक स्थितियों में सुधार के संकेत दिखा रहे हैं, लेकिन डॉलर की कीमतों में आने वाले वक्त में तेजी आती दिख रही है जो कि एल्युमीनियम में चल रही तेजी को थामने का काम करेगी। गुजरे हफ्ते की शुरुआत में कुछ कमजोरी के बाद डॉलर में मजबूती आई और इससे मेटल कीमतों पर दबाव पैदा हुआ। डॉलर में कमजोरी और चीन में रहे अच्छे मैन्युफैक्चरिंग आंकड़ों की वजह से एल्युमीनियम समेत तमाम बेस मेटल कीमतों में उछाल आया। चीन का परचेजिंग मैनजर्स इंडेक्स (पीएमआई) लगातार तीसरे महीने 53.1 अंक पर रहा, जिससे मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में मजबूत सेंटीमेंट पैदा हुआ। इससे बेस मेटल, खास तौर पर कॉपर की मांग में मजबूती देखी गई। इसके अलावा अमेरिका में भी मई के लिए मैन्युफैक्चरिंग के आंकड़े अनुमान से कहीं अच्छे साबित हुए। चीन और अमेरिका से आए अच्छे आंकड़ों के अलावा लंदन मेटल एक्सचेंज ने भी एल्युमीनियम को मजबूत बनाने में सहारा दिया। एलएमई गोदामों पर डिलीवरी का आंकड़ा 15 फीसदी उछलकर 81,375 टन पर चला गया, जो इस साल 17 अप्रैल के बाद उच्चतम था। हालांकि विश्लेषकों का मानना है कि ऑटो सेक्टर के दोबारा खड़े होने में अभी कुछ वक्त लग सकता है। इस उद्योग से नाता जुड़ा होने के कारण एल्युमीनियम पर भी असर पड़ा था। अमेरिकी ऑटो बाजार में मई में 35 फीसदी की गिरावट देखी गई है, साथ ही इस दौरान ऑटो कंपनियों के दिवालिया होने और उत्पादन इकाइयों के सुस्त पड़ने जैसे मामले भी सामने आए हैं। वालिया के मुताबिक अमेरिका में कंज्यूमर कॉन्फिडेंस में सुधार आ रहा है और इससे वहां के ऑटो बाजार को निश्चित तौर पर मजबूती मिलेगी। (ET Hindi)
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